प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के दौरान 4 जून के बाद 6 महीने के भीतर देश में बहुत बड़ा भूचाल आने की बात कही थी। उस वक्त लोगों की समझ में भले ही बात नहीं आई हो लेकिन अब जो खबर आ रही है उससे भूचाल आना तय है। जानकारी के मुताबिक, इटली ने अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले पर अपनी अदालत के फैसले की विस्तृत रिपोर्ट, जो कि 225 पृष्ठों की है, के साथ ही घोटाले से संबंधित दस्तावेज भारत के साथ साझा किया है। ये वे दस्तावेज हैं जिससे इस घोटाले से जुड़े भारत के कई हाई प्रोफाइल बिचौलियों से लेकर राजनेताओं तक को सजा हो सकती है या यूं कहें कि जो लोग अभी सबूत के अभाव में खुले घूम रहे हैं वे जेल जा सकते हैं। दस्तावेज में एक पूर्व प्रधानमंत्री और एक राजनीतिक परिवार का नाम आने की बात भी कही जा रही है। अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में भारत के कई नेताओं से लेकर बिचौलियों को 600 करोड़ रुपये से अधिक की रिश्वत मिली थी।
मोदी के इटली दौरे से कांग्रेस क्यों नाराज
पीएम मोदी हाल ही में जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए इटली गए थे। वहां जिस गर्मजोशी से उनका स्वागत किया गया, वो देश के विपक्षी दलों के नेताओं को रास नहीं आया। विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी पीएम मोदी के इस दौरे से कुछ ज्यादा ही परेशान दिखी। तभी तो उसने पीएम मोदी की इटली यात्रा के उद्देश्य पर ही सवाल खड़ा कर दिया। इतना ही नहीं कांग्रेस ने मजाक तक उड़ाया और कहा कि प्रधानमंत्री तो केवल फोटो खिंचाने के लिए इटली गए। दरअसल अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले को लेकर कांग्रेस का यह डर उसकी खीज के रूप में बाहर आ रहा है। अब जब भारत सरकार को दस्तावेज हाथ लग गया है तो ऐसे भ्रष्ट नेताओं और नौकरशाहों की पेशानी पर बल आना स्वाभाविक ही है।
देश की राजनीति में भूचाल आने वाला हैः पीएम मोदी
लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी ने 29 मई को पश्चिम बंगाल के मथुरापुर में चुनावी रैली में कहा कि 4 जून के बाद अगले 6 महीनों में देश की राजनीति में बड़ा भूचाल आने वाला है। परिवारवादी पार्टियां अपने आप बिखर जाएगी।
इटली ने भारत को सौंपे डॉक्यूमेंट
इटली की सरकार ने अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला से जुड़े अपने यहां के कोर्ट केस और सबूतों से संबंधित कुछ दस्तावेज भारत को सौंपे हैं। इससे यहां भी अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला की जांच में तेजी आ सकती है। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने तो ट्वीट कर ये दावा भी किया है कि इसी वजह से कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी की हाल की इटली यात्रा पर सवाल उठाए थे।
यूपीए सरकार के दबाव में इटली ने दबा लिया था दस्तावेज
6 मई 2014 को नरेंद्र मोदी जब पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बने, उसके लगभग 8 महीने पहले, इटली की एक अदालत ने भारत से जुड़े सबसे बड़े अगस्ता वेस्टलैंड रिश्वत घोटालों में एक हाई प्रोफाइल कंपनी के सीईओ, एक इतालवी रक्षा कंपनी के अध्यक्ष और दो बिचौलियों सहित चार लोगों को दोषी ठहराते हुए एक फैसला सुनाया था। लेकिन, इस मामले में वहां की अदालत में दर्ज अभियुक्तों के पूरे बयान, अपीलों का पूरा लेखा-जोखा और अदालत के अंतिम फैसले को 2013 में भारत के दबाव में तत्कालीन इतालवी सरकार द्वारा कभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया था, क्योंकि इससे भारत के राजनीतिक और नौकरशाही प्रतिष्ठानों में भूचाल आ सकता था।
Why was the Congress constantly whining about Prime Minister Modi’s visit to Italy for the G7 Summit?
