दिल्ली में कांग्रेस हमलावर, AAP और BJP पर कुप्रबंधन और अधूरे वादों का आरोप, 12 सूत्री श्वेत पत्र जारी; अजय माकन में केजरीवाल पार्टी को धूल चटाने की क्षमता

नरेंद्र मोदी-योगी विरोध में राहुल गाँधी और परिवार जॉर्ज सोरोस के कदमों में गिर कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाते रहा, जबकि अजय माकन दिल्ली में कांग्रेस को मजबूत करने का प्रयास करते रहे। बीजेपी से कहीं अधिक आम आदमी पार्टी के घोटालों को उजागर अजय माकन और इनके सहयोगी करते रहे। माकन शुरू से अरविन्द केजरीवाल के साथ किसी भी स्तर पर कोई समझौता करने का विरोध करते रहे, लेकिन नगारे की आवाज़ में तूती शीर्ष नेतृत्व नज़रअंदाज़ होती रही। अगर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व दिल्ली चुनावों में माकन के मार्गदर्शन में लड़ेगी, कांग्रेस दिल्ली में अगर सरकार नहीं बना पाएगी अपना पहचान और जनता के दिलों में जगह बना लेगी। 
देखा जाए तो कांग्रेस को बीजेपी ने नहीं आम आदमी पार्टी ने ही गड्डे में धकेला है। माकन तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के विकास कार्यों को जनता को याद करा रहे थे, लेकिन शीर्ष नेतृत्व बीजेपी बीजेपी रोता रहा। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को समझना होगा कि बीजेपी को टक्कर देने के लिए केजरीवाल को दरकिनार करना होगा। शराब घोटाले और अन्य घोटालों पर जितना अजय माकन केजरीवाल पार्टी को धूल चटाने की क्षमता रखते हैं, बीजेपी नहीं। दिल्ली में केजरीवाल की हार का मतलब होगा दिल्ली में कांग्रेस को जीवन, और आम आदमी पार्टी का पतन। 
इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि केजरीवाल पार्टी ही ऐसी पार्टी है जिसने दिल्ली और पंजाब से बाहर जमानत जब्त ही नहीं कई क्षेत्रों में NOTA से भी कम वोट लेने वाली अनोखी पार्टी है। अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए INDI गठबंधन में शामिल होने और रहने के लिए सिर पटकता रहा। जिसे गाँधी परिवार नहीं समझ सका।     
दिल्ली कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला बोलते हुए एक 12-सूत्रीय श्वेत पत्र जारी किया है। इस श्वेत पत्र में प्रदूषण, नागरिक सुविधाओं और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों पर दोनों पार्टियों की आलोचना की गई है। कांग्रेस ने इसे मौका मौका, हर बार धोखा शीर्षक दिया है। जिसमें दिल्ली और केंद्र सरकार पर कुप्रबंधन और जनविरोधी नीतियों का आरोप लगाया गया है।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एआईसीसी कोषाध्यक्ष अजय माकन ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फर्जीवाल कहते हुए उन्हें धोखाधड़ी का राजा करार दिया। माकन ने आरोप लगाया कि जन लोकपाल आंदोलन से सत्ता हासिल करने वाले केजरीवाल भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल की स्थापना करने में असफल रहे।
उन्होंने कहा कि पंजाब में आप की पूर्ण सरकार है। फिर भी जन लोकपाल लागू क्यों नहीं किया गया। अगर दिल्ली में उपराज्यपाल इसे रोक रहे हैं तो केजरीवाल पंजाब में इसे लागू क्यों नहीं करते। माकन ने कहा कि आप ने दिल्ली को लंदन जैसा बनाने का वादा किया था। लेकिन इसके बजाय राजधानी आज प्रदूषण में नंबर एक बन गई है।
भाजपा पर भी निशाना
अजय माकन ने भाजपा सरकार की भी आलोचना की और केंद्र पर दिल्ली के मुद्दों की अनदेखी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा और आप दोनों की नीतियों ने दिल्ली को एक संकटग्रस्त शहर बना दिया है।
आप-कांग्रेस गठबंधन पर सवाल
अजय माकन ने 2013 में आप को दिए गए कांग्रेस के समर्थन को एक गलती करार दिया। उन्होंने कहा कि आप के साथ गठबंधन से कांग्रेस कमजोर हुई और दिल्ली की वर्तमान समस्याओं में योगदान दिया। अब समय आ गया है कि इस गलती को सुधारा जाए। उन्होंने हाल के गठबंधनों पर भी पुनर्विचार की आवश्यकता जताई। यह स्वीकार करते हुए कि ये गठबंधन कांग्रेस के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति
इस महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के प्रमुख नेता शामिल थे। जिनमें एआईसीसी दिल्ली प्रभारी काजी मोहम्मद निजामुद्दीन, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र यादव, सह-प्रभारी दानिश अबरार और सुखविंदर सिंह डैनी शामिल थे।
राजनीतिक हलकों में हलचल
इस श्वेत पत्र ने दिल्ली की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। कांग्रेस ने आप और भाजपा दोनों पर शासन और जनता के मुद्दों को हल करने में असफल रहने का आरोप लगाया है। हालांकि आप और भाजपा की ओर से इस पर कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं आई है।
जैसे-जैसे 2025 के चुनाव नज़दीक आ रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस का यह आक्रामक रुख उसे दिल्ली में पुनर्जीवित करने में कितना कारगर साबित होता है।

दिल्ली के Bollywood में फिल्म चल रही है ; “मैं अपने बाप का चोर बेटा हूं” निर्माता, निर्देशक, हीरो के रोल में सिर्फ मक्कार-ए-आज़म “केजरीवाल”; इसके छलावे में जनता आती है तो शर्म की बात है

सुभाष चन्द्र

सही मायने में देखा जाए तो यह सत्य है, दिल्ली का सबसे बड़ा “ठग” चोरबाज़ारी की सारी हदें पार कर रहा है और हर झूठ पूरे आत्मविश्वास (Confidence) के साथ बोलता है।  जो योजना 2024-25 के बजट में थी महिलाओं को 1000 रुपए देने की वह तो दबा दी यमुना के खड़े हुए पानी में और अब धोखेबाज़ कह रहा है 2100 रुपए देगा लेकिन किसी को पता नहीं कितनी महिलाओं को पैसा मिलेगा? साथ ही 60 साल से ऊपर वालों को फ्री इलाज की “संजीवनी” योजना का भी वादा कर रहा है दोनों योजनाओं के लिए Registration भी शुरू कर दिया है

लेखक 
चर्चित YouTuber 
जब मीनाक्षी लेखी ने कहा ऐसी कोई योजना कैबिनेट से स्वीकार ही नहीं हुई है और कोई notification भी जारी नहीं हुआ तो झूठ बोलने की मशीन केजरीवाल कह रहा है कि दोनों योजनाएं कैबिनेट से approve हुई है अगर ऐसा है तो फिर वह योजनाएं संबधित विभाग के पास क्यों नहीं हैं

लेकिन दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने आज ही सार्वजनिक सूचना जारी करके कहा है कि - “एक राजनीतिक पार्टी दिल्ली की महिलाओं को मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना के तहत प्रति माह 2100 रुपये देने का दावा कर रही है जबकि यह सत्य नहीं है क्योंकि कोई भी योजना विभाग की वेबसाइट पर होती है क्योंकि ऐसी कोई योजना अस्तित्व में नहीं है, इसलिए इसके पंजीकरण के लिए फॉर्म/आवेदन स्वीकार करने का सवाल ही नहीं उठता

नागरिकों को सावधान किया जाता है कि इस योजना ने नाम पर व्यक्तिगत विवरण जैसे बैंक खाते की जानकारी, वोटर आईडी कार्ड, फ़ोन नंबर, आवासीय पता या कोई अन्य संवेदनशील जानकारी साझा करना सार्वजनिक डोमेन में जानकारी लीक होने का खतरा पैदा कर सकता है, जो अपराध/साइबर अपराध/बैंकिंग धोखाधड़ी का कारण बन सकता है इस स्तिथि में नागरिक पूरी तरह से अपने जोखिम पर होंगे और उन्हें किसी भी तरह के परिणामों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा”

