भारत में इस्लामवादियों ने किया था अत्याचार (प्रतीकात्मक तस्वीर)
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्यसभा सांसद बिनय विश्वम (Binoy Viswam) ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में में उन्होंने नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की किताबों से मुगलों के बारे में जानकारी हटाने को लेकर चिंता व्यक्त की है।
मोदी सरकार को लिखे अपने पत्र में बिनय विश्वम ने कहा है कि एनसीईआरटी की किताबों में भारी बदलाव किए जा रहे हैं। इस तरह के बदलाव के जरिए भारतीय इतिहास के कुछ समय की जानकारी विलुप्त करने की कोशिश की जा रही है। विश्वम ने सरकार पर इतिहास, राजनीतिक व्यवस्था और समाज को बिगाड़ने तथा सांप्रदायीकरण करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा है, “दिल्ली सल्तनत, मुगल साम्राज्य और उस समय के साहित्य और वास्तुकला से संबंधित सामग्री को हटाना और कम करना प्रथम दृष्टया सांप्रदायिक रूप से पक्षपाती प्रतीत होता है। सामाजिक आंदोलनों से जुड़ी जानकारियाँ भी काफी हद तक हटाई गई हैं।”
CPI Rajya Sabha MP Binoy Viswam has written to Union Education Minister Dharmendra Pradhan over "drastic changes" made to NCERT textbooks as part of "rationalising” exercise and urged him to take necessary action pic.twitter.com/dsCbZO4FZW
— ANI (@ANI) April 6, 2023
नहीं हटाया गया मुगलों का इतिहास
We are working as per NEP (National Education Policy) 2020. This is a transition phase. NEP 2020 speaks of reducing the content load. We are implementing it. NCF (National Curriculum Framework) for school education is being formed, it will be finalised soon. Textbooks will be… pic.twitter.com/8p6K4xR65i
— ANI (@ANI) April 4, 2023
CPM सरकार ने किताबों से ‘मुगलों की सच्चाई’ हटाने का दिया था आदेश
विडंबना यह है कि सीपीएम नेता आज कथित तौर पर मुगलों का इतिहास हटाने को लेकर हो-हल्ला कर रहे हैं। लेकिन इसी सीपीएम पार्टी ने पश्चिम बंगाल की सत्ता में रहते हुए मुगलों द्वारा हिंदुओं पर किए गए अत्याचारों की घटनाओं को किताबों से हटवा दिया था। इसके लिए सरकार ने साल 1989 में एक आदेश जारी किया था। इस आदेश में मुगलों द्वारा हिंदुओं पर किए गए अत्याचारों की घटनाओं को ‘विवादित’ बताते हुए हटाने के लिए कहा गया था।
इस आदेश में साफ तौर पर लिखा हुआ था, “मुस्लिम शासन की कभी भी आलोचना नहीं होनी चाहिए। मुस्लिम शासकों और आक्रमणकारियों द्वारा किए गए मंदिरों के विनाश का भी उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए।”
(फोटो साभार:’फंडामेंटलिज्म इन द कंटेम्परेरी वर्ल्ड: क्रिटिकल सोशल एंड पॉलिटिकल इश्यूज’ पेज नंबर-273)लेखक संतोष सी साहा ने अपनी पुस्तक ‘फंडामेंटलिज्म इन द कंटेम्परेरी वर्ल्ड: क्रिटिकल सोशल एंड पॉलिटिकल इश्यूज’ में बताया है कि पश्चिम बंगाल की सत्ता में बैठी तत्कालीन कम्युनिस्ट सरकार ने साल 1989 में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (28 अप्रैल 1989) को एक आदेश जारी किया था।


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