भारत में जिस वक्त G20 हो रहा है ठीक उसी वक्त राहुल गांधी का विदेश जाना और चीन के राष्ट्रपति का जी-20 में ना आना क्या यह मजह संयोग है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का भारत न आना भारत को नीचा दिखाने की नीयत से लिया गया फैसला है। चीन भारत की समृद्धि से खुश नहीं है वह उसके उभरते कद को पचा नहीं पा रहा है। लेकिन राहुल गांधी किस नीयत से विदेश दौरे पर गए यह बड़े सवाल खड़ा करता है। राहुल गांधी के पिछले विदेश दौरे को देखते हुए तो यही लगता है कि वे एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को बदनाम करने और भारत को नीचा दिखाने के इरादे से विदेश यात्रा पर पहुंचे हैं। राहुल इस दौरे में यूरोप के तीन देशों बेल्जियम, फ्रांस और नार्वे के दौरे पर होंगे और कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। बेल्जियम में राहुल की बैठक से हालांकि बहुत कुछ साफ हो गया कि उनका मकसद क्या है। वे वहां भारत विरोधियों और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट से मिल रहे हैं। वे उन सभी लोगों से मिल रहे हैं जो भारत के बढ़ते कद से परेशान हैं।
कांग्रेस के 53 वर्षीय प्रिय युवा नेता राहुल गाँधी ने बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में कहा कि भारत में बड़े पैमाने पर लोकतांत्रिक संस्थानों पर हमला हो रहा है। देश के संविधान को बदलने की कोशिश हो रही है। अल्पसंख्यकों और दलितों पर हमले हो रहे हैं। सरकार दहशत में है और पीएम मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं।
राहुल को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि लोकतंत्र की निर्मम हत्या कांग्रेस के काल खंड में कई बार हुई। राहुल लोकतंत्र की निर्मम हत्या जवाहर नेहरू ने भारत में हुए प्रथम चुनाव में ही कर दी थी। मालूम है कुछ। जब रामपुर से हिन्दू महासभा के उम्मीदवार विशन सेठ ने नेहरू के लाडले मौलाना आज़ाद को 6000 से हारने पर तुरन्त उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोबिंदबल्लभ पंत को साम दाम दंड भेद हार को जीत में बदलने के लिए कहा था और पंत ने काउंटिंग सेंटर पर मौजूद अधिकारियों को नेहरू के आदेश का पालन करने को कहा, और विशन सेठ को उनके विजयी जलूस से उठा, सेंटर पर लाकर उन्ही के सामने उनकी वोटें आज़ाद की वोटों में मिलाकर लगभग 3000 वोटों से हारे हुए उम्मीदवार को विजयी घोषित करवा दिया था। दूसरे, कांग्रेस के प्रचार के लिए निकले दूरदर्शन रिपोर्टर अपने कैमरामैन को लेकर गली-कूचों में पहुँचने पर बच्चों ने नारा लगाना शुरू कर दिया "गली-गली में शोर है, राजीव गाँधी चोर है", क्या हुआ इन दोनों का, दूरदर्शन ने नौकरी से निकाल दिया। एक लम्बा इतिहास है।
राहुल गाँधी के इस बयान को देखें तो वह भारत में लोकतंत्र, अल्पसंख्यक व दलित, वंचित वर्ग पर हो रहे हमलों का राग अलाप रहे हैं। सवाल यह है कि ‘मोहब्बत की दुकान’ का शिगूफा छोड़ने वाला कोई व्यक्ति यदि अपने भाषण में सिर्फ हमलों और दहशत की बात करेगा तो क्या उसकी दुकान सच में मोहब्बत की है, या फिर नफरत की?
राहुल गांधी का यूरोप दौरा किसने तय किया?
