आज भारत का गौरवशाली इतिहास बिहार के शिक्षा मंत्री, शायद अल्पशिक्षित, चंद्रशेखर यादव जैसे नेताओं के ही कारण धूमिल हुआ, जो अपनी कुर्सी की खातिर किसी भी नीचता पर जा सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगाने वालों बिहार के शिक्षा मंत्री की शिक्षा का प्रमाण मांगना चाहिए।
बिहार प्राचीन काल से ज्ञान और विज्ञान का प्रकाश पूरी दुनिया में फैलाता रहा है। इस धरती के सपूत चाणक्य और महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने अपनी प्रतिभा से पूरी दुनिया को प्रभावित किया। आधुनिक समय में गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने कम सयम में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वर्तमान समय में फिजिक्स के प्रोफेसर एचसी वर्मा और सुपर-30 के संचालक व गणित के प्रोफेसर आनंद कुमार बिहारी प्रतिभा की पहचान हैं। उनके संस्थान से शिक्षित बच्चे काफी संख्या में आईआईटी में चयनित हो रहे हैं। वहीं देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सेवा में बिहार के युवा अपना झंडा गाड़ रहे हैं। लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव को बिहार की वर्तमान युवा पीढ़ी और उसकी योग्यता पर भरोसा नहीं है। उन्होंने बिहार के युवाओं के गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के ज्ञान पर सवाल उठाते हुए अपमानजनक बयान दिया है। इससे बिहार के युवा और शिक्षक अभ्यर्थी खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं।
बिहार सरकार ने बीते दिन शिक्षा नियमावली में बदलाव करते हुए शिक्षक भर्ती में देश के तमाम लोगों के लिए द्वार खोल दिए। सरकार के इस फैसले के ख़िलाफ़ अभ्यर्थियों में रोष देखा जा रहा है। देखिए शिक्षा मंत्री और सरकार के फैसले पर क्या बोले अभ्यर्थी और छात्र नेता।#Bihar #CTET… pic.twitter.com/3JH5pZgXc9
— Bihar Tak (@BiharTakChannel) June 28, 2023
बिहार के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़
बिहार की नीतीश सरकार बिहार के युवाओं के भविष्य के साथ किस तरह खिलवाड़ कर रही है। इसका ताजा उदाहरण शिक्षक भर्ती नियमावली है। पहले तो सरकार ने नियमावली लाने में वक्त लिया। शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रदर्शन और दबाव के बाद जो नियमावली लाई गई, उसने अभ्यर्थियों की मुश्किलें और बढ़ा दीं। बीपीएससी के तहत फिर परीक्षा देने के लिए नियमावली में प्रावधान किया गया। इसका अभ्यर्थियों ने जमकर विरोध किया। इसके बाद नियमावली में बार बार बदलाव कर उसे मजाक बना दिया। डोमिसाइल नीति लागू होने से स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए शिक्षक अभ्यर्थियों को प्रखंड कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ रहा था। इसी बीच शिक्षक भर्ती नियमावली में संशोधन करते हुए डोमिसाइल की अनिवार्यता को ही खत्म कर दिया गया। इसे खत्म करने को लेकर शिक्षा मंत्री ने जो दलील दी, उसने पूरे बिहार के युवाओं की योग्यता पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि बिहार में गणित, विज्ञान और अंग्रेजी पढ़ाने वाले योग्य आवेदक कम हैं, इसलिए देश के टैलेंट को बिहार में शिक्षक बनने के लिए आमंत्रित किया गया है।
जान बूझकर शिक्षा मंत्री ने विवादित बयान दिया जिससे कि सभी लोगों का ध्यान कैबिनेट के गलत फैसले से हटकर उनके विवादित बयान पर चले जाए,,
— Bihar Teachers (7th phase& KVS/NVS)) (@bihartet22) June 27, 2023
मूर्ख नहीं बनेगा कोई, आपको अपना गलत फैसला बदलना ही होगा, #नीतीश_कुमार#शिक्षा_मंत्री #बिहार_शिक्षक #बिहार_शिक्षक_भर्ती #बिहार_सरकार pic.twitter.com/WHhh2hNjuY
डोमिसाइल पर तेजस्वी के पुराने बयान हो रहे वायरल
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान और डोमिसाइल नीति में बदलाव ने आग में घी डालने का काम किया है। शिक्षक अभ्यर्थियों में नई शिक्षक भर्ती नियमावली को लेकर पहले से काफी नाराजगी थी। इसी बीच नीतीश सरकार के ताजा फैसले ने उनके आक्रोश को और भड़का दिया है। पूरे बिहार में नए फैसले का विरोध हो रहा है। लोग तेजस्वी यादव को विधानसभा में दिए उनके पुराने बयान याद दिला रहे हैं। विपक्ष में रहने के दौरान उन्होंने डोमिसाइल लगाकर बिहारियों को नौकरी देने का वादा किया था। अब शिक्षक अभ्यर्थी सवाल कर कर रहे हैं कि बेरोजगारों का केंद्र बना है, तेजस्वी यादव ने डोमिसाइल की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि बिहार का पलायन भी रुकेगा और बिहार में बिहार के लोगों को रोजगार भी मिलेगा। लेकिन सरकार ने बिहार शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति हटाकर शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ घोर मजाक किया है।
बिहार जो बेरोजगारी का केंद्र बना है, @yadavtejashwi जी ने डोमिसाइल की मांग किए थे, जिससे बिहार का पलायन भी रुकेगा और बिहार में बिहार के लोगों को रोजगार भी मिलेगा..!!