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 19, 2024
Read…
Nearly 8 months before Narendra Modi took oath as India's Prime Minister for the first time on May 26, 2014, a court in Italy passed a judgement convicting four people,… https://t.co/GIMZ1Gp02A
यूपीए-2 के दौरान सत्ता में बैठे लोगों के लिए खतरे की घंटी
इटली के द्वारा भारत को सौंपे गए सीलबंद इतालवी दस्तावेजों में रक्षा घोटाले में रिश्वत पाने वालों के नाम भी हैं। इससे यूपीए-2 के दौरान सत्ता में बैठे लोगों के लिए खतरे की घंटी बजना तय है। यह सबसे बड़े रक्षा घोटालों में से एक है जो एक दशक तक दबा रहा और अब इसके ऊपर से पर्दा उठना तय नजर आ रहा है।
Is the ghost of AgustaWestland coming back?
— The Hawk Eye (@thehawkeyex) June 19, 2024
At least source of BusinessWorld says so.
PM Modi or his confidant has been given the copy of the 225pg classified judgement of Milan (Italy) court which supposedly have the names of Indian deal brokers. (#Melody effects?)
If it is… pic.twitter.com/h5Ksh5w5oA
दस्तावेज में भारत के पूर्व पीएम और राजनीतिक परिवार का नाम
इतालवी अदालत का फैसला भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत के प्रमुख राजनीतिक परिवार के मुखिया में से एक की भूमिका को उजागर करता है। 225 पेज के फैसले में रिश्वत कांड का पूरा खुलासा किया गया है और इसमें सबूत के तौर पर हाथ से लिखे नोट भी हैं। ओरसी और अन्य ने कबूल किया है कि कैसे उन्होंने भारतीय राजनेताओं को रिश्वत दी और सौदे के लिए कड़ी पैरवी की। अन्य बातों के अलावा, फैसले में एक प्रमुख राजनीतिक दल के महासचिव और भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के खिलाफ सबूतों का हवाला दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि भारत के एक बड़े राजनेता और एक राजनीतिक परिवार के मुखिया का नाम इतालवी अदालत के फैसले के पेज 193 और 204 पर 4 बार, 2-2 बार उल्लेखित है।
रिश्वत की रकम बांटने के लिए हस्तलिखित नोट
सूत्रों का कहना है कि इतालवी अदालत के फैसले के पेज 9 पर एक बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स (भारत की हिरासत में एक ब्रिटिश नागरिक) का हस्तलिखित नोट हैश्के को चिपकाया गया है कि रिश्वत के 30 मिलियन यूरो (करीब 268 करोड़ रुपये) के कुल कमीशन को कैसे वितरित किया जाए। नोट में रक्षा सचिव, डीजी एक्विजिशन, रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव सहित यूपीए युग के नौकरशाहों के बीच रिश्वत के पैसे का विस्तृत विवरण दिया गया है। इतालवी अदालत के फैसले से पता चलता है कि वायु सेना के अधिकारियों को 6 मिलियन यूरो (53 करोड़ रुपये)और नौकरशाहों को 8.4 मिलियन यूरो (करीब 75 करोड़ रुपये) का भुगतान किया गया था।
भारतीय राजनेताओं को लगभग 14 से 16 मिलियन यूरो का भुगतान
इतावली अदालत के फैसले में उद्धृत दस्तावेजों में कहा गया है कि भारतीय राजनेताओं को लगभग 14 से 16 मिलियन यूरो (करीब 140 करोड़ रुपये) का भुगतान किया गया था, जिसमें ‘एपी’ अक्षर वाले एक राजनीतिक सचिव भी शामिल थे। फैसले के पेज नंबर 163 और 164 पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री का नाम बताया गया और बताया गया कि कैसे ओरसी ने सौदे के लिए उनके साथ पैरवी की। इतालवी अदालत के फैसले में पेज नंबर 163 पर ओरसी का एक नोट लगाया गया है, जो जेल से तत्कालीन इतालवी नौकरशाहों और प्रधानमंत्री मारियो मोंटी और राजदूत पास्क्वेले टेरासिआनो के साथ तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री से बात करने के लिए पैरवी कर रहे थे।
अप्रैल 2019 में ईडी ने सोनिया गांधी की करीबी अहमद पटेल का नाम लिया
