53 साल बाद पूरा हुआ निलवंडे डैम, कांग्रेस की लटकी परियोजनाओं को पूरा करवा रही मोदी सरकार


कांग्रेस पार्टी ने देश पर करीब 60 साल तक शासन किया लेकिन वोट की राजनीति करके किसानों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 अक्टूबर 2023 को जिस निलवंडे परियोजना पर जल पूजा की इसे 1970 में स्वीकृति मिली थी। मतलब ये परियोजना 5 दशकों से लटकी हुई थी। वर्ष 2014 में जब मोदी सरकार आई तो इस पर तेजी से काम हुआ और अब यह महाराष्ट्र के लोगों को समर्पित कर दिया गया। इसके साथ ही दशकों से लटकी महाराष्ट्र की 26 और सिंचाई परियोजनाओं को केंद्र सरकार पूरा करने में जुटी है। पीएम मोदी ने जब 2014 में देश की बागडोर संभाली तब उन्होंने अधूरी परियोजनाओं की समीक्षा करवाई। चौंकाने वाली जानकारी यह सामने आई कि करीब 400 से अधिक परियोजनाएं ऐसी थीं जिसे कांग्रेस सरकार ने शिलान्यास करके छोड़ दिया था। इस पर कभी काम शुरू ही नहीं किया गया। कांग्रेस 60 सालों तक देश को लूटती रही, हर परियोजना, हर डील में दलाली और कमीशन का खेल चलता रहा और गांधी परिवार अपनी तिजोरी भरता रहा और विकास के नाम पर शिलान्यास का पत्थर लगाकर लोगों की आंखों में धूल झोंकने का ही काम किया गया।

मोदी ने चार दशक पुरानी परियोजनाओं को पूरा करवाया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार दशक से भी ज्यादा समय से लटकी परियोजनाओं को पूरा करा रहे हैं वहीं 100 साल पुरानी मांग भी पूरी कर रहे हैं। इसकी फेहरिस्त लंबी है। यहां उदाहरण स्वरूप इन परियोजनाओं को देख सकते हैं जिन्हें पीएम मोदी ने पूरा करवाया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार सरोवर बांध की बाधाओं को दूर कर 38 सालों से लटकी परियोजना पूरी करवाई, 18 साल बाद अटल टनल का उद्घाटन किया, कांग्रेस के 10 साल से लटकाए प्रोजेक्ट वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे को 2 साल में पूरा करवाया, 16 साल से अटके देश के सबसे लंबे बोगीबील रेल-रोड ब्रिज का उद्घाटन किया, 39 साल से लटकी बाणसागर परियोजना को पीएम मोदी ने देश को सौंपा, चार दशक से अटकी सरयू नहर परियोजना का प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन किया, ठाणे-दीवा रेल लाइन का शिलान्यास 2005 में हुआ था लेकिन इसे पीएम मोदी ने पूरा करवाया। इसी तरह 31 साल बाद फिर गोरखपुर खाद कारखाना शुरू हुआ जिसमें 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। 15 साल से बंद सिंदरी खाद कारखाने से उत्पादन शुरू हुआ, 23 साल बाद रामागुंडम (तेलंगाना) खाद कारखाना शुरू हुआ। बरौनी खाद कारखाने में 22 साल बाद उत्पादन शुरू हुआ। 32 साल बाद पीएम मोदी ने असम गैस क्रैकर प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया। करीब 100 साल पुरानी मांग पीएम मोदी ने पूरी की और तरंगा हिल नई रेल लाइन को मंजूरी दी।

