भारत ने बगलिहार बाँध से चिनाब का रोका पानी, पहलगाम अटैक के बाद तोड़ दी थी पाकिस्तान से सिंधु जल संधि


पाकिस्तान को सबक सिखाने की शुरुआत हो चुकी है! जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 हिंदू पर्यटकों के नृशंस नरसंहार के बाद भारत ने पड़ोसी मुल्क की नकेल कसना शुरू कर दिया है। सीमा पर दोनों देशों की सेनाएँ आमने-सामने हैं, और भारत ने अपनी सेना को खुली छूट दे दी है। लेकिन यह केवल सैन्य मोर्चे की बात नहीं है; भारत ने पानी के मोर्चे पर भी पाकिस्तान को करारा झटका दिया है। चेनाब नदी पर बने बगलिहार डैम के फाटक बंद कर दिए गए हैं, जिससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पानी की भारी किल्लत होने वाली है।

यह कदम सिंधु जल संधि को तोड़ने के महज 10 दिनों बाद उठाया गया है, जिसे विश्व बैंक की मध्यस्थता में 1960 में लागू किया गया था।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बगलिहार डैम, जो रन-ऑफ-द-रिवर हाइड्रो पावर प्लांट के रूप में बनाया गया था, अब पानी के प्रवाह को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। पहले इस डैम से बिना रुकावट पानी बहता था और बिजली पैदा की जाती थी, लेकिन अब भारत ने इसे हथियार बना लिया है। चेनाब नदी का पानी पाकिस्तान के पंजाब में खेतों की सिंचाई के लिए जीवन रेखा है। इस कदम से वहाँ की कृषि और अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान होगा।

इतना ही नहीं, भारत अब झेलम नदी पर बने किशनगंगा डैम के जरिए भी पानी रोकने की तैयारी कर रहा है। इन डैमों से भारत पानी के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है, यानी बिना चेतावनी के पानी कम या ज्यादा कर सकता है, जो पाकिस्तान के लिए तबाही ला सकता है।

सिंधु जल संधि के तहत छह नदियों का बँटवारा हुआ था। पूर्वी नदियाँ (सतलुज, ब्यास, रवि) भारत को और पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, चेनाब, झेलम) पाकिस्तान को मिली थीं। लेकिन भारत में लंबे समय से इस संधि पर सवाल उठते रहे हैं। कई लोग मानते हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसमें जरूरत से ज्यादा उदारता दिखाई। 1965, 1971 और 1999 की जंगों में भी भारत ने यह संधि नहीं तोड़ी, लेकिन इस बार पाकिस्तान की आतंकी हरकतों का जवाब देने के लिए भारत ने कड़ा रुख अपनाया है।

पहलगाम हमले के बाद संधि को निलंबित कर चेनाब का पानी रोकना भारत का कूटनीतिक और रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक है। पाकिस्तान, जो अपनी 80% कृषि के लिए सिंधु नदी सिस्टम पर निर्भर है, अब जंग की धमकी दे रहा है। लेकिन भारत का यह वाटर अटैक तो बस शुरुआत है, आगे और सबक सिखाए जाएँगे!

ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने राहुल गाँधी को हिन्दू धर्म से निकाला, मंदिरों में न मिले प्रवेश

                                ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने राहुल गाँधी को हिन्दू धर्म से निकाला
उत्तराखंड के रुद्रप्रायग स्थित ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने राहुल गाँधी को हिन्दू धर्म से निष्कासित किए जाने का ऐलान किया है। संसद में मनुस्मृति के विरुद्ध दिए गए उनके बयान के कारण शंकराचार्य ने ये ऐलान किया। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में महाकुंभ हो रहा था और धर्म-संसद में सनातनधर्मियों के प्रश्न आते थे जिनका जवाब सभासदों द्वारा दिया जाता था। उसी दौरान राहुल गाँधी को लेकर प्रश्न आया था। बकौल अविमुक्तेश्वरानंद, राहुल गाँधी ने कहा था कि बलात्कारी बाहर घूम रहे हैं और पीड़िता बिटिया अंदर रहने को मजबूर हैं।

ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि घटना पर चर्चा से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है और पीड़िता को पीड़ा को समझकर संसद में उठाना अच्छी बात है और संवेदनशील व्यक्ति इसे लेकर प्रश्न उठाएगा। हालाँकि, उन्होंने आगे कहा कि राहुल गाँधी ने इस पीड़ा को व्यक्त करते हुए आगे कहा कि बलात्कारी को संरक्षण देना हमारे संविधान में नहीं लिखा है, फिर उन्होंने सत्तापक्ष की तरफ उँगली दिखाकर कहा कि ‘तुम्हारी किताब’ में ऐसा लिखा है। शंकराचार्य ने पूछा कि वो किताब कौन सी है?

अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “राहुल गाँधी ने अगले वाक्य में ख़ुद साफ़ कर दिया कि मनुस्मृति में ऐसा लिखा है। मनुस्मृति इस संसार का पहला संविधान है, हम हिन्दू इसे मानते हैं। उससे ही प्रेरणा लेकर कई संविधान रचे गए, हम आज भी उसके अनुसार अपना जीवन चलाते हैं। इसकी किसी बात से आप सहमत न हो सकते हैं या हो सकता है कि कुछ आपको समझ में न आ रहा हो या परिस्थितियों में बदलाव के कारण कोई बात आपको अच्छी नहीं लग रही हो और आप कहें कि आप इसे नहीं मान पा रहे हैं।”

अविमुक्तेश्वरानंद ने मनुस्मृति को आक्षेप करने का विरोध करते हुए कहा कि राहुल गाँधी के बयान से साफ़ हो गया कि राहुल गाँधी इसे अपनी किताब नहीं मानते, अगर वो हिन्दू होते तो इसे अपनी किताब मानते। अविमुक्तेश्वरानंद ने सभी 18 स्मृतियों को हिन्दुओं की किताब बताते हुए इन्हें धर्मशास्त्र करार दिया। उन्होंने कहा कि जो मनुस्मृति को अपनी किताब नहीं मानता वो हिन्दू नहीं हो सकता, उनके हिन्दू होने में समस्या है। शंकराचार्य ने स्पष्ट कहा कि राहुल गाँधी को हिन्दू धर्म का न माना जाए और मंदिरों में प्रवेश न दिया जाए।

राहुल गाँधी ने दिसंबर 2024 में कहा था कि भाजपा के लिए संविधान से ऊपर मनुस्मृति है। वहीं पिछले साल राजद की प्रवक्ता प्रियंका भारती द्वारा ‘इंडिया टीवी’ के एक शो में मनुस्मृति के पन्ने फाड़ने के बाद इसे लेकर विवाद हो गया था। इसे दलित विरोधी पुस्तक बताया गया, जबकि डॉ आंबेडकर ने संविधान निर्माण के दौरान मनु महाराज द्वारा महिलाओं को संपत्ति में अधिकार दिए जाने की प्रशंसा की थी। इस विवाद के बाद मनुस्मृति की बिक्री भी बंपर तरीके से बढ़ गई थी।

न्यायाधीशों के परिवार कभी अपराध के शिकार नहीं होते, इसलिए उन्हें 12 साल की बच्ची से बलात्कार की वेदना समझ नहीं आती; बलात्कार का मामला पीछे हो गया, सामने रह गया आरोपी के घर को तोड़ने का

सुभाष चन्द्र

मैं यह बात बार बार कहता रहा हूँ कि जिस तरह अनेक अदालतों के जज बच्चियों और महिलाओं के बलात्कार के मामलों में निर्णय देते हैं या उन मामलों को डील करते हैं, उससे यह आभास होता है कि उनमें वेदना शून्य होती है जिसका कारण है कि वे और उनके परिवार के लोग कभी बलात्कार लूट और हत्या के अपराध का शिकार नहीं होते

नैनीताल के मल्लीताल में 73 साल का मोहम्मद उस्मान एक 12 वर्ष की बच्ची का रेप करता है और जब नगरपालिका उसके अवैध घर को ढहाने का नोटिस देती है तो हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जी नरेंद्र और जस्टिस रवींद्र मैठाणी की पीठ ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए नगरपालिका का नोटिस वापस करवा दिया और बुलडोज़र कार्रवाई पर रोक लगा दी

आरोपी एक 73 साल का मुसलमान एक हिंदू बच्ची पर यौन अपराध करता है और उसके लिए वकील खड़ा होता है कांग्रेस के हरीश रावत का करीबी एक हिन्दू वकील कार्तिकेय हरी गुप्ता जो दलील देता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 15 दिन का नोटिस जरूरी है लेकिन नगरपालिका ने केवल 3 दिन का नोटिस दिया है 

ये वकील और दोनों जज बस इस नोटिस के 3 दिन की Technicality को समझे और जो अपराध बच्ची पर हुआ उसे भूल कर नोटिस वापस करा दिया गैर कानूनी मान कर अरे अगर नोटिस 3 दिन का दिया था तो आप उस नोटिस की अवधि 15 दिन की कर देते - ऐसा करने से आपको कौन रोकता था और वह हर तरह से उचित होता बेशर्म वकील और जजों को नोटिस में कानूनी कमी को देखने से पहले यह सोचना चाहिए था कि मोहम्मद उस्मान ने किस कानून में बच्ची पर यौन अपराध किया