अप्रैल 2019 में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अगस्ता वेस्टलैंड आरोपपत्र में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के करीबी विश्वासपात्र और लंबे समय तक राजनीतिक सचिव अहमद पटेल (एपी) का नाम लिया था। आरोप पत्र के ठीक एक दिन बाद, पीएम मोदी ने उत्तराखंड के देहरादून में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेताओं पर करोड़ों रुपये के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था। पीएम मोदी ने कहा था “हेलीकॉप्टर घोटाले के दलालों ने जिन लोगों को घूस देने की बात कही है उसमें एक ‘एपी’ है, दूसरा ‘फैम’ है। इसी चार्जशीट में कहा गया है कि ‘एपी’ का मतलब है ‘अहमद पटेल’ और ‘फैम’ का” मतलब है ‘परिवार।’
क्रिश्चियन मिचेल ने रिहाई की मांग की
अगस्ता वैस्टलैंड हेलिकॉप्टर केस के आरोपी क्रिश्चियन मिचेल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। मिचेल ने खुद की जल्द रिहाई की मांग की है। ब्रिटिश नागरिक मिचेल ने कहा कि मैं 5 साल 3 महीने से जेल में हूं। मुझे भी जीने और आजादी का हक है। अगर मैं दोषी पाया जाता तो पांच साल की सजा ही होती। मिचेल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में कल (18 मार्च को) सुनवाई है। मिचेल ने ये भी कहा कि अभी तक मामले की जांच पूरी नहीं हुई है। यही नहीं, ट्रायल भी शुरू नहीं हुआ। लिहाजा न्यायिक हिरासत ‘अवैध’ है। मिचेल को 2017 को दुबई से प्रत्यर्पित करके लाया गया था।
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला क्या है
मामला यूपीए-2 के दौरान VVIP हेलिकॉप्टर की खरीद से जुड़ा है। ये हेलिकॉप्टर्स प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और रक्षा मंत्री जैसे अतिविशिष्ट लोगों के आवागमन के लिए इस्तेमाल होने के उद्देश्य से खरीदे गए। भारत ने 12 अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर्स खरीदने के लिए 3,700+ करोड़ रुपये का सौदा किया था। आरोप है कि सौदा कंपनी के पक्ष में हो, इसके लिए ‘बिचौलियों’ को घूस दी गई जिनमें राजनेता और अधिकारी भी शामिल थे। आरोप है कि कई नियमों से छेड़छाड़ कर कंपनी का रास्ता साफ किया गया। सीबीआई सौदे को अगस्ता वेस्टलैंड के पक्ष में करने की खातिर दिए गए रुपयों के लेनदेन की जांच कर रही है।
अगस्ता वेस्टलैंड VVIP चॉपर घोटाला
अगस्त 1999 :
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान VVIPs के लिए भारतीय वायुसेना के MI-8 हेलिकॉप्टर्स का इस्तेमाल होता था। इन हेलिकॉप्टर्स की तकनीक पुरानी हो चुकी थी, इसलिए वायुसेना ने MI-8 चॉपर बदलने का सुझाव दिया।
मार्च 2002 :
नए हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए दुनियाभर की कंपनियों को बोली लगाने के लिए आमंत्रित किया गया। उस समय 4 वेंडर्स ने इस टेंडर में रुचि दिखाई। इसमें यूरोकॉप्टर EC-225 सबसे आगे नजर आ रहा था, क्योंकि यह 6000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता था।
नवंबर-दिसंबर 2003 :
तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बृजेश मिश्रा ने ‘सिंगल वेंडर’ से बचने के लिए रक्षा मंत्रालय और वायुसेना को अपनी तकनीकी शर्तों में बदलाव करने के लिए कहा। इस दौरान इस डील पर ज्यादा उत्साह से काम नहीं हुआ और 2004 में अटल सरकार चली गई। डॉ. मनमोहन सिंह नए प्रधानमंत्री बने।
मार्च 2005 :
UPA-1 सरकार ने नए हेलिकॉप्टर खरीदने की कवायद शुरू की। ज्यादा दावेदारों से बोली लगवाने के लिए नए हेलिकॉप्टर्स की तकनीकी शर्तों में बदलाव किया गया। 2005 में ही मनमोहन सरकार ने इस डील में इंटीग्रिटी क्लॉज़ डाला, जिसके मुताबिक अगर किसी डिफेंड डील में कोई दलाल शामिल पाया गया, तो डील रद्द कर दी जाएगी। इसी शर्त की वजह से बाद में अगस्ता वेस्टलैंड डील विवाद की वजह बन गई। इस दौरान प्रणब मुखर्जी रक्षामंत्री और एसपी त्यागी वायुसेना प्रमुख थे।
सितंबर 2006 :
