नॉर्वे, स्पेन आयरलैंड से इजराइल ने कूटनीतिक रिश्ता तोड़ कर क्या सही किया? और क्या इन तीन देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता देकर क्या गलत किया?

सुभाष चन्द्र

21 मई को नॉर्वे स्पेन और आयरलैंड ने फिलिस्तीन को मान्यता देने का फैसला किया जिसके विरोध में इज़रायल ने तीनों देशों से अपने राजदूत वापस बुलाकर कूटनीतिक रिश्ते समाप्त कर दिए। इन देशों को मान्यता देने के फैसले का हमास और OIC ने स्वागत किया, फिलिस्तीन 57 देशों के समूह OIC सदस्य है जो UN का सदस्य नहीं है बल्कि उसके पास 2012 से केवल Non-Member Observer का status है

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मेरे विचार से इज़रायल ने अपने राजदूतों को बुला कर सही कदम नहीं उठाया क्योंकि 50 देशों की यूरोपियन यूनियन के एक तिहाई सदस्य फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके है और विश्व के 193 में से अब इन तीनो को मिला कर 146 देश मान्यता दे चुके हैं। भारत तो मान्यता देने वाला पहला देश था। अब इतने मान्यता देने वाले देशों में बहुत के साथ इज़रायल के कूटनीतिक रिश्ते होंगे, फिर इन तीन से संबंध तोड़ने का क्या औचित्य है। 

अभी Belgium, Malta and Slovenia भी फिलिस्तीन को मान्यता देने पर विचार कर रहे हैं, इस बीच 11 मई को UN की जनरल असेंबली में प्रस्ताव पारित कर UNSC से कहा गया था कि फिलिस्तीन को सदस्य देश के रूप में UN में शामिल किया जाए। इस प्रस्ताव के विरोध में केवल 9 वोट पड़े जबकि बाकी सभी 184 देशों ने समर्थन किया। विरोध करने वाले 9 देश थे, US, Argentina, the Czech Republic, Hungary, Israel, Micronesia, Nauru, Palau and Papua New Guinea. 

UNSC को इसलिए अनुमोदन किया गया क्योंकि वह ही किसी राष्ट्र को सदस्य का दर्जा देने के लिए सक्षम है। हालांकि UN ने स्वयं अभी तक फिलिस्तीन को सदस्य नहीं बनाया है और 1974 से केवल PLO को Observer का Status दिया था। 

मुझे आशा नहीं है कि फिलिस्तीन को UNSC भी सदस्य बनाएगा क्योंकि वहां अमेरिका का VETO हो सकता है

फिलिस्तीन 2007 में गाज़ा से अपना कंट्रोल हमास के हाथों गवां चुका था लेकिन आज भी विश्व भर में फिलिस्तीन और हमास को एक ही माना जाता है। आतंकी संगठन होने की वजह से कोई “हमास” का खुलकर समर्थन नहीं कर सकता और उसकी आड़ में फिलिस्तीन को समर्थन दिया जाता है। 

नॉर्वे, स्पेन और आयरलैंड में मुस्लिम विरोधी आंदोलन चरम पर रहते हैं। नॉर्वे में  55 लाख की आबादी में 3.3% मुस्लिम हैं; स्पेन में 4.7 करोड़ में 5.32% हैं और आयरलैंड में 5 करोड़ में 1.62% हैं। मान्यता देने के बाद और बढ़ सकते है। आयरलैंड के करीब ब्रिटेन पहले ही इस्लामोफोबिया से जूझ रहा है। इतना ही नहीं यूरोप के कई देश इस्लामिक ताकतों से परेशान है जिनमे फ्रांस, जर्मनी, बुल्गारिया, स्वीडन, डेनमार्क, थाईलैंड के अलावा नॉर्वे और जर्मनी भी शामिल हैं

जो वातावरण ईरान, हमास, हूती और हिज़्बुल्लाह के बीच चल रहा है, उसे देख कर लगता है ये युद्ध इस्लाम और ईसाई/यहूदी गठजोड़ के बीच बड़े स्तर का युद्ध होकर रहेगा। सभी इस्लामिक देशों के निशाने पर इज़रायल रहेगा  

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