ज्ञानवापी तहखाने की चाबी देने से मुस्लिम पक्ष का इनकार
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी विवादित ढाँचे में शनिवार को दूसरे दिन भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) टीम पहुँची। सुबह 9 बजे से ही सर्वेक्षण शुरू हो गया है। सर्वे का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या यह एक हिंदू मंदिर विश्वेश्वर महादेव को तोड़कर बनाया गया है। वहीं दो दिन से अपनी जिद पर अड़ा मुस्लिम पक्ष भी सर्वे में शामिल होने को तैयार हो गया है लेकिन तहखाने की चाभी देने से इनकार कर रहा है।
ANI की रिपोर्ट के अनुसार, ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के मुस्लिम पक्ष के वकील एजाज अहमद ने कहा, “आज मस्जिद ताला खोल दिया गया है। एएसआई की टीम मस्जिद में प्रवेश गई है, वजूखाने को छोड़कर मस्जिद के अंदर भी सर्वे हो रहा है।” वहीं इस मामले में अब नया विवाद तब खड़ा हो गया जब मुस्लिम पक्ष ने अपने कब्जे का तहखाना खोलने के लिए से मना कर दिया। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वो तहखाने की चाबी क्यों दें? उनको (एएसआई की टीम) जहाँ खोलना है, वह खोल लेंगे।
#WATCH भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारी वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पहुंचे। परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण आज भी जारी है। pic.twitter.com/Bdn94MEHIq
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 5, 2023
शुक्रवार (4 अगस्त, 2023) को जब मंदिर में तमाम हिन्दू प्रतीक दीवारों और छतों पर मिल रहे थे, तो भी तहखाने में सर्वे नहीं हो पाई थी, क्योंकि मुस्लिम पक्ष ने ताला नहीं खोला था और चाबी भी नहीं दी थी। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि आज ASI टीम तहखाने तक पहुँच सकती है और जल्द ही ASI की टीम तहखाने के रहस्यों से पर्दा हटाएगी।
आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, लगातार सर्वे का विरोध कर रही अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेट्री मोहम्मद यासीन ने कहा, “हम सर्वे में शामिल नहीं थे क्योंकि हम कानूनी प्रक्रिया का इंतजार कर रहे थे लेकिन अब जब कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया तो हम एएसआई सर्वे में पूरा सहयोग करेंगे।”
< /span>#WATCH हम ASI सर्वेक्षण से संतुष्ट हैं... कल तक हम भाग (सर्वेक्षण में) नहीं ले रहे थे लेकिन आज हम भाग ले रहे हैं और ASI टीम की सहायता कर रहे हैं: वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वे पर मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज अहमद pic.twitter.com/N1p3pX8RRl
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 5, 2023
वहीं हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि आज डिटेल मेथड के जरिए काम किया जाएगा, जो आगे के सर्वे का रूप तय करेगा। वहीं मुस्लिम पक्ष के सहयोग पर उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष सहयोग नहीं बल्कि कोर्ट के आदेश की वजह से मजबूर है। वाराणसी के जिला जज के न्यायालय ने ASI सर्वे की मियाद बढ़ाकर 4 हफ्ते कर दी है।
वहीं शुक्रवार को जब ASI ने जब पहले दिन सर्वेक्षण शुरू किया तो शीर्ष पुरातत्व निकाय ने ज्ञानवापी परिसर की दीवारों और स्तंभों पर उकेरे गए त्रिशूल, स्वास्तिक, घंटी और फूल जैसे हिन्दू प्रतीकों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की। इस सर्वे में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) के माध्यम से सभी मूर्तियों और विवादित ढाँचे के तह तक जाँच की जा रही है। ज्ञानवापी परिसर के चारों कोनों पर डायल टेस्ट इंडिकेटर भी लगाए गए, जिससे परिसर के विभिन्न हिस्सों की गहराई और ऊँचाई मापी गई।
VIDEO | "They (Muslim side) are not supporting us. They are here because of the court order. They fought in three courts, when they couldn't win, they are participating," says Vishnu Shankar Jain, lawyer of Hindu side, on Muslim side extending support to Gyanvapi survey. pic.twitter.com/0O3mwsudn6
— Press Trust of India (@PTI_News) August 5, 2023
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पहले दिन के सर्वे में विवादित ढाँचे की निर्माण शैली और अंदर मिले हिन्दू मंदिरों में पाए जाने वाले प्रत्येक डिज़ाइन की प्राचीनता को दर्ज किया गया और सर्वेक्षण में विवादित संरचना के गुंबदों और स्तंभों पर उकेरी गई संरचनाओं को भी शामिल किया गया। पहले दिन, सर्वेक्षण लगभग सात घंटे तक चला।
गौरतलब है कि गुरुवार (3 अगस्त, 2023) को, उच्च न्यायालय ने मस्जिद समिति के अनुरोध को खारिज कर दिया। इसमें जिला अदालत के उस आदेश को रोकने की माँग की गई थी, जिसमें एएसआई को यह निर्धारित करने के लिए सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया था कि क्या मस्जिद पहले से मौजूद मंदिर पर बनाई गई है।
ज्ञानवापी मस्जिद तब सुर्खियों में आई जब महिलाओं के एक समूह ने ज्ञानवापी विवादित परिसर में स्थित विश्वेश्वर महादेव की पूजा की अनुमति के लिए वाराणसी की निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि यहाँ पहले एक मंदिर हुआ करता था।
जिला अदालत ने इस याचिका के आधार पर 2022 में परिसर के वीडियो सर्वेक्षण का आदेश दिया। सर्वेक्षण के दौरान, एक संरचना की खोज की गई जिसके बारे में याचिकाकर्ताओं का दावा था कि वह एक ‘शिवलिंग’ है। लेकिन ज्ञानवापी प्रबंधन समिति ने कहा कि संरचना ‘वज़ुखाना’ में एक फव्वारे का हिस्सा थी, जो पानी से भरा क्षेत्र है जहाँ लोग प्रार्थना करने से पहले अपने हाथ-पैर धोते हैं।
No comments:
Post a Comment