महाकवि तुलसीदास के इस दोहे के हिसाब से देश के मुखिया यानी प्रधानमंत्री की खूबियों की परिभाषा कुछ ऐसी ही होगी…देश के हर नागरिक का सेहतमंद शरीर हो पर बीमारी होने पर ठीक करने के लिए अच्छे अस्पताल हो। कोविड जैसी महामारी से निपटने के उपाय हों, पर साथ ही महामारी रोकने के लिए हर हिंदुस्तानी के पास वैक्सीन का पर्याप्त इंतजाम हो। सबके पास खाना हो पर जो जरूरतमंद हों उन्हें अनाज देने की फिक्र मुखिया को हो। अगर देश के लोगों को परेशानी हो तो मुखिया के पास उससे बाहर निकलने की उम्मीदों की रोशनी भी हो, और सबसे जरूरी कि देश अंदर खुशहाल हो पर बाहर बैठे दुश्मनों से निपटने के लिए देश की सेना के पास भरपूर साजो-सामान हो। कुल मिलाकर मतलब ये है कि देश के मुखिया का हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी समस्या से निपटने की तरफ ध्यान हो।
कई प्रधानमंत्री देखे हैं पर उनके काम करने के तरीकों पर इतनी बहस कभी नहीं हुई जितनी मोदी की होती है। उसकी बड़ी वजह है कि पीएम मोदी के काम करने का तरीका बहुत ही व्यवहारिक है। वो फैसलों में टालू रवैये के सख्त विरोधी हैं और पूरी टीम को इसके लिए प्रेरित करते हैं। दशकों से सरकारों के काम करने का तरीका एक ढर्रे पर चल रहा था। पूरा सरकारी तंत्र मामले अटकाने के लिए किस कदर बदनाम था इसका अंदाज इस बात से लगाइए कि ये देश में आर्थिक सुधारों की नींव रखने वाले पूर्व पीएम नरसिंह राव की सरकार के बारे में तो चुटकुला मशहूर था कि इसमें सिर्फ डेढ़ लोग ही आर्थिक सुधारों के लिए गंभीर हैं। बाकी पूरी सरकार और नौकरशाही आर्थिक सुधारों को अटकाने, लटकाने और भटकाने में पूरी ताकत लगाते रहते हैं।
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कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि ‘आजादी के बाद पहली बार ऐसी स्थिति बन रही है कांग्रेस का परिवार इस चुनाव में खुद कांग्रेस को वोट नहीं देगा। क्योंकि जहां वो रहते हैं, वहां कांग्रेस का उम्मीदवार ही नहीं है। जिस परिवार के भरोसे कांग्रेस चलती है, वो परिवार खुद कांग्रेस को वोट नहीं दे पाएगा। 4 जून के बाद इंडी गठबंधन अपने आप बिखर जाएगा।’
‘ये लोग दावें जो भी करें, लेकिन सच्चाई यही है कि चुनाव की घोषणा से पहले से ही कांग्रेस के नेता अपनी हार मान चुके हैं। इसीलिए कुछ नेता, जो लगातार लोकसभा में जीतकर आते थे, इसबार वो राज्य सभा के रास्ते से अंदर जाकर बैठ गए हैं। हालात ये हैं कि INDI अलायंस वालों को इस चुनाव में लड़ने के लिए उम्मीदवार ही नहीं मिल रहे हैं। ज्यादातर सीटों पर इनके नेता प्रचार करने ही नहीं जा रहे।’
बहुत से लोग खासकर विपक्ष के यह कहते नहीं थकते कि राम मंदिर तो कोर्ट के फैसले की वजह से बना है, उसमें मोदी का क्या योगदान है लेकिन सत्य यह है कि वह फैसला आने के समय यदि कांग्रेस की सरकार होती तो वह उस फैसले को संसद में प्रस्ताव लेकर पलट देती और राम मंदिर बनने ही नहीं देती।
