ये मामला ब्रिटेन के सबसे सख्त स्कूलों में से एक ब्रेंट में स्थिल मिशेला कम्यूनिटी स्कूल से जुड़ा है। इस स्कूल में धार्मिक शिक्षा पर सख्ती से रोक है। इस स्कूल के कंपाउंड में किसी भी तरह के धार्मिक कार्य करने पर रोक है। इस स्कूल में 700 बच्चे पढ़ते हैं, जिसमें आधे से अधिक मुस्लिम हैं। इस स्कूल में नमाज पर बैन लगाने के बावजूद मार्च 2023 में 30 स्कूली बच्चों ने अपना स्वेटर बिछाया और उसपर नमाज पढ़ी। इसके बाद स्कूल ने कड़ा कदम उठाया और सभी को चेतावनी दी। इसी के बाद स्कूली छात्रा ने हाई कोर्ट में अपील की थी।
इस मामले में हाई कोर्ट की जस्टिस लिंडेन ने 83 पेजों के फैसले में कहा कि इस स्कूल में एडमिशन से पहले सभी बच्चों और उनके माता-पिता को बताया जाता है कि इस स्कूल में धार्मिक क्रिया कलापों की कोई जगह नहीं है। इस स्कूल को गैर आस्था स्कूल के तौर पर बनाया गया है। हाई कोर्ट के फैसले के बाद संस्थापक और मुख्य शिक्षक कैथरीन बीरबलसिंह ने कहा कि यह फैसला “सभी स्कूलों की जीत” है।
My statement regarding the verdict on our ban of prayer rituals at Michaela. pic.twitter.com/88UMC5UYXq
— Katharine Birbalsingh (@Miss_Snuffy) April 16, 2024
The right decision.
— Miss Jo (@therealmissjo) April 16, 2024
If people don’t like the rules and attitudes of the school they are free to find a different school.
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान स्कूल ने कहा, “स्कूलों को एक बच्चे और उसकी माँ को अपना दृष्टिकोण बदलने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए क्योंकि उन्होंने फैसला किया है कि उन्हें स्कूल में कुछ पसंद नहीं है। अगर माता-पिता को मिशेला जैसी चीज़ पसंद नहीं है, तो उन्हें अपने बच्चों को हमारे पास भेजने की ज़रूरत नहीं है।”
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