राहुल गांधी यूरोप यात्रा ने सोच-समझकर तय किया गया है। अब तो यह भी संशय होता है कि उनके दौरे को कांग्रेस ने तय किया है या अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस। वही जार्ज सोरोस जो कहता है कि भारत में लोकतंत्र है लेकिन पीएम मोदी लोकतांत्रिक नहीं हैं। जार्ज सोरोस की इस सोच को क्या कहा जाए। जब भारत की जनता ने बीजेपी को 300 से ज्यादा सीटें देकर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री चुना है तो यह लोकतांत्रिक कैसे नहीं हुआ। खैर तो राहुल गांधी यूरोप दौरे पर हैं। यूरोप पहले ही भारत की तरक्की से बौखलाया हुआ है और वह नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ता। यूरोपीय संसद द्वारा मणिपुर हिंसा पर प्रस्ताव पारित करना इसका ताजा उदाहरण है। पाकिस्तान में दस से ज्यादा चर्च जला दिए गए लेकिन यूरोपीय संसद ने कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया। इससे तो यही लग रहा चोर-चोर मौसेरे भाई।
बेल्जियम में FTLS ने की राहुल की बैठक का आयोजन, FTLS का जमात और आईएसआई से संबंध
राहुल ने यूरोप दौरे पर बेल्जियम में यूरोपीय संसद के सदस्यों के साथ एक बैठक में हिस्सा लिया। ये वही लोग हैं जिन्होंने मणिपुर पर भारत विरोधी प्रस्ताव पारित किया था। इसके बाद उन्होंने उन्होंने एक सार्वजनिक चर्चा में भाग लिया, जिसे कांग्रेस द्वारा “सिविल सोसायटी समूहों” के साथ एक बैठक के रूप में प्रचारित किया गया। और सोचिए इस बैठक का आयोजन फाउंडेशन द लंदन स्टोरी (FTLS) ने किया। FTLS का संबंध जमात और आईएसआई से है और यह सुनीता विश्वनाथ और रशीद अहमद जैसे भारत विरोधी व्यक्तियों से जुड़ा है। इसकी स्थापना ‘दक्षिण एशियाई’ रितुम्बरा मनुवे और इमरान वली अहमद द्वारा ‘नीदरलैंड’ में की गई थी। इस संगठन से जुड़े अन्य लोग हैं भारतीय अमेरिकी मुस्लिम काउंसिल के कार्यकारी दिर रशीद अहमद, हिंदूज़ फॉर ह्यूमन राइट्स की सह-संस्थापक सुनीता और पोलिस प्रोजेक्ट की फ्रांसेस्का रेचिया। ये मोर्चे जस्टिस फॉर ऑल (जेएफए) – पश्चिम में जमात/आईएसआई गठजोड़ से जुड़े हैं! FTLS ने इससे पहले पत्रकार राणा अयूब और वकील प्रशांत भूषण के कार्यक्रम आयोजित किए हैं। ये दोनों भी भारत विरोधी इकोसिस्टम का हिस्सा हैं। अब सवाल उठता है कि राहुल गांधी ने इन भारत विरोधी संगठन के कार्यक्रम में हिस्सा क्यों लिया।
यूरोप दौरे में राहुल भारत विरोधी फैबियो मास्सिमो से मिले
यूरोप दौरे में राहुल गांधी ऐसे लोगों से मिल रहे हैं जिनके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से संपर्क रहे हैं। अब सवाल उठता है कि वे भारत विरोधी इन लोगों से क्यों मिल रहे हैं। राहुल गांधी यहां इतालवी वामपंथी राजनीतिज्ञ और यूरोपीय संसद के पूर्व सदस्य फैबियो मास्सिमो से मिले। इनका यूरोप में ISI के एसेट या एजेंट परवेज़ इक़बाल से संपर्क है। परवेज़ इक़बाल का खालिस्तान की मांग करने वाले भारत में उपद्रव करने वाले सिख फॉर जस्टिस से संबंध रहा है। इससे इनके गठजोड़ को समझा जा सकता है। फैबियो मास्सिमो कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी प्रचार फैलाने में जुटे रहते हैं। इसका प्रमाण फैबियो के पुराने ट्वीट में देखा जा सकता है।
भारत में पिछले 40 वर्षों में सबसे अधिक बेरोजगारी
पिछले विदेश दौरों की तरह ही यूरोप दौरे में भी राहुल ने भारत को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। राहुल ने यहां कहा- भारत में बेरोजगारी बहुत है। गरीबी के स्तर में भारी वृद्धि हुई अधिकांश लोगों को गरीबी की ओर धकेल दिया गया है और फिर बढ़ती कीमतें और मुद्रास्फीति है। भारत जोड़ो यात्रा में मुझे लोगों ने ये बातें बताईं। राहुल ने कहा कि इस मामले में तथ्य यह है कि भारत में पिछले 40 वर्षों में सबसे अधिक बेरोजगारी है। तो हमारे आर्थिक मॉडल में स्पष्ट रूप से कुछ गड़बड़ है, इसे स्वीकार नहीं किया जाता है और सरकार समर्थक मीडिया ज्यादा है इसीलिए इस प्रकार की चीजें सामने नहीं आती हैं।