महिलाओं से रजिस्ट्रेशन के लिए जो दस्तवेज मांगे जा रहे हैं, वे हैं- आधार कार्ड; वोटर आईडी कार्ड; पैन कार्ड; बैंक अकाउंट डिटेल; एड्रेस प्रूफ और इनकम सर्टिफिकेट उन्हें हलफनामा देना होगा कि वह इस योजना से मिलने वाले लाभ के लिए Eligible हैं

लाभ लेने के लिए महिला को दिल्ली का नागरिक और वोटर होना चाहिए; 18 साल से ज्यादा उम्र होनी चाहिए; परिवार की आय 3 लाख से ज्यादा न हो; और यदि किसी महिला को दिल्ली सरकार से कोई अन्य लाभ मिल रहा है तो इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा, जैसे old age pension, widow pension, disability pension या कोई अन्य महिलाओं के लिए लाभ

आजकल इतने मामले Digital Arrest के आ रहे हैं और यह केजरीवाल सारी जानकारी लेकर किसी को भी लुटवा देगा वह भी तब जबकि बिना OTP के भी बैंक के खाते अपराधी खाली कर देते हैं

बुजुर्गों की संजीवनी के बारे कह रहा है 60 के ऊपर आयु वालों को फ्री इलाज मिलेगा पहले यह तो बता कि आयुष्मान योजना लागू न करके कितने लोगों का इलाज कराया है अभी तक? और केजरीवाल ही कहता था कि यूपी बिहार के लोग 500 रुपये का टिकट लेकर दिल्ली आते हैं और लाखों का इलाज फ्री में करा कर चले जाते हैं फिर मक्कार-ए-आज़म तू कौन सी संजीवनी योजना ला रहा है? लगता है उनका इलाज भी फर्जी कराएगा अपने mohalla clinics में जहां बिना फ़ोन नंबर फ़ोन पर रिपोर्ट भेजी जाती हैं और हजारों लोगों का एक फ़ोन नंबर होता है

अब नया घोटाला करने की तैयारी में हैं

महाकुंभ में लेंगे पीलीभीत एनकाउंटर का बदला: खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने वीडियो जारी कर दी धमकी, PM मोदी-CM योगी को कहे अपशब्द

पन्नू ने मंगलवार (24 दिसम्बर, 2024) को एक वीडियो जारी किया। 3 मिनट के इस वीडियो में उसने कहा है कि यह एनकाउंटर फर्जी था और मारे गए तीनों आतंकी असल में शहीद हैं। उसने परिवार को मदद देने का भी ऐलान किया है। उसने कहा है कि SFJ उन तीनों परिवारों को ₹5 लाख देगा।

उसने साथ ही में प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को लेकर भी अपशब्द कहे। पन्नू ने कहा है पीलीभीत में ही 1991 में एक फर्जी एनकाउंटर हुआ था जिसमें 11 सिखों को मार दिया गया था। उसने कहा है कि हालिया एनकाउंटर का बदला वह प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में लेगा।

पन्नू ने कहा है कि 14 जनवरी, 29 जनवरी और 3 फरवरी, 2025 को प्रयागराज महाकुंभ में हमला किया जाएगा। उसने हिंदुत्व को आतंकवाद करार दिया है। उसने पंजाब की आजादी और खालिस्तान को लेकर भी अपना प्रलाप दोहराया है। पन्नू की धमकी को पीलीभीत पुलिस ने संज्ञान में लिया है।

पीलीभीत पुलिस ने साइबर थाने में इस संबंध में एक FIR दर्ज कर ली है। पुलिस ने बताया है कि वह इस वीडियो को लेकर जाँच कर रहे हैं। कई जगह दावा किया गया है कि पीलीभीत पुलिस को भी इस घटना के बाद धमकियाँ दी गई हैं।

सोमवार (23 दिसम्बर, 2024) को पीलीभीत के पूरनपुर में उत्तर प्रदेश पुलिस और पंजाब पुलिस ने एक संयुक्त ऑपरेशन में तीन खालिस्तानी आतंकियों को मार गिराया था। यह तीनों पंजाब के गुरदासपुर में एक पुलिस चौकी पर हमला करके भागे थे और पीलीभीत में आकर छुप गए थे।

यह तीनों आतंकी आतंकी खालिस्तान जिंदाबाद फ़ोर्स नामक देश विरोधी संगठन से जुड़े हुए थे। इनके हैंडलर ग्रीस, पाकिस्तान और इंग्लैंड में बैठे हुए थे। तीनों के पास से काफी हथियार भी बरामद हुए थे। एनकाउंटर में मार गिराए जाने के बाद उनके शरीर को पंजाब भेज दिया गया है।

बिहार में 'प्रेगनेंट' हो रहे हैं पुरुष टीचर, धड़ल्ले से ले रहे मां बनने के नाम पर छुट्टी


बिहार के वैशाली में एक Male टीचर को Maternity leave दे दी गई। और यह जानकारी शिक्षा विभाग के सरकारी पोर्टल पर अपलोड कर दी गई
 जिसके बाद से शिक्षा विभाग की फजीहत हो रही है

मैटरनिटी लीव (Maternity leave) का कॉन्सेप्ट प्रेग्नेंसी और उसके बाद महिलाओं को आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए लाया गया था। लेकिन नीति नियंताओं को भी कहां पता होगा कि बिहार (Bihar Education Department) का शिक्षा विभाग इतना उदार होगा कि एक पुरुष टीचर को भी मेटरनिटी लीव दे देगा। और टीचर ने भी शिक्षा विभाग की उदारता का मान रखा और कई दिनों तक स्कूल से गायब रहे जब यह जानकारी पब्लिक में आई तब जाकर कहीं विभाग को याद आया कि अभी वैज्ञानिक कोई ऐसी खोज नहीं कर पाए हैं जो बायोलॉजिकल ऑर्डर में बदलाव ला सके और पुरुष मातृत्व का अनुभव कर सके
इंडिया टुडे से जुड़े संदीप आनंद की ख़बर के मुताबिक, मामला वैशाली जिले के महुआ ब्लॉक के हसनपुर उच्च माध्यमिक विद्यालय का है यहां तैनात शिक्षक जीतेंद्र कुमार को 2 दिसंबर से 10 दिसंबर तक की मैटरनिटी लीव दी गई थी यह जानकारी शिक्षा विभाग के सरकारी पोर्टल ई शिक्षा कोष से सामने आई. इस पोर्टल पर ये जानकारी अपलोड की गई थी कि जीतेंद्र कुमार को मैटरनिटी लीव मिली हुई है जैसे ही यह जानकारी वायरल हुई लोगों ने सोशल मीडिया पर इसका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया और विभाग को आलोचना का सामना करना पड़ा  
तकनीकी गलती के चलते हुई गड़बड़

इस घटना के बारे में जब शिक्षा विभाग को खबर मिली तो उन्होंने मामले की जांच शुरू की. स्थानीय प्रखंड शिक्षा अधिकारी अर्चना कुमारी ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि यह तकनीकी गड़बड़ के चलते हुआ है उन्होंने बताया कि सरकारी पोर्टल पर छुट्टी का आवेदन अपलोड करते समय मैटरनिटी लीव की इंट्री हो गई जो कि पुरुष शिक्षक के लिए गलत थी 

अर्चना कुमारी ने आगे बताया कि यह डाटा इंट्री की गलती थी और इसे सुधार लिया जाएगा. शिक्षा अधिकारी ने इस गड़बड़ी के लिए खेद भी व्यक्त किया है शिक्षा अधिकारी अब सफाई दे रही हैं लेकिन इस मामले ने शिक्षा विभाग की किरकिरी करवा दी है और अब विभाग डैमेज कंट्रोल में जुटा हुआ है

दिल्ली : न संजीवनी, न महिला सम्मान… अपने दस्तावेज न दें, हो सकता है फ्रॉड: केजरीवाल की स्कीम को दिल्ली सरकार के ही विभागों ने बताया फर्जी, AAP चला रही रजिस्ट्रेशन अभियान

                                संजीवनी योजना का प्रचार करते केजरीवाल एवं AAP नेता (साभार: आजतक)
दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार विधानसभा चुनावों से पहले अपनी ‘महिला सम्मान योजना’ और ‘संजीवनी योजना’ को खूब प्रचारित कर रहे हैं। वहीं, AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल सहित AAP कार्यकर्ता इन योजनाओं के लिए घूम-घूम कर पंजीकरण करा रहे हैं। अब दिल्ली सरकार के दो विभागों- स्वास्थ्य तथा महिला एवं बाल विकास ने नोटिस जारी करके दोनों योजनाओं को फर्जी बताया है।

दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में कहा गया है कि उसे मीडिया रिपोर्टों और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से जानकारी मिली है कि ‘एक राजनीतिक दल’ ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ के तहत दिल्ली की महिलाओं को 2100 रुपए प्रतिमाह देने का दावा कर रहा है। दिल्ली सरकार द्वारा ऐसी कोई योजना अधिसूचित नहीं की गई है।

नोटिस में आगे कहा गया है कि अगर ऐसी योजना आती है तो उसके लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किया जाएगा। विभाग ने इस योजना को भ्रामक बताया है और कहा है कि जो भी राजनीतिक दल इस योजना के नाम पर फॉर्म भरवा रहा है, यह धोखाधड़ी के सिवाय और कुछ नहीं है। इसलिए ऐसी धोखाधड़ी से बचें और अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें।

नोटिस में आगे लिखा है, “नागरिकों को सावधान किया जाता है कि इस योजना के नाम पर व्यक्तिगत विवरण जैसे कि बैंक खाता, वोटर आईडी, फोन नंबर आदि के लीक होने का खकतरा हो सकता है और इसका फायदा साइबर अपराधी उठा सकते हैं। दिल्ली के सामान्य नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे इस गैर-मौजूद योजना के झूठे वादों को ना मानें, क्योंकि ये भ्रामक हैं।”

वहीं, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने ‘संजीवनी योजना’ को भी धोखाधड़ी बताया है और जनता को सचेत रहने के लिए कहा है। केजरीवाल या आम आदमी पार्टी सरकार की इस कथित योजना में दिल्ली के सभी अस्पतालों में 60 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराने का दावा किया गया है। अब विभाग ने साफ तौर पर कहा है कि इस तरह की कोई योजना ही मौजूद नहीं है।

विभाग का कहना है कि अवैध व्यक्तियों ने पंजीकरण अभियान चलाया है, जिसमें वरिष्ठ नागरिकों से आधार और बैंक खाता जानकारी सहित व्यक्तिगत जानकारी माँगी जा रही है। इसके साथ ही नकली स्वास्थ्य योजना कार्ड वितरित किए जा रहे हैं। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग ने जनता को इस योजना पर विश्वास नहीं करने तथा व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं करने की सलाह दी है।

इससे एक दिन पहले ही भाजपा ने आम आदमी पार्टी की इन योजनाओं को लेकर AAP सरकार पर हमला बोला था। भाजपा ने कहा था कि ये योजनाएँ सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। दरअसल, AAP ने पहले इन दोनों योजनाओं के लिए अपने वॉलंटियर्स के माध्यम से पूरे दिल्ली में रजिस्ट्रेशन का काम शुरू किया है।

अवलोकन करें:-

दिल्ली : दिल्ली सरकार ने ही निकाल दी केजरीवाल की गुमराह करने वाली योजनाओं की हवा; दिल्ली सरकार क

इन नोटिसों के बाद AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने राजनीति शुरू कर दी है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने कहा, “महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना से ये लोग (BJP) बुरी तरह से बौखला गए हैं। अगले कुछ दिनों में फ़र्ज़ी केस बनाकर आतिशी जी को गिरफ्तार करने का इन्होंने प्लान बनाया है। उसके पहले “आप” के सीनियर नेताओं पर रेड की जाएँगी।”

दिल्ली : दिल्ली सरकार ने ही निकाल दी केजरीवाल की गुमराह करने वाली योजनाओं की हवा; दिल्ली सरकार के विभागों ने जनता को किया सावधान, चालों से दूरी बनाएं

                                          दिल्ली सरकार ने जनता को चेताया है. (फ़ोटो - PTI)
अरविन्द केजरीवाल द्वारा मुफ्त की रेवड़ियों घोषित करते ही दिल्ली सरकार ने जनता को इन चालों से दूर रहने की सलाह दे दी है। फिर जनता केजरीवाल की घोषित रेवड़ियां ठीक कांग्रेस की खटाखट की तरह होने वाली है। दिल्ली सरकार के दो विभागों ने इसे लेकर सार्वजनिक नोटिस जारी किया है ये विभाग हैं- Women and Child Development Department, Delhi और Department of Health and Family Welfare, Delhi. वहीं, AAP के संयोजक Arvind Kejriwal ने भी जनता को आगाह किया है

दिल्ली सरकार के दो विभागों ने दो योजनाओं को लेकर नोटिस जारी किए हैं। इनमें दिल्ली सरकार की इन दो योजनाओं को लेकर लोगों को ‘सचेत’ किया गया है। ये दो योजनाएं हैं- ‘मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना’ और ‘संजीवनी योजना’। विभागों का कहना है कि ये योजनाएं फिलहाल लागू नहीं हुई हैं। इस तरह की किसी भी योजना को लेकर रजिस्ट्रेशन ना करें (Delhi Government Schemes)। इधर, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पलटवार किया है

अरविंद केजरीवाल ने इसे लेकर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर पोस्ट किया. आज, 25 दिसंबर को प्रेस कॉन्फ़्रेंस करने की बात कहते हुए अरविंद केजरीवाल ने लिखा, महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना से ये लोग बुरी तरह से बौखला गए हैं. अगले कुछ दिनों में फ़र्ज़ी केस बनाकर मुख्यमंत्री आतिशी को गिरफ़्तार करने का प्लान बनाया गया है इससे पहले ‘आप’ के सीनियर नेताओं के यहां रेड करने की भी प्लानिंग है. आज 12 बजे इस पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस करूंगा

इधर, दिल्ली सरकार के दो विभागों की तरफ से जो नोटिस जारी किए गए हैं, उनमें कहा गया है कि दिल्ली के लोग इन दोनों योजनाओं को लेकर किसी भी व्यक्ति या राजनीतिक पार्टी को निजी जानकारी न दें। क्योंकि इससे साइबर अपराध या बैंकिंग धोखाधड़ी हो सकती है। विभागों ने जनता को ऐसी ‘भ्रामक योजनाओं’ से सतर्क रहने की चेतावनी दी है। महिला एवं बाल विकास विभाग (WCD) ने सार्वजनिक नोटिस में कहा, ऐसी कोई योजना अस्तित्व में नहीं है, इसलिए इस ‘गैर-मौजूद योजना’ के तहत पंजीकरण के लिए फॉर्म/आवेदन को स्वीकार करने का सवाल ही नहीं उठता। अगर कोई भी फॉर्म/आवेदन इकट्ठा कर रहा है या जानकारी इकट्ठा कर रहा है, तो वो धोखाधड़ी कर रहा है और उनके पास कोई अधिकार नहीं है

WCD के नोटिस में आगे कहा गया कि आधिकारिक योजनाओं तक सिर्फ़ विभाग की वेबसाइट के ज़रिए ही पहुंचा जा सकता है। किसी भी भविष्य की योजना के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश और आवेदन प्रस्तुत करने के लिए एक आधिकारिक डिजिटल पोर्टल होगा। वहीं, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने भी ‘संजीवनी योजना’ को लेकर इसी तरह की बात कही है

इस ‘योजना’ के तहत दिल्ली के सभी अस्पतालों में 60 साल से ज़्यादा उम्र के निवासियों के लिए मुफ्त इलाज प्रदान करने का दावा किया गया है। इधर, विभाग की तरफ से कहा गया है कि ऐसी कोई योजना मौजूद नहीं है। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग जनता को इस ‘गैर-मौजूद योजना’ के तहत मुफ़्त इलाज के वादों पर विश्वास न करने, निजी जानकारी शेयर न करने और इससे जुड़े डाक्यूमेंट्स पर साइन न करने की सलाह देता है

राम मंदिर पर फैसले को ‘न्याय का मजाक’ बताने वाले ‘पादरी’ से बने सुप्रीम कोर्ट जज, हिन्दू विरोधी जस्टिस रामासुब्रमण्यन को NHRC का अध्यक्ष बनवाना चाहती थी कांग्रेस

