27 जुलाई, 2022 के जस्टिस खानविलकर के PMLA, 2002 के सभी प्रावधानों को सही ठहराने के बाद सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्ट अपनी अपनी मर्जी से ऐसी ऐसी व्याख्या करते आ रहे हैं जिससे जांच एजेंसियों की हाथ काटे जा रहे हैं और आरोपितों को मौज दी जा रही है जैसे अदालतें अपराधियों के साथ खड़ी है। अदालतों की व्याख्या कह रही है जैसे खानविलकर की बेंच ने PMLA, 2002 को सही कह कर कोई अपराध किया हो।
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एक अन्य आदेश में जस्टिस अभय ओका और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने 13 दिसंबर को ED को लाटरी किंग के नाम से प्रसिद्ध सैंटियागो मार्टिन, उसके रिश्तेदारों और कर्मचारियों के खिलाफ छापेमारी के दौरान जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों मसलन लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन के डाटा तक पहुंचने और उसकी कॉपी बनाने से रोक दिया।
इस रोक के बाद जांच एजेंसियों को आरोपितों के लैपटॉप और मोबाइल जब्त करने से पहले पुनर्विचार करना पड़ेगा लेकिन इस तरह के आदेश से आरोपितों की बहुत बड़ी मदद हो जाएगी, मतलब साफ़ है सुप्रीम कोर्ट का “हाथ आरोपितों के साथ” और इसके पीछे कुछ भी Hankey Pankey कारण हो सकता है।
जस्टिस खानविलकर की बेंच ने ED की जब्तीकरण की शक्तियों को उचित और वैध कहा था लेकिन ओका और मित्तल साहब अपना दिमाग लगा रहे हैं। ऐसा टकराव सुप्रीम कोर्ट के जजों में बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।
ये कंपनी सैंटियागो मार्टिन कोई छोटी मोटी कंपनी नहीं है। इसकी कंपनी Future Gaming ने सबसे ज्यादा 1368 करोड़ के इलेक्टोरल बांड राजनीतिक दलों को दिए थे और 2021-22 में इसका सालाना turnover 20000 करोड़ था। इस कंपनी ने सिक्किम जैसे छोटे से राज्य को 910 करोड़ का नुकसान पहुंचाया और सैंटियागो मार्टिन ने दावा किया था कि उसने बंगाल सरकार को 2017 में 6000 करोड़ GST दिया जबकि GST शुरू ही पहली जुलाई, 2017 से हुआ था।
ED ने Future Gaming की 2 अप्रैल, 2022 को 409 करोड़ की संपत्ति जब्त की थी और 2015 में इसके सिलीगुड़ी ऑफिस से 100 करोड़ कॅश जब्त हुआ था।
ऐसी आरोपित कंपनी को सुप्रीम कोर्ट ने इतनी बड़ी राहत क्यों दे दी, यह सोचने का विषय है। अतुल सुभाष के केस में फॅमिली कोर्ट की जज का कोर्ट में ही 5 लाख की रिशवत मांगना याद रखना चाहिए।
लैपटॉप और मोबाइल में बहुत से Evidence हो सकते हैं और उन सबूतों तक ही यदि ED/CBI/IT की पहुंच नहीं होगी तो आरोप साबित कैसे करेंगी जांच एजेंसियां जिसका मतलब साफ़ है सुप्रीम कोर्ट ऐसे आरोपितों को राहत देकर बरी होने में मदद कर रहा है।
सारा क्लेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भ्रष्टाचार के विरुद्ध छेड़े गए अभियान को पलीता लगाना है।
सुप्रीम कोर्ट पूरा PMLA, 2002 ख़ारिज करके अपना ही एक्ट बना दे या सरकार को ही नया एक्ट बना देना चाहिए।
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