कोर्ट के जजों और हरी गुप्ता वकील की नज़र में बच्ची पर हुए अपराध पर ध्यान देना जरूरी नहीं था लेकिन उसके घर को बचाना जरूरी था क्योंकि वह एक मुसलमान का केस था इतना ही नहीं जजों की मैं इसे महाबेशर्मी कहूंगा जो उन्होंने प्रशासन को बलात्कार के आरोपी मोहम्मद उस्मान से गलत नोटिस देने के लिए “माफ़ी” मांगने के निर्देश दिए 

इसका मतलब साफ़ है कोर्ट के जजों ने मोहम्मद उस्मान द्वारा किए बलात्कार को एक तरह जायज बता दिया और अन्य लोगों को भी प्रोत्साहित कर दिया कि रेप करो, मुकदमा 10 साल चलेगा, घर हम तोड़ने नहीं देंगे और उसमे रह कर मौज करना क्योंकि थोड़े बहुत दिन बाद हम बेल भी दे देंगे

अदालतों के इसी आचरण की वजह से अपराध बढ़ रहे हैं और अपराधियों के हौंसले बढे हुए हैं, मुस्लिम तो हिंदू बच्चियो,लड़कियों और महिलाओं का रेप करना तो अपना मौलिक अधिकार समझ चुके हैं आजकल एक कांड भोपाल का भी चर्चा में है जिसमें फरहान खान समेत कई मुसलमान शामिल हैं और फरहान ने कहा कि उसे अपने कृत्य पर कोई अफ़सोस नहीं है क्योंकि यह उनके लिए एक उनके धर्म का काम था

पिछले दिनों याद होगा इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज ने रेप की नई परिभाषा गढ़ते हुए कहा था कि लड़की के स्तनों को दबाना, नाड़ा खोलना और पुलिया के नीचे ले जाना रेप की कोशिश नहीं है अब दिल्ली में एक प्रतिष्ठित पत्रकार के साथ वैसा ही प्रयास एक पुलिसवाले ने किया उलटे सीधे फैसले देंगे तो समाज का तो सर्वनाश होना तय है

मैं सभी न्यायाधीशों को चेतावनी देता हूँ कि यौन अपराधों जैसे संवेदनशील मामलों में अपनी अक्ल जरूरत से ज्यादा चला कर गुड़ गोबर मत किया करो एक दिन आप लोगों पर ईश्वर का कोप बरसेगा और तब आप कहीं के नहीं रहोगे अभी बच गए केरल हाई कोर्ट के 3 जज पहलगाम में और अगर उन्हें कुछ हो गया होता तो आप लोग तो अदालतों में तांडव कर रहे होते

बांग्लादेश से पहले खुद घुसा चाँद मियाँ, फिर भारत में घुसपैठियों को बसाने के लिए चलाने लगा गैंग: 25 हजार रूपए में एंट्री-रोजगार भी, दिल्ली पुलिस ने 44 को पकड़ा

                                       बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत में बसाने वाला गिरोह
दिल्ली पुलिस ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के एक गैंग का भंडाफोड़ किया है। इस बांग्लादेशी गैंग के दिल्ली से लेकर चेन्नई तक कनेक्शन सामने आए हैं। ये गैंग फर्जी दस्तावेजों के जरिए घुसपैठियों को भारत में रोजगार मुहैया कराता था। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने अब तक कुल 44 लोगों को गिरफ्तार किया है। गैंग का सरगना चाँद मियाँ है।

पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोगों में से 33 बांग्लादेशी नागरिक हैं और 5 भारतीय एजेंट हैं। इनमें 33 बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं। यह गैंग फर्जी दस्तावेज बनवाने और रहने की व्यवस्था कराने और ट्रांसपोर्टेशन में मदद करता था।

गिरफ्तार लोगों के पास से 11 फर्जी आधार कार्ड, आईडी प्रूफ के साथ दो बांग्लादेशी दस्तावेज,एक कंप्यूटर और 4 हार्ड डिस्क, एक कलर प्रिंटर और फिंगरप्रिंट स्कैनर, 8 मोबाइल फोन और सिम कार्ड बरामद हुए हैं। इसके अलावा इनके पास से लगभग 20 हज़ार रूपए बरामद किए गए हैं।

दिल्ली पुलिस की जाँच में सामने आया कि गैंग के सदस्य बांग्लादेशी नागरिकों को अवैध रूप से सीमा पार कराकर भारत में लाते थे। फिर यहाँ उनके लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करवाते थे। इसके बाद उन्हें किराए का मकान दिलवा कर दिल्ली, बंगलुरु, चेन्नई जैसे बड़े शहरों में रोजगार भी मुहैया कराते थे।

पुलिस ने बताया है कि इनके चलते घुसपैठियों को पुलिस या सरकारी एजेंसी की नजर से बचने में आसानी होती थी। यह गैंग दिल्ली के सीमापुरी, संगम विहार, शाहीन बाग, महिपालपुर जैसे इलाकों में सक्रिय था। इन इलाकों में बांग्लादेशी नागरिक रहते हैं।

पुलिस के मुताबिक, गैंग का सरगना चाँद मियाँ दिल्ली के संगम विहार इलाके में रह रहा था। पुलिस की जाँच में सामने आया कि वह खुद भी बांग्लादेशी नागरिक है। जो पिछले 5 साल से पहले अवैध रूप से भारत आया था।

इसके बाद उसने एक पूरा नेटवर्क तैयार किया जो 3 साल से बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसा रहा है। चाँद मियाँ पश्चिम बंगाल, मेघालय और त्रिपुरा के बेनापोल सीमा के ज़रिए बांग्लादेशियों को अवैध तरीके से भारत में घुसपैठ करवाता था। वह इस काम के 25 हजार रूपए लेता था।

दिल्ली पुलिस के DCP रवि कुमार सिंह ने बताया कि 12 मार्च 2025 को पुलिस को सूचना मिली कि एक बांग्लादेशी नागरिक असलम उर्फ मसूम मोहम्मद तैमूर नगर में अवैध रूप से रह रहा है। पूछताछ में उसने बताया कि वह बांग्लादेश के नोआखाली का रहने वाला है और हाल ही में भारत में आया है।

असलम से पूछताछ के चलते ही सरगना चाँद मियाँ तक पहुँचा जा सका। पुलिस ने सभी सबूतों के आधार पर खोजबीन शुरु की। कनेक्शन जोड़ते हुए मुख्य सरगना चाँद मियां को विजयवाड़ा से गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश हो गया। बाकी साथियों को भी पुलिस ने हिरासत में लिया। पुलिस का कहना है कि गिरफ्तारियों की संख्या बढ़ सकती है।

  • दिल्ली पुलिस की जाँच में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यह भी बताया गया कि कुछ बांग्लादेशी घुसपैठिए ट्रांसजेंडर का वेश धारण कर दिल्ली की सड़कों, रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में जबरन पैसे वसूलते थे। कई ने तो कानून और समाज धोखा देने को सर्जरी और हार्मोनल इलाज से पहचान तक छिपा ली थी।
ये लोग विशेष रूप से भीड़भाड़ वाले इलाकों में काम करते थे और खुद को पहचान छिपाने के लिए नकली पहचान पत्रों का इस्तेमाल करते थे। पुलिस का मानना है कि यह गैंग केवल दिल्ली तक सीमित नहीं था बल्कि इसकी पहुँच देश के दक्षिणी राज्यों तक थी।

पाक पर सैन्य कार्रवाई में दिक्कत नहीं, पीएम मोदी ने कई देशों से की बात, 100 विदेशी मिशनों को ब्रीफिंग के बीच PoK में हालात बिगड़े


पहलगाम में पाकिस्तान की शह पर आतंकी हमला करने वालों को भारत अब बख्शने वाला नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि वे ऐसे आतंकियों को घर में घुसकर मारने वाले हैं। उन्हीं की तर्ज पर गृहमंत्री अमित शाह ने भी दहाड़ मारी है कि आतंकियों को चुन-चुन कर सजा दी जाएगी। मोदी सरकार की एक के बाद एक कूटनीनिक कार्रवाईयों से पाकिस्तान डरा-सहमा हुआ है और उसे पीओके पर कभी भी अटैक होने की आशंका हो रही है। इस बीच भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ दुनिया के अधिकांश देशों से रणनीतिक समर्थन हासिल करने में कामयाबी पाई है। खुद पीएम मोदी ने एक दर्जन से ज्यादा बड़े देशों से पहलगाम में आतंकी हमले के बारे में बातचीत की है। इसके अलावा दुनियाभर में करीब 100 विदेशी मिशनों को पाकिस्तान की घिनौनी हरकत के बारे में ब्रीफिंग की गई है। वैश्विक समर्थन मिलने से भारत के लिए पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने में कोई दिक्कत नहीं आने वाली है। इस बीच एलओसी पर दहशत और पीओके में इमरजेंसी जैसे हालात बन गए हैं। पाकिस्तान भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई से बेहद डरा हुआ है और पीओके के लोगों को दो माह का राशन रखने के आदेश दिए गए हैं।

