“उम्माह” का बाजा बजा दिया ईरान ने; ईरान लगता है युद्ध भड़काने के मूड में है

सुभाष चन्द्र

कालचक्र किस तरह घूमता है, इसका अनुभव वर्तमान में मुस्लिम देशों द्वारा एक दूसरे पर हो रहे हमलों से किया जा सकता है। सोमवार(जनवरी 15) रात को ईरान ने एक साथ 3 जगह हमले किए हैं। भारत में 2014 चुनावों से पूर्व आतंकवादी घटनाओं को कोई गंभीरता से नहीं लेता था, क्योकि तब की सरकारें इस्लामिक आतंकवादियों को संरक्षण देने 'हिन्दू आतंकवाद' और 'भगवा आतंकवाद' कहकर हिन्दुओं को बदनाम करने में बेकसूर साधु, संत, साध्वियों और कर्नल पुरोहित आदि को आतंकवाद के झूठे आरोपों में गिरफ्तार करने में व्यस्त थी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे को अपनी कूटनीति के माध्यम से ऐसा उछाला जिससे समस्त विश्व स्तब्ध हो, इसे गंभीरता से लेने को विवश हो गया। दूसरे, भारत के विरुद्ध षड़यंत्र करने वाले देश आर्थिक तंगी के दौर से गुजरने को विवश हो रहे हैं। 

      

3 जनवरी को इराकी IS द्वारा ईरान के पूर्व जनरल कासिम सुलेमानी की कब्र पर बम धमाके कर 100 से ज्यादा लोगों को मारने और 250 को घायल करने का एक तरह से बदला लिया ईरान ने उत्तरी सीरिया में IS के ठिकानों पर बम बरसा कर। 

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दूसरी तरफ 6 दिन पहले अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा हाउती विद्रोहियों के ठिकानों पर जबरदस्त हमले का लगता है ईरान ने बदला लिया है इराक के इरबिल शहर में इज़रायल की ख़ुफ़िया एजेंसी मोसाद के मुख्यालय पर मिसाइलों से हमला करके जिससे ईरान ने इज़रायल हमास युद्ध को और भड़काने की कोशिश की है। 

इसके साथ ही ईरान ने भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर की यात्रा के तुरंत बाद पाकिस्तान के बलूचिस्तान में आतंकी संगठन जैश अल अदल के ठिकानों पर जोरदार हमला किया जिसे पाकिस्तान ने स्वीकार किया है लेकिन कुछ Civilians के मरने की बात कही है बालाकोट की तरह पाकिस्तान इस हमले को नकार नहीं सका। 

जैश अल अदल वह संगठन है जो ईरान में बलूचिस्तान के हिस्से को अपना बताता है और जिसे पाकिस्तान का समर्थन रहता है। यह वही संगठन है जिसने भारत के कुलभूषण जाधव को पकड़ कर ISI के हवाले किया था।   

पाकिस्तान में ईरान का हमला दावोस में ईरान के विदेश मंत्री और पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री Anwaar ul Haq Kakar की मुलाकात के कुछ घंटों बाद हुआ है और यह पाकिस्तान के चिंता का सबब है - आज पाकिस्तान को पता चला होगा कि धोखा क्या चीज़ होती है - पाकिस्तान ने भी भारत पर करगिल में तब हमला किया था जब नवाज़ शरीफ और अटल बिहारी वाजपेयी की दोस्ताना मुलाकात हुई थी -

अब मजे की बात है पाकिस्तान ईरान को इस हमले के लिए गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहा है लेकिन क्या पाकिस्तान में हिम्मत है ईरान को जवाब देने की ईरान में जयशंकर की मुलाकात में चाबहार पोर्ट के बारे में गंभीर मंत्रणा हुई थी और पाकिस्तान यह आरोप भी लगा सकता है कि भारत के उकसाए में ईरान ने उसके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है, अलबत्ता कहा यह जा रहा है कि जयशंकर को ईरान ने कानों कान इस हमले की खबर नहीं होने दी जबकि यह भी हो सकता है यह जयशंकर की कूटनीति का ही परिणाम हो जो ईरान ने पाकिस्तान को ठोक दिया। 

ईरान के पीछे आज कौन नहीं जानता चीन खड़ा है और यह हो सकता है चीन के कहने पर पाकिस्तान पर ईरान ने हमला कर उसे अमेरिका से नजदीकियां बढ़ाने का दंड दिया हो जो चीन को भी शायद पसंद नहीं हैं चीन की मंशा किसी तरह भी अमेरिकी चुनाव से पहले अमेरिका को युद्ध में सीधा धकेलने की है फिर चाहे वह मध्य एशिया हो या ताइवान हो। 

उधर तुर्किये ने दावा किया है कि उसने इराक और सीरिया में 23 कुर्द उग्रवादियों के ठिकानों पर रात भर हमले करके नष्ट कर दिया। 

अब ये इस्लामिक ताकतें आपस में एक दूसरे पर हमले कर “उम्माह” की ऐसी तैसी कर रही हैं और इन्हें आपस में उलझा कर रखना भी वैश्विक शांति के लिए जरूरी है पाकिस्तान सऊदी अरब से परेशान है कि उसने स्मृति ईरानी और उसके दल को बिना सिर ढके मदीना में बुला कर इस्लाम को ख़त्म कर “उम्माह” के लिए खतरा पैदा किया है सऊदी अरब अभी इज़रायल से भी हाथ मिलाने को तैयार है यदि इज़रायल फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्वीकार कर ले सऊदी अरब ने तो ईरान से भी हाथ मिलाने की पेशकश की है बशर्ते वह हमास, हिज्बुल्ला, हाउती और सीरिया को हथियार देने बंद कर दे लेकिन ईरान ऐसा कर नहीं सकता। 

अलबत्ता ईरान की कार्रवाई से प्रतीत होता है मध्य एशिया में अभी शांति स्थापना की स्थापना न के बराबर है। 

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