दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वर्ल्ड क्लास शिक्षा मॉडल की पोल खुल गई है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों की कक्षा 9वीं और 11वीं का परीक्षा परिणाम इस बार बहुत ही खराब रहा है। दिल्ली के अधिकतर स्कूलों के परीक्षा परिणाम 40% से 50% के बीच ही रहे। पास होने से ज्यादा फेल होने वालों की संख्या है। रिजल्ट इतने खराब हुए कि अब शिक्षा निदेशालय की तरफ से दिल्ली के सरकारी स्कूलों को 6 अप्रैल तक रिजल्ट ठीक करने का समय दिया गया है। इससे केजरीवाल के उस दावे की भी पोल खुल गई जब वह शराब घोटाले में फंसे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के लिए शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने की मांग कर रहे थे।अंक सुधार कर रिजल्ट वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा
एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के सरकारी स्कूलों के कक्षा 9वीं और 11वीं के परिणाम अनुमान के मुताबिक नहीं रहे हैं। एक शिक्षक के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर सरकारी स्कूलों के रिजल्ट 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक ही सीमित रहे हैं। शिक्षा निदेशालय की ओर से दिल्ली के सरकारी स्कूलों को 6 अप्रैल तक का समय दिया गया है। इसके बाद अंक सुधार कर शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर अंकों का विवरण पुनः अपलोड किया जाएगा।
बच्चों को पास कराने के लिए शिक्षक खुद लिख रहे कॉपियां
एबीपी न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों के हवाले से यह भी जानकारी है कि दोबारा अंकों को अपडेट किए जाने वाले निर्णय को लेकर अब शिक्षकों की ओर से खुद बच्चों को पास कराने के लिए कुछ कॉपिया भी लिखी गई है। इसके अलावा परिणाम को दोबारा बेहतर करने के लिए अब शिक्षकों की तरफ से प्रयास किए जा रहे हैं।
छात्रों की कापियों में सही उत्तर लिखने का शिक्षकों पर दबाव
वेबसाइट बेजोड़ रत्न के मुताबिक, बाहरी दिल्ली के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने बताया कि स्कूलों का नौवीं और 11वीं का परिणाम बहुत खराब आया है। हालत ये हैं कि 96 प्रतिशत से अधिक छात्र फेल हुए हैं। 60 बच्चों की कक्षा में केवल चार से पांच बच्चे ही पास हैं। फेल छात्रों की इतनी बड़ी संख्या देखकर प्रधानाचार्य भी चकित हैं। अब शिक्षा निदेशालय की ओर से परिणाम जारी हो जाने के बाद छात्रों के अंकों में सुधार करने का समय दिया गया है। शिक्षकों का आरोप है कि प्रधानाचार्य अपने स्कूल के नौवीं और 11वीं के खराब परिणाम के चलते शिक्षा विभाग की नजर में न आएं और इन पर कोई खराब परिणाम आने का सवाल न उठाएं, इसके लिए शिक्षकों पर छात्रों की कापियों में सही उत्तर लिखकर दोबारा कापी जांच कर उनको पास करने का दबाव बनाया जा रहा हैं।
छात्रों को 80 अंकों की परीक्षा में 12 से 15 अंक आए
नई दिल्ली स्थित एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने बताया कि उनकी कक्षा में अंग्रेजी विषय में अधिकतर छात्र आठ से दस अंकों से फेल हैं। कई छात्रों ने उत्तरपुस्तिका के पन्नों को खाली छोड़ रखा है। कई छात्रों ने उत्तर ही गलत लिखे हैं। छात्रों को 80 अंकों की परीक्षा में 12 से 15 अंक आए हैं। अब शिक्षा निदेशालय ने जब छात्रों के अंकों में सुधार करने का समय दे दिया तो प्रधानाचार्य उन पर ज्यादा से ज्यादा छात्रों को पास करने का दबाव बना रहे हैं।
केजरीवाल ने की थी शिक्षा में सुधार के लिए भारत रत्न की मांग
केजरीवाल ने सिसोदिया को आजाद भारत और दुनिया का सबसे बेहतर शिक्षा मंत्री बताया था। उन्होंने एक बार कहा था- जिस व्यक्ति को पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था सौंप देनी चाहिए। जिस व्यक्ति ने 5 साल के अंदर करिश्मा करके दिखा दिया, मौजूदा रवायती पार्टियां जो 70 साल में नहीं कर पाई वह 5 साल में कर दिया, जिस व्यक्ति ने सरकारी स्कूलों को शानदार बना दिया। ऐसे व्यक्ति को तो भारत रत्न मिलना चाहिए। प्रधानमंत्री को बुलाना चाहिए, कि जो भी पार्टी हो, पार्टीबाजी थोड़ी करनी है, देश का विकास करना है, मनीष जी बैठिए बताइए कैसे शिक्षा व्यवस्था ठीक करनी है।
स्कूल खूले – 0, शराब के ठेके खूले – 850
केजरीवाल के सिसोदिया को भारत रत्न दिए जाने की मांग के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने सिसोदिया के शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों का भी खुलासा किया। लोगों का कहना है कि सिसोदिया को भारत रत्न नहीं, भ्रष्टाचार करने के लिए लानत रत्न मिलना चाहिए। सिसोदिया ने दिल्ली में एक भी स्कूल नहीं खोला। यहां तक कि स्कूल के कमरे बनवाने में भ्रष्टाचार किया। स्कूल का एक कमरा बनवाने में 25 लाख रुपये खर्च किए। जबकि कमरा इससे कम में बन सकता था। वहीं शराब ठेके से तुलना करते हुए लोग कह रहे हैं कि दिल्ली में एक भी स्कूल नहीं खुला, लेकिन शराब के 850 ठेके खुल गए।
