सनातन धर्म पर हो रहे विवाद को राजनीति या सियासत के सन्दर्भ में मंथन करने पर एक बात स्पष्ट रूप से उभर कर आ रही है, अंतर केवल समझ और नासमझ जिसे अंग्रेजी में कहते हैं eye or no eye का है। भाजपा विरोधी हथियार डाल सनातन धर्म पर प्रहार कर भाजपा को थाली में सजाकर सत्ता देने का मन बना चुके हैं। इस विरोध के चलते जितनी तेजी से वोट का ध्रुवीकरण हो रहा है। मोदी-योगी विरोध में विरोधियों की बुद्धि ने ही काम करना बंद कर दिया है। जिस तरह से विवाद चल रहा है, एक पत्रकार होते लग रहा है कि यदि आज चुनाव हो तो मोदी सरकार को 350+ लाने से कोई नहीं रोक सकता। दूसरे, 2024 चुनाव शायद भारत में हुए प्रथम चुनाव की पटकथा को पुनः न उजागर कर दे। प्रथम चुनाव हिन्दू बनाम मुसलमान हुआ था कि जब मुसलमानों को पाकिस्तान दे दिया फिर यहाँ क्यों रोका? उस चुनाव में नेहरू के लाडले भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आज़ाद को रामपुर से हिन्दू महासभा के उम्मीदवार विशन सेठ ने 6000 वोट से हराया था, जो नेहरू से बर्दाश्त नहीं हुई, तुरंत उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोबिंद बल्लभ भाई पटेल को इस हार को जीत में बदलने को कहा, नेहरू भक्त पंत भी बिना समय बर्बाद किये हरकत आ गए और उस हार को जीत में परिवर्तित कर मौलाना आज़ाद को संसद पहुंचा दिया, इस पर विस्तार से कई बार लिख चूका हूँ। उसके दुष्परिणाम को आज तक भारत भुगत रहा है। शिक्षा मंत्री बनने के बाद हिन्दू सम्राटों के गौरवशाली इतिहास को धूमिल कर मुग़ल गुणगान शुरू हो गया। बरहाल उस समय हिन्दू महासभा के अतिरिक्त विपक्ष जरुरत से ज्यादा कमजोर था, ठीक वही स्थिति आज है। आगे जनता स्वयं समझदार है। 'सर तन से जुदा' करने वालों का अकाल पड़ना शुरू हो जायेगा, यानि समीकरण भी तेजी से बदलने शुरू हो जायेंगे। जहाँ तक हिन्दू राष्ट्र की बात है, इसकी कई ज्योतिष भविष्यवाणी कर ही चुके है तो इस बात पर किसी को कोई संशय नहीं होना चाहिए।
जब भारत 2014 में वोट देने जा रहा था, हिन्दू राष्ट्र की नींव खोदने जा रहा था। जिस भागवत गीता पर भी विवाद करने की कोशिश की जा चुकी है, उसमे भगवान श्रीकृष्ण कहते "विनाश काले, विपरीत बुद्धि" यानि कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने पार्टी के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ की सलाह को दरकिनार कर अपनी सलाहकार समिति के सदस्यों को मोदी लहर को रोकने के लिए आम आदमी पार्टी के रूप में उतार दिया, उस समय रिटायर होने उपरांत एक पाक्षिक को सम्पादित करते शीर्षक "कांग्रेस के गर्भ से जन्मी आप" प्रकाशित की थी। उस रपट पर धमकी मिलने पर अगले अंक में शीर्षक "कांग्रेस और आप का Positive DNA"(देखिए संलग्न पृष्ठ)। कहते हैं न 'बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से होय'। परिणाम जगजाहिर है कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान किसी मोदी या योगी ने नहीं इसी पार्टी ने किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत ने जिस तरह से चौतरफा विकास किया है उससे देश ही नहीं, विदेशों में भी उनके समर्थकों की संख्या बढ़ती जा रही है। आज हर दूसरे दिन विदेश के प्रमुख नेताओं द्वारा पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना करने की खबरें सामने आती रहती हैं। पीएम मोदी की इस बढ़ती लोकप्रियता से विपक्षी दल घरबाए हुए हैं। लोकसभा चुनाव में अब लगभग एक साल का समय रह गया है। ऐसे में उन्हें समझ नहीं आ रहा पीएम मोदी और भाजपा का मुकाबला कैसे किया जाए। राजनीतिक पंडित जहां इस बात पर पहले ही मुहर लगा चुके है कि विपक्ष के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो 2024 में पीएम मोदी को टक्कर दे सके वहीं देशवासी तो पहले ही मन बना चुके हैं। जनता का मूड भांपने के बाद विपक्ष को अपना अस्तित्व बचाने के लिए कोई रास्ता नहीं दिख रहा है। अब वे उन चीजों को टारगेट कर रहे हैं जिन्हें पीएम मोदी नई ऊंचाई प्रदान कर रहे हैं। इन्हीं में एक है सनातन गौरव की प्रतिष्ठा। पीएम मोदी ने पिछले आठ सालों में व्यापक स्तर पर सनातन संस्कृति को प्रतिष्ठा दिलाई है।