कांग्रेस शासन में कई प्रोजेक्ट दशकों तक लटके रहे
कांग्रेस शासन में कई प्रोजेक्ट तो चार दशकों तक लटके पड़े रहे और लागत में सैकड़ों गुना तक की वृद्धि हो गई। पीएम मोदी अक्सर कहते भी हैं कि अटकाना, लटकाना और भटकाना कांग्रेस की कार्यशैली रही है। लेकिन 2014 के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने उन परियोजनाएं पर तेजी काम शुरू करवाया जो आत्मनिर्भर भारत के जरूरी था और जिसका देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होने वाला था। प्रधानमंत्री मोदी ने बीते नौ साल में सरकार के कामकाज करने के तरीके को भी बदला है। कांग्रेस ने 60 साल के शासनकाल में लोगों की बुनियादी सुविधाओं की तरफ कभी ध्यान ही नहीं दिया और अगर योजना शुरू भी की गई तो आधे-अधूरे रूप में छोड़ दिया गया जिसे आज मोदी सरकार पूरा कर रही है। इनमें प्रमुख रूप से आधार को सब्सिडी से जोड़ना, डीबीटी, स्वच्छता मिशन, घर-घर शौचालय, गंगा सफाई, गरीबों को गैस कनेक्शन, मिड डे मील, जीएसटी, बेनामी संपत्ति पर शिकंजा जैसे तमाम काम हैं। प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता की वजह से इन योजनाओं को नया मकाम हासिल हुआ और सही मायने में देश के लोगों को फायदा हुआ। मोदी सरकार ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के विजन से लटकाने, अटकाने और भटकाने की कार्य संस्कृति को पूरी तरह बदल कर रख दिया है।

मोदी ने 53 साल बाद निलवंडे डैम का किया उद्घाटन
स्वीकृतिः वर्ष 1970
उद्घाटनः 26 अक्टूबर 2023
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के करीब 182 गांव के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए 1970 में डैम बनाने की परियोजना सोची गयी थी लेकिन 23 सालों तक ये परियोजना कागज पर ही सीमित रही। साल 1993 में डैम बनाने का काम शुरू हुआ। डैम साल 2011 में बनकर तैयार हुआ लेकिन काम अभी पूरा नही हुआ था, क्योंकि डैम से खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए नहर की जरूरत थी। नहर को बनाने की शुरुआत 2011 में की गई। नहर को बनाने में अगले 12 साल का समय लग गया। कांग्रेस की सरकार में इस पर काम धीमा ही रहा। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद इस पर तेजी से काम शुरू किया गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 अक्टूबर 2023 को इसका उद्घाटन किया। अगर केंद्र में कांग्रेस की सरकार होती तो कल्पना कर सकते हैं कि इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में अभी 10-20 साल और लग जाते। नहर का काम पूरा होने से अहमदनगर के साथ नासिक जिले के सिन्नर इलाके में पानी की समस्या का समाधान हो जाएगा।

शिलान्यासः 26 मई 2002
उद्घाटनः 3 अक्टूबर 2020

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर 2020 को हिमांचल प्रदेश के रोहतांग में बनाई गई अटल सुरंग का उद्घाटन किया। यह दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। इस टनल को बनाने का ऐतिहासिक फैसला तीन जून 2000 को लिया गया था, जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। 26 मई 2002 को इसकी आधारशिला रखी गई थी। उसके बाद 10 साल तक कांग्रेस की सरकार ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस परियोजना को लटकाए रखा। 2014 पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद इस पर तेजी से कार्य किया गया और इसे पूरा किया गया। अटल टनल मनाली और लेह के बीच की दूरी को 46 किलोमीटर तक कम करती है और यात्रा के समय को भी 4 से 5 घंटे कम कर देती है। यह 9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग है, जो कि मनाली को पूरे साल लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इससे पहले घाटी हर साल लगभग 6 महीने तक भारी बर्फबारी के कारण अन्य हिस्सों से कट जाती थी। सुरंग को समुद्र तल से 3,000 मीटर (10,000 फीट) की ऊंचाई पर हिमालय की पीर पंजाल श्रेणी में आधुनिक तकनीक के साथ बनाया गया है। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा था कि 2014 तक इस टनल का सिर्फ 1.5 किलोमीटर तक ही हो पाया था। इस प्रोजेक्ट की 2014 के पहले जो स्पीड थी उसके मुताबिक ये टनल 2040 में पूरी होती। उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए प्रोजेक्ट की रफ्तार बढ़ाई गई। 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा किया। इस तरह के प्रोजेक्ट में देरी से देश का नुकसान होता है। कनेक्टिविटी से देश के विकास का सीधा संबंध होता है। खास तौर पर बॉर्डर एरिया में कनेक्टिविटी सीमा सुरक्षा से जुड़ी होती है। पीएम ने कहा कि 2014 के बाद सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों में काफी तेजी आई है।

