संभल सर्वे के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट क्यों नहीं गया? क्या दंगा करना ही लक्ष्य था? अखिलेश लगता है हार पचा नहीं सके

सुभाष चन्द्र

संभल के सिविल जज आदित्य सिंह की कोर्ट ने 19th नवंबर को संभल की जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का दावा करने वाली विष्णु शंकर जैन समेत 8 लोगों की याचिका पर “Advocate Commissioner” को नियुक्त कर मस्जिद परिसर का सर्वे करने के आदेश दिए और सर्वे का काम उसी दिन कर लिया गया। सर्वे के दौरान हिंदू मुस्लिम दोनों पक्ष के प्रतिनिधि मौजूद थे। इसी क्रम में रविवार 23 नवंबर को अंतिम सर्वे होना था 

लेकिन 20 नवंबर को हुए उत्तर प्रदेश उपचुनाव के Exit Poll में अखिलेश यादव को बर्बाद कर दिया।  इसमें भाजपा को 7 और सपा को 2 सीट बताई गई और सच यह है कि संभल को आग लगाने की भूमिका तैयार हो गई 

मेरा एक प्रश्न बड़ा सीधा सा है। जब सिविल जज ने मंगलवार को सर्वे के आदेश दिए तो उसी दिन मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट में अपील क्यों नहीं की। यदि उस दिन सर्वे हो भी गया तो भी हाई कोर्ट में अपील कर उस पर रोक लगाने की मांग की जा सकती थी लेकिन हाई कोर्ट न जाने का मतलब साफ़ है कि मुस्लिम पक्ष को भी पता है वह हरिहर मंदिर ही था जिसे तोड़ कर बाबर ने मस्जिद बनाई थी। यह बात बाबरनामा में लिखी गई है बाबर को जब पता चला कि वहां विष्णु जी के कल्कि अवतार प्रकट होंगे, उसने उस मंदिर का विध्वंस कर दिया। 

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पूरी समाजवादी पार्टी दंगाइयों के साथ खड़ी है और अखिलेश ने कहा है कि सरकार बदलेगी और न्याय का शासन आएगा वैसा ही न्याय का शासन आएगा जिसने अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां बरसाई गई थी। योगी की पुलिस ने बहुत संयम से काम लिया जो इतनी बड़ी भीड़ का हमला होने के बाद भी अंधादुंद गोली नहीं चलाई और अपने जवान की जान से हाथ धो बैठी 

एक बात खबरों में आई है कि सर्वे करने वाले वजूखाना  को खुलवाने के लिए जिद कर रहे थे क्या वहां भी वैसा ही नज़ारा है जैसा ज्ञानवापी परिसर में है कि शिवलिंग पर हाथ मुंह धो कर कुल्ला किया जाता था?

मीडिया में एक सवाल किया जा रहा है कि इतनी संख्या में नकाबपोश कहां से आए। संभल में मुस्लिमों की आबादी कहते हैं 75% है, ऐसे में नकाबपोश आने में कोई बड़ी बात नहीं है जब साजिश के तहत हमला किया गया हो। अब समय आ गया है कि हर संवेदनशील स्थानों पर हर किसी के घर की छतों पर पत्थरों और हथियारों के होने के प्रमाण तलाश किये जाए। ऐसा अभियान कश्मीर घाटी में भी चलाया गया था।  

हालात गंभीर हैं, भाजपा सरकारों को दंगो के सहारे परेशान करने की साजिश चल रही है  ओवैसी की पार्टी महाराष्ट्र में केवल एक सीट जीत सकी और टीवी चैनलों पर चौधरी बने रहते हैं  

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