पहले चरण में जिस तरह कई राज्यों में कम मतदान हुआ है वह कुछ चिंता का भी विषय है। उत्तरप्रदेश में मात्र 60%, पूर्वोत्तर के नागालैंड में केवल 57% और मिजोरम में मात्र 54% ताज्जुब की बात है क्योंकि पूर्वोत्तर के राज्यों में तो अधिकतम विकास हुआ है। बिहार तो सबसे महान रहा जहां केवल 48% जागे थे, लगता है बिहार के लोगों को फिर जंगल राज चाहिए। और तो और लक्षदीप में 59% वोट पड़े जहां 97% मुस्लिम आबादी है, उत्तराखंड ने 54% से गज़ब कर बाबा केदार नाथ को प्रणाम किया और राजस्थान 57% से अव्वल रहा।
दरअसल हिंदू वोटर तो मोदी से हर सुविधा चाहता है, बढ़िया सड़कें चाहिए, बढ़िया ट्रेन में सफर करेगा, साफ़ सुथरे रेलवे स्टेशन देख कर खुश होगा, राम मंदिर भी देख कर खुश होगा, मोबाइल का डाटा फ्री चाहिए, महंगाई कम चाहिए और हर काम उसकी मर्जी से। लेकिन वोट न देने की गारंटी भी बहुत बड़ा तबका देता है मोदी को कि हमें जो मर्जी दे दो, चाहे दंगामुक्त राज्य बना दो या आतंकी हमलों से मुक्त रहे हम लेकिन फिर भी हम वोट देने जाने की “गारंटी” नहीं देंगे।
इन हिंदू वोटरों की “गारंटी” के जवाब में मुस्लिम वोटरों की भी “गारंटी” होती है और उसी “गारंटी” की वजह से कांग्रेस और तमाम विपक्षी दल 85 करोड़ से ज्यादा हिंदू वोटरों को छोड़ कर 10 से 12 करोड़ मुस्लिम वोटरों के लिए पागल रहते हैं। मुस्लिम वोटर का आचरण साफ़ कहता है कि मोदी जी, आपसे हमें “सबका विश्वास” के नाम पर सब कुछ मिल रहा है लेकिन हम उस “विश्वास” को तोड़ने के लिए मजबूर हैं और हम आपको “वोट न देने की ही गारंटी” दे सकते हैं।
सबसे घटिया रोल मुस्लिम महिला वोटर का है जिन्हे आज रात के अंधेरे में ट्रिपल तलाक की वजह से घर से बेघर होने के भय से मुक्त कर दिया मोदी ने, उन्हें मोदी ने फ्री गैस चूल्हा दिया, नल से जल दिया, फ्री राशन दिया, बच्चे की डिलीवरी के लिए 6000 रुपए दिए, फ्री में पक्के घर दिए और गरीब को (जो 90% हैं) 5 लाख का फ्री इलाज दिया लेकिन ये सब फिर भी लाइन लगा कर वोट देने वालों की लाइन में लगते हैं और मोदी को वोट न देने की और मोदी को हराने की “गारंटी” देते हैं।
सबसे घृणित कार्य मुस्लिम महिलाएं करती हैं, जिन्हे ट्रिपल तलाक से मुक्ति दिलाने का भी कुछ सुख का अहसास नहीं होता। इतनी अहसानफरामोशी तो खुदा भी माफ़ नहीं करेगा। एक 7 बच्चों की माँ किसी पत्रकार को कह रही थी कि राहुल गांधी को आना चाहिए, वो कुछ करना चाहता है (जबकि कांग्रेस 3 तलाक फिर शुरू करने का वादा कर रही है)। पत्रकार ने पूछा आपके कितने बच्चे हैं तो उसने कहा 7 हैं। तो गरीबी नहीं महसूस होती। इसका जवाब देती है कि बच्चे तो अल्लाह की देन हैं। फिर गरीबी कैसे आती है तो कहती है, गरीबी मोदी ने दी है, अगर यह हालत है को मोदी की “गारंटी” के क्या मायने रह गए।
जब तक मुसलमान कट्टरपंथियों की इस आधारहीन सोंच से बाहर नहीं आता, दुनिया की कोई ताकत इनको सुधार नहीं सकती। नूपुर शर्मा विवाद के दिनों कुछ चैनलों पर एक्स मुसलमानों ने इस तरह की अनेकों गंभीर समस्याओं पर मौलानाओं और इस्लामिक स्कॉलरों को जिम्मेदार बताया। जिन्होंने अपनी दुकान चलाने के लिए इन्हे डरा धमका कर रखा जाता है। वीडियो से देखा और समझा जा सकता है, जो कट्टरपंथियों के दुष्प्रचार को साबित भी कर रहा है। बहुत हैं ऐसे वीडियो, जो कट्टरपंथियों को बेनकाब कर रहे हैं। कई वीडियोस में तो इनकी पिटाई होते तक दिखाया गया है।
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