राम विरोधियों "रामचरितमानस" को सही से पढ़ नहीं सकते हो तो, कम से कम इस दो मिनट के वीडियो को देख लो।
— BJP Bihar (@BJP4Bihar) January 17, 2023
शायद सद्बुद्धि आ जाए।#शर्म_करो_ठगबंधन pic.twitter.com/rNTf7tDhWU
विपक्ष अब मुस्लिम तुष्टिकरण और हिंदुओं की भावनाओं को भड़काने के लिए राम, रामचरितमानस और सनातन धर्म को गाली देने का काम कर रहा है। लेकिन यह तय है कि विपक्ष की कमान से निकला यह तीर भी उसे ही वापस आकर लगने वाला है। यहां एक सवाल यह भी उठता है कि इस्लाम पर एक टिप्पणी करने पर ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगने लगते हैं और कई हिंदुओं की हत्या तक कर दी जाती है। नए साल की शुरुआत में ही अभी पिछले कुछ दिनों में कई दलों के नेताओं ने सनातन धर्म के खिलाफ जहर उगला, भगवान राम और माता सीता के खिलाफ घोर आपत्तिजनक बयान दिए, क्या उन्हें किसी प्रकार का दंड नहीं मिलना चाहिए। जिस सनातन संस्कृति की बदौलत भारत की संस्कृति सैकड़ों आक्रमणों को झेलते के बाद भी हजारों सालों से अक्षुण्ण बनी हुई है, उसका गौरवगान करने की जगह उसके खिलाफ नफरत के बोल क्या संदेश देते हैं। यह आम लोगों को ही तय करना है।
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने हाल में नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में इन दोनों ग्रंथों को लेकर विवादित बयान दिया था। इसे लेकर बिहार की सियासत गरमाई हुई है और चंद्रशेखर से माफी मांगने की मांग की जा रही है। वहीं समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी मानस की चौपाई का उल्लेख करते हुए इस ग्रंथ को दलित विरोधी बताया। उन्होंने इस धार्मिक ग्रंथ पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की। हाल के दिनों में AAP नेता राजेंद्रपाल गौतम तीसरे ऐसे नेता हैं जिन्होंने रामचरितमानस और मनुस्मृति को लेकर सवाल खड़े किए हैं और विवादित बयान दिया है।
रामचरितमानस ग्रंथ दुनिया में नफ़रत फैलाने का काम करती है : बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का शर्मनाक बयान pic.twitter.com/mUGY4SbAf9
— Anurag Chaddha (@AnuragChaddha) January 11, 2023
मनुस्मृति-रामचरितमानस को जला देना चाहिएः बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि मनुस्मृति, रामचरितमानस और बंच आफ थाट्स जैसी किताबों को जला देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन किताबों ने नफरत फैलाई है। लोगों को सदियों पीछे धकेलने का काम किया है। नालंदा खुला विश्वविद्यालय (एनओयू) के 15वें दीक्षांत समारोह के दौरान उन्होंने कहा कि देश में जाति ने समाज को जोड़ने के बजाए तोड़ा है। इसमें मनुस्मृति, गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक माधव सदाशिव गोलवलकर लिखित बंच आफ थाट्स ने 85 प्रतिशत लोगों को सदियों तक पीछे रखने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि इन्हीं के कारण देश के राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री को मंदिरों में जाने से रोका गया। ये ग्रंथ नफरत फैलाते हैं। