सुभाष चन्द्र
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस SVN भट्टी ने 21 अक्टूबर को केजरीवाल की गुजरात हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील खारिज कर दी। हाई कोर्ट ने गुजरात यूनिवर्सिटी द्वारा दायर मानहानि केस में ट्रायल कोर्ट के summon को रद्द करने से मना कर दिया था।
केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी का सुप्रीम कोर्ट में विलाप सुनने वाला था। वो तड़प रहा था, जनाब हम माफ़ी मांगने के लिए तैयार हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पेल दिया कि केजरीवाल की आदत है, पहले अपमान करता है और फिर Sorry कहता है। सिंघवी बहुत रोया, साहब ये मेरे मुवक्किल की विधानसभा सदस्यता ख़त्म करना चाहते हैं और उसका राजनीतिक करियर चौपट हो जाएगा।
ये बात केजरीवाल को बकवास करते हुए समझ नहीं आई कि परिणाम क्या हो सकता है। जेटली जी और गडकरी ने माफ़ी दे दी थी लेकिन अब मामला मोदी का है, जिसके लिए यूनिवर्सिटी माफ़ नहीं करेगी। अभी तो पटना कोर्ट ने भी मोदी “अनपढ़” कहने के लिए summon जारी किए हैं।
इस मामले में कार्रवाई तो 2016 के सूचना आयुक्त Professor M. Sridhar Acharyulu (जो बाद में CIC भी रहे) के खिलाफ भी होनी चाहिए क्योंकि उसने ही मोदी की डिग्री के मामले में अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर ऐसे आदेश दिए जिसकी वजह से आज 8 साल से मुकदमेबाजी हो रही है और सरकार एवं अन्य पार्टियों का लाखों रुपया खर्च हो चुका है।
दरअसल Acharyulu कहने को प्रोफेसर थे लेकिन अक्ल से पैदल थे और अति उत्साहित होकर और केजरीवाल के पत्र से डर कर मोदी की डिग्री के लिए एक RTI पर दिल्ली और गुजरात यूनिवर्सिटी को आदेश दे दिए।
एक व्यक्ति संजय जैन ने (शायद वह आपिया ही होगा) ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से RTI लगा कर 1978 में जो लोग भी N और M initial के नाम वाले पास हुए, उनके details मांगे। ऐसी वाहियात जानकारी कोई भी संस्था नहीं दे सकती; और दिल्ली यूनिवर्सिटी ने कहा जब तक रोल नंबर नहीं दिया जाता, सूचना नहीं दी जा सकती। इस केस को Professor M. Sridhar Acharyulu ने बंद कर दिया।
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लेकिन एक अन्य व्यक्ति नीरज पांडे ने केजरीवाल का जब Photo I Card मांगा तो Acharyulu ने केजरीवाल से पूछा (जो पूछना गलत था) कि क्यों न आपको विधायक के तौर पर और आपकी पार्टी को RTI में public authority घोषित कर दिया जाए।
केजरीवाल ने कोई एतराज नहीं किया लेकिन हंस राज जैन के मामले में Acharyulu से प्रधानमंत्री मोदी की Educational Qualifications की जानकारी देने को कहा और आरोप लगाया कि CIC ये सूचना देने में रोड़े अटका रहा है। Acharyulu ने मूर्खता की उसके पत्र पर और मोदी के राजीव शुक्ल को दिए गए इंटरव्यू के आधार पर कहा कि लोग जानना चाहते हैं मोदी की qualification क्या हैं और दोनों यूनिवर्सिटी को आदेश दे दिए। इस अनावश्यक और illegal आदेश की वजह से आज तक कलेश चल रहा है।
केजरीवाल ने मामले में RTI नहीं लगाई और न मोदी के राजीव शुक्ला को दिए इंटरव्यू से सूचना आयोग को कोई सरोकार था, फिर भी अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर Acharyulu ने एक गैर कानूनी तरीके से गैर कानूनी आदेश दिया। Legal Field के लोगों को इस पर विचार कर Acharyulu के खिलाफ केस दर्ज करना चाहिए।
एक केस केजरीवाल पर भी और लगाना चाहिए कि प्रधानमंत्री की डिग्री मांगना उसके मुख्यमंत्री के नाते कार्यक्षेत्र का हिस्सा न होते हुए भी उसने मामले में टांग फसाई और लाखों रुपये की फीस पर सरकार का पैसा खर्च किया। वह सारा पैसा वापस मांगना चाहिए। यदि यह केजरीवाल के कार्यक्षेत्र में था तो किसी और मुख्यमंत्री ने मोदी की डिग्री क्यों नहीं मांगी?
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