अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। इस बीच, सोशल मीडिया पर माहौल खराब करने की कोशिश भी की गई। कर्नाटक में ताजुद्दीन दाफेदार नाम के युवक ने सोशल मीडिया पर राम मंदिर की फोटो को एडिट करके उस पर पाकिस्तान के तीन झंडे लगा दिए। यही नहीं, उसने फोटो पर बाबरी मस्जिद भी लिख दिया और इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने से सरकार और हिन्दू समाज को अधिक सतर्क रहने की जरुरत है। क्योकि कट्टरपंथियों और सनातन विरोधियों का असली खेल अब शुरू होगा। ये रामलला की प्राण प्रतिष्ठा नहीं, बल्कि भारत के उस वास्तविक इतिहास से धूल हटने का शंखनाथ हुआ, जिसे कुर्सी के भूखे और अपनी तिजोरियों को भरने मुस्लिम कट्टरपंथियों के हाथ कठपुतली बन धूमिल कर दिया था।
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीणा के तारों को छेड़ा है तो सनातन विरोधियों के विरुद्ध कठोर कानून भी बनाना चाहिए, जिसमें इन सनातन विरोधियों पर होती कार्यवाही का समर्थन करने वालों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए। पत्थरबाजों पर blind firing और जिस स्थान(मकान, मंदिर/मस्जिद) पर पत्थरों का जमावड़ा मिले, उस स्थान को सरकार तुरंत अपने अधिकार में ले लेना चाहिए। पत्थर सप्लाई और उसके लिए धन देने वालों पर भी कठोर कार्यवाही करने का प्रावधान हो। पत्थरबाज़ी में नागरिक को तो चोट पहुँचती है, लेकिन पुलिस भी लपेटे में आती है।
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