— 📝Education Bihar शिक्षा बिहार🇮🇳 (@ShikshaBihar) June 29, 2023
तो फिर बिहार शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल लगा कर नोटिफिकेशन के बाद भी हटा दिया गया..!!#बिहार_में_डोमिसाइल_लागू_हो pic.twitter.com/AuLctrB5fs
आरजेडी के घोषणापत्र में बिहार के युवाओं को 85 प्रतिशत कोटा का वादा
यहां तक आरजेडी ने 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने अपनी पार्टी के घोषणापत्र को अपना प्रण बताया था। मेनिफेस्टो में बिहार के बेरोजगार युवाओं के लिए 10 लाख नौकरी का वादा किया था। साथ ही अपने मेनिफेस्टो में बिहार में डोमिसाइल नीति लागू करने का भी वादा किया था। मेनिफेस्टो में कहा गया था कि तेजस्वी सरकार बनने के बाद बिहार में डोमिसाइल नीति लागू की जाएगी जिसके अंतर्गत राज्य सरकार की नौकरियों में बिहार के युवाओं को 85 प्रतिशत का आरक्षण दिया जाएगा। आरजेडी के इस प्रण पर बिहार के युवाओं ने भरोसा किया और आरजेडी के पक्ष में जमकर मतदान किया। हालांकि तेजस्वी यादव की सरकार नहीं बनी, लेकिन आरजेडी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसके बाद नीतीश कुमार के पलटी मारने से एक बार फिर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने। बिहार में नीतीश और तेजस्वी के नेतृत्व में सरकार तो बदल गई, लेकिन शिक्षक अभ्यर्थियों का भविष्य नहीं बदला। तेजस्वी यादव ने डोमिसाइल नीति को खत्म कर बिहार के युवाओं के साथ धोखा दिया है।
हमारी पार्टी @RJDforIndia और तेजस्वी जी ने साफ़ तौर पर कहा है कि हमारी सरकार आई तो 85% कोटा बिहार की सरकारी नौकरी में बिहारियों के लिए होगा।
— Priyanka Bharti (@priyanka2bharti) October 25, 2020
हमें दूसरे राज्यों में अपने परिवार को छोड़कर जाने की जरूरत नहीं।
कौन चाहता है अपने बूढ़े मां बाप को छोड़कर जाना?
हमारा भविष्य उज्ज्वल है। pic.twitter.com/eWRzYmjhJF
बिहार के शिक्षा मंत्री की शैक्षणिक योग्यता की जांच की मांग
बिहार के युवाओं की योग्तता पर सवाल उठाने वाले शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर पर हमला तेज हो गया है। जिस तरह शिक्षक भर्ती नियमावली में 13 दिन में 10 संशोधन किए गए हैं, उससे शिक्षा विभाग के अधिकारियों और शिक्षा मंत्री की योग्यता पर भी सवाल उठने लगे हैं। आशंका जतायी जा रही है कि यह तो बस शुरुआत है। शिक्षक भर्ती होते होते लगभग 50 संशोधन हो जाएंगे। अब बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव की सबसे पहले डिग्री की जांच करने की मांग की जा रही है। क्योंकि उनके विवादित बयानों और उनके द्वारा किए गए ट्वीट में जो गलतियां पाई गईं है, उससे उनकी शैक्षणिक योग्यता पर संदेह होने लगा है। लोगों का कहना है कि उन्होंने परीक्षा हॉल में परीक्षा देकर डिग्री हासिल की है या घर में या कहीं और परीक्षा का पेपर लेकर डिग्री लिया है। अब शिक्षा मंत्री पर शिक्षक अभ्यर्थियों और बिहार के युवाओं को अपमानित करने का आरोप लग रहा है।
बिहार के शिक्षा मंत्री @ProfShekharRJD की सबसे पहले डिग्री की जांच होनी चाहिए।