अमेरिका-रूस समेत 10 से ज्यादा बड़े देशों से सीधी बात कर लिया समर्थन

पहलगाम आतंकी हमले में निर्दयता से पर्यटकों के नरसंहार के बाद से पाक के खिलाफ कार्रवाई का आधार बनना शुरू हो गया है। दुनियाभर के देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने ना सिर्फ आतंकी हमले की घोर भर्त्सना की है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के हर एक्शन को समर्थन देने का ऐलान किया है। अमेरिकी अखबार एनवाईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘पीएम नरेंद्र मोदी अब तक दर्जनभर से ज्यादा देशों के नेताओं से खुद फोन पर आतंकी हमले के बारे में खुलकर बात कर चुके हैं। इसके अलावा पहलगाम आतंकी हमले और इसमें पाकिस्तान के शामिल होने के बारे में दिल्ली में 100 से ज्यादा विदेशी मिशनों के राजनयिकों को विदेश मंत्रालय में ब्रीफिंग दी है। मोदी सरकरा की यह कवायद तनाव को कम करने के साथ ही पाकिस्तान के खिलाफ संभावित सैन्य कार्रवाई के लिए समर्थन जुटाने की दिशा में भी दिख रही है।

 पीएम मोदी के पाक के खिलाफ लगातार कूटनीतिक और रणनीतिक फैसले

पीएम मोदी ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए एक बार फिर दोहराया कि आतंक के अड्डों को नेस्तनाबूद किया जाएगा और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी। इस बीच, सीमा पर दोनों देशों के बीच रुक-रुक कर गोलीबारी भी हो रही है। कश्मीर में भारतीय सुरक्षाबलों ने सख्त अभियान चलाते हुए सैकड़ों गिरफ्तारियां की हैं। भारत ने सिंधु जल समझौता रोकने और पाक राजनयिकों व नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश भी दिया है। पाक ने भी द्विपक्षीय संधियों से हटने की धमकी दी है। ऐसे में भारत पर वैश्विक दबाव बेहद कम है, जिससे उसे अपनी रणनीति आगे बढ़ाने में सहूलियत मिल रही है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से कुछ भी आयात करने पर रोक लगा दी है। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान को झटका देते हुए एक और बड़ा फैसला किया है। डायरेक्टर जनरल ऑफ शिपिंग ने आदेश जारी किया है कि किसी भी पाकिस्तानी फ्लैग शिप को किसी भी भारतीय पोर्ट पर प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस आदेश में भारतीय शिप्स को निर्देश देते हुए कहा गया है कि अब से कोई भी भारतीय फ्लैग शिप पाकिस्तान के किसी भी बंदरगाह पर भी नहीं जाएगी।
वार हुआ तो कुछ दिन ही टिक पाएगा कंगाल और बदहाल पाकिस्तान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक दशक पहले सत्ता संभालने से पूर्व भारत रक्षा सहित कई क्षेत्रों में आयात पर निर्भर था, लेकिन पिछले दस वर्षों पीएम मोदी के दूरदर्शी विजन के चलते मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान की बदौलत देश रक्षा जैसे अहम क्षेत्र में अपनी जरूरत पूरी करने के साथ ही निर्यात में लंबी छलांग लगाई है। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पहले रूसी मीडिया और अब अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की तैयारी में दिख रही है। बड़ा सवाल यह है कि यदि जंग के हालात बनते हैं तो भारत की सामरिक ताकत के आगे पाकिस्तान कितने दिन टिक पाएगा? भारत की सैन्य ताकत के आगे पाकिस्तान बेहद कमजोर है। ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक 145 देशों की लिस्ट में अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथे नंबर पर है, जबकि पाकिस्तान टॉप टेन से भी बाहर 12वें नंबर पर है। आर्थिक बदहाली के चलते पाकिस्तान की सैन्य ताकत लगातार घट रही है। इस लिस्ट में 2023 में पाकिस्तान 7वें स्थान पर था। 2024 में फिसलकर 9वें पर पहुंच गया और 2025 में टॉप 10 देशों की लिस्ट से बाहर हो गया। यानी भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है, जबकि पाकिस्तान 8 नंबर पीछे है। डिफेंस एक्सपर्ट के मुताबिक अगर युद्ध हुआ तो पाकिस्तान बमुश्किल आठ-दस दिन टिक पाएगा।
हर आतंकी को चुन-चुन कर जवाब दिया जाएगा – अमित शाह
इस बीच जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने का संकल्प दोहराया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने भी ऐसी कायराना वारदात को अंजाम दिया है, उन्हें चुन-चुन कर जवाब दिया जाएगा। शाह ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा, ये लड़ाई का अंत नहीं, ये केवल एक पड़ाव है। हर शख्स को चुन-चुन कर जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर, वामपंथी उग्रवाद का क्षेत्र हो या कश्मीर पर आतंकवाद की छाया हो, सरकार ने सबका मजबूती से जवाब दिया है। अगर कोई कायराना आतंकी हमला कर समझता है कि ये उनकी बड़ी जीत है। उन्होंने कहा, 1990 के दशक से कश्मीर में जो आतंकवाद चला रहे हैं, उनके खिलाफ पीएम मोदी ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। सरकार मजबूती से उनके खिलाफ लड़ाई लड़ रही है।
2016 और 2019 में भी भारत ने आतंकी हमलों का दिया करारा जवाब
पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन के मुताबिक, मोदी सरकार पर सैन्य कार्रवाई कर सकती है। 2016 और 2019 में भी भारत ने आतंकी हमलों के जवाब में पाकिस्तान को सख्ती से जवाब दिया था। सरकार कश्मीर को स्थिर और सुरक्षित क्षेत्र बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। ऐसे में यहां आतंकी हमला किसी भी सूरत में नाकाबिले बर्दाश्त है। इसलिए पाक को सबक जरूर सिखाया जाएगा। हालांकि मेनन का मानना है कि हालात बेकाबू होने की संभावना कम है। उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों का समर्थन किया है। 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक की थी। उस समय हमलावरों का संबंध जैश-ए-मोहम्मद से स्पष्ट था। इस बार हमले की जिम्मेदारी को लेकर स्थिति कुछ धुंधली है। हालांकि एक कम चर्चित संगठन टीआरएफ ने सोशल मीडिया पर हमले की जिम्मेदारी ली है। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े भारतीय अधिकारियों का मानना है कि यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा है। इस बार भारत ठोस सबूतों के आधार पर पाक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।
भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर कई बंकरों की सफाई का काम शुरू
भारत और पाक में पहलगाम हमले के बाद बढ़े तनाव के चलते जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती गांवों में लोग सतर्क हो गए हैं। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए बंकरों की सफाई और जरूरी सामान का इंतजाम किया जा रहा है। जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास 1 हजार से ज्यादा बंकर बने हैं। इनमें से कई बंकर सीमा से ० से 3 किमी के दायरे में हैं। ये बंकर मोटी कंक्रीट की दीवारों से बने हैं और इनमें 6 से 10 लोग शरण ले सकते हैं। फरवरी 2021 में भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते के बाद से ये बंकर कम इस्तेमाल हुए थे, पर अब फिर से इन्हें तैयार किया जा रहा है। सीमावर्ती इलाकों में किसान फसलें तय समय से पहले काट रहे हैं। डर है, सीमा पर गोलीबारी शुरू हुई तो खड़ी फसलें बर्बाद हो जाएंगी। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग ने खुद को हाई अलर्ट पर रखा है। किसी भी गोलीबारी या हमले की स्थिति में घायलों को तुरंत इलाज मिल सके, इसके लिए दवाइयों और एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है।
जवाबी कार्रवाई से डरे पाक अधिकृत कश्मीर में इमरजेंसी जैसे हालात
उधर पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान भारत की संभावित जवाबी कार्रवाई से बेहद डरा हुआ है। उसे आशंका है कि भारत कभी भी हमला कर सकता है। इसी दहशत से पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गए है। पीओके के लोगों को दो माह का राशन रखने का आदेश दिया है। लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) के पास रहने वाले लोगों को खास सतर्क रहने के लिए कहा गया है। पीओके के ‘प्रधानमंत्री’ चौधरी अनवर उल हक ने शुक्रवार को विधानसभा में बताया कि हमने खाद्य पदार्थ, दवाइयों और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं के लिए एक अरब रुपए (3.5 मिलियन डॉलर) का आपातकालीन कोष भी बनाया है। इसके साथ ही एलओसी के नजदीक स्थित इलाकों में आपातकाल में सड़कों को सुचारू रखने के लिए मशीनरी को तैनात किया गया है। इस बीच पाकिस्तानी अधिकारियों ने कश्मीर में करीब 1,000 से अधिक मदरसों को 10 दिन के लिए बंद कर दिया है। मुजफ्फराबाद और एलओसी के पास के कस्बों में स्कूलों में भी ट्रेनिंग कैंप बना दिए है। इन कैंपों में 11 साल के बच्चों को भी आग बुझाने, प्राथमिक उपचार करने और घायलों को स्ट्रेचर पर ले जाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। चकौटी जैसे गांवों में बंकरों को सही किया जा रहा है।
पीएम का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि आतंकियों को छोड़ने वाले नहीं
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत-पाक में तनाव के बीच पिछले दिनों पीएम मोदी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ हाई-लेवल मीटिंग की है, जिसमें NSA अजित डोभाल, CDS अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के मुखिया मौजूद रहे। मीटिंग में PM मोदी ने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का तरीका, लक्ष्य और समय सेना तय करे।’ उधर गृह मंत्री अमित शाह ने भी NSG, BSF, CRPF और SSB के सीनियर अधिकारियों के साथ बैठक की है। पीएम मोदी के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए यह तो आसानी से कहा जा सकता है कि वे आतंकी हमलावरों को छोड़ने वाले नहीं हैं। इससे पहले सर्जिकल और एयर स्ट्राइक करके उन्होंने अपने मंसूबे एकाधिक बार जाहिर कर दिए हैं। ऐसे में निर्दोष पर्यटकों का धर्म पूछकर निर्दयता से नरसंहार करने वालों को पीएम मोदी पाताल से खोजकर भी सजा देंगे। इसी परसैप्शन के चलते पाकिस्तान हमले की आशंका से डरा-दुबका बैठा है। उसे लग रहा है कि आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान पर हमला जरूर होगा। और यह जंग की शक्ल अख्तियार कर सकता है।
ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स में भारत के सामने पाक बेहद कमजोर
भारत-पाक के बीच जहां तक जंग की शुरुआत का सवाल है तो भारत की सैन्य और सामरिक क्षमता के आगे पाकिस्तान बेहद कमजोर देश है। ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक 145 देशों की लिस्ट में अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथे नंबर पर है, जबकि पाकिस्तान 12वें नंबर पर है। 2023 में पाकिस्तान 7वें स्थान पर था। 2024 में फिसलकर 9वें पर पहुंच गया और 2025 में टॉप 10 देशों की लिस्ट से बाहर हो गया। यानी भारत के पास दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सेना है, जबकि पाकिस्तान 8 नंबर पीछे है। दरअसल, ग्लोबल फायर पावर इंडेक्स में 60 अलग-अलग पैरामीटर्स पर देशों की ताकत को परखा जाता है। किसी देश की ताकत उसके स्कोर पर निर्भर करती है। जिस देश का स्कोर जितना ज्यादा होता है, उसकी ताकत उतनी ही कम आंकी जाती है। भारत का स्कोर 0.1184 है, जबकि पाकिस्तान का स्कोर 0.2513 है।
कारगिल की लड़ाई एक सीमित जंग थी, अब फुल फ्लेज्ड वॉर होगी!
भारत-पाक युद्ध के मसले पर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) रामेश्वर रॉय के मुताबिक ‘कोई भी देश जंग का ऐलान करके जंग नहीं लड़ता है। किसी एक देश की कार्रवाई के बदले में दूसरी तरफ से जैसा रिएक्शन आता है, उसके हिसाब से तय होता है कि आगे का एक्शन कितना सख्त होगा। इसके लिए हम लोग अंग्रेजी का मुहावरा ‘Escalate the ladder’ इस्तेमाल करते हैं।’ यानी अगर दोनों तरफ से कार्रवाई बढ़ती है तो कहा जाता है कि अब संघर्ष बढ़ रहा है। इस संघर्ष में जब आर्मी, एयरफोर्स और नेवी यानी सेना के तीनों अंग शामिल हो जाते हैं तो इसे फुल फ्लेज्ड वॉर यानी ‘पूरी तरह से शुरू हो चुकी जंग’ कहा जाता है। रॉय के मुताबिक 1999 में हुई कारगिल की लड़ाई एक सीमित जंग यानी लिमिटेड वॉर थी। हमारे टारगेट्स तय थे कि हमें अपनी जमीन को वापस पाना है। लड़ाई में हमने अपने पॉइंट्स वापस पा लिए और जंग में जीत की घोषणा की। अभी ऐसा नहीं लग रहा कि जंग छिड़ जाएगी, लेकिन अगर दोनों तरफ से जवाबी कार्रवाई बढ़ी तो बात जंग तक पहुंच सकती है।

