राजनीति के लिए बच्चों का इस्तेमाल क्यों? (फोटो साभार: the guardian, दैनिक जागरण)
CAA और कथित किसान आंदोलन में महिलाओं और बच्चों को आगे रख सरकार को ब्लैकमेल किये जाने वाली चाल को हल्द्वानी में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हटाए जाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसका सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई के दौरान संज्ञान लिया जाना चाहिए था। केंद्र और राज्य सरकारों को अतिक्रमण आंदोलन के आयोजकों और बच्चों के इस्तेमाल की जाँच NIA को सौंप षड्यंत्रकारियों को सजा दिलवाई जाए, उन नेताओं पर भी कार्यवाही करनी चाहिए जो इस अतिक्रमण को साम्प्रदायिक चोला पहनाकर देश का माहौल ख़राब करने की गन्दी सियासत कर रहे हैं। इनके सबके बैंक खातों जाँच होनी चाहिए। उन नेताओं पर भी कठोर कार्यवाही जरुरी है, जिन्होंने सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्जे करवाए।
उत्तराखंड के हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने के खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शन में नाबालिग बच्चों के इस्तेमाल पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा आपत्ति जताई गई है।
NCPCR ने जहाँ नैनीताल के जिलाधिकारी को पत्र लिख बताया है कि कैसे रेलवे के खिलाफ प्रदर्शन में बच्चों का प्रयोग हो रहा है, उनसे इमोशनल अपीलें करवाई जा रही हैं। वहीं, ग्राउंड जीरो पर मौजूद ऑपइंडिया की टीम ने भी देखा कि सरकार, न्यायालय और विदेशी संस्थाओं पर दबाव बनाने के लिए एक ऑर्गनाइज तरीके से काम किया जा रहा है। बच्चों को आगे कर के इमोशनल ब्लैकमेलिंग की जा रही है।
हल्द्वानी के वनभूलपुरा के अवैध कब्जे वाले स्थानों पर घूमते हुए हम रेल के पटरियों के पास खेलते बच्चों से मिले। खेल में मग्न बच्चों से हमने प्रदर्शन के बारे में सवाल किया। इस दौरान बच्चों ने कई चौंकाने वाली बातें बताई। मोहम्मद समीर नाम के बच्चे ने स्वीकार किया कि बच्चों को मदरसे का ड्रेस पहनाकर धरने में शामिल करवाया गया था।
मोहम्मद समीर ने बताया कि वह इस्लामिया स्कूल में भी पढ़ता है और मदरसे में भी तालीम हासिल करता है। प्रदर्शन के दौरान स्कूल और मदरसों के बच्चों को मदरसे वाले ड्रेस कोड में बुलाया गया था। इसका उद्देश्य भीड़ में ज्यादा से ज्यादा मुस्लिम मासूमों को दिखाना हो सकता है। धरना-प्रदर्शन में शामिल होने के लिए मदरसे से बच्चों की माँग मतीन सिद्दकी नाम के स्थानीय नेता ने की थी। मतीन सिद्दकी समाजवादी पार्टी से जुड़ा है। मतीन सिद्दकी प्रदर्शन के मुख्य आयोजकों में से एक है। बच्चों ने बतलाया कि मतीन ने ही इरफान हाफिज से बच्चों को तैयार कर प्रदर्शन में लाने की हिदायत दी थी।
धरने-प्रदर्शन में बच्चों को शामिल करो, रो-धो कर माहौल को भावुक बनाओ... और यह सब करवाया जाता है एक प्लानिंग के तहत।
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) January 5, 2023
कौन और कैसे करता है... #HaldwaniEncroachment में शामिल इन बच्चों से सुनिए। pic.twitter.com/YTcRX3jfqF
— Manoj Gupta (@mangupta572) January 5, 2023
हल्द्वानी के अवैध कब्जों को हटाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक।
— Veppen K Paandey (@Vipin06071980) January 5, 2023
लेकिन माई लॉर्ड, सिर्फ लंबे समय से अवैध रूप से किसी गैर की जमीन पर रहना ही राहत की वजह है तो पूरे देश में हजारों जगह पर कब्जामुक्त कराने की कार्यवाही आगे कैसे बढ़ेगी?
— XM (@XMuslimXM) January 6, 2023
वनभूलपुरा के इलाके में कई मदरसे हैं। सभी मदरसों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में बच्चों को इकट्ठा किया गया। बच्चे जिस तरह ऑन कैमरा बात कर रहे हैं, साफ समझा जा सकता है कि उन्हें इसके लिए अच्छे से तैयार किया गया है। बच्चों को ही नहीं बल्कि भीड़ में शामिल लोगों को कैमरे पर क्या बोलना है, कैसे बोलना है, किस भाषा में बोलना है – सब कुछ बतलाया जा रहा है। ऑपइंडिया के पिछले ग्राउंड रिपोर्ट में भी हम इन तथ्यों को सबूत के साथ आपके सामने पेश कर चुके हैं।
ढेर सारे बच्चों को हाफिज इरफान मदरसे की ड्रेस पहना कर धरने में ले गया।
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) January 5, 2023
हाफिज इरफान को लेकिन किसने कहा? नेता मतीन भाई ने। यह पोल भी बच्चों ने ही खोली।#HaldwaniEncroachment pic.twitter.com/eWMna5mcB4
देश की सर्वोच्च न्यायिक व्यवस्था तक यह बातें मीडिया पहुंचने नहीं देगी और महासुख में मशगूल मिलोर्डस धरातल पर बदलते समीकरण से अनजान बने रहने का दिखावा करते रहेंगे? https://t.co/LInqjrsYgu
— ਪੰਜਾਬੀ (@HasdaaPunjab) January 5, 2023
ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान हमने हल्द्वानी के वनभूलपुरा के गलियों में एजेंडाधारियों को देखा जो लोगों को बोलने की ट्रेनिंग दे रहे थे। हमने देखा कि किस तरह एक कथित पत्रकार, भीड़ को ज्यादा से ज्यादा हिंदी शब्दों का इस्तेमाल कर अपनी बात मासूमियत से रखना सिखा रहा था। वह शख्स लोगों से TheWire पर भी सिखाई गई बातें चलवाने का दावा कर रहा था।
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