कुछ दिन पहले एक स्थानीय पार्टी, उत्तर भारतीय विकास सेना के नेता सुनील शुक्ला ने बांद्रा वेस्ट से लॉरेंस बिश्नोई को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा था। लेकिन कुछ लोगों ने इस पर आपत्ति की थी और रिपब्लिक भारत पर सैयद सोहेल ने अपने शो “ये भारत की बात है” में यह सवाल उठाया था कि लॉरेंस बिश्नोई जैसा आपराधिक प्रवत्ति का व्यक्ति कैसे विधानसभा में जा सकता है? इस पर कुछ देर तक सोहेल ने प्रवचन दिया था।
लॉरेंस बिश्नोई के चुनाव लड़ने पर आपत्ति उठाना तब ही उचित माना जा सकता है जब किसी विधायक या सांसद के खिलाफ ऐसे आपराधिक केस न चल रहे हों, जबकि वर्ष 2023 में कुल 4697 केस विधायकों और सांसदों के खिलाफ लंबित थे।
वर्तमान लोकसभा में 251 सदस्यों के खिलाफ केस चल रहे हैं और पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ें यह दर्शाते हैं कि हर लोकसभा में ऐसे सांसद बहुत थे। उनके आंकड़े नीचे दिए हैं -
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2009 : 162 सांसद (30%);
2014 : 185 सांसद (34%);
2019 : 233 सांसद (43%) और अब
2024 : 251 सांसद (46%)
महाराष्ट्र की वर्तमान विधानसभा में 164 के खिलाफ आपराधिक केस चल हैं जिसमें 106 यानी 39% में गंभीर आरोप हैं।
इसके अलावा यह भी याद होगा अतीक अहमद जैसा अपराधी भी लोकसभा और विधानसभा की शोभा बढ़ाता रहा था। उसके खिलाफ मौत के समय अनेक मुक़दमे चल रहे थे। मुख्तार अंसारी 5 बार विधानसभा का सदस्य रहा और उसके खिलाफ भी मौत के समय 60 से ज्यादा मुक़दमे चल रहे थे। 2009 में मुरली मनोहर जोशी से वाराणसी का लोकसभा चुनाव हार गया लेकिन जोशी के 30% वोटों के मुकाबले अंसारी को 27% वोट मिले थे। उसका भाई अफजाल अंसारी आज भी लोकसभा का सदस्य है और उस पर भी कई मुकदमें चल रहे हैं।
मोहम्मद शहाबुद्दीन जिसने चंदा बाबू के 3 बेटों की निर्मम हत्या की थी, 1990 और 1995 में विधानसभा का चुनाव जीता था और 1996 में जनता दल के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी जीता था। कोरोना में उसकी मौत के वक्त भी 30 क्रिमिनल केस चल रहे थे।
सबसे मजे की बात तो यह है कि लालू यादव जैसे साढ़े 32 साल की सजा पाए सजायाफ्ता मुजरिम के लिए उसकी पार्टी “भारत रत्न” देने की मांग कर रही है। है न सबसे बड़ा मज़ाक देश के साथ!
“वारिस पंजाब दे” का नेता अमृतपाल सिंह भी लोकसभा का चुनाव जीता है और इंजीनियर शेख अब्दुल राशिद जिस पर टेरर फंडिंग का केस चल रहा है, वह भी लोकसभा में पहुंचा है।
सांसदों और विधायकों पर ऐसे मुकदमे देख कर लॉरेंस बिश्नोई के चुनाव लड़ने पर किसी को कोई आपत्ति नही होनी चाहिए। ऐसा कह कर मैं बिश्नोई की कोई वकालत नहीं कर रहा हूँ, विरोध कर रहे सोहैल को सच्चाई बता रहा हूँ। जिसे एक तरफ़ा पत्रकारिता करने की बजाए निष्पक्ष पत्रकारिता करनी चाहिए।
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