मेधा पाटकर ने नर्मदा आंदोलन चला कर नर्मदा पर बांधों के निर्माण को रोकने का भरपूर प्रयास किया जिससे देश के विकास में रोड़ा अटकाया जा सके। आज नर्मदा पर सरदार सरोवर बाँध बनने की वजह से ही महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान की जलापूर्ति होती है। दृढ निश्चय से शुरू किए गए कार्य को रोकने और मोदी को परेशान करने के लिए पाटकर ने पूरा जोर लगा दिया था।
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लेखक चर्चित youtuber |
वर्ष 2000 में दिल्ली के वर्तमान LG विनय कुमार सक्सेना National Council of Civil Liberties नमक संगठन के अध्यक्ष थे और उन्होंने मेधा पाटकर के आंदोलन के विरोध में एक विज्ञापन जारी किया था। उसके बाद मेधा पाटकर ने सक्सेना के खिलाफ एक प्रेस रिलीज़ में आपत्तिजनक और अपमानजनक बातें कहीं जिन्हें लेकर सक्सेना ने 2001 में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया जिस पर कल फैसला आया है।
कल(24 मई) मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर को दोषी साबित करते हुए तल्ख़ टिपण्णी करते हुए कहा कि “मेधा की दुर्भावनापूर्ण हरकत से वीके सक्सेना की प्रतिष्ठा और साख को काफी नुकसान पहुंचा है और इसका उद्देश्य सक्सेना की छवि को ख़राब करना था; प्रतिष्ठा सबसे मूल्यवान सम्पत्तियों में से एक है और समाज में किसी की स्तिथि पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है”।
अदालत ने दर्ज किया कि पाटकर द्वारा सक्सेना की देशभक्ति पर सवाल उठाते हुए “कायर और हवाला लेनदेन” में शामिल होने के आरोप मानहानि करने के साथ नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए तैयार किए गए थे। अदालत ने यह निष्कर्ष निकाला कि ऐसे आरोप किसी के व्यक्तिगत चरित्र और उसकी राष्ट्र के प्रति वफ़ादारी पर सीधा हमला है। सार्वजनिक जीवन में ऐसे आरोप विशेष रूपसे गंभीर हैं जहां देशभक्ति को अत्यधिक महत्त्व दिया जाता है।
मेधा पाटकर की उम्र इस वक्त 69 साल है। जब का कांड है उस समय उनकी उम्र 45 साल रही होगी। 24 साल ट्रायल कोर्ट में लगे हैं तो हाई कोर्ट में अपील पर भी हो सकता है 5 साल में फैसला हो और अगर सुप्रीम कोर्ट गया मामला तो और 5 साल लगा लो माफ़ी मिलने या सजा की पुष्टि होने में। यानि अंतिम फैसले तक उनकी उम्र हो जाएगी 79 साल। अगर सजा हो भी गई तो 79 years की age में सजा तो सरकारी खर्चे पर अस्पताल में ही पूरी होगी या वो सुप्रीम कोर्ट में माफ़ी मांगेगी।
अब समय आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट लोअर कोर्ट्स और हाई कोर्ट्स में चल रहे मुकदमों के लिए निगरानी समिति बनाए। ये लोग इसलिए ही बोलने से पहले कुछ नहीं सोचते क्योंकि उन्हें पता होता है कि कोई केस चल भी गया तो 15-20 साल से कम नहीं लगेंगे, जैसे इस मामले में कुल 30 से 35 साल लगेंगे। ऐसा है हमारा पुराना सड़ा गला सिस्टम।
मेधा पाटकर पर अभी अपने संगठन NBA (नर्मदा बचाओ आंदोलन) के funds के गबन का केस दर्ज है। ये मेधा पाटकर जैसे वामपंथी गिरोह के लोग देश की प्रगति की राह में शुरू से रोड़े अटका रहे है, इनका काम देश विरोध है चाहे देश का कितना भी नुकसान क्यों न हो जाए। इस गिरोह के अरुंधति रॉय जैसे कुछ लोग तो पाकिस्तान की भक्ति में लीन रहते हैं और कश्मीर को भारत का हिस्सा ही नहीं मानते।
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