                    कांग्रेस चाहती थी कि राम मंदिर विरोधी रोहिंटन नरीमन NHRC के मुखिया बनें 
कांग्रेस ने एक बार फिर से एक ऐसे व्यक्ति की देश के महत्वपूर्ण पद के लिए वकालत की है, जिसने हाल ही में हिन्दुओं को लेकर आपत्तिजनक बातें कही थीं। इसी व्यक्ति ने राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत बताया था। यह व्यक्ति जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन हैं। रोहिंटन नरीमन सुप्रीम कोर्ट में जज रहे हैं। कांग्रेस ने उनकी वकालत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के मुखिया तौर पर हाल ही में की। उनको नियुक्त ना किए जाने पर कांग्रेस ने एक डिसेंट नोट(असहमति पत्र) भी लिखा है। यह पत्र अब सामने आया है।

NHRC के मुखिया के तौर पर सोमवार (23 दिसम्बर, 2024) को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज वी रामासुब्रमण्यन को नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति उस कमिटी की सिफारिश पर की गई है, जो NHRC के मुखिया और सदस्यों के नामों पर मुहर लगाती है।

इस कमिटी में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के साथ ही संसद के दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष और राज्यसभा के उपसभापति भी होते हैं। इसी कमिटी की बैठक में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी और कांग्रेस मुखिया तथा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रोहिंटन नरीमन के नाम की वकालत की थी।

यह बैठक 18 दिसम्बर, 2024 को संसद भवन में हुई थी। इस बैठक में जस्टिस रोहिंटन नरीमन के नाम पर सहमति ना बनने के कारण राहुल गाँधी और खरगे ने एक असहमति का नोट लिखा। इस असहमति नोट में उन्होंने कहा है कि वह जस्टिस फली नरीमन को इसलिए NHRC का मुखिया बनाना चाहते थे क्योंकि वह अल्पसंख्यक पारसी समुदाय से आते हैं।

इसके अलावा उन्होंने नरीमन को बौद्धिक गहराई और संवैधानिक मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध बताया है। इन्हीं फली नरीमन ने हाल ही में जस्टिस AM अहमदी मेमोरियल लेक्चर में हिन्दुओं को लेकर काफी अशोभनीय बातें कही थी।

उन्होंने राम मंदिर को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट को कोसा था और मस्जिद ना बनाने पर दुख जाहिर किया था। रोहिंटन नरीमन ने कहा था कि 1984 में विश्व हिन्दू परिषद की राम मंदिर बनाने की माँग ‘तानाशाही’ और ‘अत्याचारी’ थी। उन्होंने कहा राम मंदिर के मामले में हिन्दू पक्ष को हमेशा कानून के खिलाफ रहने वाला भी करार दिया था।

रोहिंटन नरीमन ने इसी वक्तव्य में इस बात पर भी निराशा जताई थी कि बाबरी गिराने के एवज में उसी राम जन्मभूमि के सीने पर मस्जिद दुबारा क्यों नहीं खड़ी की गई। मस्जिद ना तामीर किए जाने को नरीमन ने ‘न्याय के साथ भद्दा मजाक‘ बताया था और कहा था कि यह एक भरपाई होती।

जिन रोहिंटन नरीमन ने देश की लगभग 100 करोड़ हिन्दू आबादी के लिए श्रद्धेय राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त करने वाले फैसले को गलत बताया, उन्हें मानवाधिकार आयोग का मुखिया बनाना चाहती थी। जिस मानवाधिकार आयोग का काम देश के सभी लोगों को सर उठा कर जिन्दगी जीने के अधिकार को सुरक्षित करना है, उसका मुखिया कांग्रेस उस रोहिंटन नरीमन को बनाना चाहती थी जो राम मंदिर मामले में हिन्दुओं को कानून के खिलाफ मानते हैं। विचारणीय बात यह है कि रोहिंटन नरीमन यदि इसके अध्यक्ष बनते तो उनके हिन्दुओं के प्रति क्या विचार रहते।

रोहिंटन नरीमन के पिता फली नरीमन ने भी हिन्दू संत योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने को लेकर भी अपनी खीझ दिखाई थी। उन्होंने यह तब किया था जब अपने बेटे रोहिंटन नरीमन को पारसी समुदाय का पादरी बनाया था।

दिल्ली : विधानसभा चुनाव से पहले बांग्लादेशियों के बन रहे थे आधार-वोटर कार्ड, दिल्ली पुलिस ने 11 लोगों के गैंग को पकड़ा: कबाड़ बीनने से लेकर फैक्ट्री तक में काम कर रहे घुसपैठिए


दिल्ली में अवैध घुसपैठियों के विरुद्ध वर्तमान में बड़ा अभियान चल रहा है। इसी कड़ी में घुसपैठियों के भारतीय पहचान पत्र बनाने वाले एक बड़े गिरोह के 11 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। पकड़े गए लोगों में से 5 बांग्लादेशी हैं जबकि बाकी भारतीय हैं। पकड़े गए में गिरोह आधार कार्ड ऑपरेटर और टेक्निकल एक्सपर्ट भी शामिल हैं। इनके द्वारा अब तक बनाए गए पहचान पत्रों और उसे बनवाने वालों की भी पड़ताल चल रही है।

दिल्ली पुलिस ने यह कार्रवाई मंगलवार (24 दिसंबर, 2024) को की है। दिल्ली के DCP दक्षिणी अंकित चौहान ने इस कार्रवाई की जानकारी मीडिया से साझा की है। उन्होंने बताया है कि जंगलों के रास्ते भारत में घुसपैठ करने वाले बांग्लादेशी विभिन्न रास्तों से दिल्ली पहुँच कर इस गिरोह से मिलते थे।

 DCP अंकित चौहान ने बताया, “हमने कुछ दिन पहले 4 लोगों को हत्या के एक मामले में पकड़ा था। उन्होंने बताया कि वह बांग्लादेशी हैं। उन्होंने सेंटो शेख नाम के एक आदमी ने उन्हें बुलाया था। उसने यहाँ दिल्ली के रोहिणी इलाके में पूनम कम्प्यूटर सेंटर चलाने वाले साहिल से मिलकर इन बांग्लादेशियों का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाया। उनका आधार कार्ड भी बनवाया गया। 11 लोग गिरफ्तार किया गया है। इसमें 5 बांग्लादेशी और 6 उनके मददगार शामिल हैं।”

DCP अंकित चौहान ने बताया, “यह लोग जंगल के रास्ते भारत आते हैं। इसके बाद यह फर्जी कागजों के सहारे दिल्ली तक आते हैं। इसके बाद यह दिल्ली आकर फर्जी कागज बनाने वाले नेटवर्क से मिलकर आधार कार्ड वगैरह हासिल करते हैं। इसमें एक वेबसाइट का भी खुलासा हुआ है। इस वेबसाइट से फर्जी कागज बनाए जाते थे। यह वेबसाइट रजत मिश्रा, सद्दाम, सोनू कुमार और चाँद मोहम्मद मिलकर चलाते थे। इससे 228 प्रमाण पत्र 2 अकाउंट से बनाए गए हैं। कुल प्रमाण पत्र हजारों में हो सकते हैं।”

उन्होंने यह भी बताया कि एक महिला ने भारत में आकर अपना वोटर कार्ड भी बनवा लिया था। उसको भी पकड़ा गया है। पुलिस ने बताया है कि वह दिल्ली में घुसपैठियों की रोज तलाश कर रहे हैं। गौरतलब है कि यह घुसपैठिए कबाड़ बीनने से लेकर फैक्ट्रियों में काम करने में लगे हुए हैं। इन सभी से पूछताछ की जा रही है।

पुलिस यह भी पड़ताल कर रही है कि इनके द्वारा बनाए गए पहचान पत्रों का उपयोग कर के कौन सा घुसपैठिया कहाँ रह रहा है। इन गिरोह में शामिल अन्य लोगों की भी जानकारी जुटाई जा रही है। इन्होंने कितने फर्जी दस्तावेज अब तक तैयार कर दिए, इस पर भी जाँच हो रही है।

फरवरी,2025 में दिल्ली में होने जा रहे विधानसभा चुनावों से पहले उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने पुलिस को अवैध घुसपैठियों के खिलाफ सघन अभियान चलाने का आदेश दिया है। इस अभियान के तहत अब तक 175 संदिग्ध बांग्लादेशी की पहचान की जा चुकी है। उनके कागजों का सत्यापन हो रहा है। इसके अलावा दिल्ली के स्कूलों को भी यह आदेश मिला है कि वह अवैध घुसपैठियों के बच्चों को दाखिला ना दें। भाजपा इससे पहले आरोप लगाती आई है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार ने अवैध घुसपैठियों को संरक्षण दिया है।

जो कल्पना मैंने की थी, वह अदालत में सच हो गई; अब इस्लामिक कट्टरपंथी शोर करेंगे कि मुस्लिम महिला वकीलों को “बुर्के” में कोर्ट आने दिया जाए; क्या सऊदी अरब और भारत के इस्लाम में समानता नहीं?