12 VVIP चॉपर खरीदने के लिए नया टेंडर जारी हुआ, जिसके लिए तीन कंपनियों- AW-101 (ब्रिटेन), S-92 (अमेरिका) और Mi-172 (रूस) ने आवेदन किया। रूसी कंपनी का आवेदन शुरुआती दौर में ही खारिज हो गया। अक्टूबर 2006 से मार्च 2007 के बीच एके एंटनी रक्षामंत्री बन गए और त्यागी वायुसेना प्रमुख के पद से रिटायर हो गए।
2008 :
वायुसेना ने टेंडर में आवेदन करने वाली कंपनी के चॉपर्स का फील्ड ट्रायल लिया। फिर वायुसेना ने ही अमेरिकी कंपनी सिकोर्सिकी एयरक्राफ्ट के S-92 के बजाय ब्रिटिश कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड के AW-101 हेलिकॉप्टर को तरजीह दी।
फरवरी 2010 :
UPA-2 सरकार के दौरान प्रणब मुखर्जी के वित्तमंत्री रहते कैबिनेट कमिटी 12 हेलिकॉप्टर खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी देती है। इसका ठेका तब 556 मिलियन यूरो यानी करीब 3,546 करोड़ रुपए में अगस्ता वेस्टलैंड को दिया गया। अगस्ता वेस्टलैंड का हेडक्वॉर्टर ब्रिटेन में है, जबकि इसकी पैरंट कंपनी फिनमैकेनिका का हेडक्वॉर्टर इटली में है।
फरवरी 2012 :
इटली की जांच एजेंसियों ने इस डील में दलाली की बात कही। इटली की एजेंसियों के मुताबिक फिनमैकेनिका ने यह ठेका हासिल करने के लिए भारत के कुछ नेताओं और वायुसेना के कुछ अधिकारियों को 360 करोड़ रुपए की रिश्वत दी। इटली की एजेंसियों ने इस डील में तीन दलालों- क्रिश्चियन मिशेल, गुइदो हाश्के और कार्लो गेरोसा के शामिल होने की बात कही। ये आरोप लगते-लगते भारत को 12 में से 3 AW-101 मिल चुके थे, लेकिन इनका इस्तेमाल नहीं हो सका था।
फरवरी 2013 :
इटली की कोर्ट में यह डील घिर गई और फिनमैकेनिका के CEO ओरसी और अगस्ता वेस्टलैंड के चीफ ब्रूनो स्पैग्नोलिनी को इटली में गिरफ्तार कर लिया गया। इधर भारत में UPA-2 सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर गई। रक्षा मंत्रालय ने अगस्ता वेस्टलैंड को होने वाले सभी भुगतान रोक दिए।
मार्च 2013 :
भारत में इस डील की जांच CBI को सौंप दी गई। CBI ने पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी, उनके तीन भाइयों, ओरसी और स्पैग्नोलिनी समेत नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। हालांकि, इस समय तक इस डील में किसी नेता या अधिकारी का नाम सामने नहीं आया था।
इटली की कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान भारत के कई नेताओं के नाम इस डील में आए। आरोप लगा कि ये नेता डील के लिए ली-दी गई रिश्वतबाज़ी में शामिल थे। कोर्ट में जो डॉक्युमेंट्स पेश किए गए, उनमें एक नाम सिग्नोरा गांधी भी है। सियासी गलियारों में माना गया कि यह नाम सोनिया गांधी के लिए इस्तेमाल किया गया है। सोनिया गांधी के अलावा इस डील में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, अहमद पटेल, प्रणब मुखर्जी, वीरप्पा मोइली, केएम नारायणन और ऑस्कर फर्नांडिस का भी नाम आया।
अप्रैल 2013 :
रक्षामंत्री एके एंटनी ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगस्ता वेस्टलैंड को भारतीय सेनाओं को हथियार बेचने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। उनके मुताबिक नौसेना के लिए खरीदे जाने वाले हल्के हेलिकॉप्टर्स के टेंडर भी अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी ने भरे हैं। ये टेंडर अगस्त 2012 में जारी किए गए थे। एंटनी के मुताबिक अगस्ता वेस्टलैंड ने इंडियन नेवी के लिए 56 यूटिलिटी हेलिकॉप्टर के टेंडर तब भरे थे, जब CBI ने VVIP हेलिकॉप्टर डील की जांच शुरू नहीं की थी।
अक्टूबर 2013 :
रक्षा मंत्रालय ने अगस्ता वेस्टलैंड को आखिरी कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें कंपनी से पूछा गया कि लिकॉप्टर सौदे के तहत किए गए ईमानदारी बरतने का वादा तोड़ने के आरोप में क्यों नहीं पूरा सौदा रद्द कर दिया जाए?
