कोणार्क चक्र के सामने विश्व के नेताओं की आगवानी
विश्व के 20 प्रमुख देशों वाली संस्था जी-20 की बैठक नई दिल्ली में शुरू हो गई है। भारत की अध्यक्षता में यह बैठक दिल्ली के ‘भारत मंडपम’ में आयोजित की गई है। यहाँ विदेशों से आए मेहमानों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वागत किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत मंडपम में जिस जगह पर खड़े होकर अन्य राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत कर रहे थे, उनके ठीक पीछे कोणार्क के सूर्य मंदिर में अंकित रथ केे पहिए को दर्शाया गया है। यह भारत की धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहचानों में से एक है।
कोणार्क के पहिया को 13वीं शताब्दी में महाराजा नरसिंह देव प्रथम के शासनकाल में बनाया गया था। इसमें की तीलियाँ भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में 24 तीलियों वाला सारनाथ का अशोक चक्र भी हमारी इसी सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है।
कोणार्क चक्र की घूमती गति समय, कालचक्र के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है। यह लोकतंत्र के पहिये के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में कार्य करता है, जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
G 20 in India | The welcome handshake of all leaders with PM Modi will showcase the Konark Wheel from Odisha. The Konark Wheel was built during the 13th century under the reign of King Narasimhadeva-I. The wheel with 24 spokes is also adapted into India's national flag and… pic.twitter.com/g8wrTpsmZM
— ANI (@ANI) September 9, 2023
इस चक्र में समान दूरी पर स्थित 24 तीलियाँ हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, इसकी 24 तीलियाँ भगवान विष्णु के 24 अवतारों का प्रदर्शन करती हैं। वहीं, कुछ मान्यताओं के अनुसार के तीलियाँ 24 अक्षरों वाले गायत्री मंत्र को प्रदर्शित करती हैं, जिसकी संपूर्ण शक्ति 24 ऋषियों के पास थी।
धर्म चक्र की सभी 24 तीलियाँ हिमालय के 24 ऋषियों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनमें विश्वामित्र प्रथम और याज्ञवल्क्य अंतिम ऋषि हैं। विश्वामित्र ने ही गायत्री मंत्र की रचना की थी, जो विश्व का सबसे पुराना मंत्र है। इसका जिक्र ऋग्वेद में मिलता है। ऋग्वेद के प्रथम 20 सूक्तों की रचना महर्षि विश्वामित्र के पुत्र महर्षि मधुच्छंदा ने की थी।
इसे धर्म चक्र के अलावा समय चक्र के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इसमें दी गई 24 तीलियाँ दिन के 24 घंटों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो समय की गति का प्रतीक हैं। तिरंगे में इस चक्र को गहरे नीले रंग में चित्रित किया गया है। चक्र दर्शाता है कि गति में जीवन है और स्थिरता में मृत्यु है।
हालाँकि, 24 तीलियों वाले चक्र का सबसे पहला उल्लेख सम्राट अशोक के धम्म चक्र में मिलता है, जिसे अशोक चक्र भी कहा जाता है। अशोक चक्र वाराणसी के पास स्थित सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है। यह स्तंभ सम्राट अशोक के समय उनके धम्म के प्रचार के लिए बनवाया गया था।
अवलोकन करें:-
अशोक चक्र की 24 तीलियाँ मनुष्य के गुणों को प्रदर्शित करने के साथ-साथ चहुँमुखी विकास, प्रगति, निरंतरता और कर्तव्य का संदेश देती हैं। अशोक चक्र की हर तीली का संदेश अलग-अलग है, लेकिन इसका मूल विचार एक ही है। इन संदेशों में प्रेम, सद्भावना, नैतिकता, भाईचारा, एकता, कमजोरों की मदद, सुरक्षा, सहयोग और देशप्रेम की भावना निहित है।
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