सुभाष चन्द्र

Organiser Weekly के तत्कालीन संपादक प्रो वेद प्रकाश भाटिया अपने बहुचर्चित स्तम्भ Cabbages & Kings में अक्सर लिखा करते थे कि "...burqa is not an Islamic culture..." कभी किसी ने न विरोध किया और न ही कोई खंडन, जबकि कई मुस्लिम विद्वान और नेता उनके इस स्तम्भ के प्रशसंक थे। ये लोग साप्ताहिक मिलने पर सबसे पहले Page 13 पर उनके स्तम्भ को ही पढ़ते थे और समाचार बाद में। फिर क्यों बुर्का/हिजाब पर विवाद खड़ा किया जाता है? क्या यह विवाद कट्टरपंथी अपनी तिजोरियां भरने के लिए मासूम मुसलमानों के जज्बातो से खिलवाड़ करते है? सुप्रीम कोर्ट को इस मसले पर मुस्लिम देशों से सलाह लेनी चाहिए, क्योकि गैर-मुस्लिम ही नहीं बल्कि कई मुस्लिम मुल्कों में भी इस पर बहुत नरमाई बरती जा रही है, फिर भारत में क्यों कट्टरपंथी विवाद खड़ा करते रहते हैं?         

वर्ष 2022 में 15 मार्च को कर्नाटक हाई कोर्ट ने सरकार के स्कूलों में ड्रेस कोड को उचित ठहराते हुए हिज़ाब की अनुमति नहीं दी थी। हिज़ाब के लिए कांग्रेस ने पूरे राज्य में कई महीने तक बवाल काटा था उस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट गया लेकिन CJI रमना ने 2 जजों की बेंच बना दी 13 अक्टूबर को दोनों ने अलग अलग फैसला देकर रायता फैला दिया और इसलिए फैसला हुआ ही नहीं 

लेखक 
चर्चित YouTuber 
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हिजाब को उचित नहीं बताया और ड्रेस कोड को वैध कहा जबकि जस्टिस सुधांशु धुलिया ने हिज़ाब को यह कह कर छूट दे दी कि यह स्वेच्छिक है, जो पहनना चाहे पहने और इस पर पाबंदी नहीं हो सकती लेकिन हिज़ाब पर बैन को जारी रखा गया था अदालत के आदेश में परंतु सुना है सिद्धारमैया सरकार ने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए स्कूलों में हिज़ाब की अनुमति दे रखी है

क्योंकि 2 जजों का फैसला बेमानी था, तो इसके लिए 3 जजों की बेंच बनाई जानी थी लेकिन वह नहीं बनाई गई 23 जनवरी, 2023 को CJI चंद्रचूड़, जस्टिस वी रामसुब्रमन्यन और जस्टिस पारदीवाला की बेंच ने कहा कि हम कर्नाटक के स्कूलों में हिज़ाब पहनने के मामले पर 3 जजों की बेंच बनाने पर विचार करेंगे 10 नवंबर, 2024 को चंद्रचूड़ रिटायर हो गए लेकिन करीब 2 साल तक उन्होंने 3 जजों की बेंच नहीं बनाई जबकि बाकी मामलों की सुनवाई दौड़ दौड़ कर करते थे

अपने 13 अक्टूबर, 2023 के लेख में मैंने लिखा था कि “सुप्रीम कोर्ट और अन्य सभी अदालतों में अगर मुस्लिम वकील और जज काला कोट उतार कर हिज़ाब पहन कर आना शुरू कर दें तो मैं देखता हूं, कौन सी अदालत उन्हें आर्टिकल 14, 19, 21 और 25 में ऐसा करने की अनुमति देती है

मैंने जो कल्पना की थी वह साकार हो गई आज खबर है कि 27 नवंबर को जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट में एक मुस्लिम महिला वकील, सैयद एनैन कादरी, बुर्का पहन कर जस्टिस राहुल भारती और जस्टिस मोक्ष खजुरिया काज़मी की कोर्ट में पहुंच गई जस्टिस भारती ने उस महिला वकील कादरी से नकाब हटाने को कहा तो उसने मना कर दिया और जोर देकर कहा कि चेहरा ढकना उसका “मौलिक अधिकार” है और कोर्ट उससे जबरन ऐसा करने को नहीं कह सकता 

जस्टिस भारती ने रजिस्ट्रार से रिपोर्ट मांगी और पाया कि BCI के ड्रेस कोड के अनुसार कोर्ट में आने के लिए ऐसी कोई पोशाक नहीं पहनी जा सकती 

कर्नाटक में भी यह एक प्रयोग किया गया था जबकि वहां के स्कूलों में भी ड्रेस कोड था लेकिन मुस्लिम छात्राओं को भड़का कर हिज़ाब पहनाया गया, फिर भी ड्रेस कोड को नज़रअंदाज करके जस्टिस धुलिया ने हिज़ाब के पक्ष में निर्णय दिया अब क्या सुप्रीम कोर्ट BCI के नियमों के खिलाफ जाकर महिला वकीलों को बुर्के में चेहरा ढक कर कोर्ट में आने देगा?  

जैसा प्रयोग कर्नाटक के स्कूलों में किया गया और मुस्लिम कठमुल्लाओं और कट्टरपंथियों ने हिज़ाब के लिए हल्ला बोला और वह चिंगारी कई राज्यों में भी फैली, वैसा ही प्रयोग एक हाई कोर्ट से शुरू किया गया है, और अब फिर इस पर मुस्लिम संगठन बखेड़ा खड़ा करेंगे। टीवी चैनलों पर बहस की जाएंगी और आरोप लगाया जाएगा कि मुस्लिम महिला वकीलों का दमन हो रहा है

अब मामला सुप्रीम कोर्ट के लिए टेढ़ा हो गया अगर वह स्कूलों की ड्रेस कोड के खिलाफ हिज़ाब की अनुमति देते हैं तो मुस्लिम महिला वकीलों को भी BCI के ड्रेस कोड के खिलाफ बुर्का पहनने की इज़ाज़त देनी पड़ेगी और लटकाए रखों मुस्लिमों के मामलों को, अब फंस गए न! 

साथ में सुप्रीम कोर्ट को यह भी फैसला देना चाहिए कि वोट डालते हुए भी चेहरा ढका नहीं होना चाहिए 

उत्तर प्रदेश : संभल में जहाँ मिली 3 मंजिला बावड़ी, वह कभी हिंदू बहुल इलाका था: रानी की पोती आई सामने, बताया- हमारा बचपन यहीं बीता, बदायूँ के अनेजा ने प्लॉट काट मुस्लिमों को बेच दिए

राजकुमारी शिप्रा और रानी की बावड़ी (साभार: भास्कर)
उत्तर प्रदेश स्थित संभल जिले के चंदौसी क्षेत्र में राजस्व विभाग ने एक प्राचीन बावड़ी को भी खोज निकाला है। इसे ‘रानी की बावड़ी’ कहा जा रहा है। इसकी साफ-सफाई का काम जोर-शोर से जारी है। चंदौसी नगरपालिका की सफाई एवं खाद्य निरीक्षक प्रियंका सिंह का कहना है कि यहाँ खुदाई मैन्युअली की जा रही है। 40-50 मजदूर काम कर रहे हैं।

प्रियंका सिंह का कहना है कि ये बावड़ी है और इसकी खुदाई में किसी प्रकार की हानि ना हो इसलिए मशीनों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। खुदाई का ये काम चंदौसी के लक्ष्मणगंज इलाके में हो रहा है। साल 1857 तक ये क्षेत्र हिन्दू बहुल हुआ करता था। हालाँकि, हिंदुओं के पलायन के बाद इस बावड़ी पर कब्जा कर लिया गया और उसे भर दिया गया।

