पिछले शुक्रवार 8 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने UPPSC द्वारा दिसंबर में आयोजित होने वाली PCS - 2024 और RO / ARO -2023 की परीक्षा के लिए एक निर्णय दे दिया कि चयन और भर्ती प्रक्रिया के नियम बीच में नहीं बदले जा सकते - अब कहा जा रहा है कि यदि आयोग दो दिवसीय परीक्षा पर कायम रहता है तो कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा और यदि कोर्ट के आदेश का पालन करता है तो एक दिनी परीक्षा के लिए नए सिरे से प्रबंध करने होंगे -
मुझे लगता है परीक्षार्थियों की संख्या देखते हुए UPPSC ने 2 दिन में परीक्षा लेने का फैसला किया है जिसके लिए परीक्षार्थी “आंदोलन” कर रहे हैं और कोर्ट ने इसे ही “नियमों” में बदलाव माना है - यह कोई ऐसा नियम में बदलाव नहीं है जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट भी बीच में कूदे, इतना अधिकार तो आयोग को होना भी चाहिए - जो लोग अभी से आंदोलनरत हैं, वे भला PCS बनने के योग्य माने जा सकते हैं क्या?
लेखक चर्चित YouTuber |
वर्ष 2017 में केरल सरकार ने केरल राज्य उच्च न्यायिक सेवा विशेष नियम, 1961 के प्रावधानों में एक प्रावधान था कि नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा और मौखिक परीक्षा के योग को ध्यान में रखा जाएगा - लेकिन परीक्षा योजना और भर्ती अधिसूचना में मौखिक परीक्षा के लिए कोई कट -ऑफ निर्धारित नहीं किया गया और इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रक्रिया को नियमों के विपरीत माना - याचिकाकर्ता लिखित और मौखिक परीक्षा में उत्तीर्ण थे पर चयनित नहीं हुए, उनकी अर्जी हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दी जिसके खिलाफ वे सुप्रीम कोर्ट गए -
सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि जिन लोगों का चयन नियमों में बदलाव से हुआ, वह गैर-कानूनी था लेकिन उसे अमान्य करके चयनित उम्मीदवारों को हटाया नहीं जा सकता क्योंकि उन्हें 6 साल का अनुभव और इस तरह हम न्यायपालिका में अनुभवी लोगों से वंचित हो जाएंगे - कहने का मतलब है कि एक तरफ से सुप्रीम कोर्ट ने केरल राज्य सरकार द्वारा किए गए नियमों में बदलाव को भी सही मान लिया और अवैध नियुक्तियों को भी वैध कह दिया - यह फैसला 12 जुलाई, 2023 को चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने दिया था और न्यायपालिका में अंधेरे को जन्म दिया
वर्ष 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस दीपक गुप्ता की अध्यक्षता में एक 8 सदस्यीय समिति का गठन किया था जिसे 25 लाख वकीलों (जजों समेत) की कानून की डिग्री का सत्यापन करने के लिए कहा गया (verification) और उसे 31 अगस्त, 2023 तक रिपोर्ट देनी थी लेकिन वह रिपोर्ट 15 महीने बाद भी अभी तक नहीं आई है - लेकिन जैसे Illegal तरह से चयनित हुए जिला जजों की नियुक्ति को नियमित कर दिया उसके 6 साल के अनुभव को ध्यान में रख कर, कहीं ऐसा न हो कि जिन वकीलों की डिग्री फर्जी पाई जाएंगी, उसने भी प्रैक्टिस करने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट दे दे क्योंकि उन्हें भी अदालत में लम्बा अनुभव हो चुका है -
उत्तर प्रदेश में तो अभी चयन भी नहीं हुआ है और केवल एक दिन की जगह 2 दिन में परीक्षा लेने की प्रक्रिया को गलत ठहरा दिया सुप्रीम कोर्ट ने - हर मामला उत्तर प्रदेश का सुप्रीम कोर्ट में पलटी खाता है, क्या कारण है - एक दिन में 5 लाख से ज्यादा लोगों की परीक्षा कराने में समस्या तो होगी ही -
परीक्षा लेने के लिए प्राइवेट स्कूलों का उपयोग बंद कर दिया गया है केवल सरकारी स्कूलों में परीक्षा होगी - हो सकता है प्राइवेट स्कूलों में परीक्षार्थियों की मनमर्जी चलने की सम्भावना रहती हो जो सरकारी स्कूलों में नहीं होगी, बवाल इसीलिए है - परीक्षा देने वाला हर समय तैयार रहता है चाहे परीक्षा एक दिन में हो या दो दिन में -
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