कर्नाटक : कांग्रेस सरकार ने फाजिल के परिवार को दिए 25 लाख रूपए, इसी पैसे से हिंदुवादी सुहासी शेट्टी की हत्या के लिए अब्दुल सफवान गैंग को दी ‘सुपारी’

                 सुहास शेट्टी की हत्या के लिए सुपारी मुआवजे के पैसे से दी गई थी (फोटो साभार: theweek)
कर्नाटक के मंगलुरु में हिन्दू कार्यकर्ता सुहास शेट्टी की हत्या के लिए 3 लाख 
रूपए दिए गए थे। यह रकम आदिल ने अब्दुल सफवान गैंग को दी थी। फिरौती का यह पैसा कर्नाटक की कांग्रेस सरकार से मिले मुआवजे से दिया गया था। यह सारी बातें पुलिस की जाँच में सामने आई हैं। आदिल अपने भाई की मौत का बदला सुहास शेट्टी की हत्या से लेना चाहता था।

न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने 2023 में मोहम्मद फाजिल नाम के एक शख्स की मौत के बाद 25 लाख रूपए का मुआवजा दिया था। उसकी हत्या का आरोप सुहास शेट्टी पर था। फाजिल का भाई आदिल इसका बदला सुहास शेट्टी की हत्या करवा के लेना चाहता था।

 रिपोर्ट बताती है कि इसके लिए आदिल ने अब्दुल सफवान नाम के गुंडे से सम्पर्क किया था। अब्दुल सफवान भी किसी बात को लेकर सुहास शेट्टी से बदला लेना चाहता था। आदिल ने इसके बाद सुहास शेट्टी की हत्या के लिए 5 लाख रूपए में अब्दुल सफवान से डील की। अब्दुल सफवान को आदिल ने 3 लाख रूपए इस काम के लिए पहले ही दिए।

सुपारी का यह पैसा कांग्रेस सरकार के मुआवजे के 25 लाख रूपए में से दिया गया था। यह भी पता चला है कि इस हत्या की साजिश एक महीने पहले से रची जा रही थी। इसके लिए अब्दुल सफवान ने कई और लड़कों को भी अपने गैंग में शामिल कर लिया था।

पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यह बदला लेने के लिए किया गया मर्डर है। पुलिस कमिश्वर अनुपम अग्रवाल ने बताया है कि हत्या की साजिश को 8 लोगों के ग्रुप ने मिलकर अंजाम दिया था। पुलिस ने इस हत्या के मामले में अब्दुल सफ़वान, मोहम्मद मुजामिल, मोहम्मद रिजवान, कलंधर शफी, आदिल महरूफ, नियाज, रंजीत और नागराज को गिरफ्तार किया है।

पुलिस कमिश्नर ने यह भी बताया है कि अब्दुल पर साल 2023 में हमला किया गया था। इसी के बाद से उसने बदला लेने की ठान ली थी। गौरतलब है कि 1 मई 2025 को हिंदू कार्यकर्ता सुहास शेट्टी की हत्या कर दी गई थी। सुहास शेट्टी की हत्या 1 मई, 2025 को मंगलुरु के बाजपे इलाके में कर दी गई थी।

अब्दुल सफवान के गैंग ने घेर कर तलवारों से काट कर सुहास शेट्टी की हत्या की थी। अस्पताल ले जाते वक्त सुहास शेट्टी की मौत हो गई थी। भाजपा ने 25 लाख रूपए का मुआवजा सुहास शेट्टी के परिवार को दिया था।

राहुल गांधी के करीबी पूर्व सीएम चन्नी ने मांगे सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत; आखिर कितना गिरेगी कांग्रेस?


सत्ता से दूर रहने के बाद कांग्रेस पार्टी इतनी हताश हो गई है कि वो अब देशहित के बारे में सोचती ही नहीं। ऐसे समय में जबकि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में गुस्से का माहौल है और केंद्र सरकार पाकिस्तान को सबक सिखाने में लगी है, कांग्रेसी नेता पाकिस्तान के पक्ष में खड़े दिख रहे हैं। अब ताजा मामले में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने पाकिस्तान के खिलाफ की गई ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ पर सवाल उठाए हैं। राहुल गांधी के करीबी चन्नी ने 2 अप्रैल, 2025 को पुलवामा हमले का जिक्र करते हुए कहा कि 40 भारतीय सैनिक मारे गए थे और जब चुनाव हुए, तो सरकार ने कार्रवाई का दावा किया। लेकिन हमने कभी नहीं देखा कि पाकिस्तान में कहां हमले किए गए और कहां लोग मारे गए। अगर कोई हमारे देश में बम फेंके, तो क्या लोगों को पता नहीं चलेगा? उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करने का दावा किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। सर्जिकल स्ट्राइक कहीं नहीं देखी गई और किसी को उसके बारे में पता भी नहीं था। मैं हमेशा से इसकी (सबूत की) मांग करता रहा हूं।

मुस्लिम तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति के कारण कांग्रेसी नेता पाक की भाषा बोल रहे हैं। सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा ने कहा कि मुसलमान कमजोर महसूस कर रहे हैं, यही कारण है कि आतंकियों ने धर्म पूछकर लोगों को मारा। कर्नाटक के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ने की कोई जरूरत नहीं है। कर्नाटक के ही कांग्रेस मंत्री आरबी तिम्मापुर ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि आतंकियों ने लोगों पर गोली चलाने से पहले धर्म पूछा होगा। हिमाचल प्रदेश के कांग्रेसी मंत्री चंद्र कुमार ने कहा कि पानी और बिजली रोककर किसी से बदला थोड़ी लिया जाता है। पार्टी के सीनियर लीडर मणिशंकर अय्यर ने सिंधु जल संधि निलंबित करने के फैसले पर कहा कि आप ऐसे कैसे पानी रोक सकते हो। इतना ही नहीं महाराष्ट्र से कांग्रेसी विधायक विजय वडेट्टीवार ने अपने बयानों से पाकिस्तान का पक्ष लेते हुए कहा कि आखिर आतंकियों के पास इतना समय ही कहां होता है कि वे किसी के कान में जाकर पूछें कि तुम्हारा धर्म क्या है।