13 करोड़ भारतीय पांच साल में गरीबी से निकले
राहुल गांधी अपने एजेंडे में लगे हुए हैं। लेकिन उन्हें आईएमएफ की बातों पर भरोसा नहीं है। आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने “अति गरीबी” को लगभग खत्म कर दिया है और इसके डीबीटी (डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर) को लॉजिस्टिक मार्वल कहा है। राहुल गांधी को उन विश्वविद्यालयों पर भी भरोसा नहीं है जहां जाकर वह भाषण देते हैं। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में यूएनडीपी और ओपीएचआई द्वारा जारी वैश्विक एमपीआई के नवीनतम अपडेट के अनुसार, 2005/2006 से 2019/2021 तक केवल 15 वर्षों के भीतर भारत में कुल 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। वहीं यूएनडीपी की रिपोर्ट हो या नीति आयोग की, कुल मिलाकर अगर देखें तो गरीबों की संख्या में 15 फीसदी की कमी आयी है। लगभग साढ़े 13 करोड़ भारतीय पांच साल में गरीबी से निकले हैं। यह सचमुच एक बड़ी संख्या है, इससे सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को तय करने में मदद मिलेगी। इन साढ़े 13 करोड़ लोगों में साढ़े तीन करोड़ लोग केवल उत्तर प्रदेश के हैं।
13 करोड़ भारतीय पांच साल में गरीबी से निकले
राहुल गांधी अपने एजेंडे में लगे हुए हैं। लेकिन उन्हें आईएमएफ की बातों पर भरोसा नहीं है। आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत ने “अति गरीबी” को लगभग खत्म कर दिया है और इसके डीबीटी (डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर) को लॉजिस्टिक मार्वल कहा है। राहुल गांधी को उन विश्वविद्यालयों पर भी भरोसा नहीं है जहां जाकर वह भाषण देते हैं। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में यूएनडीपी और ओपीएचआई द्वारा जारी वैश्विक एमपीआई के नवीनतम अपडेट के अनुसार, 2005/2006 से 2019/2021 तक केवल 15 वर्षों के भीतर भारत में कुल 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। वहीं यूएनडीपी की रिपोर्ट हो या नीति आयोग की, कुल मिलाकर अगर देखें तो गरीबों की संख्या में 15 फीसदी की कमी आयी है। लगभग साढ़े 13 करोड़ भारतीय पांच साल में गरीबी से निकले हैं। यह सचमुच एक बड़ी संख्या है, इससे सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को तय करने में मदद मिलेगी। इन साढ़े 13 करोड़ लोगों में साढ़े तीन करोड़ लोग केवल उत्तर प्रदेश के हैं।
राहुल गांधी ने की चीन की बेल्ट एंड रोड की प्रशंसा
राहुल गांधी ने यूरोप दौरे पर एक बार चीन प्रशंसा की। जैसा कि वह लगभग हर विदेश दौरे पर करते हैं। यहां उन्होंने चीन के बेल्ट एंड रोड (BRI) इनिशिएटिव की तारीफ की। जबकि चीन के BRI की हकीकत कुछ और ही है। BRI के कारण चीन भारी कर्ज में डूबा हुआ है। बीआरआई में शामिल देश या तो दिवालिया हो गए हैं या वे चीन से ऋण पुनर्निर्माण के लिए कह रहे हैं क्योंकि वे चीन को भुगतान करने में असमर्थ हैं।
राहुल गांधी ने भारत के लोकतंत्र पर सवाल उठाया
राहुल गांधी ने ब्रुसेल्स प्रेस क्लब, बेल्जियम में अंतरराष्ट्रीय मीडिया को संबोधित करते हुए भारत में लोकतंत्र का मुद्दा भी उठाया। जैसा कि वह हर विदेश दौरे में करते हैं। और जैसा कि जार्ज सोरोस भी कह चुके हैं कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है। राहुल ने कहा, “संस्थाओं और लोकतंत्र के संबंध में (भारत में) जिस तरह की कार्रवाइयां की जा रही हैं, वे गंभीर मुद्दे हैं।”
