फोटो साभार: TOI/ABP
अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) यानी रैपिड रेल के लिए 415 करोड़ रुपए देने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है। यह रकम देने के लिए केजरीवाल सरकार को शीर्ष अदालत ने दो महीने की मोहलत दी है। विज्ञापन पर दिल्ली सरकार के 1100 करोड़ रुपए खर्च करने का हवाले देते हुए यह आदेश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने सोमवार (24 जुलाई 2023) को कहा, “यदि पिछले 3 सालों में विज्ञापन पर 1100 करोड़ रुपए खर्च किए जा सकते हैं तो इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए निश्चित रूप से पैसा दिया जा सकता है। या तो आप (दिल्ली सरकार) पैसा दें या हम आपका विज्ञापन बजट कुर्क कर लेंगे।” कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार के फंड देने से हाथ खड़े करने के कारण उसे यह आदेश देना पड़ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार और चेतावनी के बाद दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि RRTS के लिए फंड दिया जाएगा। साथ ही उन्होंने कोर्ट से फंड किश्त में जमा करने और इसके लिए थोड़ा समय देने की माँग की। इस पर कोर्ट ने उन्हें दो महीने की मोहलत दी। अब केजरीवाल सरकार को RRTS के लिए 2 महीने के भीतर 415 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा।
RRTS प्रोजेक्ट की फंडिंग को लेकर इससे पहले 3 जुलाई 2023 को सुनवाई हुई थी। इस दौरान दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि RRTS के लिए उसके पास फंड नहीं है। जवाब से असंतुष्ट सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को बीते 3 सालों में विज्ञापन पर हुए खर्च का ब्यौरा 2 सप्ताह के भीतर पेश करने का निर्देश दिया था। इसके बाद दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर बताया था कि बीते 3 सालों में उसने विज्ञापन पर 1073 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
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