भारत पर उंगली उठाने वाला अमेरिका कालचक्र के लपेटे में, ब्रिटेन, जर्मनी भी भुगतेंगे और कनाडा अपने हाथ खुद जला रहा है; फिलिस्तीन के लिए प्रदर्शन हमास का समर्थन है

किसान आंदोलन या उपद्रवियों के जमावड़ा 
सुभाष चन्द्र

भारत में हुए प्रायोजित किसान आंदोलन के समय अमेरिका ब्रिटेन कनाडा और अन्य कई देशों ने लोकतंत्र के नाम पर आंदोलन का समर्थन किया जबकि हर कोई जानता था कि इन अनेक  देशो में पल रहे कई खालिस्तान समर्थक उस आंदोलन को आग देने का काम कर रहे थे भारत के ही राजनीतिक दलों को साथ लेकर जिसमें केजरीवाल और कांग्रेस प्रमुख थे। डेढ़ साल चले आंदोलन को चलने की पूरी छूट थी, किसी को न लाठी मारी गई और न गोली, लेकिन फिर ये देश भारत में लोकतंत्र ख़त्म होने का आरोप लगाते रहे।

ऐसे ऐसे लोग किसानों के लिए इन देशों से सामने आ गए जिन्होंने कभी रसोई में चाय भी नहीं बनाई होगी - Hollywood की Rihanna, अमेरिका की youtuber Amanda Cerny, कनाडा की youtuber Lilly Singh, Lebanese-American media personality and former Porn Actress Mia Khalifa और Swedish so called  environmental activist Greta Thunberg सब एक एक करके किसानों के नौटंकी करती नज़र आईं थी।

रिहाना

रिहाना के बाद स्वीडन की पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग, यूट्यूब स्टार लिली सिंह और हॉलीवुड एक्टर जॉन कुसेक ने भी भारतीय किसानों के संघर्ष को सपोर्ट किया है. इसके अलावा कुछ बॉलीवुड सेलेब्स मसलन अनुराग कश्यप, तापसी पन्नू, धर्मेंन्द्र, गुल पनाग, ऋचा चड्ढा, सोनम कपूर, प्रियंका चोपड़ा, दिलजीत दोसांझ और सोनू सूद जैसे सितारे भी किसानों को अपना समर्थन दे चुके हैं

आज जब अमेरिका की Universities में फिलिस्तीन के समर्थन में और इज़रायल के विरोध  मुस्लिम और वामपंथी छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं तब ये किसान आंदोलन में कूदने फांदने वाली नज़ाक़तें खामोश बैठी हैं और अमेरिकी छात्रों का समर्थन नहीं कर रही क्योंकि इन्हे केवल भारत को अस्थिर करने के लिए “पगार” मिल रही थी अमेरिकी और कथित खालिस्तानी संस्थाओं से। अमेरिकी आंदोलन में कूदने से डर है कहीं गिरफ्तार न हो जाएं।

लेखक 
चर्चित यूटूबर 
भारत को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने की अमेरिका समेत कई देशो को आदत है। किसान आंदोलन में भारत का लोकतंत्र खतरे में दिखाई दिया इन्हे और केजरीवाल की गिरफ़्तारी में लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था दोनों पर खतरा देखा इन लोगों ने। लेकिन ब्रिटेन, कनाडा और अब अमेरिका वैसे ही प्रदर्शन झेल रहा है। 

कनाडा ने ट्रक drivers के आंदोलन करने वालों पर गोली चला दी थी, ब्रिटेन ने भी कथित खालिस्तानियों को पेला था और अब अमेरिका भी फिलिस्तीन के समर्थन में और इज़रायल के विरोध में प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर लाठी बरसा रहा है और गिरफ़्तारी भी कर रहा है और अब उसे समझ आ रहा होगा कि भारत के लिए समस्या खड़ी करने का ही यह परिणाम हो सकता है जो उसे ये सब झेलना पड़ रहा है।

अमेरिका, पाकिस्तान कनाडा और अन्य कई देश आज भी भारत को चुनावों में अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं, कई देश, संगठन और कई सरकारें चाहती हैं मोदी चुनाव हार जाए। अमेरिका अपने देश में पिछले चुनाव में विदेशी (चीनी) हाथ को नहीं रोक सका था और अब ये आंदोलन में भी विदेशी हाथ होना स्वाभाविक है लेकिन अमेरिका के हाथ से आंदोलन निकल रहा है।

अमेरिका हमेशा धर्मनिरपेक्षता और मानवाधिकारों के नाम पर भारत पर मुस्लिमों के प्रति भेदभाव का आरोप लगा रहा है लेकिन एक दिन अब यही अमेरिका अपने ही देश में मुस्लिमों के हाथों फैलने वाली अस्थिरता को झेलेगा। उसे भी अपने देश में मुस्लिमों को छूट देना महंगा पड़ेगा जैसे ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस को पड़ रहा है।

अमेरिका समेत कई देशों में मुस्लिम फिलिस्तीन के समर्थन में और इज़रायल के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। फिलिस्तीन के समर्थन की आड़ में यह समर्थन परोक्ष रूप से “हमास” के लिए ही समर्थन है। जब अमेरिका में फिलिस्तीन/हमास के समर्थन में प्रदर्शन बर्दाश्त नहीं किया जा रहा जैसे वह गैर-कानूनी हैं तो भारत में कांग्रेस पार्टी का manifesto को हमास को समर्थन पूरी तरह सांप्रदायिक ही नहीं गैर कानूनी भी है। कांग्रेस यदि सत्ता में आ जाए तो वह पाकिस्तान के आतकियों के साथ “हमास” को भी भारत में हिंदुओं को कुचलने की खुली छूट दे देगी।

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