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने इनका प्रतिरोध किया था। उन्होंने मनुस्मृति को जलाने का काम किया था। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस में लिखा गया है कि अधम जाति में विद्या पाए, भयहु यथा अहि दूध पिलाए। उन्होंने कहा कि इसका अर्थ होता है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण कर जहरीले हो जाते हैं जैसे दूध पीकर सांप हो जाता है। एक युग में मनुस्मृति, दूसरे में रामचरित मानस तथा तीसरे युग में बंच आफ थाट्स ने समाज में नफरत फैलाई है।
रामचरित मानस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए - स्वामी प्रसाद मौर्य
— कुंवर अजयप्रताप सिंह Ajay 🇮🇳 (@iAjaySengar) January 22, 2023
इन सबको हिन्दू धर्म ही इतनी दिक्कत क्यों है क्या कभी किसी नेता ने अन्य धर्म के खिलाफ एक शब्द बोलने की हिम्मत दिखाई है??pic.twitter.com/XeqLk61NKY
स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादित बयान- रामचरित मानस बकवास, सरकार को इसे बैन कर देना चाहिए
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान देने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामायण पर विवादित टिप्पणी कर दी है। उन्होंने रामायण को बैन करने की मांग की है और कहा है कि जो भी विवादित चीजें इस ग्रंथ में संकलित हैं, उनको निकाला जाना चाहिए। इसके अलावा स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस को बैन करने की भी मांग की है।
तुलसीदास रचित रामचरितमानस की एक चौपाई… ढोल-गंवार-शूद्र-पशु-नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी… का जिक्र करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि इस तरह की पुस्तकें अनुमन्य कैसे हैं? इनको तो जब्त किया जाना चाहिए और खत्म कर देना चाहिए। मौर्य ने कहा कि महिलाएं सभी वर्ग की हैं। क्या उनकी भावनाएं आहत नहीं हो रही हैं। इन महिलाओं में सभी वर्ग की महिलाएं शामिल हैं। एक तरफ कहोगे- यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता। दूसरी ओर तुलसी बाबा से गाली दिलवाकर उनको कहोगे कि नहीं, इनको डंडा बरसाइए। मारिये-पीटिये। अगर यही धर्म है, तो ऐसे धर्म से हम तौबा करते हैं।
रामचरितमानस और मनुस्मृति में स्त्री और दलित विरोधी बातेंः राजेंद्र पाल गौतम
बिहार के शिक्षा मंत्री @ProfShekharRJD के समर्थन में उतरे दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री @AdvRajendraPal, कहा प्रोफेसर चंद्रशेखर ने क्या गलत कहा।https://t.co/zEWFcjX2q7 pic.twitter.com/E9t2miZs39
— Suman Shekhar (@SumanShekhar_) January 22, 2023
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद अब आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस और मनुस्मृति में स्त्री और दलित विरोधी बातें लिखी गई है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में आप नेता बिहार के मंत्री चंद्रशेखर का समर्थन करते हुए दिख रहे हैं। गौतम का यह वीडियो राजस्थान के अजमेर का बताया जा रहा है। राजेंद्र पाल गौतम आप के वही नेता हैं जिन्होंने राम और कृष्ण की पूजा न करने की शपथ दिलाई थी। इसे लेकर खूब सियासी बवाल हुआ था जिसके बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
