इस्लाम के नाम पर हिंदू का गला काटा, सेकुलर मीडिया ने नुपूर शर्मा-टेलर-कस्टमर की आड़ में मजहबी आतंक के खतरों को छिपाया
मीडिया जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है, नेताओं की तरह यह भी पदभ्रष्ट हो चुका है। वह भी तुष्टिकरण के मकड़जाल में शायद नेताओं से अधिक जकड़ा हुआ है। कहने को अपने आपको निष्पक्ष एवं खोजी पत्रकारिता का दावा कर अपने पाठक और दर्शकों को भ्रमित करते हैं। ज्यादा दूर जाने की बजाए सर्वप्रथम अयोध्या मुद्दे को देखिए, 2014 से पूर्व यही मीडिया इतिहासकारों की गलतियों को छुपाते नज़र आए। अयोध्या की सच्चाई बताने वालों को साम्प्रदायिक और देश का माहौल ख़राब करने का आरोप लगाते थे, तत्कालीन सरकार द्वारा खुदाई में मिले मंदिर के अवशेषों को कोर्ट से छुपाए जाने पर भी खोजी पत्रकार तुष्टिकरण पुजारियों की गोदी में बैठ मालपुए खाने लगे। खैर वह तो इतिहास है। 2019 में CAA विरोध को ही लें, अपने आपको निर्भीक, निष्पक्ष और खोजी पत्रकार कहने वाले प्रदर्शन में लग रहे हिन्दू, हिन्दुत्व विरोधी नारों के पीछे भारत को इस्लामिक मुल्क बनाये जाने के षड़यंत्र को बेनकाब करने में पूर्णरूप से असफल रहे।(देखिए, डरे हुए, मासूम, गरीब और मजलूमों की मंशा। नीचे दिए लिंक को क्लिक करिये)
Prime Time debates in India have become a platform to encourage hate mongers to speak ill about other religions. @TimesNow's Anchor @navikakumar is encouraging a rabid communal hatemonger & a BJP Spokesperson to speak rubbish which can incite riots.
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) May 27, 2022
Shame on you @vineetjaintimes pic.twitter.com/lrUlkHEJp5
बीजेपी से सस्पेंड होने से पहले नूपुर शर्मा और समाजवादी पार्टी के अमीक जमाई के बीच हुई डिबेट की यह वीडियो बहुत महत्वपूर्ण है । आप जिस किसी भी ग्रुप से जुड़े हो, उसमें भी इसे भेजो और अपने परिवार के एक एक बच्चों को सुनाओ । ऐसी सच्ची व अद्भुत जानकारी, कम से कम सभी हिन्दुओं को होनी ह pic.twitter.com/ugk5ogJkoX
— Pawan Kumar (@PawanKu29638324) June 27, 2022
“नूपुर शर्मा की वजह से उदयपुर की घटना हुई: सुप्रीम कोर्ट.”
— Manoj Muntashir (@manojmuntashir) July 1, 2022
मैं समझता हूँ माननीय उच्चतम न्यायालय का ये वक्तव्य नूपुर शर्मा के विरुद्ध भावनाएँ भड़का सकता है, उनकी जान ख़तरे में पड़ सकती है.
जूडिशीएरी भी शब्द सम्पादित किए बिना बोलने लग जाए, तो निस्संदेह हम कठिन समय से गुजर रहे है!
