रमजान और करवा चौथ पर इंडियन एक्सप्रेस का ज्ञान
हिंदुओं के त्योहारों को बदनाम करने के कुत्सित प्रयास हर वामपंथी मीडिया का पसंदीदा काम है। अभी 20 अक्टूबर कोकरवा चौथ बीता है। ऐसे में इंडियन एक्सप्रेस पर एक जानकारी से ओत-प्रोत लेख छपा। इस लेख में बताया गया कि कैसे महिलाओं के व्रत रखने पर सारा असर उनके शरीर पर पड़ता है। दिलचस्प बात ये है कि यही इंडियन एक्सप्रेस मार्च में अपनी साइट पर ये बता रहा था कि कैसे रमजान में किए जाने व्रत किसी को वेट लॉस, बीपी और कॉलेस्ट्रॉल कंट्रोल में मदद कर सकते हैं।
जिन डॉक्टरों को हिन्दू शास्त्रों और वेदों का ज्ञान न हो जहर न फैलाएं जो उनके लिए शायद इनकी डॉक्टरी से कहीं अधिक बेहतर होगा। कहीं ऐसा न हो नौकरी से जाएं और प्राइवेट क्लिनिक खोलने पर सुबह से शाम तक मक्खी ही मरते नज़र आए। हिन्दू त्योहारों पर जहर उगलने या बकवास बकने से पहले किसी योगी से उनका महत्व और उससे होने वाले लाभ सुन लो। करवा चौथ या हिन्दू त्योहारों को अपमानित करने वाले विश्व में एक ऐसा धर्म/मजहब बताएं जो ऋतू(मौसम) आने का संकेत देता हो। गर्मी के मौसम में वेलेनटिन और किस डे मनाने वालों को शायद ये भी नहीं मालूम वेलेनटिन और किस क्या होता है और इसका आनंद कब लिया जाता है। चले है सनातन पर ज्ञान पेलने।
दिलचस्प बात ये है कि ये दोनों ही लेख 2024 में पब्लिश हुए हैं। करवा चौथ का लेख कल यानी 20 अक्तूबर को प्रकाशित किया गया और रमजान पर ज्ञान 11 मार्च को दिया गया। करवा चौथ वाले लेख में बताया गया कि लंबे व्रत से महिलाओं के हॉरमोन पर फर्क पड़ सकता है और मासिक धर्म आने में भी देरी हो सकती है।
करवा चौथ पर इंडियन एक्सप्रेस की हेडलाइनइसके अलावा ज्यादा देर फास्ट रखने से तनाव पैदा करने वाले हॉर्मोन उत्पन्न हो सकते हैं और शुगर कम हो सकता है, बीपी गिर सकता है। साथ ही एनर्जी में कमी के साथ मूड स्विंग आदि भी हो सकते हैं और तो और प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।
करवा चौथ पर इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित कंटेंटकरवा चौथ में क्योंकि रात में चाँद को अर्घ्य देने के बाद पानी पीने की परंपरा है इसलिए इंडियन एक्सप्रेस ने डॉक्टर के हवाले से ये भी बताया कि कैसे महिलाओं को पूरे दिन पानी पिए पीन नहीं रहना चाहिए। प्रोटीन युक्त डाइट लेनी चाहिए ताकि न स्ट्रेस और न तनाव हो।
करवा चौथ पर इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित कंटेंटआप सोच रहे होंगे इंडियन एक्प्रेस ने जो बातें कहीं वो गलत कहाँ हैं? स्वास्थ्य के हिसाब से तो सब तार्किक बातें लिखीं है। बिलकुल तार्किक हो सकती हैं इन सवालों के लिए कि अगर कोई व्यक्ति भूखा रहे तो उससे उसके शरीर पर क्या असर होता है? मगर, यहाँ विवाद ये नहीं है कि उन्होंने महिलाओं के भूखे पेट रहने के तमाम नुकसान बताए। यहाँ मुद्दा ये है कि जो इंडियन एक्सप्रेस एक तरफ करवा चौथ की फास्टिंग को स्त्रियों के लिए नुकसानदायक बता रहा है वही इंडियन एक्प्रेस रमजान की फास्टिंग के अनगिनत फायदे बता चुका है।
रमजान पर इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित हेडलाइनऊपर जैसे देखा कि करवा चौथ वाले लेख में तो सीधे ऐसे दिखाया कि व्रत रखने के नुकसान इतने हैं कि अगर महिलाएँ इसे रखेंगी तो बीमार होना तय है मगर वहीं रमजान पर ये समाचार पोर्टल बताता है कि कैसे फास्टिंग के दौरान होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है। जैसे सहरी में जमकर कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फल, सब्जी खा लेने चाहिए ताकि बॉडी में किसी चीज की कमी न हो, इसी तरह जरूरत भर पानी भी पीना चाहिए ताकि शरीर में डिहाइड्रेशन न हो जाए। इस रिपोर्ट में तो ये भी बताया गया है कि रोजा रखते समय कसरत भी हो सकती है या नहीं। इसके साथ ये भी बताया है कि कैसे उन लोगों को फायदा होता है जिनका वजन कम होता है जिनके लिए मोटापा बड़ी समस्या है।
रमजान पर इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित कंटेंटआप समझ सकते हैं कि दोनों लेखों में कैसे ‘नजरिए’ का फर्क पता चलता है। करवा चौथ से पहले छपे लेख में साफ तौर पर सिर्फ नकारात्मक पहलू बताए गए। अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे समझाया गया कि अगर शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रहना है तो व्रत न करना बेहतर है। वहीं दूसरी ओर रमजान के रोजों के समय ये बताया गया कि कैसे रोजाधारियों को इसका फायदा होगा। और जो नुकसान भी होंगे उनसे के लिए क्या किया जा सकता है। यानी अगर कोई ये सोचे भी कि उसका स्वास्थ्य इतने समय तक रोजे रखने से न जाने ठीक रहे या नहीं तो इंडियन एक्सप्रेस का ये लेख उनके लिए हर समाधान दे रहा है।
इंडियन एक्सप्रेस की हिपोक्रेसीहैरानी की बात ये है कि इतना दोहरा रवैया तब दिखाया गया जब करवा चौथ एक दिन का त्योहार है और रोजे पूरे महीने रखे जाते हैं। अगर रोजे रखने वालों के लिए इंडियन एक्सप्रेस इतनी मेहनत करके अपनी रिपोर्ट कर सकता है तो फिर करवा चौथ पर इतने नकारात्मकता फैलाने की आवश्यकता क्या है। अगर इन लेखों को पढ़कर इंडियन एक्सप्रेस पर हिंदू त्योहारों से घृणा करने वाला न कहा जाए तो क्या कहा जाए।
करवा चौथ की परंपरा का खत्म करने का प्रयास अकेला इंडियन एक्सप्रेस नहीं करता। तमाम वामपंथी और तथाकथित फेमिनिस्ट पति-पत्नी के इस त्योहार का मजाक बनाते हर साल दिखते हैं। सैंकड़ों सालों से चली आ रही इस रीत ये टुच्ची मानसिकता के लोग इस त्योहार को फिल्मों से शुरू हुई परंपरा बताते हैं। वहीं कुछ इसे अनपढ़ महिलाओं का त्योहार कहकर खुश होते दिखते हैं।
No comments:
Post a Comment