पहलगाम हमले पर राहुल गांधी के करीबी कांग्रेसी नेताओं के देश विरोध बयान-

मुसलमान कमजोर महसूस कर रहा है इसलिए मारा- रॉबर्ट वाड्रा

हमले को लेकर कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने भी विवादित बयान दिया। राहुल गांधी के बहनोई ने कहा है कि यह हमला प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक संदेश है, क्योंकि मुसलमान कमजोर महसूस कर रहे हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा के पति ने आगे कहा कि यही कारण है कि आतंकियों ने धर्म पूछकर लोगों को मारा। वाड्रा ने यह भी कहा कि यह सरकार हमेशा हिंदुत्व की बात करती है, जिससे अल्पसंख्यक समुदाय को परेशानी होती है। इसके साथ ही वाड्रा यह कहना नहीं भूले कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।

पाक के खिलाफ युद्ध छेड़ने की जरूरत नहीं- सिद्धारमैया

इसके पहले कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि कड़े सुरक्षा उपाय तुरंत किए जाने चाहिए। हम युद्ध छेड़ने के पक्ष में नहीं हैं। शांति होनी चाहिए, लोगों को सुरक्षित महसूस होना चाहिए और केंद्र सरकार को प्रभावी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। सिद्धारमैया के इस बयान को पाकिस्‍तानी चैनलों और अखबारों ने तुरंत लपक लिया और इसे भारत के भीतर से युद्ध के खिलाफ आवाज बताया।

आतंकियों ने गोली चलाने से पहले धर्म नहीं पूछा होगा- तिम्मापुर

आंतकियों का पक्ष लेने वालों में वे अकेले नहीं हैं। कांग्रेस के कई नेता पाक आतंकियों के प्रति हमदर्दी जता चुके हैं। पाकिस्तानी मीडिया में वाहवाही पाने वाले कांग्रेसी नेताओं में कर्नाटक के आबकारी मंत्री आरबी तिम्मापुर भी शामिल हैं। तिम्मापुर ने यह जोर देकर कहा कि उन्हें नहीं लगता कि आतंकियों ने लोगों पर गोली चलाने से पहले धर्म नहीं पूछा होगा। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति गोली चला रहा है, क्या वह जाति या धर्म पूछेगा? वह बस गोली चलाकर चला जाएगा। वह वहां खड़ा होकर ये नहीं पूछेगा और फिर गोली चलाएगा।

ऐसे कैसे पानी रोक सकते हो- मणिशंकर अय्यर
इतना ही नहीं राहुल गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के करीबी मणिशंकर अय्यर ने आतंकी हमले के बाद भारत के सिंधु जल संधि निलंबित करने के फैसले पर कहा कि आप ऐसे कैसे पानी रोक सकते हो।

मणिशंकर अय्यर ने इसके बाद एक कार्यक्रम में कहा कि पहलगाम की घटना ‘विभाजन के अनसुलझे सवालों’ को दर्शाती है। इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ‘बहुत से लोगों ने विभाजन को रोकने की कोशिश की, लेकिन यह इसलिए हुआ क्योंकि गांधी और पंडित नेहरू जैसे लोगों और जिन्ना और कई अन्य मुसलमानों के बीच भारत की राष्ट्रवाद की प्रकृति और इसकी सभ्यता की विरासत के बारे में मूल्यों और आकलन में अंतर था, जो जिन्ना से सहमत नहीं थे। मणिशंकर अय्यर ने यह भी कहा कि आज के भारत में, क्या एक मुसलमानों को लगता है कि उन्हें स्वीकार किया जाता है? क्या एक मुसलमान को लगता है कि उसे प्यारा माना जाता है?क्या एक मुसलमान को लगता है कि उसका सम्मान किया जाता है?

आतंकियों के पास समय कहां होता है कि वे धर्म पूछे- विजय वडेट्टीवार

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को इस्लामी आतंकियों ने हिंदू पर्यटकों के चुन-चुनकर मारा। लोगों का कहना है कि पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया जाए कि वो हमेशा याद रहे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ-साफ कहा है कि ‘हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। अब आतंकियों की बची-खुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है।’ लेकिन कांग्रेस के कई बड़े नेता पाकिस्‍तान के बचाव में जी-जान से लगे हैं। महाराष्ट्र से कांग्रेसी विधायक विजय वडेट्टीवार ने अपने बयानों से पाकिस्तान का पक्ष लिया है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के करीबी महाराष्ट्र के विधायक विजय वडेट्टीवार ने कहा कि आखिर आतंकियों के पास इतना समय ही कहां होता है कि वे किसी के कान में जाकर पूछें कि तुम्हारा धर्म क्या है। टेररिस्ट को पूछने का समय होता है क्या?

 पीएम मोदी सऊदी अरब से वापस क्‍यों लौटे- बीके हरिप्रसाद

कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद भी हमले पर राजनीति करने से बाज नहीं आए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्‍स पर उन्होंने लिखा कि ‘कोई यह नहीं समझ सका कि पीएम मोदी सऊदी अरब से वापस क्‍यों लौटे? वह जम्‍मू-कश्‍मीर नहीं गए। उन्‍होंने ऑल पार्टी मीटिंग में भी हिस्‍सा नहीं लिया। हमले के बाद उन्‍होंने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस भी नहीं किया। वह घायल पीड़ितों से मिलने भी नहीं गए। जिन्‍होंने अपने परिजनों को खोया, उनसे भी उन्‍होंने मुलाकात नहीं की। क्‍या वह केवल बिहार में चुनाव रैली करने के लिए वापस लौटे थे? क्‍या राष्‍ट्रीय शोक से राजनीति ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है?
पानी- बिजली रोककर बदला थोड़े लिया जाता है- चंद्र कुमार
पहलगाम हमले के बाद देश पाकिस्तान के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग कर रहा है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के कांग्रेसी सरकार के मंत्री चंद्र कुमार मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वक्त पूरा विश्व हम पर थूक रहा है कि हमारे देश में कैसी सुरक्षा व्यवस्था है? पानी और बिजली रोककर किसी से बदला थोड़ी लिया जाता है।
पाक को और बर्बाद नहीं करना चाहिए- तारिक अहमद कर्रा
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के प्रमुख तारिक अहमद कर्रा ने तो यहां तक कह दिया कि पाकिस्तान को और बर्बाद नहीं करना चाहिए, सबको शांति से बैठकर बातचीत करनी चाहिए।
इस सब को लेकर कांग्रेस की थू-थू हो ही रही थी कि पार्टी ने पाक प्रेम को दर्शाने वाला एक और पोस्टर जारी कर दिया। जिसको लेकर पार्टी की छीछालेदार हो रही है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी की एक ऐसी तस्वीर जारी की है जिसमें उनका सिर गायब है। कांग्रेस ने इस तस्वीर के कैप्शन में लिखा है, ‘जिम्मेदारी के समय Gayab’. कांग्रेस की पाकिस्तान वाली यह सोच किसी दुश्मन से कम नहीं है। क्योंकि इस पोस्टर को पाकिस्तान के पूर्व मंत्री ने भी शेयर किया है। साफ है कि ऐसे समय में जब देश के लोग एक होकर आतंकियों के सरपरस्त पाकिस्तान को सबक सिखाने में लगे हैं, कांग्रेस पाकिस्तान का पक्ष लेकर देश को कमजोर करने में लग गई है। कांग्रेस के इस कुकर्म पर बीजेपी ने जोरदार पलटवार किया है। लोग कांग्रेस की सर तन से जुदा वाली विचारधारा पर तंज कस रहे हैं। बीजपी नेता निशिकांत दुबे ने कहा कि ‘सर तन से जुदा माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी का कांग्रेस वर्षों से करवाना चाहती है। अब कांग्रेस पार्टी यह बताओ कि आतंकी संगठन गजवा अल हिंद के साथ आपका क्या संबंध है? दोनों के ट्वीट क्या एक ही आदमी कर रहा है?
उन्होंने आगे लिखा कि कांग्रेस का हाथ पाकिस्तान के आतंकवादी तथा उनके संरक्षक हिंदुओं के हत्यारे के साथ
जो बांग्‍लादेश में हो रहा वो भारत में भी हो सकता है- सलमान खुर्शीद
करीब दस साल से सत्ता से बाहर रहने के कारण बिलबिलाए रहने वाले कांग्रेसी नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को हटाने के लिए देश विरोधी ताकतों को प्रोत्साहन देते रहते हैं। मोदी सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेसी नेता अब तो यहां तक कह रहे हैं कि जो बांग्‍लादेश में हो रहा वो भारत में भी हो सकता है। राहुल गांधी के करीबी और कांग्रेस के बड़े नेता सलमान खुर्शीद ने साफ कहा है कि बांग्लादेश में जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं, वैसी भारत में भी हो सकती हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि कश्मीर में सबकुछ सामान्य लग सकता है। यहां भी सबकुछ सामान्य लग सकता है। सच्चाई ये है कि सतह के नीचे कुछ और ही चल रहा है। बांग्लादेश में जो हो रहा है, वो यहां भी हो सकता है। हमारे देश में फैलाव होने से हालात उस तरह नहीं बिगड़ते जैसे बांग्लादेश में बिगड़े हैं।

