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जो अवार्ड को जमीन पर रख दे, क्या अवार्ड के कारण मिली किसी सुविधा का अधिकारी होना चाहिए? |
ढोंगी पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आंदोलन चला कर उस पर मुक़दमे चलवा दिए लेकिन फिर भी उसके करीबी संजय सिंह के WFI के अध्यक्ष चुने जाने पर हाय तौबा मचा रहे है। चुनाव में जीत कर वो अध्यक्ष बना है, किसी ने जबरदस्ती नहीं बनाया है उसे अध्यक्ष। अभी प्राप्त समाचारों के अनुसार, सरकार ने चुनाव रद्द कर संजय सिंह को अध्यक्ष पद से हटा दिया है, इसे कोई अपनी जीत न समझे।
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बजरंग पूनिया - केवल पद्मश्री क्यों? बाकी माल भी वापस करना होगा। फिर विरोध किस बात का जो साक्षी मलिक ने संन्यास ले लिया और बजरंग पूनिया ने पद्मश्री लौटाने के लिए प्रधानमंत्री को X पर चिट्ठी लिख दी।
बजरंग पूनिया, भाई इतने श्याणा क्यों बन रहे हो? अगर इतना ही आत्मसम्मान की चिंता है तो हरियाणा सरकार ने तुम्हें ओलम्पिक में Bronze मैडल जीतने पर ढाई करोड़ रुपए की इनाम राशि भी थी, सरकारी नौकरी दी थी और 50% रियायत पर जमीन का प्लाट भी दिया था। इतना ही नहीं तुम्हारे गांव के नजदीक स्टेडियम भी बनवाया था। इन सब चीज़ों से भी तुम्हारा कोई मतलब नहीं होना चाहिए, केवल पद्मश्री वापस करने से बात नहीं बनेगी। ढाई करोड़ रुपया भी वापस करो, नौकरी से त्यागपत्र दो और जमीन वापस करो हरियाणा सरकार को वरना बर्खास्त भी किए जा सकते हो। इसी तरह साक्षी मलिक को भी सरकारी नौकरी मिली थी, उसे भी त्यागपत्र देना चाहिए। अगर वापसी नहीं करते हो, खुद ही साबित कर रहे हैं कि ये सब ड्रामा किसी की कठपुतली बनकर किया गया है।
बजरंग पूनिया में कितना दम बचा है वह लोगों ने पिछले एशियाई खेलों में देख लिया और कोई भी “आन्दोलन जीवी” कुछ नहीं कर सका। ये लोग केवल कांग्रेस के लिए चुनावी पिच तैयार करने में लगे रहे हैं।
प्रियंका वाड्रा दौड़ कर इनके पास गई है टसुए बहाने के लिए जैसे इन बुझे हुए पहलवानों में ही कांग्रेस को सहारा मिल गया हो। कांग्रेस के भड़काए हुए इन पहलवानों को याद होना चाहिए कि जो किसान नेता उछल कूद मचा कर पंजाब चुनाव में खड़े हुए थे उनमे कोई अपनी जमानत भीं नहीं बचा पाया था और अब अगर ये पहलवान भी चुनाव में कांग्रेस की तरफ से जोर आजमाना चाहते हैं तो इनकी भी वैसी ही दुर्गति होगी।
सरकार ने खिलाड़ियों को उत्तम सुविधाएं दी हैं जिसका परिणाम है कि खिलाड़ी हर प्रतियोगिता में अपना कौशल दिखा सके हैं लेकिन बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगट और उनके तमाम चमचों ने खेलों को राजनीति का अखाड़ा बना कर अन्य खिलाड़ियों के साथ भद्दा मज़ाक किया है। लेकिन अधिकांश खिलाड़ी इनके बहकाए में नहीं आए और उन्होंने अपनी प्रतिभा को दाव पर नहीं लगाया।
सरकार को चाहिए बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और अन्य खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी से तुरंत प्रभाव से बर्खास्त करे। पद्मश्री के साथ मिला धन और सुविधाओं को भी तुरंत वापस ले। वापस न करने पर कानूनी कार्यवाही करे। ताकि भविष्य में अवार्ड वापसी गैंग अवार्ड वापस करने से पहले अपने दिमाग से काम ले।
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