दूसरे देशों के लिए गड्ढे खोद रहे अमेरिका और चीन खुद भी ऐसे ही अपने गड्ढे में गिरेंगे; ब्रिटेन को 75 साल पुराने कर्म का फल मिलना शुरू हो गया है

सुभाष चन्द्र

अमेरिका और चीन ने न जाने कितने देशों को अस्थिर कर दिया। किस किस का नाम लीजिए, नाइजीरिया, सूडान, सोमालिया, इथोपिया, जिम्बाब्वे, कांगो, ईरान, इराक, सीरिया, फिलिस्तीन, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, वेनेजुएला, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, यूक्रेन, कज़ाकिस्तान, श्रीलंका, म्यांमार - फ्रांस, ब्रिटेन, स्पेन और कनाडा भी है लेकिन उसके लिए मैं उन्ही देशों को जिम्मेदार मानता हूं आखिर क्या मिल रहा है अमेरिका और चीन को? 

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अमेरिका और चीन एक बार अगर ब्रिटेन की हालत देख लें तो शायद कुछ समझ आए लेकिन अहंकार में डूबे ये दोनों मुल्क बस अपनी चौधराहट चाहते हैं

ब्रिटेन ने अत्यंत घिनौना खेल खेला था भारत का विभाजन करके और हिन्दू मुसलमानों के बीच स्थाई झगड़ा पैदा किया। 48 मुल्कों को ब्रिटेन ने अपनी गुलामी से मुक्त किया लेकिन टुकड़े केवल भारत के किए परंतु काल चक्र कभी कभी पूरा होने में और कर्मफल मिलने में समय लगता है जो ब्रिटेन को मिलना शुरू हो गया है आज ब्रिटेन उन्हीं मुस्लिमों के कारण गृहयुद्ध के मुहाने पर खड़ा है और भारत के 2 टुकड़े किये थे ब्रिटेन ने लेकिन उसके कई टुकड़े होंगे जैसा हिंदुओं का नरसंहार 1947 में हुआ वैसा ही ब्रिटेन के अंग्रेज़ों के साथ होना तय है

और जो आज ब्रिटेन में हो रहा है वह चीन और अमेरिका में भी होना निश्चित है चीन ने अपने यहां मुस्लिमों को कुचल दिया लेकिन समय का क्या पता कब कैसी करवट ले ले जो घुसपैठ वो Democratic Nations में कर रहा है, वो खेल उसके यहां होना कठिन जरूर है लेकिन असंभव नहीं है क्योंकि चीन में सत्ताधीशों को एक खतरा हमेशा रहता है कि कोई उनका तख्ता पलट न कर दे, फिर चाहे कितने भी प्रतिबंध लग जाए, सत्ता पलट सकती है

आज जो बांग्लादेश में हो रहा है उसे देखकर भारत के कुछ ढक्कन नेता खुश हो रहे हैं और कह रहे हैं हसीना तानाशाह थी और उसके साथ जो हुआ वो मोदी के साथ भी होगा ये लोग कभी चीन की तानाशाही पर बोलने की हिम्मत नहीं करते क्योंकि उन्हें फंडिंग उसी से होती है और कुत्ते अपने मालिक के सामने हमेशा नहीं भौंकते बस पूंछ हिलाते हैं

बांग्लादेश में जो कुछ हुआ और जो अब हिंदुओं के साथ हो रहा है, उसे देख लग रहा है हसीना को हटाने के साथ बांग्लादेश को हिंदुओं से मुक्त करने की भी साजिश थी महिलाओं के साथ हो रहे वहशीपन को भी देखकर खुश होने वाली अरफ़ा खानुम शेरवानी, राणा अयूब और महबूबा मुफ़्ती की बेटी इल्तिज़ा मुफ़्ती अपने अल्लाह से डरो और सोचो अगर तुम्हारे साथ कभी ऐसा हो गया तो क्या होगा? और यह बात अमेरिका को भी समझनी होगी कि बस कुछ समय की बात है, वहां भी नज़ारा ऐसा ही होगा

एक बार बांग्लादेश को देखकर फिर साबित हुआ कि इस्लाम को मानने वाले न खुद चैन से रह सकते  हैं और न दूसरों को रहने देते हैं यह सभी इस्लामिक देशों में हो रहा है हर मुल्क में सत्ता में बैठे हुए लोगों को अपने ही मुस्लिमों से डर रहता है कब कौन खेल उल्टा कर दे

अमेरिका को गर्व है हम 50 राज्य संगठित है, बिखरते देर नहीं लगेगी और चीन सोचे कि उसे कोई डर नहीं तो इन दोनों देशों को याद रहे सोवियत संघ भी इनकी तरह ही मजबूत था लेकिन 15 टुकड़े हो गए बस प्रतीक्षा करो अपने कालचक्र के पूरा होने की चीन नास्तिक है और अमेरिका ईसाई है लेकिन हिंदू दर्शन ही विश्वास करता है कि कर्म फल मिलता जरूर है

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