VIDEO | "There are serious issues about the type of actions that are being taken with regards to institutions and democracy (in India)," says Congress leader @RahulGandhi while addressing the international media at Brussels Press Club, Belgium. pic.twitter.com/phPy0VWN4S
— Press Trust of India (@PTI_News) September 8, 2023
— Shailesh Chadha (@ShaileshChadha) September 8, 2023
राहुल गाँधी आज देश में अल्पसंख्यक और दलितों पर हो रहे हमलों की बात कर रहे हैं, लेकिन शायद उन्हें यह याद नहीं कि उनकी पार्टी ने इस देश में सबसे लंबे समय तक राज किया है। उनके सिपहसालारों की लंबी फौज और ‘गुरु’ सैम पित्रोदा भी उन्हें यह नहीं बताते कि देश में सबसे अधिक दंगे और दलितों पर अत्याचार उनकी पार्टी की सरकार में ही हुए हैं।
राहुल को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि जाति आधारित पार्टियों का गठन कांग्रेस कार्यकाल में ही हुआ, क्यों? राहुल इसका जवाब नहीं देंगे, क्योकि दलितों पर जितना अधिक अत्याचार कांग्रेस कार्यकाल में हुआ, कभी नहीं हुआ? जितने अधिक साम्प्रदायिक दंगे कांग्रेस कार्यकाल में हुए किसी अन्य पार्टी के कार्यकाल में नहीं। राहुल को यह भी नहीं भूलना कि स्वतन्त्र भारत का 1984 से अधिक भयंकर दंगा महात्मा गाँधी की हत्या पर चितपावन ब्राह्मणों को नरसंहार। जिसकी आज तक किसी ने जाँच करवाने की मांग नहीं की, क्यों?
देश में अल्पसंख्यकों पर हमले का सबसे बड़ा उदाहरण 1984 के सिख दंगे हैं। इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हुए ये वही दंगे हैं, जिनमें राजधानी दिल्ली समेत देश भर के कई हिस्सों में कॉन्ग्रेस नेताओं की अगुवाई में सिखों का कत्लेआम हुआ था। इन्हीं दंगों को लेकर राहुल गाँधी के पिता और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने कहा था कि ‘जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है’।
कॉन्ग्रेस सरकार में दलितों के नरसंहार की पूरी लिस्ट है। इस दौरान कॉन्ग्रेस कभी राज्य में तो कभी केंद्र में सत्ता में रही। कई प्रदेश तो ऐसे भी थे, जहाँ केंद्र के साथ-साथ वहाँ भी कॉन्ग्रेस की सरकार थी। तमिलनाडु का कीजवेनमनी, आंध्र प्रदेश का करमचेडु, गुजरात का गोलाना, कर्नाटक का कंबलपल्ली, महाराष्ट्र का खेरलानजी, ओडिशा का लाथोर नरसंहार समेत कॉन्ग्रेस शासन के दौरान देश के अनेक हिस्सों में दलितों के खिलाफ हुई हिंसा के बड़े उदाहरण हैं।
इन तमाम नरसंहार पर न तो कभी राहुल गाँधी की जुबान खुलती है और न ही आज तक किसी कॉन्ग्रेस नेता ने एक शब्द बोला है। राहुल गाँधी दुनिया के सबसे मजबूत लोकतंत्र भारत के खिलाफ लगातार विदेशी धरती पर बदजुबानी करते आ रहे हैं। कॉन्ग्रेस की खोई हुई सियासी जमीन को फिर से पाने के लिए भले ही राहुल गाँधी कोई भी पैंतरा आजमाएँ और पीएम मोदी-भाजपा पर हमला बोलें, लेकिन सच्चाई ये है कि कॉन्ग्रेस की सत्ता में रहते हुए अल्पसंख्यकों और दलितों पर जैसा अत्याचार हुआ, वैसा कभी नहीं हुआ।
राहुल गांधी ने इस साल प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे से पहले अमेरिका की यात्रा की थी वहां भी वे भारत विरोधी लोगों से मुलाकात की थी।
अमेरिका में राहुल का जमात, सुनीता विश्वनाथ कनेक्शन, फोटो ने खोल दी पोल