— Shailendra Yadav (@shailen36762664) June 30, 2022
किसी ने कहीं कोने में जगह दी तो कोई हैडलाइन में ही खेल कर हत्यारों और उनके मजहब को छिपाता रहा। जैसे यह कोई वीभत्स घटना न होकर कोई मामूली अपराध हो। इस जघन्य हत्या को कवर करते हुए हिंदुस्तान टाइम्स लिखता है, “Hindu Tailor Murderd in gruesome hate crime.” अर्थात “जघन्य हेट क्राइम में हिंदू दर्जी की हत्या”- बाकी किसने की, क्यों की? वो सब गायब या अंदर छोटे में है जिसे खोजकर पढ़ना हो पढ़े।
Once upon a time, mature media outlets did not openly name communities. In #AmritKaal, ‘Hindustan Times’, a newspaper inaugurated by the Mahatma, where his son Devadas worked, and whose owners were Congress MPs, surpasses the communalism of gau-belt trash. pic.twitter.com/M9mD0185UZ
— churumuri (@churumuri) June 29, 2022
वहीं राजस्थान पत्रिका लिखता है, “उदयपुर में दरिंदों ने दिनदिहाड़े काट डाली गर्दन, पुलिस और प्रशासन सोते रहे! दैनिक जागरण लिखता है, “उदयपुर में बर्बरता, नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट करने पर दिनदहाड़े काटा गला”, हिंदुस्तान लिखता है, “नूपुर शर्मा समर्थक का गला रेता” इसके अलावा इंडियन एक्सप्रेस हो या ओडिशा पोस्ट सबने या तो सिंपल टेलर की हत्या लिखा या उसे हेट क्राइम से जोड़ते हुए कहीं न कहीं नूपुर शर्मा और उनके तथाकथित समर्थन में लगाए गए व्हाट्सप्प स्टेटस को ही सबसे बड़ा गुनाह साबित करने की कोशिश की।
Even the big Hindi newspapers—force-multipliers of Hindutva in the heartland—are more restrained and responsible than @HindustanTimes in their headlining of the disgusting Udaipur killing. Including ‘Hindustan’ from the HT group, published from the same building. pic.twitter.com/5eqggDvYl9
— churumuri (@churumuri) June 29, 2022
जबकि यह बात भी सामने आ चुकी है कि पोस्ट कन्हैयालाल के 8 साल के मासूम बच्चे ने शेयर किया था जिसे उसका अर्थ भी पता नहीं होगा और किसी की बात का समर्थन करना जो पहले से ही इस्लामी हदीसों में लिखा गया है गुनाह कैसे हो गया? लेकिन मेन स्ट्रीम मीडिया में किसी ने भी हैडलाइन में न हत्यारों का नाम लिखा न यह पता लगने दिया कि वह किस मजहब का है।
“We seek to remind everybody that correction of a wrong cannot be achieved by indulging in another wrong.
— churumuri (@churumuri) June 29, 2022
“What the larger society needs is a mutualisation of corrective measures sans violence of any kind.”
Editorial in ‘The Hitavada’, published out of RSS headquarters, Nagpur. pic.twitter.com/DqkqFvlm0l
यहाँ आगे बढ़ने से पहले एक बार यह याद कर लीजिए कि इस्लामी हत्यारों ने मजहबी नारे लगाते हुए न सिर्फ कल वारदात और उसके बाद का वीडियो रिलीज कर उसके बारे में मुस्कराते हुए बताया बल्कि करीब 10 दिन पहले 17 जून को ही वीडियो रिलीज कर वह कन्हैयालाल की गर्दन काटकर हत्या की धमकी दे चुका है। लेकिन, पुलिस सुरक्षा देने की बजाय इसे नजरअंदाज करती रही। जबकि जिस पोस्ट पर इन इस्लामी हत्यारों ने उसकी हत्या की वह भी कन्हैयालाल के 8 वर्षीय मासूम बच्चे ने गलती से किया था। यह बात भी वो कई बार प्रशासन से बता चुके थे। क्योंकि कन्हैयालाल खुद कायदे से लिखना-पढ़ना भी नहीं जानते थे। न उन्हें हाल ही में ख़रीदे गए स्मार्टफोन की कोई खास समझ थी। यह बात कई मीडिया रिपोर्टों में सामने आई है।
जबकि कई इंग्लिश न्यूज़ पेपर जिन गौस मोहम्मद और मोहम्मद रियाज अंसारी जैसे हत्यारों को हैडलाइन में कोई कस्टमर तो कोई बदमाश लिखकर उनकी असली पहचान छिपा रहा है। जबकि वो खुद ही हत्या के समय और बाद में तलवार पर खून और चेहरे पर हँसी के साथ वीडियो में कहता है, ”मैं मोहम्मद रियाज अंसारी और ये हमारे गौस मोहम्मद भाई, उदयपुर के अंदर जो माता स्टेट वाला है उसका सर कलम कर दिया है।” आगे मजहबी नारा लगाते हुए कहता है, ”हम जिएँगे आपके लिए और मरेंगे आपके लिए।”
“प्लान ज़ुबेर” काम करने लगा है, शुरूआत आज राजस्थान के उदयपुर से हुई, हिंदू व्यापारी कन्हैया लाल जी के नृशंस कत्ल के साथ !!