दरअसल, इस जगह की खुदाई की माँग को लेकर संभल के जिलाधिकारी को एक प्रार्थना पत्र मिला था। प्रार्थना पत्र में लक्ष्मणगंज के अंदर बिलारी की रानी की प्रचीन बावड़ी होने का दावा किया गया था। इसी शिकायत का संज्ञान लेकर राजस्व विभाग की टीम लक्ष्मणगंज पहुँची थी। बस्ती के बीच में एक जगह चिन्हित कर के खुदाई शुरू हुई। कुछ ही देर बाद जमीन के नीचे प्राचीन इमारतें मिलनी शुरू हो गईं। 

रामपुर से सटे सहसपुर-बिलारी राजपरिवार द्वारा इसे बनवाया गया था। रानी की बावड़ी की खुदाई के बाद से यहाँ तीन मंजिला बावड़ी मिली है। वहीं, यहाँ रानी रहीं सुरेंद्र बाला की पोती राजकुमारी शिप्रा बाला ने बताया कि यह इलाका पहले हिंदू बहुल था। बाद में इस राजपरिवार के कई हिस्सेदार होने के बाद यहाँ की जमीनों को बदायूँ के अनेजा को बेच दिया। अनेजा ने इसकी प्लॉटिंग करके मुस्लिमों के बेच दिया।

राजकुमारी शिप्रा ने बताया, “यह दादी सुरेंद्र बाला और बाबा जगदीश कुमार की संपत्ति है। उनके बेटे लल्ला बाबू विष्णु कुमार की पाँच बेटियों में मैं सबसे छोटी हूँ। यहाँ हमारा पुश्तैनी फार्म हाउस था। फार्म हाउस में गन्ने की खेती हुआ करती थी। हम लोगों के लिए यहाँ एक कुआँ भी था। हम लोग यहाँ मम्मी-पापा के साथ पिकनिक मनाते थे। हमारा बचपन यहीं बीता है। यहाँ पर कोठी से जुड़ा हुआ लक्ष्मणगंज है।”

शिप्रा बाला का कहना है कि कोई भाई नहीं था। बकौल राजकुमारी, “अकेला आदमी अपनी संपत्ति पर ध्यान नहीं दे पाता है। इसके कारण लोग उसकी जमीन हथियाना शुरू कर देते हैं।” यही हाल परिवार से जुड़ी जमीनों का भी यही हुआ। ये मामला सहसपुर राजपरिवार से जुड़ा हुआ है। 1857 के सिपाही विद्रोह के समय सहसपुर की रानी अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में इसे छावनी के तौर पर इस्तेमाल करती थीं।

स्थानीय लोगों के अनुसार, यह बावड़ी बिलारी के राजा के नाना (सहसपुर के राजा) के समय की है। इसमें एक कूप और 4 कमरे हैं। बावड़ी के अंदर का दृश्य मंदिर जैसा दिखाई देता है। इसके अंदर एक सुरंग भी है। लगभग 150 साल पुरानी इस बावड़ी का प्रयोग पानी जमा करने और सैनिकों के आराम करने के लिए किया जाता था। इसके सिर्फ 150 मीटर दूर इलाके का सबसे प्रसिद्ध क्षेमनाथ तीर्थ मंदिर भी है।

यह बावड़ी करीब 10-12 मीटर लंबी और 28 फीट गहरी बताई जा रही है। संभल के डीएम राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि इस बावड़ी में नीचे के दो मंजिल मार्बल के हैं और सबसे ऊपर का मंजिल ईंटों का बना है। उन्होंने बताया कि यह 400 वर्गमीटर क्षेत्र में फैला है। वर्तमान में 210 वर्गमीटर ही है और बाकी हिस्सों पर कब्जा किया गया है। जिलाधिकारी ने बताया कि जल्द ही उन्हें भी खाली करा लिया जाएगा।

21से 29 दिसंबर सिख इतिहास : हिन्दुओं और सिखों को गुरु गोविंद सिंह जी की कुर्बानी नहीं भूलनी चाहिए ; क्रिसमस नहीं बलिदान दिवस मनाना चाहिए

आज जब कुछ भटके हुए सिख मलेछो के साथ मिलकर कभी कनाडा से कभी अमेरिका से और कभी पाकिस्तान से भारत के खिलाफ प्रपंच रचते हैं तो दिल में दुख भरी टीस उठती है.

