क्या मुनीर ईरान के लिए पाकिस्तान के "मीर ज़फर" बनेंगे? क्योकि इधर मोदी से बात, उधर पलट गए ट्रंप: एक बार फिर लिया भारत-पाक सीजफायर को रोकने का श्रेय, आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस बुलाकर किस अधिकार से मुनीर से सौदा किया जा रहा है?


भारत के ऑपरेशन सिंदूर में हुए आक्रामक हमलों से पाकिस्तान अभी तक कराह रहा है। भारत से बचाने के लिए शहबाज-मुनीर अमेरिका, चीन और तुर्किए से गुहार लगा रहे हैं। आसिम मुनीर अपने कटोरा लेकर अमेरिका में ट्रंप को हाजिरी लगाने पहुंच चुके हैं, जबकि शहबाज शरीफ अगले हफ्ते ईरान जाने वाले हैं, जहां भीख में हथियार मांग सकते हैं। इस बीच मोदी सरकार ने साफ-साफ अल्टीमेटम दे दिया है कि अगर पाकिस्तान ने अब सीजफायर तोड़कर हमले की हिमाकत दिखाई, तो इस दफा उसका संपूर्ण संहार तय है। जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत यह भी साफ कर दिया कि किसी भी तरह का आतंकी हमला भी ‘एक्ट ऑफ वार’ माना जाएगा। इसलिए भारत लगातार युद्धाभ्यास में जुटा है, जिससे पाकिस्तानी हुक्मरानों की घबराहट बढ़ती जा रही है। पाकिस्तान पीएम मोदी की तासीर से अब बखूबी वाकिफ हो गया है, वे अंदर घुसकर मारने में यकीन रखते हैं। एकाधिक बार हुई सर्जिकल स्ट्राइक से उन्होंने यह साबित भी किया है। भारत का युद्धाभ्यास सीधा मुनीर-शहबाज को अल्टीमेटम है कि अगर सीजफायर तोड़ने की हिमाकत दिखाने की जुर्रत भी की, तो ऑपरेशन सिंदूर से भी बड़ा ऑपरेशन शुरू हो जाएगा क्योंकि टारगेट लॉक हो चुके हैं। काउंटडाउन शुरू हो जाएगा और उसके बाद पाकिस्तान का विनाश निश्चित है।

पीएम मोदी की नीति जो भारत को छेड़ेगा, उसको छोड़ा नहीं जाएगा
भारत युद्ध में पहल पर विश्वास नहीं करता, क्योंकि उसका मानना है कि यह युद्ध का युग नहीं है, बल्कि भारत बुद्ध का देश है, जो शांति में विश्वास रखता है। लेकिन इसके साथ ही पीएम मोदी की नीति है कि जो भारत को छेड़ेगा, उसको छोड़ा नहीं जाएगा। भारत ने इसके लिए जबरदस्त तैयारी शुरू कर दी है। सेना की ताकत में इजाफा किया जा रहा है, जिससे एक साथ तीन देशों को काउंटर किया जा सके। यदि पाकिस्तान ने सीजफायर करने की हिमाकत की तो इस बार भारत ट्रिपल प्रहार करेगा। सबसे पहले पाकिस्तान को तबाह करेगा। इस दौरान उसे हथियार भेजने वाले चीन और तुर्किए को भी सबक सिखाने की तैयारी है। पाकिस्तान में लगे चीन के डिफेंस सिस्टम और उसके हथियार डिपो तबाह कर दिए जाएंगे। इसी तरह तुर्किए के ड्रोन और वॉरशिप को भी निशाने पर लिया जाएगा। पाकिस्तान की घबराहट की सबसे बड़ी वजह भारत के हाईटेक हथियार हैं, जिन्होंने 48 घंटे में ही पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था।

दूरदर्शी विजन और अत्याधुनिक हथियारों से दुश्मन को किया नाकाम
पीएम मोदी के दूरदर्शी विजन ने हमारी सेनाओं को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाया है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ही तीन हथियार ऐसे हैं, जिनका इस्तेमाल पहली बार किसी कॉम्बैट ऑपरेशन में किया गया, जिसमें वो शत-प्रतिशत सफल रहे। राफेल, जिससे पाकिस्तान और पीओके में आतंकी अड्डों को तबाह किया गया। दूसरा हथियार है ब्रह्मोस, जिसने पाकिस्तानी एयरबेस को भारी नुकसान पहुंचाया और तीसरा हथियार है S-400, जिसने पाकिस्तान के हर हमले को नाकाम किया। हालांकि एस-400 के साथ आकाश और स्पाइडर के अलावा दूसरे एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तानी ड्रोन और जेट के के हमलों को 100 फीसदी नाकाम किया था।