— Dr. Shalabh Mani Tripathi (@shalabhmani) June 28, 2022
उस के क़त्ल पे मैं चुप था, मेरा नम्बर अब आया⁰मेरे क़त्ल पे आप भी चुप है, अगला नम्बर आपका है pic.twitter.com/WrXfQr6wRp
हमलवार आगे पीएम मोदी की गर्दन काटने और नूपुर शर्मा को धमकी देते हुए कहता है, ”ये नरेंद्र मोदी सुन ले, आग तूने लगाई है और बुझाएँगे हम, इंसाअल्लाह मैं रब से दुआ करता हूँ कि यह छुरा तेरी गर्दन तक भी जरूर पहुँचेगा। और उस कुति** तक भी पहुँचेगा। उदयपुर वालों नारा लगाओ गुस्ताखे नबी की एक ही सजा, सर तन से जुदा। दुआओं में याद रखना।”
लेकिन ऐसे दरिंदे हत्यारे हमारे तथाकथित सेक्युलर न्यूज़पेपर को मासूम, भटके हुए, बदमाश या सामान्य सा शब्द कस्टमर नजर आ रहे हैं। जबकि हत्यारा वारदात के 10 दिन पहले ही खुलेआम सिर तन से जुदा की धमकी देते हुए नजर आ रहा है।
10 दिन पुराने वीडियो में वह कह रहा है, “मैं मोहम्मद रियाज अंसारी राजस्थान के उदयपुर, खांजीपीर से, ये वीडियो में जुम्मे के दिन बना रहा हूँ। माशाल्लाह और 17 तारीख है। मैं इस वीडियो को उस दिन वायरल करूँगा, जिस दिन अल्लाह की शान में गुस्ताखी करने वाला का सिर कलम कर दूँगा। आपको एक मैसेज देता हूँ रियाज ने सिर कलम करने की शुरुआत तो कर दी है। बाकी के जो बचे हैं उन सभी का सिर आपको कलम करना है। इस बात का ध्यान रखना।”
उसने आगे कहा, “ये चिंता मत करना मेरे भाई कि तुम्हारी फैमिली का क्या होगा, कारोबार का क्या होगा। मेरी भी फैमिली है। मैं भी नौकरी करता हूँ, लेकिन मुझे इसकी कोई चिंता नहीं है। क्योंकि मैं अपने रसूले पाक के लिए जी रहा हूँ। मेरा सब कुछ आप पर कुर्बान रसूल अल्लाह।”
अभी आपने जो पढ़ा यह उस वीडियो में कही गई बातों का बहुत छोटा सा हिस्सा है। वह जिस तरह से नूपुर शर्मा और उनका समर्थन करने वालों की गर्दन कलम करने की खुलेआम धमकी दे रहा है वह कोई मामूली या सामान्य अपराध की बात नहीं है। यहाँ तक कि अब घटना की भयावहता का अंदाजा कन्हैयालाल के पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी लगाया जा सकता है जिसमें उनके शरीर पर 26 निशान मिले हैं, जिसमें से 8 से 10 बार गर्दन पर ही वार किया गया है। वहीं पीएम रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कन्हैया का गला रेत कर अलग कर दिया गया था।
अवलोकन करें:-
अब ऐसे में यह आपको सोचना है कि जितने गुनहगार ऐसे जघन्य वारदात करने वाले इस्लामी हत्यारे हैं उतने ही उन्हें बचाने वाले या उनके क्रूरतम अपराधों पर पर्दा डालने वाले ये मीडिया गिरोह के लोग भी। जो हर हाल में इस्लामी हत्यारों के बचाव में कूद पड़ते हैं। ऐसे ही कल लिबरलों और इस्लामी कट्टरपंथियों का भी वह चेहरा सामने आया था जो कन्हैयालाल की हत्या पर हाहाहा रिएक्ट करके अपनी ख़ुशी का इजहार कर रहा था।
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