20 दिसम्बर की वो रात गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने परिवार और 400 अन्य सिंखो के साथ आनंदपुर साहिब का किला छोड़ दिया था और निकल पड़े.....उस रात भयंकर सर्दी थी और बारिश हो रही थी.... सेना 25 कि.मी.दूर सरसा नदी के किनारे पहूंची ही थी कि मुगलों ने रात के अंधेरे में ही आक्रमण कर दिया, बारिश के कारण नदी में उफान था कई सिख शहीद हो गए,कुछ नदी में बह गये।*
*इस अफरा तफरी में परिवार बिछड़ गया माता गूजर कौर और दो छोटे साहिबजादे गुरु जी से अलग हो गये ... दोनों बड़े साहिबजादे गुरु जी के साथ ही थे।*
*उस रात गुरू जी ने एक खुले मैदान में शिविर लगाया अब उनके साथ दोनों बड़े साहिबजादे और 20 सिख यौद्धा थे। शाम तक अपने चौधरी रुपचंद और जगत सिंह की कच्ची गढ़ी में मोर्चा सम्भाल लिया अगले दिन जो युद्ध हुआ उसे इतिहास मे*
*2nd Battle of chamkaur sahib के नाम से जाना जाता है।*
*21से 29 दिसंबर सिख इतिहास में ही नहीं देश के इतिहास में बहुत बड़ी शहादत का दिन है।*
*28 दिसम्बर गुरु गोविंद सिंह जी 40 सिख फौजों के साथ चमकौर की गढ़ी एक कच्चे किले में 10 लाख मुगल सैनिकों से मुकाबला करते हैं एक-एक सिख दस लाख मुगलिया फौज पर भारी पड़ता है गुरु गोविंद सिंह जी के बड़े बेटे जिनकी उम्र मात्र 17 वर्ष की है साहेबजादा अजीत सिंह ने मुगल फौजों में भारी तबाही की, सैकड़ों मुगलों को मौत के घाट उतारा लेकिन दस लाख मुगलिया फौजों के सामने साहेबजादा अजीत सिंह शहीदी को प्राप्त करते हैं।*
*छोटे साहिबजादे जिनकी उम्र मात्र 14 वर्ष की है,बड़े भाई की शहादत को देखते हुए पिता गुरु गोविंद सिंह जी से युद्ध के मैदान में जाने की अनुमति मांगी एक पिता ने अपने हाथों से पुत्र को सजाकर युद्ध के मैदान में भेजा लाखों मुगलों पर भारी साहेबजादा जुझार सिंह ने युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिये और लड़ते -लड़ते वीर गति को प्राप्त हूए...*
*अपने दोनों लाल की शहादत पर पिता गुरु गोविंद सिंह जी के यह वाक्य चरितार्थ हूए...*
*मेरा मुझमें कुछ नहीं,जो कुछ है सो तेरा*
*तेरा तुझको सौंप के, क्या लागे मेरा*
*गुरु गोविन्द सिंह जी के दोनो छोटे बेटे साहिबजादा जोरावर सिंह साहिबजादा फतेह सिंह जिनकी उम्र 5 वर्ष और 7वर्ष की थी अपनी दादी माता गूजर कौर जी के साथ युद्ध के दौरान पिता गुरु गोविंद सिंह जी से बिछड़ जाते हैं रसोईया "गंगू ब्राह्मण" की नमक हरामी की वजह से ईनाम के लालच में सरहिंद के नवाब वजीर खान के पास बंदी बना लिये जाते हैं, दोनों छोटे -छोटे मासूम बच्चों को इस्लाम कबूल करवाने तरह -तरह की तकलीफ़े दी जाती है, माता गूजर कौर और छोटे -छोटे माता जी के पोतों को एक किले के ठंडे बुर्ज में कैद कर रखा जाता है, दिसम्बर का महिना खून जमा देने वाली ठंड उस पर किले का वह वह ठंडा बुर्ज जहां सामान्य दिनों में कपकपा देने वाली ठंड पड़ती है दादी अपने पोतों को अपनी ममता की छांव में सुलाती है।*
*27 दिसंबर का वह दिन वजीर खान के दरबार में दोनों छोटे साहिबजादो को हाजिर करने का फरमान जारी होता है। दादी अपने पोतों को सजा कर माथे में कलंगी लगाकर भेजती है।*
*कचहरी में घुससते ही नवाब के समक्ष शीश झुकाना है। जो सिपाही साथ जा रहे थे वे पहले सिर झुका कर खिड़की के द्वारा अंदर दाखिल हुए। उनके पीछे साहिबजादे थे। उन्होंने पहले खिड़की में पैर आगे किये और फिर सिर निकाला।*
*थानेदार ने बच्चों को समझाया कि वे नवाब के दरबार में झुक कर सलाम करे। किन्तु बच्चों ने इसके विपरीत उत्तर दिया और कहा- यह सिर,,,,हमने,,,,,अपने ,,, पिता,,, गुरु,,, गोविंद सिंह के हवाले किया हुआ है, इसलिए इसे कहीं और झूकानें का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता।*
*कचहरी में नवाब वजीर खान के साथ और बड़े-बड़े दरबारी बैठे हुए थे। दरबार में प्रवेश करते ही जोरावर सिंह तथा फतेह सिंह दोनों भाईयों ने गर्ज कर जयकारा लगाया:-*
*वाहे गुरु जी,,,का,,, खालसा, वाहे गुरु जी,,,की,,,फतेह ।*
*नवाब तथा दरबारी, बच्चों का साहस देखकर आश्चर्य में पड़ गये। मुगलिया फरमान बच्चों को सुनाया गया मुसलमान बनना स्वीकार नहीं करोगे तो कष्ट देकर मार दिये जाओगे और तुम्हारे शरीर के टुकड़े सड़कों पर लटका दिये जाएंगे, ताकि भविष्य में कोई सिक्ख बनने का साहस न कर सके। इस्लाम कबूल करने से तो हमें सिक्खी जान से अधिक प्यारी है। दुनिया का कोई भी लालच वह भय हमें सिक्खी से नहीं गिरा सकता। हम पिता गुरु गोविंद सिंह के शेर बच्चे हैं तथा शेरों की भांति किसी से नहीं डरते। हम इस्लाम धर्म कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे। तुमने जो करना हो, कर लेना।*
*हमारे दादा श्री गुरु तेग बहादुर साहिब ने शहीद होना तो स्वीकार कर लिया परन्तु विचलित नहीं हुए।*
*बच्चों की बातें सुनकर नवाब वजीर खान तिलमिला गया और छोटे -छोटे बच्चों को नींव में चिनवाने का आदेश दिया, दिल्ली के शाही जल्लाद साशल बेग व व बाशल बेग ने जोरावर सिंह व फतेह सिंह को किले की नींव में खड़ा करके उसके आसपास दीवार चिनवाना प्रारंभ कर दी।*
*बनते-बनते दीवार जब फतेह सिंह के सिर के निकट आ गई तो जोरावर सिंह दुखी ! दिखने लगे। काज़ियों ने सोचा शायद वे घबरा गये है और अब धर्म परिवर्तन के लिए तैयार हो जाएंगे। उनसे दुखी होने का कारण पूछा गया। तो जोरावर सिंह बोले मृत्यु भय तो मुझे बिल्कुल नहीं। मैं तो सोचकर उदास हूं कि मैं बड़ा हूं,फतेह सिंह छोटा है। दुनिया में मैं पहले आया था। इसलिए यहां से जाने का भी पहला अधिकार मेरा है। फतेह सिंह को धर्म पर बलिदान होने का सुअवसर मुझसे पहले मिल रहा है। छोटे भाई फतेह सिंह ने गुरुवाणी की पंक्ति कहकर दो वर्ष बड़े भाई को सांत्वना दी।*
*चिंता ताकि कीजिये जो अनहोनी होय,*
*इह मारगि‌ संसार में नानक थिर नहि कोय!!*
*दोनों छोटे साहिबजादे धर्म की रक्षा के लिए शहीद हो गये। खबर जब माता गुजर कौर जी तक पहूंची तो उन्होंने भी अपने शरीर का त्याग कर दिया चारों साहिबजादो की शहादत के बाद भी गुरु गोविंद सिंह जी विचलित नहीं हुए उनके मुख से यही वाक्य निकला:-*
*इन पुत्रन के शीश‌ पर वार दिये सूत चार...!*
*चार मुए तो क्या हुआ जीवत कई हजार !!*
*21से 29 दिसंबर यह देश के इतिहास में सबसे बड़ा शहीदी दिवस है। परन्तु अफसोस यह देश ईद,बकरीद,मोहर्रम की तारीखें चांद निकलने पर अवकाश घोषित करने का इंतजार करता रहता है क्रिसमस की तैयारीयों में पुरा देश हफ्तों सांताक्लोज बना फिरता है हम अपनी गुलामी को जो बरसो-बरस मुगल और अंग्रेजी हुकूमत में जकड़े रहे और जिस गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने पिता श्री गुरु तेग बहादुर जी चारों बेटे साहिबजादा # अजित सिंह #जुझार सिंह # जोरावर सिंह # फतेह सिंह जी#माता गुजर कौर जी धर्म की रक्षा की खातिर न्यौछावर कर दिया। उन्हें याद करने का हमारे पास बिल्कुल भी समय नहीं।*
*ये भारतवर्ष के इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण व यादगार घटना है।*
*कृपया इसका जिक्र अपने बच्चों से जरूर करें।*
*वाहेगुरु जी का खालसा*
*वाहेगुरु जी की फतेह
साभार :गंगापुत्र भीष्म पितामह की वॉल से 

अब इस्लामी कानून से ब्रिटेन को हाँक रहे मुस्लिम, चल रहे 85 शरिया कोर्ट: 4 बीवी की रवायत को बढ़ावा; भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण करने वालों को आंखें खोलनी चाहिए

इंग्लैंड का कानून इस्लामी कट्टरपंथ के आगे घुटने टेक रहा है। कभी दुनिया के एक बड़े हिस्से पर राज करने वाला इंग्लैंड अब मुस्लिम कट्टरपंथियों के नतमस्तक है। जिस इंग्लैंड ने ‘कानून का राज’ की अवधारणा दी थी, उस देश में अब इस्लामी अदालतें चल रही हैं। ब्रिटेन में दशकों से आदर्शवादी और लिबरल बनने के चक्कर में कट्टरपंथ पर मुंह बंद रखा गया था।

इंग्लैंड में जो कुछ घटित हो रहा है उसे देख भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले हिन्दू खासकर संघचालक मोहन भागवत जैसों को अपनी आंखें ही नहीं दिमाग भी खोलने की जरुरत है। मुस्लिम कट्टरपंथी जब फंसे होते है तभी संविधान की बात करते हैं, हकीकत में इनकी मंशा संविधान की आड़ में वही है जो इंग्लैंड में हो रहा है। भारत में संविधान सिर्फ तभी तक सुरक्षित है जब तक हिन्दू बहुसंख्यक है। 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले संविधान में जो संशोधन किये गए सभी देश को शरीयत का संकेत देते हैं। यही वजह है कि विपक्ष 2024 चुनावों में संविधान बचाओ का शोर मचाकर जनता को गुमराह करती है और मूर्ख जनता इनके झांसे में आ गयी। 

     

इस्लामी कट्टरपंथ के पैर पसारने को लेकर अगर कोई बोलता है तो उसे इस्लामोफोब करार दिया जाता है। इस्लाम पर इस चुप्पी का सबसे ज्वलंत उदाहरण ग्रूमिंग गैंग रहे हैं, जिन्होंने हजारों ब्रिटिश लड़कियों को निशाना बनाया। यह निशाना बनाने वाले मुस्लिम थे और उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

अब शरिया अदालतें खुल्लम-खुल्ला ब्रिटिश कानूनों की धज्जियाँ उड़ा रही हैं। ‘शरिया कोर्ट’ के नाम पर चलाई जा रहीं यह अदालतें ब्रिटेन 4 निकाह जैसी सामजिक कुरीतियों को बढ़ावा दे रही हैं। इन अदालतों पर ब्रिटिश सरकार अंकुश नहीं लगा पा रही है। यह अदालतें अवैध निकाह भी करवा रही हैं जिनका कानूनन कोई रिकॉर्ड नहीं है।