आश्चर्य की बात थी कि पाकिस्तानियों को भारत छोड़ने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे नहीं लगाया; लेकिन मामला एक परिवार से शुरू हो गया

सुभाष चन्द्र

बीजेपी शुरू से भारत में घुसे घुसपैठियों के विरुद्ध आवाज़ उठाती रही है, लेकिन कार्यवाही पुलवामा हमले के बाद क्यों? पुलवामा हमले से पहले उरी आदि जगहों पर भी हमले हो चुके हैं। भारत में हर कोई जानता है कि देश में घुसपैठिए हर जगह फैले हुए हैं। वोट के भूखे नेता और उनकी पार्टियों ने उनके आधार कार्ड और पहचान पत्र तक एक नहीं कई ठिकानों पर तो दिल्ली से बाहर के भी बनवा रखे हैं। केंद्र सरकार को चाहिए कि जितनी भी झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वालों के आधार और पहचान पत्र की गंभीरता से जाँच कर कारवाही करनी चाहिए। BPL कार्डधारकों की भी जाँच करनी चाहिए।

लेखक चर्चित YouTuber
भारत सरकार ने 22 अप्रैल, 2025 को ही आदेश जारी कर दिए थे कि सभी पाकिस्तानियों का वीजा रद्द कर दिया गया है और वे 30 अप्रैल तक भारत छोड़ कर चले जाएं पाकिस्तानियों को भारत छोड़ने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे नहीं लगाया बड़े आश्चर्य की बात थी कि कोई “सेकुलर” दल इस आदेश पर रोक लगवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं गया और शायद इसलिए ही सुप्रीम कोर्ट इस आदेश को स्टे नहीं कर पाया 

लेकिन मामला स्टे करने का शुरू हो गया अलग अलग केस में जम्मू में तैनात CRPF के जवान मुनीर अहमद ने पाकिस्तानी लड़की मीनल खान से ढाई महीना पहले Online शादी की और मीनल खान visiting visa पर मुनीर के पास आई हुई थी उसने Long Term Visa के लिए अर्जी दी हुई थी अब सरकार का आदेश आ गया कि पाकिस्तानी भारत छोड़ो तो उसे अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान जाना था लेकिन वकील अंकुश शर्मा उसका मुकदमा लेकर जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट चला गया और हाई कोर्ट ने दरिया दिली दिखाते हुए उसके deportation पर 1 मई को  रोक लगा दी

यह बताया गया कि यह रोक केवल 10 दिन के लिए थी और हाई कोर्ट ने विस्तृत रिपोर्ट मांगते हुए केस की सुनवाई 20 मई तय की है जिसका मतलब साफ़ है स्टे 20 मई तो बढ़ ही जायेगा

अब सुनने में आया है कि जम्मू कश्मीर CRPF में और भी कई मुस्लिम हैं जिनकी शादी पाकिस्तानी लड़कियों से हो रखी है लेकिन मजे की बात है कि online तलाक तो दे देते थे ये लोग, अब शादी भी online करने लगे

कल सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने श्रीनगर के अहमद तारिक बट्ट और उसके परिवार के 5 सदस्यों के Deportation पर रोक लगा दी तारिक अहमद का परिवार भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड तो पेश कर सके लेकिन पाकिस्तान से भारत आने के वैध दस्तावेज़ नहीं दे सके 

बेंच ने उनके सभी documents की जांच करने के लिए कहा लेकिन कोई समय सीमा तय नहीं की और उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई भी न करने के आदेश दिए जब तक कोई उपयुक्त फैसला न ले लिया जाए मतलब मामला लंबा चलेगा और तब तक वह परिवार मौज करेगा

बेंच ने यह कहा तो है कि उनका यह आदेश अन्य मामलों के लिए नज़ीर नहीं बनेगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के गैंग कोई तोड़ निकाल कर इसे अन्य मामलों में लागू करवा ही लेंगे

जब भारत आने के कोई दस्तावेज़ ही नहीं थे तो जाहिर है चोरी छिपे ही अवैध तरीके से आये होंगे और भारतीय नागरिकता कब मिली, यह कागज तो होंगे 

पाकिस्तान का भारत में ऐसा षड़यंत्र चल रहा था जो अब पाकिस्तानियों को बाहर निकालने के आदेश के बाद सामने आया है हर पाकिस्तानी भारत में उसका sleeper cell है जो पहले ही भारत में बैठे Sleeper Cells के साथ मिलकर काम करते हैं चाहे उनमे पुरुष हो या महिलाएं

यह अच्छी बात है पहलगाम की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में कराने वाली याचिका जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सिंह की बेंच ने ही झाड़ मारते हुए ख़ारिज कर दी थी और कहा था कि देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ मत करो लेकिन आप जानते हैं उन तीन याचिकाकर्ताओं में एक कांग्रेस का नेता भी था

फिर भी पाकिस्तानियों को निकालने के मामलों में सुप्रीम कोर्ट और सभी हाई कोर्ट न उलझें तो बेहतर होगा यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है जिसे सरकार को ही सँभालने दीजिये आप तो 2017 के रोहिंग्या के मामले पर फैसला दीजिए कि उन्हें भी देश से बाहर निकाला जाए

राम मंदिर में घुस गई मुस्लिम महिला, सिर और चेहरे को नीले कपड़े से ढँक रखा था: परिवार ने बताया ‘मानसिक विक्षिप्त’

                                राम मंदिर में नीले कपड़े से ढँकी महिला (प्रतीकात्मक तस्वीर) 
यूपी पुलिस ने राम मंदिर से एक मुस्लिम महिला को हिरासत में लिया है। उसकी गतिविधियाँ संदिग्ध लग रही थीं। उक्त महिला का नाम इरिम है, जो श्रद्धालुओं के साथ दर्शन के बहाने भीतर जा रही थी। जाँच एजेंसियाँ उसके बारे में खँगाल रही हैं।

उक्त महिला मंदिर के भीतर भी चली गई थी, लेकिन लौटते समय एग्जिट पर पुलिस ने उसे रोक लिया। उसने सिर और चेहरे पर नीले रंग का कपड़ा बाँध रखा था, वो पुलिस को भी पलट कर जवाब दे रही थी। महाराष्ट्र के वर्धा की रहने वाली उस महिला के परिजनों का कहना है कि वो मानसिक बीमार है और इधर-उधर घूमती रहती है। उसे महिला थाने में रखकर परिजनों को सूचित किया गया।

इससे पहले 6 जनवरी को कैमरे वाले चश्मे से तस्वीर खींचकर जासूसी करते हुए एक शख्स को गिरफ्तार किया गया था। गुजरात का व्यापारी जयकुमार ऐसा करते हुए सभी चेकपॉइंट्स को पार कर चुका था। इसी तरह 3 मार्च को अब्दुल नामक एक आतंकी धराया था, जो हैण्ड ग्रेनेड से राम मंदिर पर हमले की साजिश रच रहा था।

वहीं ताज़ा मामले में फ़िलहाल महिला के बारे में कुछ आपत्तिजनक पता नहीं चला है। बता दें कि अयोध्या का राम मंदिर आतंकियों के निशाने पर रहा है, पाकिस्तान तक से इसे लेकर कई बयान आ चुके हैं। जब सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी ढाँचे वाली जगह पर राम मंदिर बनाए जाने का फ़ैसला बनाया था, क्योंकि ये साबित हो गया था कि वहाँ बाबर के सेनापति मीर बाकी ने राम मंदिर को ध्वस्त करके मस्जिद बनवाई थी।

‘पाकिस्तान को आतंकी मुल्क़ घोषित करे अमेरिका’: फलाहारी बाबा ने अपने ख़ून से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को लिखा पत्र


जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूरा देश आक्रोश में है
 देश में पाकिस्तान के खिलाफ जमकर नारेबाजी और विरोध किया जा रहा है इसी बीच मथुरा मंदिर-मस्जिद विवाद के मुख्य पैरोकार दिनेश फलाहारी महाराज ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को खून से एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने ट्रंप से अनुरोध किया है कि पाकिस्तान को एक आतंकवादी देश घोषित किया जाए

मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस के मुख्य पैरोकार और दिनेश फलाहारी महाराज ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को पत्र लिखा है। ख़ास बात ये है कि उन्होंने ये पत्र अपने ख़ून से लिखा है। इस पत्र में उन्होंने माँग की है कि पाकिस्तान को ‘आतंकी मुल्क़’ घोषित किया जाए।

उन्होंने पाकिस्तानियों के आतंकियों का अड्डा बन जाने और वहाँ कई आतंकी शिविर होने की जानकारी देते हुए इस पत्र में ये भी याद दिलाया है कि कैसे अमेरिका ने खूँखार आतंकी ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान में ही मार गिराया था। इसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक का भी जिक्र किया है।

दिनेश फलाहारी महाराज का तर्क है कि अगर पाकिस्तान को ‘आतंकी मुल्क़’ घोषित किया जाता है तो इससे विदेश से आतंकियों को होने वाली फंडिंग रुक जाएगी, इससे दुनियाभर में आतंकी घटनाओं की कमी होगी। उन्होंने अपने ‘X’ हैंडल पर भी ट्रम्प लो टैग करते हुए इस पत्र को पोस्ट किया है। फलाहारी बाबा अन्न ग्रहण नहीं करते हैं, न ही चप्पल पहनते हैं। 3 साल पहले उन्होंने प्रतिज्ञा ली थी कि वो भोजन में अन्न तभी लेंगे और चरण पादुका तभी पहनेंगे, जब मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर बन जाएगा।

