साभार: OneIndia
पाकिस्तान की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही। जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद मुद्दे पर घेरा है, आज पाकिस्तान की हालत सबके सामने हैं। बिजली, आटा, दाल और गैस आदि की कीमतें आसमान पर पहुँच चुकी हैं। लेकिन अब पाकिस्तान में पानी की भी किल्लत होने जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिंधु जल संधि को लेकर भारत सरकार ने पाकिस्तान को यह नोटिस बुधवार (25 जनवरी 2023) को भेजा है। इस नोटिस को लेकर भारत सरकार का कहना है कि भारत पाकिस्तान के साथ हुई जल संधि को लागू करने का समर्थक और जिम्मेदार सहयोगी रहा है। लेकिन, पाकिस्तान की गतिविधियों ने भारत को यह नोटिस भेजने के लिए मजबूर किया है।
सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि साल 2015 में पाकिस्तान ने भारत की किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं (HEPs) पर अपनी तकनीकी आपत्तियों की जाँच के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति का अनुरोध किया था। हालाँकि, अगले ही साल यानी साल 2016 में पाकिस्तान ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए इस अनुरोध को वापस ले लिया। साथ ही, कहा कि एक मध्यस्थ अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए।
Pakistan’s actions have adversely impinged on the provisions of IWT and their implementation, and forced India to issue an appropriate notice for modification of IWT: Sources
— ANI (@ANI) January 27, 2023
पाकिस्तान के लगातार कहने पर विश्व बैंक ने हाल ही में तटस्थ विशेषज्ञ और मध्यस्थ न्यायालय दोनों पर ही कार्रवाई शुरू की है। हालाँकि, एक ही मुद्दे पर इस तरह की दो प्रक्रियाएँ सिंधु जल संधि के किसी भी प्रावधान में नहीं है। इसके विरोधाभासी परिणाम सामने आ सकते हैं।
सूत्रों का कहना है कि सिंधु जल संधि को लेकर भारत चाहता है कि आपस में बातचीत से मामले का हल निकाला जाए। वहीं, पाकिस्तान इससे बचता रहा है। साल 2017 से 2022 तक स्थायी सिंधु आयोग की 5 बैठकें हुई हैं। सभी बैठकों में पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार किया।
Despite repeated efforts by India to find a mutually agreeable way forward, Pakistan refused to discuss the issue during the five meetings of the Permanent Indus Commission from 2017 to 2022: Sources
— ANI (@ANI) January 27, 2023
भारत ने पाकिस्तान को यह नोटिस सिंधु जल संधि के भौतिक उल्लंघन को सुधारने के लिए 90 दिनों के अंदर अंतर-सरकारी वार्ता में शामिल होने के लिए मौका देने के लिए किया है। इस प्रक्रिया के जरिए भारत बीते 62 सालों में पाकिस्तान की हरकतों से मिली सीख के साथ सिंधु जल संधि में कुछ अपडेट कराना चाहता है।

No comments:
Post a Comment