जनवरी 2014 :
लोकसभा चुनाव से कुछ वक्त पहले ही UPA-2 सरकार ने अगस्ता वेस्टलैंड के साथ यह डील रद्द कर दी। जो पेमेंट पहले ही किया जा चुका था, उसे कवर करने के लिए अगस्ता वेस्टलैंड द्वारा दाखिल की गई अडवांस बैंक गैरंटी को भुनाया गया। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि सौदा करने के साथ इसकी सभी शर्तों को पूरा करने की गारंटी देने के लिए कंपनी ने 1,700 करोड़ रुपए की बैंक गैरंटी दी थी। यह पैसा भारत और इंटरनेशनल बैंकों में जमा था। रक्षा मंत्रालय ने डील के लिए 30% रकम अडवांस जमा की थी।
घोटाले के बाद
फरवरी 2014 :
अगस्ता वेस्टलैंड को भारतीय कोस्ट गार्ड के लिए हेलिकॉप्टर्स के टेंडर से बाहर कर दिया गया। मीडियम भार वाले 14 हेलिकॉप्टर्स का यह सौदा करीब 1,000 करोड़ रुपए का था, जिसके लिए अगस्ता वेस्टलैंड ने अपना EC-725 हेलिकॉप्टर पेश किया था।
जून 2014 :
CBI ने इस डील में रिश्वत के आरोप की जांच के सिलसिले में पश्चिम बंगाल के तत्कालीन गवर्नर एमके नारायणन से बतौर गवाह पूछताछ की। नारायणन उस ग्रुप में शामिल थे, जिसने हेलिकॉप्टर खरीदने से पहले टेंडर प्रॉसेस देखा था। नारायणन 2005 में उस मीटिंग में भी शामिल थे, जिसमें हेलिकॉप्टर की टेक्निकल शर्तों में बड़े बदलावों की इजाज़त दी गई।
अक्टूबर 2014 :
इटली की निचली अदालत ने ओरसी और स्पैग्नोलिनी को हेराफेरी के लिए दो साल की सजा सुनाई और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप माफ कर दिए।
फरवरी 2016 :
‘दि टेलिग्राफ’ में छपी खबर के मुताबिक क्रिश्चियन मिशेल ने आरोप लगाया कि सितंबर 2015 में न्यू यॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान पीएम मोदी ने इटली के प्रधानमंत्री मैटेयो रेंजी के साथ मुलाकात में नौसैनिकों को रिहा करने के बदले गांधी परिवार के खिलाफ अगस्ता वेस्टलैंड मामले में सबूत मांगे थे। विदेश मंत्रालय ने इस आरोप को बकवास बताया।
अप्रैल 2016 :
इटली मिलान कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया और अगस्ता वेस्टलैंड और फिनमैकेनिका के प्रमुखों को भ्रष्टाचार का दोषी मानती है। मिलान कोर्ट ने ओरसी को साढ़े चार साल और स्पैग्नोलिनी को चार साल का सज़ा सुनाती है। इधर भारत की पिछली UPA-2 सरकार ने इटली के प्रॉसिक्यूटर्स को पर्याप्त सबूत और अहम दस्तावेज नहीं दिए। पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी को भी भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया।
जून 2016 :
प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में एक नई चार्जशीट दायर की, जो ब्रिटिश नागरिक और कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स और उसके कुछ भारतीय सहयोगियों की भूमिका से संबंधित थी। इसमें ED ने आरोप लगाया कि मिशेल ने अगस्ता वेस्टलैंड से 225 करोड़ रुपए हासिल किए थे, जो असल में रिश्वत थी।
दिसंबर 2016 :
राजस्थान की भाजपा सरकार सिर्फ अगस्ता वेस्टलैंड से हेलिकॉप्टर खरीदने का टेंडर देकर विवादों में आ गई। इस सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए हेलिकॉप्टर खरीदने के मकसद से 21 नवंबर को एक टेंडर जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि सरकार केवल अगस्ता वेस्टलैंड का AW 169 हेलिकॉप्टर चाहती है। इसी बीच पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी ने सोनिया गांधी का बचाव करते हुए कहा कि इस डील में सोनिया गांधी की कोई भूमिका नहीं है।
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