फलाहारी महाराज ने तीन साल पहले प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक मथुरा मंदिर से मस्जिद नहीं हटेगी, वह न भोजन करेंगे और न ही पैरों में पादुका पहनेंगे। वह आज भी अपनी प्रतिज्ञा पर अडिग हैं।

राहुल गांधी को पता भी नहीं चला कि जातिगत जनगणना की घोषणा करके मोदी ने क्या खेला कर दिया

सुभाष चन्द्र

मोदी सरकार की जातिगत जनगणना की घोषणा से राहुल गांधी & कंपनी जलसा मना रही है और पोस्टर लगाए गए हैं “झुकाने वाला चाहिए, सब झुकते हैं” मतलब राहुल गांधी ने मोदी को झुका दिया और जातिगत जनगणना करने के लिए बाध्य कर दिया 

लेकिन राहुल गांधी को पता भी नहीं चला कि मोदी ने जातिगत जनगणना की घोषणा करके कितना बड़ा खेला कर दिया और राहुल गांधी की जातिवार जनगणना की मांग की बत्ती बना कर उसकी पीछे वाली जेब में डाल दी कांग्रेस का जाति कार्ड हिंदुओं को तोड़ने का काम करता रहा है लेकिन अब जो घोषणा हुई है उसमे सभी धर्मों/मजहबों के लोगों की जाति पूछी जाएगी मुसलमानों और ईसाइयों की भी जाति पूछी जाएगी और जो खेल हिंदुओं को तोड़ने के लिए खेला जाता रहा है, वह अब मुस्लिम और ईसाई भी करेंगे

लेखक चर्चित YouTuber 

मुसलमानों में उच्च जाति में सैयद, पठान और शेख आते हैं और होते हैं अजलफ (जो अछूत हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बनाया जाता है) और उन्हें “अरजल” भी कहा जाता है मतलब("degraded")

मीडिया हर चुनाव में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में जातियां बताते हैं  मुस्लिम 28%, ब्राह्मण 10%, ठाकुर 08%, जाट 04%, लोध 05%, दलित 16%, कुर्मी 12%, सिख 02% और  अन्य 15% लेकिन कभी मुस्लिमों की जातियां नहीं बताते

जबकि ऊपर दी गई ऊंची जातियों के अलावा मुस्लिमों में कहते हैं 72 फिरके(जाति) हैं जिनमें प्रमुख हैं - कसाई, गद्दी, अंसारी, हज़्ज़ाम, कायमखानी, मनिहार, सलमानी, इदरीसी, बावर्ची, मिरासी, भांड, मंसूरी

सभी मुसलमानों को बरगला कर इस्लाम के नाम पर उच्च जाति के सैयद, पठान और शेख को वोट डालने के लिए प्रेरित किया जाता रहा है और वो वोट देते भी हैं अब 72 जातियों के सामने आने पर मुस्लिमों की हर जाति के लोग पूछेंगे हमारी जाति का उम्मीदवार कहां हैं, हम क्यों सैयद, पठान और शेख को वोट दें? दूसरी तरफ अगर उन्हें भाजपा से फायदा मिलता दिखाई देगा तो वो उसे वोट दे सकते हैं 

मुस्लिम नेता यह भूल रहे हैं कि मुसलमानों में 85% आबादी पसमांदा मुस्लिमों की है जो सही मायने में पिछड़े हैं लेकिन उन्हें मुस्लिम कौम के लोग कभी प्रतिनिधित्व नहीं देते उन्हें बस अपनी रैलियों में भीड़ जुटाने और हिंदुओं के खिलाफ भड़का कर दंगे कराने में इस्तेमाल करते हैं

लेकिन अब पसमांदा मुसलमानों की जातियां जब सामने आएंगी, तब वे ऊंची जाति के मुसलमानों और राजनीतिक दलों से अपना अधिकार मांगेंगे तब असली खेला होगा और जैसे हिंदुओं को तोडा जाता रहा है, वैसा ही विघटन मुस्लिम वोटों का होगा पसमांदा मुस्लिम पूछेंगे कि उन्हें वक्फ बोर्ड ने क्या दिया? यह बात गौर करने की है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में एक भी पसमांदा मुस्लिम नहीं है जबकि उनकी आबादी 85% है

कांग्रेस ने कभी जातिगत जनगणना नहीं कराई नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक कोई इस काम के लिए आगे नहीं आया और 2011 में मनमोहन सिंह सरकार घोषणा करके भी पीछे हट गई लेकिन राहुल गांधी को लगा कि जातिगत जनगणना का हल्ला मचा कर वो फिर से हिंदुओं को पूरी तरह तोड़ देगा लेकिन मोदी ने खेल ही पलट दिया जब मोदी का खेल समझ आएगा, तब यह भी हो सकता है राहुल गांधी खुद मांग करे कि अल्पसंख्यकों की जातिगत जनगणना न कराई जाए 

“इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या

आगे-आगे देखिए होता है क्या” 

‘हिन्दू डॉक्टर ने मरीज को मुस्लिम जानकर इलाज से किया इनकार’: पहलगाम अटैक के बाद ‘विक्टिम मुस्लिम’ नैरेटिव गढ़ने को The Quint ने परोसी फर्जी कहानी

                            द क्विंट' ने हिन्दू डॉक्टर चंपाकली सरकार को किया बदनाम (साभार: ऑपइंडिया इंग्लिश)
सोशल मीडिया पर रविवार (26 अप्रैल ,2025) को ‘मुस्लिम पीड़ित’ की झूठी कहानी फैलाई गई, जिसमें दावा किया गया कि कोलकाता की एक स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंपाकली सरकार ने एक मुस्लिम मरीज का इलाज करने से इनकार कर दिया। आरोप था कि कस्तूरी दास मेमोरियल सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर चंपाकली ने कंगकोना खातून नामक महिला को उसके मजहब के चलते चिकित्सा सेवा देने से मना कर दिया।

रिपोर्ट में डॉ सरकार को विलेन दिखाने के लिए एक अपुष्ट कॉल रिकॉर्डिंग भी पेश की गई। यह उल्लेख करना ज़रूरी है कि उस ऑडियो क्लिप की अब तक कोई फॉरेंसिक जाँच नहीं हुई है और उसकी असलियत की पुष्टि नहीं हो सकी है।

हालाँकि, यह दावा पूरी तरह झूठा और भ्रामक निकला। यह घटना पहलगाम आतंकी हमले के बाद सामने आई उन कई फर्जी खबरों में से एक है, जो सोशल मीडिया और कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा फैलाई जा रही हैं। इसके पीछे की मंशा इस्लामी आतंकवादियों द्वारा किए गए हिंदुओं के नरसंहार जैसे गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाना और हिंदुओं को गलत तरीके से खलनायक के रूप में प्रस्तुत करना प्रतीत होता है।

‘द क्विंट’ और कुछ अन्य मीडिया संस्थानों द्वारा इन फर्जी कहानियों को पुनः प्रकाशित कर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया, जिससे सांप्रदायिक तनाव और गलतफहमियों को बढ़ावा मिला।

वामपंथी प्रोपेगेंडा आउटलेट ‘द क्विंट’ ने डॉ चंपाकली सरकार के हवाले से यह बयान दिया, “आपके मजहब के लोग मेरे धर्म के लोगों को मार रहे हैं, आप लोग हत्यारे हैं।”

                                                     ‘द क्विंट’ की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट

इसमें आगे आरोप लगाया गया है, “डॉक्टर ने कहा – आपके पति को हिंदुओं द्वारा मार दिया जाना चाहिए ताकि आप उस दर्द को महसूस कर सकें जो हिंदुओं ने झेला है। आपको अपने इलाज के लिए केवल मदरसों और मस्जिदों में जाना चाहिए, जहाँ मुस्लिमों को आतंकवादी बनना सिखाया जाता है।”

डिजिटल मीडिया पोर्टल ‘द क्विंट’ के हवाले से, ये बात सामने आई है जिसमें डॉ सरकार को एक कथित कॉल रिकॉर्डिंग के आधार पर खलनायक के रूप में दिखाया गया है। आरोप है कि यह रिकॉर्डिंग असत्यापित है और इसे बिना पुष्टि के रिपोर्ट में प्रमुखता दी गई। रिपोर्ट में कंगकोना खातून, उनके पति और भाभी महफूजा (जो पेशे से वकील हैं) के बयानों को गलत रूप में प्रस्तुत किया गया है। 

वहीं, डॉ सरकार के पक्ष को बहुत ही सीमित जगह दी गई, जबकि पूरी रिपोर्ट उन्हीं के इर्द-गिर्द केंद्रित थी। रिपोर्ट के अनुसार, पत्रकार अलीज़ा नूर ने इस ख़बर को लिखा, जिन पर पहले भी ‘मुस्लिम पीड़ित’ की कहानी को स्थापित करने के लिए एक फर्जी खबर फैलाने के आरोप लग चुके हैं।

                                                   ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट

‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्टस के अनुसार, डॉक्टर को मरीज के मजहब का पता नहीं था और उसके सरनेम ‘खातून’ की जानकारी मिलने के बाद डॉक्टर नाराज हो गई।

शिकायत के अनुसार, डॉक्टर पिछले 7 महीनों से महिला का इलाज कर रही थी, डॉक्टर मरीज का पहला नाम कोंकणा से जानती थी। आरोप लगाया गया है कि उसका सरनेम ‘खातून’ देखकर डॉक्टर ने कथित तौर पर कहा की वो मुस्लिम महिला का इलाज नहीं करेंगी। बकौल रिपोर्ट, डॉक्टर ने हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का हवाला दिया और मजहबी कट्टरता के आरोप लगाए।

इस फर्जी खबर को मुस्लिम मिरर, डेक्कन क्रॉनिकल, मकतूब मीडिया और सियासत जैसी इस्लामी प्रचार साइटों द्वारा प्रोपेगंडा के तहत फैलाने का काम किया गया।

दावे बनाम सच्चाई, क्या था असल मामला?