राहुल गांधी पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से पहले 30 मई को अमेरिका पहुंचे थे। राहुल गांधी के विदेश दौरे का उद्देश्य भारत को नीचा दिखाना, पीएम मोदी और भाजपा को बदनाम करना और भारत में मुसलमान खतरे हैं, यही बताना रहता है। यह काम वह पिछले कई विदेश दौरे से करते आ रहे हैं। लेकिन जिस तरह सोशल मीडिया पर उनका एक फोटो वायरल हुआ उसने उनकी पोल खोलकर रख दी है। जिस अमेरिकी अरबपति कारोबारी जार्ज सोरोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जहर उगला था, जिसने पीएम मोदी को सत्ता से हटाने की बात कही थी, जिसने राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए 100 अरब डॉलर का फंड देने की बात कही थी, अब राहुल गांधी उसी के करीबी सहयोगी सुनीता विश्वनाथ के साथ बैठते करते देखे गए। आखिर राहुल गांधी देश विरोधी लोगों से क्यों मिल रहे थे? क्या भारत को कमजोर करने की जार्ज सोरोस की साजिश में वे भी शामिल हैं? राहुल गांधी का जमात, ISI और जॉर्ज सोरोस से जुड़े लोगों से मिलना यह साबित करता है कि वे भारत से प्रेम नहीं करते बल्कि सत्ता के लिए देश को कमजोर करने से लेकर किसी भी हथकंडे को अपना सकते हैं।
जॉर्ज सोरोस की प्रतिनिधि हैं सुनीता विश्वनाथ
सुनीता विश्वनाथ जॉर्ज सोरोस की प्रतिनिधि हैं, जिसने विपक्षी नेताओं, थिंक टैंक, पत्रकारों, वकीलों और कार्यकर्ताओं के एक नेटवर्क के माध्यम से भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने के लिए 1 अरब डॉलर देने का वादा किया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राहुल गांधी सत्ता पाने के लिए इस हद तक समझौता कर रहे हैं। अमेरिकी एक्टिविस्ट सुनीता विश्वनाथ वही हैं जिन्हें तीन साल पहले अयोध्या में एंट्री से रोक दिया गया था।
भारत विरोधियों का कांग्रेस में सीधी पहुंच का क्या है मतलब?
सुनीता विश्वनाथ का विवादों से नाता यहीं तक नहीं है। सुनीता ने कई कार्यक्रमों का सह-आयोजन किया है और IAMC जैसे संगठनों के साथ सहयोग किया है, जो 2014 से पहले से ही भारत के खिलाफ खुले तौर पर पैरवी कर रहा है, देश के खिलाफ प्रतिबंधों का समर्थन करता रहा है। इन खुलासों से संकेत मिलता है कि अमेरिका में सुनीता विश्वनाथ और राहुल गांधी की बैठक किसी खतरनाक मंसूबे के तहत हुई। वे भारत के खिलाफ किसी एजेंडे पर काम कर रहे हैं। यह सोचना भी परेशान करने वाला है कि इस तरह की सोच वाला कोई व्यक्ति कांग्रेस पार्टी के अमेरिकी संगठन के अंदर तक सीधी पहुंच आखिर कैसे प्राप्त कर सकता है।
राहुल गांधी ने कहा था- पूरे भारत में केरोसिन छिड़का जा चुका है, बस एक चिंगारी की जरूरत है
लंदन में 2022 में ‘आइडिया फॉर इंडिया’ कॉन्फ्रेंस में पहुंचे राहुल गांधी ने कहा था- ‘देश में धुव्रीकरण बढ़ता जा रहा है, बेरोजगारी अपने चरम पर है, महंगाई बढ़ती जा रही है। बीजेपी ने देश में हर तरफ़ केरोसीन छिड़क दिया है बस एक चिंगारी से हम सब एक बड़ी समस्या के बीच होंगे।’ यहां समझने की बात है कि राहुल को केरोसीन छिड़कने की बात कहनी थी तो उन्होंने इसमें बीजेपी को लपेट लिया।
राहुल ने लंदन में पाकिस्तानी प्रोफेसर कमल मुनीर के साथ मंच साझा किया
लंदन में भारतीय लोकतंत्र और संस्थानों पर हमला करते हुए राहुल गांधी ने पाकिस्तानी प्रोफेसर कमल मुनीर के साथ मंच साझा किया। राहुल गांधी का परिचय पाकिस्तान में जन्मे कमल मुनीर ने एमबीए दर्शकों से कराया। कमाल मुनीर को पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा दिए जाने वाले राजकीय सम्मान तमगा-ए-इम्तियाज से सम्मानित किया गया है। मुनीर का पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ संपर्क है। इससे आप समझ सकते हैं कि डीप स्टेट भारत को तबाह करने के लिए किस स्तर पर काम कर रहा है। एक तरफ राहुल गांधी को खड़ा किया गया, लेफ्ट लिबरल गैंग प्रोपेगेंडा फैलाने में जुट जाती है। आईएसआई नेटवर्क के जरिये खालिस्तान मुद्दे को जिंदा किया गया जिससे देश में उथल-पुथल मचे।
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