— Manish Kumar Pandey (@KrpandeyKumar) June 28, 2023
क्योंकि इनके वक्तव्यों से इनकी शैक्षणिक योग्यता पर भ्रम पैदा होता है। @News18Bihar @ZeeBiharNews @abpbihar @NewsStateBihar @BiharTakChannel @Live_Hindustan @Live_Cities @STET_QUALIFIEDS @StetSangh pic.twitter.com/iL7h3yysxG
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के पुराने ट्वीट में गलतियों की भरमार
सोशल मीडिया में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के पुराने ट्वीट वायरल हो रहे हैं। लोग उनके ट्वीट में की गई गलतियां दिखा कर उनको आईना दिखा रहे हैं। उनके एक ट्वीट में गलतियों का अम्बार है। शिक्षा मंत्री ने फिरंगियों की जगह फिरंगीयों गलत लिखा। जुल्म की जगह जूल्म गलत लिखा। एकलव्य की संतान की जगह एकलव्य के संतान लिखा। जगदेव बाबू की संतान की जगह जगदेव बाबू के संतान लिखा। इनकी चुल्हें हिलाने की जगह चूलें हिलाना लिखा। एक ट्वीट में पांच गलती देखकर क्या कोई इनको हिन्दी का शिक्षक बना जा सकता है ? इस तरह शिक्षा मंत्री ने बिहार पर उंगली उठाकर बड़ी गलती कर दी है। अब लोग नीतीश कुमार और तेजस्वी से सवाल कर रहे हैं कि ऐसे शिक्षा मंत्री से क्या बिहार की शिक्षा व्यवस्था का भला हो सकता है ?
यह #बिहार के #शिक्षा_मंत्री और बिहार के शिक्षकों पर सवाल उठा रहे हैं जिन्होंने अपने ही ट्वीट में पांच गलतियां कर दिए, सोच लीजिए किस प्रकार के शिक्षा मंत्री बिहार में है।
— Dhiraj Gupta (@dhiraj717) June 29, 2023
आपकी क्या मजबूरी है @yadavtejashwi जी युवाओं पर हो रहे अत्याचार पर आप कुछ बोलते क्यों नहीं? @JBreakingBajpai pic.twitter.com/vR8hJu9ezC
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का इंडिया गेट पर ज्ञान देखकर दंग रह जाएंगे, आइए देखते हैं किस व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से शिक्षा लेते हैं….
बिहार के शिक्षा मंत्री और आरजेडी विधायक चंद्रशेखर यादव के रामचरितमानस पर दिए विवादास्पद बयान से पूरे देश में बवाल मचा हुआ था। इस बीच बिहार के शिक्षा मंत्री के पुराने बयान भी सामने आने लगे हैं, जो काफी हैरान करने वाले हैं। जातिवाद और मुस्लिम तुष्टिकरण की वजह से अंधे हो चुके शिक्षा मंत्री ने दिल्ली के इंडिया गेट पर जो ज्ञान दिया है, उससे उनकी शिक्षा पर भी सवाल उठने लगे हैं।
इंडिया गेट पर बिहार के शिक्षा मंत्री का फर्जी ज्ञान
दरअसल, चंद्रशेखर यादव का एक पुराना ट्वीट सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने इंडिया गेट पर अंकित शहीद सैनिक के आंकड़े को जाति और धर्म में बांटकर पेश किया है। यह आंकड़ा पूरी तरह फर्जी है। 20 अप्रैल, 2020 में किए गए ट्वीट में उन्होंने लिखा, “संघियों एवं मनुवादियों का देश में योगदान की क्रोनोलॉजी–इंडिया गेट दिल्ली के शिलापट पर फिरंगियों के खिलाफ जंग में आहूति देने वाले 95395 (पंचानवे हजार तीन सौ पंचानवे) अमर शहीदों में- मुसलमान-61395, सिख-8050, पिछड़े-14480, दलित-10777, सवर्ण 598, संघी-00(शून्य)- मनुवादी संघियो को ढूंढें ?”
