कन्हैया लाल की बर्बर हत्या सुप्रीम कोर्ट के जिस जज ने नूपुर शर्मा के गले डाली, वे आरक्षण पर भी कर चुके हैं बेतुकी टिप्पणी, देखिए वीडियो

जस्टिस जेबी पारदीवाला (बाएँ), नूपुर शर्मा (दाएँ)
सुप्रीम कोर्ट के जज जेबी पारदीवाला ने शुक्रवार (1 जुलाई 2022) को भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को कड़ी फटकार लगाई। जज ने उन्हें पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी की वजह से उदयपुर हत्याकांड के लिए दोषी ठहराया। दरअसल, मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, “नूपुर शर्मा के बयान भड़काने वाले थे। देश में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए केवल यह महिला ही जिम्मेदार है। इसके लिए उन्हें देश से माफी माँगनी चाहिए।” वहीं जज का यह बयान चर्चा का विषय बन गया है। 
देखिए वकील रिज़वान अहमद का वीडियो :-
 

अब जगह-जगह चर्चा है कि इल्जाम लगाने से पहले से कोर्ट ने इस्लामिक किताबों से नूपुर के बयान की पुष्टि करने की कवायत क्यों नहीं की? जबकि करोड़ों लोग केस के सुप्रीम कोर्ट जाने की इंतज़ार इसलिए कर रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट बयान की पुष्टि एवं सत्यापन के इस्लामिक किताबों को खोलकर कट्टरपंथियों को बेनकाब किया जाएगा। अभी दो ही दिन पहले केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान द्वारा मदरसे पर दी गयी टिप्पणी पर ही चिंतन कर लिया होता, शायद गंभीरता से केस पर चर्चा हो गयी होती। लेकिन शायद अपनी जान की बचाने की खातिर हिन्दू नूपुर पर बला डाल पतली गली से निकल, न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया।

एक नज़र उस छोटी सी सूची पर भी डाल ली जाये, जिन्हे नूपुर के बयान से लगभग 3 साल पहले केवल इस लिए मारा गया कि वो हिंदुत्व की बात करते थे और कुछ को तो इसलिए मार दिया क्योकि वो काफिर (हिन्दू) थे। 

इस सबके मरने पर सोशल मिडिया पर विधवा विलाप किया ये अंतिम सूची नही है अभी और बहुत नाम जुड़ने है एक बार पूरी सूची पढ़ लें हो सकता है अगला नाम आपका या आपके किसी अपने का हो

1. अंकित सक्सेना'

2 हीना तलरेजा'

3 प्रशांत पुजारी' 

4 विधु जैन' 

5 'विष्णु गोस्वामी'

6'अमित गौतम' 

7 'वी. रामलिंगम' 

8 'परेश मेस्ता' 

9 'महकन' 

10 'ध्रुव त्यागी' 

11  'चंदन गुप्ता' 

12  'देवनूर सत्यनारायण' 

13 'ट्विंकल शर्मा' 

14 'जीठू मोहन' 

15  'भारत यादव' 

16 'मधु चिंदकी' 

17 'सुबोध सिंह' 

18 'डॉ. नारंग' 

19 'रिया गौतम' 

20 'रुद्रेश' 

21 बंधु प्रकाश' 

22 'प्रीति माथुर' 

23  'कमलेश तिवारी' 

24 'प्रियंका रेड्डी' 

25 रतन लाल'

26  'विनोद कुमार' 

27 'अंकित शर्मा' 

28 'महाराज कल्पवृक्षगिरि' 

29 सुशील गिरि' 

30 नीलेश तेलगड़े' 

31 विकास यादव' 

32 भावेश कोली'

33 गंगाराम सिंह चौहान' 

34 भारत यादव' 

35 'अविनाश सक्सेना' 

36 रविन्दर कुमार' 

37 रिंकू शर्मा' 

38 खेतराम भील' 

39 अविजीत सरकार' 

40 शंभू मैती

41 'कृष्ण देबनाथ' 

42 संजीत'

43 योगेश जाटव'

44 हीरा गुजराती' 

45 किशन भरवाड़' 

46 'रूपेश पांडे' 

47 हर्ष'

48 'मुकुल अधिकारी' 

49 सावन राठौड़' 

50 निकिता तोमर' 

51 उमेश कोल्हे'

