सुन्नी मुस्लिमों के दबाव में शरीयत में सुधार की बात करने वाली मुस्लिम महिला को वामपंथियों ने UCC के विरोध में गोष्ठी में बोलने से रोका

                                                                   साभार: AI
समान नागरिक संहिता के नाम पर मुस्लिमों में डर बैठाने वाले बेनकाब होने शुरू हो चुके हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी -मार्क्सवादी (CPIM) ने 15 जुलाई 2023 को सीताराम येचुरी के नेतृत्व में समान नागरिक संहिता (UCC) के विरोध में केरल में एक संगोष्ठी का आयोजन किया है। इस कार्यक्रम में 28 वक्ता हैं। हालाँकि, इन वक्ताओं में एक भी मुस्लिम महिला नहीं है। इस तरह UCC को लेकर मुस्लिम महिलाओं की आवाज को दबा दिया गया है।

कोझिकोड में आयोजित वाली इस जन संगोष्ठी में शहर की मेयर डॉक्टर बीना फिलिप और केरल महिला आयोग की अध्यक्ष पी सतीदेवी को आमंत्रित किया गया है। वहीं, लेखिका डॉक्टर खदीजा मुम्थास ने कहा कि आयोजकों ने उनसे संपर्क किया था, लेकिन उन्हें औपचारिक निमंत्रण नहीं दिया, क्योंकि UCC पर उनके कुछ विचार CPM के विचारों के विपरीत थे।

डॉक्टर खदीजा ने कहा, “उन्होंने (आयोजकों ने) मुझसे कार्यक्रम से पहले एक बैठक के दौरान सेमिनार में बोलने की मेरी इच्छा के बारे में पूछा। उस समय जब मैंने अपने विचार के बारे में बताया तो उनकी प्रतिक्रिया सकारात्मक नहीं थी।” उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाएँ ही मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) की कठिनाइयों का सामना कर रही हैं।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) का कहना है कि UCC शरीयत कानून को खतरे में डाल देगा। दरअसल, शरीयत में विवाह, तलाक और विरासत सहित अन्य मामलों में इसके नियम पुरुषों के लिए उदार हैं जबकि महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसलिए सीपीएम भी इसका आयोजन सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए ही करती दिख रही है।

‘फोरम फॉर मुस्लिम वीमेन्स जेंडर जस्टिस’ की अध्यक्ष डॉक्टर खदीजा कहती हैं, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूसीसी को लागू करने की बात कही है। उन्होंने कहा, मुस्लिम महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दे अभी भी एक वास्तविकता हैं। इस संदर्भ में, UCC पर चर्चा के लिए सेमिनार में मुस्लिम महिलाओं को वक्ता के रूप में शामिल किया जाना चाहिए।”

हालाँकि, डॉक्टर खदीजा समान नागरिक संहिता के पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एजेंडे को पूरा करता है। उनका कहना है, “मैं मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधार के पक्ष में हूँ। नियमों में सुधार होना चाहिए। मैंने उनसे (सीपीएम सेमिनार आयोजकों से) कहा कि अगर मैं वक्ता रहूँगी तो मैं इस रुख को उठाऊँगी।”

मुस्लिम पर्सनल लॉ में सुधार के लिए आंदोलन चलाने वालीं NISA के संस्थापक वीपी ज़ुहारा ने कहा, “वे मुस्लिम महिलाओं को मंच पर आमंत्रित नहीं कर सकते, क्योंकि वे समस्त (केरल जेम-इयाथुल उलमा) नेताओं को खुश करना चाहते हैं। वे विधायक कनाथिल जमीला जैसे नेताओं या अपने संगठनों के अन्य वक्ताओं को आमंत्रित कर सकते थे।”

ज़ुहारा ने कहा वह समान नागरिक संहिता लागू करने की माँग लंबे समय से करती आ रही थीं, लेकिन अब चिंतित हैं। उन्होंने कहा, “NISA समान नागरिक संहिता को लागू करने की माँग करता आ रहा था, लेकिन वर्तमान में हम केंद्र सरकार के एजेंडे को लेकर चिंतित हैं। अब हम मुस्लिमों को भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के तहत शामिल करने की माँग करते हैं।”

ऑन मनोरमा से बात करते हुए केरल के लेखक और सामाजिक आलोचक डॉक्टर हमीद चेन्नामंगलूर ने हाल ही में एक साक्षात्कार में सीपीएम सेमिनार में मुस्लिम महिलाओं की अनुपस्थिति के बारे में बात की। उन्होंने कहा था कि यह समस्त (केरल जेम-इयाथुल उलमा) के नेताओं को नाराज़ करने से बचने के लिए है।” यह सेमिनार शनिवार को शाम 4 बजे होगा। इसके बाद केरल के हर जिले में इस तरह का आयोजन किया जाएगा।

केरल में सुन्नी मुस्लिमों का सबसे बड़ा संगठन Samastha (समस्त) है। इसके सदस्यों में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (Indian Union Muslim League- IUML) के प्रमुख नेता भी शामिल हैं। सेमिनार में ‘समस्त’ नेताओं के अलावा एपी सुन्नी गुट के नेता कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार भी बोलेंगे। इसके अलावा, सेमिनार में केरल कॉन्ग्रेस (M) और जनता दल (सेक्युलर) सहित सभी प्रमुख वामपंथी सहयोगी दल भी भाग लेंगे।

वहीं, ‘समस्त’ से जुड़े The Samastha Kerala Sunni Mahallu Federation (SKSMF) के अध्यक्ष अब्दुसमंद पूकोतूर ने कहा कि सीपीएम पिछले रूख को देखते हुए इसके आयोजन पर शंका होती है। उन्होंने कहा कि सीपीएम पर्सनल लॉ में सुधार की हिमायती रही है और यह बात इस वामपंथी पार्टी के नंबुदरीपाद जैसे पूर्व नेताओं ने कही है।

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