शिलान्यासः 5 अप्रैल 1961
उद्घाटनः 17 सितंबर 2017

प्रधानमंत्री मोदी ने 17 सितंबर, 2017 को अपने 67वें जन्मदिन के अवसर पर सरदार सरोवर बांध देश को समर्पित किया। इस बांध को गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों को लिए लाइफ लाइन माना जा रहा है। यह प्रोजेक्ट इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि देश के इस सबसे ऊंचे बांध को बनने में 56 साल लगे, लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री ने इसे पूरा करने की समय सीमा तय की और और देश को सौंप भी दिया। इस बांध की आधारशिला देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 5 अप्रैल, 1961 को रखी थी। लालफीताशाही और कांग्रेस की घोटाले की कार्य संस्कृति ने इस प्रोजेक्ट को वर्षों तक लटकाए रखा। 1986-87 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, उस समय इसकी लागत 6400 करोड़ रुपये आंकी गई थी। लेकिन इसकी लागत बढ़ती गई और यह पूरा होते-होते 65 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया। जाहिर है इसकी लागत 100 गुना से भी अधिक बढ़ गई। अगर समय पर काम शुरू होकर पूरा हुआ होता तो यह काफी कम खर्च में पूरा हो जाता।

प्रस्तावः 2003
काम शुरूः 2009
उद्घाटनः 19 नवंबर, 2018

कांग्रेसी सरकार के लेट-लतीफी का एक अहम सबूत वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस वे है, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने 19 नवंबर, 2018 को देश को समर्पित किया। करीब 83 किलोमीटर लंबे स्ट्रेच वाला कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे बेहद हाईटेक और रोल मॉडल है। इसके जरिये चार प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग, एनएच-1, एनएच-2 , एनएच-8 और एनएच-10 आपस में जुड़ गए हैं। ये एक्सप्रेस वे बनने से उत्तर भारत के राज्यों का सेंट्रल, पश्चिमी और दक्षिण भारत के राज्यों से सीधा संपर्क हो गया है। दरअसल सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने एक तरफ तो बुनियादी ढांचा मजबूत करने के अपने विजन को शीघ्रता से लागू करने पर जोर दिया, साथ ही कांग्रेस सरकारों की अकर्मण्यता से अटके पड़े प्रोजेक्ट्स की बाधाएं भी दूर की। ये प्रोजेक्ट 2005-06 में अस्तित्व में आया था लेकिन शुरुआत से ही ये यूपीए सरकार की सुस्ती का शिकार हो गया। इस प्रोजेक्ट पर पूरे दस साल तक सोनिया-मनमोहन की यूपीए सरकार और फिर साल 2014 से दो साल तक हरियाणा की भूपिंदर हुड्डा सरकार कुंडली मारकर बैठी रही। लेकिन हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनते ही मोदी सरकार ने इस पर तेजी से काम शुरु दिया दिया। इसे और बेहतर बनाने के लिए इसमें नई और आधुनिक सुविधाएं भी जोड़ी। पहले ये एक्सप्रेस वे 4 लेन का ही था लेकिन मोदी सरकार ने इसे 6 लेन का बनाया। इसमें देश में पहली बार स्पीड और वजन वाले सेंसर लगाए गए हैं, जिस पर 120 किलोमीटर की रफ्तार से वाहन दौड़ सकते हैं। मोदी सरकार ने इस एक्सप्रेस वे में हरियाणा की संस्कृति को भी दर्शाने पर ध्यान दिया है। इसके दोनों तरफ हरियाणा की कला एवं संस्कृति, योग एवं गीता से जुड़ी 21 प्रतिमाएं लगाई गई हैं। यहां सौर ऊर्जा से बिजली बन रही है और ड्रिप इरिगेशन सिस्टम भी लगाया है। इसी मॉडल पर महाराष्ट्र और गुजरात में भी एक्सप्रेस वे बनाए जा रहे हैं। 2009 में एक्सप्रेस-वे की कंस्ट्रक्शन कंपनी ने अपना काम रोक दिया था लेकिन केंद्र सरकार के बीच बचाव के बाद 2016 में काम फिर शुरू हुआ। इस परियोजना का प्रस्ताव 2003 में किया गया था लेकिन इस पर 2009 में काम शुरू हुआ और इसे 2012 तक बन जाना था।

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