कंगकोना खातून पिछले 7 महीने से अपनी नियमित जाँच के लिए डॉ सरकार के पास जा रही थीं। इतने लंबे समय तक इलाज के दौरान डॉक्टर को मरीज की मजहबी पहचान का पता न चलना असंभव सा लगता है। यदि डॉक्टर पूर्वाग्रही होतीं, तो शुरुआत से ही इलाज करने से इनकार कर देतीं। खातून का कहना है कि डॉक्टर को उसके उपनाम के बारे में हाल ही में जानकारी मिली और तभी से उनके व्यवहार में बदलाव आया।

दिलचस्प बात यह है कि यह खुलासा पहलगाम आतंकी हमले के दो दिन बाद हुआ। उसके मुताबिक, गुरुवार (24 अप्रैल, 2025) को डॉक्टर ने उसका इलाज करने से मना कर दिया, जिसके बाद 25 अप्रैल को उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। हालाँकि, जब जाँच शुरू हुई और तथ्य सामने आए, तो उसके आरोपों की बुनियाद कमजोर पड़ गई।

                                  डॉक्टर को महिला के पूरे नाम से ही जा रहा था पेमेंट, देख सकते हैं सरनेम

कोलकाता के प्रसिद्ध एनेस्थेसियोलॉजिस्ट डॉ प्रमोद रंजन रॉय ने गुरुवार (24 अप्रैल 2025) को सोशल मीडिया पर एक स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसमें दिखाया गया था कि कंगकोना खातून ने डॉ चंपाकली सरकार को परामर्श शुल्क का भुगतान किया था। यह स्क्रीनशॉट उसी दिन का था जिस दिन खातून ने आरोप लगाया था कि उनका उचित इलाज नहीं किया गया और उनके साथ अभद्र व्यवहार किया गया।

यह सवाल उठना लाजिमी है कि जब किसी तरह का इलाज किया ही नहीं गया, तो मरीज ने डॉक्टर को जाँच के लिए परामर्श शुल्क क्यों अदा किया?

इस मुद्दे पर अब और भी स्पष्टता आ गई है। मंगलवार, (29 अप्रैल, 2025) को ‘पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम’ (WBDF) द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि उन्होंने डॉ चंपाकली सरकार द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों की समीक्षा की है, और उस समीक्षा के आधार पर उनके बयान को सही और विश्वसनीय माना है।

                                                         WBDF द्वारा प्रेस विज्ञप्ति

WBDF ने अपने बयान में कहा, “संबंधित डॉक्टर से सीधे संपर्क करने और तथ्यों की पुष्टि करने के बाद, हमने पाया कि बताए गए तथ्य प्रसारित किए जा रहे आरोपों के विपरीत हैं। वास्तव में, जिस मरीज़ की बात हो रही है, उसे मरीज़ के अनुरोध पर डॉक्टर ने उसके घर पर देखा था। सबूत के तौर पर, हमने परामर्श शुल्क की ऑनलाइन भुगतान रसीद की पुष्टि की है, जिस पर उचित समय और दिनांक अंकित है, जो बताता है कि परामर्श वास्तव में हुआ था।” WBDF के बयान ने कंगकोना खातून के झूठ की हवा निकाल दी।

यह बताया गया है कि खातून ने डॉ चंपक और सरकार के बीच एक निजी बातचीत सुनी थी, जो उनके खातून से संबंधित नहीं थी।

इसमें यह भी बताया गया है कि पहले भी डॉक्टरों को झूठे आरोपों के तहत इसी तरह निशाना बनाया गया है। ऑपइंडिया ने इस मामले को लेकर ‘पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम’ (WBDF) के सदस्य डॉ. कौशिक चाकी से संपर्क किया, जिन्होंने प्रेस विज्ञप्ति की प्रामाणिकता की पुष्टि की।

डॉ चंपाकली सरकार का क्या कहना है

डॉ प्रमोद रंजन रॉय द्वारा शेयर किए गए वीडियो में पीड़िता डॉ चंपाकली सरकार ने अपना बयान दिया है।
उन्होंने अपने बयान में लिखा, “मैं डॉ CK सरकार हूँ। मैं पिछले 30 सालों से बेहाला, साउथ 24 परगना में प्रैक्टिशनर हूँ। मैं मेडिकल नैतिकता में विश्वास रखती हूँ। मेरे लिए सभी मरीज एक समान हैं। मैं अपने सभी मरीजों को समान प्राथमिकता देती हूँ। मेरी नजर में जाति, धर्म और नस्ल का कोई महत्व नहीं है। मैं मरीजों का सही और नैतिक तरीके से इलाज करने की पूरी कोशिश करती हूँ। कुछ लोगों को मुझसे दिक्कत थी। आप लोग अफवाहों पर ध्यान न दें। मेरे करियर को बर्बाद करने की कोशिश की गई है। मुझे सोशल मीडिया और न्यूज रिपोर्ट से जानकारी मिली है। संकट के समय में इस तरह की अफवाहें फैलाई जाती हैं। मुझे उम्मीद है कि आप लोग इस पर विश्वास नहीं करेंगे।”
साथ ही, डॉक्टर ने निजी कारणों से अपने 3 दशक लंबे करियर को बर्बाद करने की कोशिश करने के लिए खातून के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात भी कही है।
डॉ चंपाकली सरकार ने ‘द टेलीग्राफ’ को बताया, “मेरे 80 प्रतिशत मरीज़ मुस्लिम हैं। क्या मैं कुछ ऐसा कहूँगी जिससे मुझे सबसे ज़्यादा दुःख पहुँचे? मैंने परनाश्री पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई है कि मुझे बदनाम किया जा रहा है।”
डॉक्टर ने यह भी कहा की यह असत्यापित ऑडियो कॉल रिकॉर्डिंग फ़र्जी है। उन्होंने ‘द क्विंट’ से कहा, “नहीं, यह सब फ़र्ज़ी है, यह मेरी कॉल रिकॉर्डिंग नहीं है।”
यह हिंदू समुदाय को बदनाम करने का पहला प्रयास नहीं है। हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद, ऐसी साजिशों की कोशिश हुई हैं जिनका इस्तेमाल आकर आतंकी हमलों के पीछे मजहबी घृणा वाली वास्तविकता से ध्यान बँटाया जा सके, कश्मीरियों और मुस्लिमों को हिन्दुओं द्वारा निशाना बनाए जाने की झूठी कहानी गढ़ी जा सके।
इस रणनीति के तहत ‘मुस्लिम पीड़ित’ कार्ड का इस्तेमाल किया गया, ताकि बहस का केंद्र आतंकवाद से हटकर सांप्रदायिक पीड़ाओं की ओर मोड़ा जा सके। इसी सिलसिले में, एक और फ़र्ज़ी खबर सोशल मीडिया पर फैलाई गई, जिसमें दावा किया गया कि बेंगलुरु में एक मुस्लिम कॉर्पोरेट कर्मचारी की मौत उसके हिंदू सहकर्मियों द्वारा ‘गायत्री मंत्र’ ज़बरदस्ती जपवाने और पहलगाम हमले पर प्रतिक्रिया न देने के कारण हुई।
इस फर्जी खबर का पर्दाफाश ऑपइंडिया ने किया। यह कहानी मूल रूप से एक लिंक्डइन यूजर इशान सक्सेना की मनगढ़ंत पोस्ट पर आधारित थी, जिसे तथाकथित पत्रकार अलीजा नूर ने बिना किसी तथ्य की जाँच के रिपोर्ट किया। इस खबर को वामपंथी मीडिया प्लेटफॉर्म ‘द क्विंट‘ ने प्रमुखता से प्रकाशित किया, लेकिन जब सच्चाई सामने आई, तो बिना किसी माफ़ीनामे के चुपचाप हटा दिया गया। यह दिखाता है कि किस तरह तथ्यों की पुष्टि किए बिना ‘नैरेटिव’ गढ़ने की कोशिश की जाती है, और जब वो फिट नहीं बैठती, तो उसे दबा दिया जाता है।
नूर, जिन्होंने पहले कोलकाता के डॉक्टर की कहानी लिखी थी, अब ताज़ा खुलासे के बाद अपने एक्स (Twitter) और इंस्टाग्राम अकाउंट डिलीट कर चुकी हैं। इसी प्रोपेगेंडा तंत्र ने जामिया मिलिया इस्लामिया की एक कश्मीरी छात्रा के साथ छेड़छाड़ की घटना को भी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया था। लेकिन जब बाद में मामला  सामने आया कि आरोपित मेवात का मोहम्मद आबिद है, तो यह पूरा नैरेटिव अचानक शांत हो गया।