केजरीवाल के राज में अध्यापक जूता पॉलिस करने के लिए मजबूर
दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय के तहत आने वाले 12 कॉलेजों में से एक महाराजा अग्रसेन कॉलेज के अध्यापक जनवरी 2023 में सड़कों पर थे। कॉलेज के प्रोफेसरों ने कॉलेज के बाहर ही दिल्ली सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करने और अपनी बदहाली पर ध्यान आकर्षित करने के लिए लोगों के जूते पॉलिश किए। दिल्ली सरकार द्वारा इस कॉलजे का शत-प्रतिशत वित्तपोषण किया जाता है। लेकिन सरकार का खजाना खाली होने से कॉलेज के शिक्षकों को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा।
दिल्ली शिक्षा मॉडल में भुखमरी के कगार पर पहुंचे कॉलेज अध्यापक
सम्मानजनक पेशे से जुड़े अध्यापक खुद को एकदम बेबस और अपमानित महसूस कर रहे हैं और मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं। इससे परेशान अध्यापकों ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर भी हमला बोला है। शिक्षकों का आरोप है कि शिक्षा क्षेत्र में बढ़-चढ़कर बखान करने वाली दिल्ली सरकार ने उन्हें भुखमरी के कगार पर ला दिया है। दिल्ली सरकार को बजट की समस्या से हो रही है जिसकी वजह से उन्हें समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है। सरकार सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन दे रही है।
आम आदमी पार्टी का 2000 करोड़ का शिक्षा घोटाला, आरटीआई से हुआ खुलासा
कुछ समय पहले दिल्ली के शिक्षामंत्री रहे मनीष सिसोदिया का एक घोटाला सामने आया था। ये घोटाला स्कूलों के निर्माण से जुड़ा है। दरअसल एक आरटीआई में ये खुलासा हुआ है कि एक स्कूल का कमरा 24,85,323 रुपए में बनाया गया है। आरटीआई से पता चला है कि 312 कमरे 77,54,21,000 रुपये में और 12748 कमरे 2892.65 करोड़ रुपये में बनाए गए हैं। लोग केजरीवाल और सिसोदिया से ये सवाल पूछ रहे हैं कि एक कमरे की लागत में 24 लाख रुपये कैसे हो सकती है। क्या केजरीवाल जी ने कमरे में सोने की टाइल्स लगवाईं हैं?
दिल्ली के अधिकांश सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल ही नहीं, 84 प्रतिशत पद खाली
देश की राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल, वाइस-प्रिंसिपल और शिक्षकों के ढेरों पद खाली हैं। इससे दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली के अधिकतर स्कूल कई सालों से बिना प्रिंसिपल के ही चल रहे हैं। स्वयं दिल्ली शिक्षा निदेशालय (DoE) की तरफ से साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, शहर के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के 84 प्रतिशत पद खाली पड़े हुए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के सरकारी स्कूलों के लिए प्रिंसिपल के कुल 950 पद स्वीकृत हैं जिसमें से अब तक केवल 154 ही भरे गए हैं, जबकि 796 पद खाली हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ज्यादातर स्कूल को वाइस-प्रिंसिपल चला रहे हैं। हालांकि, इन स्कूलों में वाइस-प्रिंसिपल की भी भारी कमी है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में वाइस-प्रिंसिपल के कुल 1,670 पद हैं और इनमें से 565 पद अभी भी खाली हैं।
दिल्ली के स्कूलों में शिक्षकों के 33 प्रतिशत पद खाली
शिक्षकों को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 65,979 पदों में से सिर्फ 21,910 को ही भरा जा सका। यानी की इन स्कूलों में अभी भी शिक्षकों के लगभग 33 प्रतिशत पद खाली हैं। दिल्ली सरकार ने इन रिक्तियों के कारण आए अंतर को 20,408 अतिथि शिक्षकों से जरूर भरा है, लेकिन इसके बाद भी इन स्कूलों में अभी 1,502 शिक्षकों की कमी है।
केजरीवाल-सिसोदिया के शिक्षा मॉडल की खुली पोल: दसवीं की टॉप 10 रैंकिंग से दिल्ली बाहरदिल्ली में सरकारी स्कूलों के दसवीं का रिजल्ट 81.27 प्रतिशत रहा है, जो देश के ओवरऑल 94.40 प्रतिशत से काफी कम है। दिल्ली ना सिर्फ रिजल्ट बल्कि रैंकिंग के मामले में काफी नीचे आ गई है। दसवीं की रैंकिंग में दिल्ली टॉप 10 से बाहर हो गई है। दिल्ली को 15वें नंबर से संतोष करना पड़ा है। नोएडा और पटना रैंकिंग में दिल्ली से आगे हैं। इतना ही नहीं इस बार दिल्ली 10वीं और 12 वीं दोनों की रैंकिंग में टॉप तीन से बाहर है। ये है केजरीवाल के शिक्षा का दिल्ली मॉडल।




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