प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र - न्यायिक प्रक्रिया में सुधार के लिए सुझाव - (Part -3)

सुभाष चन्द्र
गतांक से आगे - 

21.स्वतः संज्ञान लेने के कुछ नियम होने चाहिए, मनमानी नहीं होनी चाहिए कि किसी विषय पर स्वत संज्ञान ले लिया और कभी गंभीर मामले पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता; 

22.हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के किसी भी जज के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अनुमति की अनिवार्यता ख़त्म होनी चाहिए; सरकार को किसी जज के खिलाफ मिली शिकायत की जांच करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए;  

23. Impeachment-

(A) हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ महाभियोग चलाने के नियमों में ढील होनी चाहिए और किन कारणों पर महाभियोग शुरू हो, उसकी पुनर्व्याख्या होनी चाहिए। वर्तमान में किसी जज को Misbehaviour or Incapacity के आधार पर हटाया जा सकता है, इसमें भ्रष्टाचार को भी जोड़ना चाहिए;

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चर्चित YouTuber 

 (B)  वैसे तो जब जजों की नियुक्ति संसद द्वारा होती ही नहीं तो संसद को उन पर महाभियोग चला कर हटाने का भी कोई अधिकार नहीं होना चाहिए Appointing Authority, राष्ट्रपति को ही जजों को हटाने की भी शक्ति होनी चाहिए और उसके लिए 11 निष्पक्ष बुद्दिजीविजयों की समिति का गठन हो जिसकी सिफारिश पर राष्ट्रपति जजों को हटाने का निर्णय करें; 

24.PIL दाखिल करने के लिए भी बदलाव होने चाहिए एक अकेले व्यक्ति को  80% हिंदुओं के रीति रिवाजों, धार्मिक मान्यताओं या उनसे जुड़े किसी भी मामले के लिए PIL दाखिल करने का अधिकार नहीं होना चाहिए PIL एक उद्योग बन चुका है और इसका खेल खेलने वालों की निगरानी होनी चाहिए, उन्हें कहां से पैसा मिलता है, इसकी जांच होनी चाहिए और सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट्स को उन वकीलों से source of funding के लिए affidavit लेना चाहिए कि उन्हें PIL दायर करने और लड़ने के लिए किसने और कितना पैसा दिया है; ऐसी PILs के लिए funding करने वालों से वकीलों को फीस केवल “चेक” से मिलनी चाहिए;

25.कौन सी सूचना “sealed Cover” में दी जाए और कौन सी open में दी जाए, यह फैसला करने का अधिकार केवल सरकार को होना चाहिए जबकि वर्तमान में जब मर्जी सुप्रीम कोर्ट कहता है सबके सामने सूचना दी जाए और जब मर्जी कहता है Sealed Cover में दी जाए, यह मनमानी बंद होनी चाहिए; 

26.Election Petitions पर संबंधित हाई कोर्ट में 6 महीने में फैसला हो जाना चाहिए, जिसके खिलाफ याचिका दायर हुई है, यदि  वह अयोग्य माना जाता है तो उसे तुरंत संसद या विधायिका से बाहर किया जा सके ऐसी याचिकाओं पर फैसले कभी कभी संसद या विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद करते हैं कोर्ट जिसका कोई लाभ नहीं है और एक अयोग्य व्यक्ति सदन का सदस्य रहता है और उस पर टैक्सपेयर एक पैसा खर्च होता है;

27.किसी मामले को सीधा सुप्रीम कोर्ट में सुन लिया जाता है और किसी में निर्देश दिए जाते हैं कि हाई कोर्ट जाएं यह  मनमानी नहीं होनी चाहिए; न्यायपालिका खुद नियम तय करे कि पहले हर मामला हाई कोर्ट जायेगा और सुप्रीम कोर्ट सीधा सुनेगा तो कब सुनेगा उसके लिए कुछ नियम तय होने चाहिए; 

अवलोकन करें:-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र : न्यायिक प्रक्रिया में सुधार के लिए सुझाव (Part 2)
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सुभाष चन्द्र गतांक से आगे 10.(A) हाई कोर्ट में नियुक्ति के समय, हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने के समय, सुप्रीम कोर्ट में न.....

28.चीफ जस्टिस के रोस्टर में Transparency की कमी है, यह शिकायत अक्सर वकीलों को रहती है इस कमी को दूर करना चाहिए;

क्रमशः 

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