सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में कहा गया है कि आत्मरक्षा करते हुए यदि किसी की हत्या हो जाती है तो वह अपराध नहीं माना जा सकता। उसी तरह वक्फ बोर्ड जैसे जोर जबरदस्ती से हिंदुओं की संपत्ति हड़पने का काम करता आ रहा है, उसे देखते हुए हिंदुओं को भी वक्फ बोर्ड के लोगों को उनके कार्यालयों से खदेड़ कर सारे दस्तावेज़ या तो कब्जे में ले लेने चाहिए या नष्ट कर देने चाहिए क्योंकि अब पानी सिर के ऊपर से गुजर रहा है।
सबसे पहले एक क़ानून पारित होना चाहिए कि किसी भी समुदाय की यदि आबादी 5% से ज्यादा है तो उसे Minority का न तो दर्जा मिलेगा और न Minorities की कोई सुविधा मिलेंगी। वह समुदाय किसी हाल में अल्पसंख्यक नहीं माना जा सकता जो 100 से ज्यादा लोकसभा सीटों के परिणामों को प्रभावित कर सकता है, जिसके साथ अधिकतर राजनीतिक दल खड़े होकर उसके हर गलत काम का समर्थन करते है और हिंदुओं को प्रताड़ित करते हैं।
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लेखक चर्चित YouTuber |
वर्तमान में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अनुसार जो अल्पसंख्यक हैं उनकी आबादी यह है-
Muslims 14.2%,
Christians 2.3%,
Sikhs 1.7%,
Buddhists 0.7%,
Jain 0.4%,
Parsis 0.006%
इसलिए मुस्लिम किसी तरह भी अल्पसंख्यक नहीं माने जा सकते जिनको कांग्रेस सरकार ने देश भर में जमीन और संपत्ति पर कब्ज़ा ज़माने का अधिकार दे दिया। आज ओवैसी खुद कह रहा है कि वक्फ बोर्ड के पास अधिकांश सम्पत्तियों के दस्तावेज नहीं है। उत्तर प्रदेश में ही उसने कहा है 1 लाख 21 हजार प्रॉपर्टी वक्फ के पास हैं लेकिन 1 लाख 12 हजार सम्पत्तियों के कागज वक्फ के पास नहीं है जिसका मतलब है लूटी हुयी हैं।
अब दो दिन पहले ही खबर थी कि दिल्ली के ऐसे 6 मंदिर वक्फ बोर्ड ने अपनी जमीन पर बने बता कर दावा ठोका है जो वक्फ बनने से पहले के बने हुए हैं। उसके अलावा मंगलापुरी के खसरा नंबर 163 की जमीन भी वक्फ ने अपने खाते में चढ़ा रखी है, मतलब इस जमीन पर बने DDA का office, सड़कें, डीटीसी का बस अड्डा और MCD का कूड़ेदान भी वक्फ का बता दिया गया।
इस अंधेरगर्दी का जवाब अब बस एक ही बचता है वक्फ बोर्ड के कार्यालयों पर हल्ला बोल दिया जाए और सारे कार्यालय और दस्तावेज़ कब्जे में ले लिए जाएं। सुप्रीम कोर्ट इस विषय में फैसला करने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि मामला मुस्लिमो का है लेकिन जिस दिन केंद्र सरकार का वक्फ संशोधन कानून संसद से पारित हो जाएगा, उसकी वैधता को जांचने के लिए पंचायत बना कर बैठ जाएंगे। वक्फ एक्ट 1995 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली अश्विनी उपाध्याय की याचिका तक ख़ारिज कर दी थी सुप्रीम कोर्ट ने।
कांग्रेस के साथ न्यायपालिका भी इस लूट के लिए जिम्मेदार है अलबत्ता कुछ जज ऐसे हैं जो वक्फ बोर्ड की बेईमानी को आड़े हाथों लेते हैं जैसे कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के एक जज ने वक्फ बोर्ड को यहां तक कह दिया कि पूरे हिंदुस्तान पर कब्ज़ा कर लोगे क्या?
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