गौतम ने कहा कि चंद्रशेखर ने रामचरितमानस और मनुस्मृति को लेकर जो टिप्पणियां की हैं उनमें कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस और मनुस्मृति को लेकर अपनी राय सामने रखी तो पूरे देश का मीडिया उनके पीछे पड़ गया। मेरा सवाल यह है कि चंद्रशेखर ने क्या गलत कहा है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस में लिखा गया है कि ढोल गंवार शुद्र पशु नारी, यह सब ताड़ना के अधिकारी। अब इसकी व्याख्या करके ताड़ना का मतलब देखना बताया जा रहा है जबकि चौपाई में स्पष्ट रूप से ताड़ना का मतलब पीटना है। उन्होंने कहा कि ये धर्मशास्त्र हमें इंसान का दर्जा देने को तैयार नहीं। गौतम ने कहा कि इसके पीछे आस्था को चोट पहुंचने की दलील दी जा रही है जबकि हमारी बहन-बेटियों की रोज इज्जत लूटी जा रही है, युवाओं को पीटा जा रहा है और हमारी बस्तियों को निशाना बनाकर जलाया जा रहा है।
(Lord) Rama would sit with Sita in the afternoon & spend the rest of the day drinking...He sent his wife Sita into the forest &didn't bother about her...He chopped off the head of Shambuka, a Shudra, who was sitting in penance under a tree. How can he be ideal?: KS Bhagawan(20.1) pic.twitter.com/3qflAO1vV6
— ANI (@ANI) January 22, 2023
सोमनाथ मंदिर में होते थे गलत काम, तोड़कर गजनवी ने नहीं किया गलतः साजिद रशीदी
ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना मोहम्मद साजिद रशीदी ने एक बार फिर नफरती बयान दिया है। उन्होंने गुजरात के सोमनाथ मंदिर को लूटने वाले महमूद गजनवी को लेकर कहा कि मंदिर तोड़कर उसने गलत नहीं किया है। उन्होंने कहा कि मुगल का धर्म से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि गजनवी ने सोमनाथ मंदिर में हो रहे गलत कामों को रोका है।
गजनवी ने सोमनाथ मंदिर तोड़कर गलत नहीं किया- साजिद रशीदी#Somnath pic.twitter.com/VgHtYWeRG9
— TV9 Bharatvarsh (@TV9Bharatvarsh) January 22, 2023
रशीदी ने कहा कि लोग जैसा महमूद गजनवी के बारे में कहते हैं कि उसने सोमनाथ मंदिर तोड़ा है। जबकि, इतिहास ये है कि वहां के लोगों ने गजनवी को बताया कि वहां आस्था के नाम पर क्या हो रहा है। देवी-देवता के नाम पर क्या हो रहा है। कैसे वहां पर लड़कियों को गायब कर दिया जाता है। मौलाना ने बताया कि तब जाकर गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर चढ़ाई की। इसके बाद सोमनाथ मंदिर को उसने तोड़ने का काम नहीं किया, बल्कि वहां जो गलत हो रहा था, उसको रोकने का काम किया।
रामचरितमानस की चौपाई का विरोध अज्ञानता का सूचक
तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में लिखी गई चौपाई; “ढोल गंवार शूद्र पशु और नारी सब ताड़ना के अधिकारी” को लेकर समाज में विद्वेष फैलाया जा रहा है। इस चौपाई को लेकर लोगों को कई गलतफहमियां हैं। अवधी भाषा के जानकारों के अनुसार इस चौपाई का सही अर्थ जानने के लिए पहले इस चौपाई में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ का ज्ञान होना जरुरी है जो इस प्रकार हैं- ढोल यानि ढोलक, गवार यानि ग्रामीण या अनपढ़, शूद्र यानि वंचित वर्ग, पशु यानि जानवर, नारी यानि स्त्री, सकल मतलब पूरा या सम्पूर्ण, ताड़ना यानि पहचनाना या परख करना, अधिकारी यानि हक़दार” तो इस प्रकार इस पूरे चौपाई का अर्थ यह हुआ कि “ढोलक, अनपढ़, वंचित, जानवर और नारी, यह पांच पूरी तरह से जानने के विषय हैं।
प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥
ढोल गंवार शूद्र पशु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥
अर्थात प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी (दंड दिया), किंतु मर्यादा (जीवों का स्वभाव) भी आपकी ही बनाई हुई है। ढोल, गंवार, शूद्र, पशु और स्त्री ये सब शिक्षा के अधिकारी हैं।


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