52 कन्हैया लाल' आदि आदि 

जबकि यह लगभग सभी को मालूम है कि उदयपुर में टेलर कन्हैया लाल तेली का गला मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने काटा था और उसके बाद एक वीडियो बनाकर पूरी दुनिया के सामने इस जघन्य हत्या की जिम्मेदारी ली थी।

इससे पहले जस्टिस जमशेद बुर्जोर पारदीवाला भी आरक्षण पर ‘अनावश्यक टिप्पणी’ करके चर्चा में आए थे। सुप्रीम कोर्ट के दो जजों में से एक जस्टिस जेबी पारदीवाला एक समय में गुजरात हाई कोर्ट के न्यायाधीश थे। उस वक्त ‘आरक्षण ने देश को बर्बाद किया’ कहने वाले गुजरात हाई कोर्ट के जज पारदीवाला को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाने की माँग तक की गई थी। दिसंबर 2015 में, राज्यसभा में 58 सांसदों ने सभापति हामिद अंसारी को एक याचिका सौंपी थी, जिसमें उन्होंने जेबी पारदीवाला के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की माँग की थी। हालाँकि, याचिका के बाद, न्यायाधीश ने अपने फैसले से टिप्पणियों को यह कहते हुए हटा दिया था कि वे ‘प्रासंगिक और आवश्यक’ नहीं हैं।

दरअसल, उन्होंने हार्दिक पटेल के केस में कहा था, “अगर कोई मुझसे दो ऐसी चीजें बताने को कहे जिसने देश को बर्बाद कर दिया है या जिसने देश को सही दिशा में प्रगति नहीं करने दी है, तो मैं कहूँगा कि ये आरक्षण और भ्रष्टाचार हैं।” सभापति हामिद अंसारी के सामने पेश याचिका में सांसदों ने कहा था कि जज के मुताबिक, “जब संविधान बनाया जा रहा था, तब बताया गया था कि आरक्षण दस साल तक रहेगा। लेकिन आजादी के 65 साल बाद भी यह बना हुआ है।’ लेकिन हकीकत तो यह है कि 10 साल की सीमा केंद्र और राज्य विधायिका में अजा-अजजा के प्रतिनिधित्व पर थी, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में नहीं।”

न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला मई 2028 में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा के सेवानिवृत्त होने पर भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने के लिए तैयार हैं। उनका कार्यकाल 11 अगस्त, 2030 तक रहेगा। उन्होंने वकालत के पेशे में 1989 में कदम रखा था। वह अपने परिवार की चौथी पीढ़ी हैं, जिन्होंने वकालत का पेशा अपनाया ‌है।

राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल साहू की 28 जून 2022 को बर्बर तरीके से हत्या कर दी गई थी। मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने टेलर शॉप में घुसकर उन्हें काट डाला था। हत्यारों ने घटना का खौफनाक वीडियो भी बनाया था। इस मामले में कन्हैया लाल के 20 वर्षीय बेटे ने जो FIR दर्ज कराई है, उससे भी कई हैरान करने वाले खुलासे हुए हैं।

अवलोकन करें:-

नुपूर शर्मा कन्हैया लाल की हत्या की जिम्मेदार : SC की टिप्पणी पर पूछ रहे नेटिजन्स- ये शरिया कोर्ट
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नुपूर शर्मा कन्हैया लाल की हत्या की जिम्मेदार : SC की टिप्पणी पर पूछ रहे नेटिजन्स- ये शरिया कोर्ट

इसके मुताबिक हमले से पहले उनसे इस्लामी हत्यारों ने कहा था कि तुमने हमारे नबी के खिलाफ लिखा इसलिए तुम्हें जीने का कोई अधिकार नहीं। तुम काफिर हिन्दुओं को हम अंजाम तक पहुँचाएँगे। न्यूज़ 18 के अनुसार दर्ज एफआईआर में कन्हैया लाल के बेटे के हवाले से कहा गया है, “ये 2 हत्यारे देश के लोगों में आतंक और तनाव फैलाने के साथ निर्मम हत्याएँ करने का एक गैंग चलाते हैं। इन्होने पूरी प्लानिंग के साथ मेरे पिता की हत्या कर दी। इसके बाद इन्होने बाकी लोगों को भी धमकी दी है।”

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