संघियों एवं मनुवादियों का देश में योगदान की क्रोनोलॉजी--इंडिया गेट दिल्ली के शिलापट पर फिरंगियों के खिलाफ जंग में आहूति देने वाले95395(पंचानवे हजार तीन सौ पंचानवे) अमर शहीदों में-मुसलमान-61395,सिख-8050, पिछड़े-14480, दलित-10777, सवर्ण 598, संघी-00(शून्य)-मनुवादी संघियो को ढूंढें? pic.twitter.com/2qHyWQcT2Y
— Prof. Chandra Shekhar (@ProfShekharRJD) April 20, 2020
व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से ज्ञान अर्जित करते हैं बिहार के शिक्षा मंत्री
चंद्रशेखर यादव के इस ट्वीट को देखकर लगता है कि वे व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के शिक्षा मंत्री और उनके ज्ञान का प्रमुख स्रोत सोशल मीडिया है। चंद्रशेखर यादव ने अपने ट्विटर हैंडल से जो ज्ञान दिया है, दरअसल वो जुलाई 2019 में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। AIMIM प्रमुख और हैदराबाद लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मुंबई के चांदीवली इलाक़े में 13 जुलाई, 2019 को एक भाषण दिया था जिसके कुछ हिस्से सोशल मीडिया पर शेयर किए गए थे। ओवैसी ने रैली में दावा किया था कि इंडिया गेट पर 95,300 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखे हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत मुसलमान है।
इंडिया गेट पर पर 13,516 भारतीय सैनिकों के नाम
इंडिया गेट एक वॉर मेमोरियल है। इसका निर्माण उन भारतीय सैनिकों की स्मृति में किया गया था जो ब्रिटिश सेना में भर्ती होकर पहले विश्व युद्ध और तीसरे अफगान युद्ध में शहीद हुए थे। दिल्ली में स्थित ‘इंडिया गेट’ साल 1931 में बनकर तैयार हो गया था। यानी भारत की आज़ादी से क़रीब 16 साल पहले। 42 मीटर ऊंचा इस स्मारक को अंग्रेज़ों के शासन के दौरान 1914 से 1919 के बीच ब्रिटिश आर्मी के लिए लड़ते हुए मारे गए भारतीयों की याद में बनाया गया था जिसे पहले ‘ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल’ कहा जाता था। दिल्ली सरकार की वेबसाइट के अनुसार इस स्मारक पर 13,516 भारतीय सैनिकों के नाम लिखे हुए हैं। इनमें 1919 के अफ़गान युद्ध में मारे गए भारतीय सौनिकों के नाम भी शामिल हैं।
शिक्षा मंत्री को इस्लाम में मोहब्बत और रामचरितमानस में नफरत दिखाई देती है
इससे पहले शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वो मोहब्बत का पाठ पढ़ाते नजर आ रहे हैं। वायरल वीडियो में चंद्रशेखर यादव को कहते सुना जा सकता है, ‘मोहब्बत और ईमान का पैगाम देने वाला ‘अकेला’ इस्लाम है।’ चंद्रशेखर यादव ने यह बयान मधेपुरा में ईद-उल-फितर 2022 के मौके पर ईद-मिलन के कार्यक्रम में दिया था। शिक्षा मंत्री को इस्लाम में मोहब्बत दिखाई दे रहा है और रामचरितमानस नफरत फैलाने वाली किताब दिखाई देती है। दरअसल चंद्रशेखर यादव ने आरजेडी के मुस्लिम तुष्टिकरण वाली राजनीति के एजेंडे के तहत मुसलमानों को खुश करने के लिए यह बयान दिया था।
रामचरितमानस ग्रंथ दुनिया में नफ़रत फैलाने का काम करती है : बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर का शर्मनाक बयान pic.twitter.com/mUGY4SbAf9
— Anurag Chaddha (@AnuragChaddha) January 11, 2023
शिक्षामंत्री चंद्रशेखरजी का यह बयान भी सुनिए- "मोहब्बत और ईमान का पैगाम देने वाला 'अकेला' इस्लाम है"
— Nikhil Anand (@NikhilAnandBJP) January 15, 2023
शिक्षामंत्री ने राजद के तुष्टीकरण वाली राजनीतिक के एजेंडे के तहत मुसलमानों को खुश करने के लिए बयान दिया!
'मिस्टर मालूम नहीं मुख्यमंत्री', कैबिनेट मंत्री के बयान पर चुप क्यों? pic.twitter.com/oSc3tWwCO3
शिक्षा मंत्री का अंतरराष्ट्रीय ज्ञान देखकर दंग रह जाएंगे
एक अन्य ट्वीट में चंद्रशेखर यादव तुष्टिकरण में अपना अंतरराष्ट्रीय ज्ञान भी प्रदर्शित करते हुए नजर आते हैं। उन्होंने लिखा कि सदियों से वंचितों, बेवसों और गरीबों के रहनुमाओं को अपनी जान से धोना पड़ा है हाथ। सुकरात को जहर और यीशू को चढ़ाया सूली। अंबेडकर एवं लोहिया की हुई साजिशन हत्या, महात्मा फुले, पेरियार, जननायक कर्पूरी को गाली और शहीद जगदेव को गोली। आज उसी रक्तरंजित इतिहास को दोहराते हुए लालू जी को जेल में ही जान मारने की हो रही है तैयारी।
— Prof. Chandra Shekhar (@ProfShekharRJD) May 22, 2020
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