ब्रिटिश अखबार द टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंग्लैंड में वर्तमान में 85 ऐसी शरिया अदालतें चल रही हैं। मुस्लिमों के मसलों से निपटने के लिए बनाई गई यह शरिया अदालतें पूरे इंग्लैंड में फैली हुई हैं। यह अदालतें निकाह, तलाक, खुला और चार निकाह जैसे मामलों पर फैसले दे रही हैं। यह अदालतें ब्रिटिश कानून के खिलाफ जाकर तमाम फैसले देती हैं।

रिपोर्ट बताती है कि ऐसी पहली शरिया अदालत इंग्लैंड में लंदन में 1982 में खोली गई थी। तब से यह लगातार बढ़ रही हैं। इनमें से एक अदालत ने एक ऐसे एप को मंजूरी दे रखी थी जो मुस्लिम पुरुषों से उनकी बीवियों की संख्या पूछता था। इसके अलावा इंग्लैंड में चलने वाले एक और एप में भी मुस्लिम युवा निकाह के बाद कितनी बीवियाँ रखेंगे, इसकी जानकारी भर सकते हैं।

ब्रिटिश कानून के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति एक से अधिक शादी/निकाह नहीं कर सकता। ऐसा करने के लिए तलाक और उसका कानूनी आदेश जरूरी है। हालाँकि, यहः शरियाई अदालतें इन सब बातों को नहीं मानती हैं और धड़ल्ले से इन सब कामों में मशगूल हैं।

इन शरिया अदालतों ने लगभग 100000 ऐसे निकाह करवाए हुए हैं, जिनका ब्रिटिश कानून में कोई पंजीकरण नहीं हुआ है। इंग्लैंड के भीतर शरिया अदालतों की धाक इतनी बढ़ गई है कि अब यूरोप के बाकी देशों और अमेरिका से मुस्लिम यहाँ अपने इस्लामी मसले लेकर पहुँच रहे हैं।

यह अदालतें चार निकाह को बढ़ावा दे रही हैं लेकिन ब्रिटिश एजेंसियाँ इनके आगे लाचार हैं। लगातार मुस्लिम तुष्टिकरण में लगे रहने वाले ब्रिटिश नेताओं ने इस मसले पर आँखे मूँद ली हैं। इसी के चलते इंग्लैंड अब शरिया कोर्ट के पश्चिमी देशों का प्रमुख केंद्र है।

इंग्लैंड में इन शरिया अदालतों को लेकर धर्मनिरपेक्षता को लेकर काम करने वाले संगठन विरोध कर रहे हैं। इंग्लैंड के ऐसे ही एक संगठन नेशनल सेक्युलर सोसायटी ने माँग की है कि ब्रिटेन में चल रही इस समानांतर कानून व्यवस्था पर नकेल कसी जाए। उन्होंने कहा है कि इससे महिलाओं और बच्चों के अधिकारों पर असर पड़ रहा है। हालाँकि, सरकार इस मामले पर शांत है।

ब्रिटेन में इस्लामी कट्टरपंथ पर सरकार और लिबरल समाज का चुप रहना कोई विचित्र बात नहीं है। ग्रूमिंग गैंग के हाथों जब हजारों ब्रिटिश लड़कियाँ शिकार बन गईं तो एक टास्क फ़ोर्स बनाई गई। लेकिन इसी के साथ अब ब्रिटेन में इस्लामी कानून नाफ़िज करने की तैयारी है। ब्रिटिश सरकार ने इस दौरान शुतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन धँसा ली है।

ब्रिटिश सरकार इस पूरे इस्लामी कट्टरपंथ के तंत्र पर प्रहार नहीं करना चाहती। उसे लगता है कि इससे उसकी कथित उदार छवि पर असर पड़ेगा, जबकि सच्चाई यह है कि इसी का फायदा उठा कर इस्लामी कट्टरपंथी अपनी धाक इंग्लैंड में जमा रहे हैं। वह हिन्दुओं पर हमला करते हैं, महिलाओं को छेड़ते हैं यहाँ तक कि इंग्लैंड में धमाके भी हो चुके हैं।

हाई कोर्ट में नकाब से चेहरा ढककर आई मुस्लिम महिला वकील, जज ने हटाने को कहा तो बोली- ये मेरा मौलिक अधिकार

                                                                                                   प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार: Bing AI
जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाई कोर्ट ने हिजाब पहनी एक महिला वकील की बात सुनने से इनकार कर दिया। महिला वकील ने अपना चेहरा ढक रखा था। जब जज ने महिला वकील से अपना चेहरा दिखाने को कहा तो उस महिला वकील ने चेहरा दिखाने से इनकार कर दिया। जज ने कहा कि कोई भी महिला वकील अपना चेहरा ढक कर अदालत में बहस नहीं कर सकती।

न्यायमूर्ति मोक्ष खजुरिया काज़मी और न्यायमूर्ति राहुल भारती की ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि महिला वकीलों को अपना चेहरा ढककर अदालत में उपस्थित होने की अनुमति नहीं है। इसके बाद खंडपीठ ने महिला वकील की बातें सुनने से इनकार कर दिया और इस केस में अगली तारीख दे दी।

दरअसल, यह मामला 27 नवंबर का है। उस दिन ‘मोहम्मद यासीन खान बनाम नाज़िया इकबाल’ से जुड़े घरेलू हिंसा के मामले की सुनवाई हो रही थी। इसी दौरान एक महिला हाई कोर्ट में पेश हुई। उसने खुद को सैयद ऐनैन कादरी नाम की एक वकील बताया और कोर्ट को कहा कि इस मामले को रद्द करने से जुड़ी याचिका में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हो रही है।

वह कोर्ट में वकील की पोशाक में आई, लेकिन उसने अपना चेहरा ढक रखा था। उस समय मामले की सुनवाई जस्टिस राहुल भारती कर रहे थे। जब न्यायाधीश राहुल भारती ने उस महिला वकील से अपना चेहरा दिखाने का अनुरोध किया तो उसने इनकार कर दिया। महिला वकील ने जोर देकर कहा कि चेहरा ढककर आना उनका मौलिक अधिकार है। इसलिए कोर्ट उससे नकाब हटाने के लिए नहीं कह सकता।

इसके बाद जज राहुल भारती ने 27 नवंबर के अपने आदेश में कहा, “यह न्यायालय याचिकाकर्ताओं के वकील के रूप में खुद को अधिवक्ता सुश्री सैयद ऐनैन कादरी बताने वाली महिला की उपस्थिति पर विचार नहीं करता, क्योंकि कोर्ट के पास एक व्यक्ति और एक पेशेवर के रूप में उनकी वास्तविक पहचान की पुष्टि करने का कोई आधार/अवसर नहीं है।” कोर्ट ने मामले को 5 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया।”

इसके बाद कोर्ट ने न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से पूछा कि क्या ऐसा कोई नियम है, जो महिला अधिवक्ताओं को अपना चेहरा ढककर पेश होने या अपना नहीं चेहरा ढकने के न्यायालय के अनुरोध को अस्वीकार करने का अधिकार देता है। इसके बाद रजिस्ट्रार जनरल ने 5 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट की जाँच करने के बाद न्यायमूर्ति मोक्ष खजूरिया काजमी ने 13 दिसंबर को कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा निर्धारित नियमों में ऐसे किसी अधिकार का उल्लेख नहीं है। बीसीआई नियमों के अध्याय IV (भाग VI) की धारा 49(1) (जीजी) के तहत महिला अधिवक्ताओं के लिए ड्रेस कोड का विवरण दिया गया है।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने पाया कि BCI की इन प्रावधानों में महिला अधिवक्ताओं को काले रंग की पूरी आस्तीन वाली जैकेट या ब्लाउज, सफेद बैंड, साड़ी या अन्य मामूली पारंपरिक पोशाक के साथ-साथ काला कोट पहनने की अनुमति है। हालाँकि, न्यायालय ने बताया कि निर्धारित न्यायालय पोशाक में चेहरा ढकना शामिल नहीं है या इसकी अनुमति नहीं है।

इसके बाद न्यायालय ने कहा, “नियमों में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि इस न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के लिए इस तरह की कोई पोशाक (चेहरा ढकना) स्वीकार्य है।” हालाँकि, बाद में याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक अन्य वकील आगे आए। बाद में न्यायमूर्ति काज़मी ने 6 दिसंबर को मामले में निर्णय सुरक्षित रख लिया और 13 दिसंबर को उसे खारिज कर दिया।