भारत के अभेद्य सुरक्षा कवच को और अधिक मजबूत करने की तैयारी
भारत के अभेद्य सुरक्षा कवच के पीछे मजबूत वजह में लॉन्ग रेंज डिफेंस सिस्टम एस-400 है, जिसकी रेंज 400 किमी है। मीडियम रेंज का डिफेंस सिस्टम आकाश और बराक-8 है। आकाश की रेंज 70 से 80 किलोमीटर है, जबकि इजराइल के सहयोग से तैयार किए गए बराक की रेंज 70 से 100 किमी है। इसके अलावा शॉर्ट रेंज डिफेंस सिस्टम स्पाइडर और इग्ला-S है। स्पाइडर की रेंज 20 से 30 किमी है, जबकि इग्ला की रेंज 10 से 15 किमी है। इन डिफेंस सिस्टम का चक्रव्यूह तैयार किया गया, जिसमें पाकिस्तान का हर ड्रोन, हर मिसाइल फंस कर तबाह हो गए। अब भारत अपनी इस रक्षा प्रणाली में और ज्यादा इजाफा करने जा रहा है, जिसमें एयर डिफेंस के लिए तीन नई मिसाइलें तैनात की जाएंगी, जबकि एस-400 के बाकी 7 सिस्टम इस साल के आखिर तक भारत को मिल जाएंगे। पीएम मोदी के कार्यकाल में ही साल 2018 में एस-400 की डील हुई थी, जिसमें से तीन भारत को मिल चुके हैं, बाकी जल्द मिल जाएंगे। ऐसे भी कयास हैं कि एस-400 को लेकर नए कंसाइनमेंट की डील हो सकती है।

इधर पीएम मोदी से की बात, उधर पलट गए ट्रंप: एक बार फिर लिया भारत-पाक सीजफायर को रोकने का श्रेय, आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस बुलाकर हो रहा सौदा 

भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर श्रेय लेने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, “मैंने ही पाकिस्तान से वॉर को रुकवाया था। मुझे पाकिस्तान पसंद है, मैं सोचता हूँ मोदी भी शानदार व्यक्ति हैं।”

दरअसल, बुधवार (18 जून 2025) को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान फौज के जनरल आसिम मुनीर ने व्हाइट हाउस में साथ में लंच किया। इसके बाद मीडिया से बातचीत की। इस दौरान ट्रंप ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ्ता कराने का दावा किया।

साथ ही आसिम मुनीर की तारीफ करते हुए कहा कि मध्यस्थता के दौरान पाकिस्तान ने भी काफी प्रभावी ढंग अपनाया। ट्रंप ने कहा कि इसमें आसिम मुनीर का खास नेतृत्व था। उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान न्यूक्लियर देश हैं, इसीलिए वॉर रुकवा दिया।

बता दें कि इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर 35 मिनट बात की थी। इस दौरान पीएम ने साफ कहा था कि भारत-पाकिस्तान सीजफायर में ट्रंप की कोई भूमिका नहीं थी। इसके बाद भी अब डोनाल्ड ट्रंप कह रहे हैं कि उन्होंने दोनों देशों के बीच सीजफायर करवाया।

‘हिंदुओं को फेंकना होगा तो फेंकेगे सुअर का मांस’… मंदिर में ‘गाय का सिर’ मिलने पर राहुल की ‘कठपुतली’ ने की जो टिप्पणी, असम CM ने दिया उसका जवाब: कहा- पकड़े गए आरोपित मुस्लिम


असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने राहुल गाँधी पर पलटवार किया है। सीएम ने राहुल गाँधी के गोहत्या और मंदिर की अपवित्रता पर दिए गए बयान को जहरीला और अपमानजनक करार दिया है। सीएम ने दावा किया कि राहुल गाँधी सांप्रदायिक तत्वों को बचाना चाहते हैं।

सीएम सरमा ने कहा, “इससे राहुल गाँधी की मानसिकता सामने आती है। अगर हिंदुओं को मांस फेंकना होता तो वह सूअर का मांस होता, गोमांस नहीं। हम गोमांस का उपयोग क्यों करेंगे? इस तरह की टिप्पणियाँ उनकी जहरीली मानसिकता उजागर करती है।”

उन्होंने आगे कहा, “असम के मंदिरों में गोमांस फेंकने वाले सभी आरोपित विशेष समुदाय से हैं। लेकिन, यहाँ राहुल गाँधी की ‘कठपुतली’ हिंदुओं पर गाय का सिर काटकर मंदिर में फेंकने और बाकी बचा हुआ खाने का आरोप लगा रहा है। यह टिप्पणी बेहद भड़काऊ है।”

 गौरतलब है कि असम के मंदिरों में गोमांस फेंके जाने के कई मामले सामने आ चुके हैं। इसे सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने हिंदुओं के खिलाफ साजिश बताया था। वहीं, राहुल गाँधी के करीबी माने जाने वाले नेता और असम कॉन्ग्रेस अध्यक्ष गौरव गोगोई ने मामले में बयान देते हुए उलटा हिंदुओं पर ही इस मामले में आरोपित बना दिया था।

“You are the best, want to be like you”.… G7 में मिले मोदी-मेलोनी तो फिर ट्रेंड में आया Melodi, इतालवी PM बोलीं, भारत के प्रधानमंत्री ने कहा- हमारी दोस्ती मजबूत

                                   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जॉर्जिया मेलोनी (फोटो साभार: GiorgiaMeloni)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया और दोस्ती की बात की। मेलोनी ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा, “You are the best, want to be like you”.

पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान मेलोनी ने उनसे कहा कि आप बेस्ट हैं और मैं भी आपकी तरह बनने की कोशिश कर रही हूँ। जी-7 उन 7 देशों का समूह है, जिसमें इटली, फ्रांस, अमेरिका और दूसरे देश शामिल है। भारत इसका हिस्सा नहीं है, लेकिन 2019 से भारत को बतौर गेस्ट आमंत्रित किया जा रहा है।

इसी मुलाकात के दौरान दोनों ने मुलाकात की। इसकी तस्वीर मेलोनी ने सोशल मीडिया पर शेयर की, जिसमें दोनों हँसते नजर आए।

मेलोनी ने ट्वीट कर लिखा, “इटली और भारत गहरी दोस्ती से जुड़े हैं।”

पीएम मोदी ने उनकी पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए कहा, “आपसे सहमत हूँ, हमारी दोस्ती मजबूत होगी और लोगों को फायदा होगा।”

दोनों ने भारत-इटली संबंधों को बेहतर करने की बात कही। इस दौरान ग्लोबल साउथ और इंडो-पैसिफिक जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई।

पीएम मोदी ने इटली में भारतीय सेना के योगदान को याद करते हुए मेमोरियल की योजना का जिक्र किया। मेलोनी ने इसे मूल्य आधारित साझेदारी बताया और सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई। इस मुलाकात से दोनों देशों के रिश्ते और गहरे होंगे। इस बैठक में दोनों देशों के पीएम ने भारत और इटली के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की और आपसी सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।

मोदी और जॉर्जिया मेलोनी की मुलाकातों के वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं। दोनों के प्रशंसक Melodi नाम से अक्सर ट्वीट करते हैं, जिसमें दोनों नेता एक-दूसरे से बातचीत करते नजर आते हैं। हालाँकि कई बार ये पोस्ट बेहद मजाकिया भी होते हैं।

उत्तर प्रदेश : कैसे-कैसे होना चाहिए संभल में दंगा… व्हॉट्सऐप ग्रुप पर सब तय हुआ: एडमिन समाजवादी पार्टी सांसद जियाउर्रहमान बर्क निकला, 1000+ पन्नों की चार्जशीट में दुबई तक का कनेक्शन उजागर

अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम (बाएँ), संभल हिंसा (बीच में), शारिक साठा (दाएँ), (फोटो साभार : Aajtak & Organiser)
अनेकों बार लिखा जा रहा है कि हिन्दू हितों की रक्षा करने वालों की जेहादी बेशक जान लेकर सात समुन्दर पार भाग जाएं, लेकिन जाँच होने पर ईश्वर सामने ले ही आता है। जिस तरह आतताइयों के क्रूर राज में हिन्दू मन्दिरों और देवी-देवताओं को धरती माता में दबा दिया गया था, आज वही मूर्तियां चीख-चीखकर अपने दबे होने के संकेत दे रही है। इसीलिए जहाँ खुदा वहीं मंदिरों के अवशेष निकल रहे हैं। और जितने भी दंगे-फसाद हो रहे हैं सच्चाई को बाहर आने से रोकने के लिए होते रहे हैं, भविष्य में भी होते रहेंगे। यहाँ सनातनियों को वोट देते समय सतर्क होना पड़ेगा कि किसी सनातन विरोधी नेता और पार्टी को वोट न दे। दूसरे, चुनाव आयोग और निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सबको इस गंभीर मुद्दे पर गंभीरता से चिंतन करना चाहिए। Victim card खेलने वालों पर तो और भी सतर्कता बरतनी चाहिए।         

दंगाग्रस्त क्षेत्रों के लिए निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक को सभी सरकारो और पुलिस को सख्त आदेश देने चाहिए कि दंगा होने पर सबसे पहले दो राउंड अश्रुगैस फिर blind fire और आखिर में ढोल पीटने के लिए लाठीचार्ज। अक्सर यही सुनने में आता है कि बाहरी लोग आकर यहाँ का माहौल ख़राब कर दिया। जब blind fire होने पर जो जख्मी होंगे स्थानीय ही होंगे और उनको रोने वाले भी स्थानीय कोई बाहरी नहीं होगा।    

संभल हिंसा की गहराई में जाने पर कई चौंकाने वाली बातें सामने आती हैं, जो पहले की रिपोर्टों में नहीं थीं। SIT की चार्जशीट के अनुसार, इस खूनी खेल का साजिशकर्ता दुबई में बैठा गैंगस्टर शारिक साठा है, जिसे संभल के सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क का खुला प्रोटेक्शन मिला था।

जानकारी के अनुसार, पुलिस ने दावा किया कि साठा ने सीधे तौर पर मुस्लिम भीड़ को भड़काया था। शारिक साठा ने मुस्लिमों को उकसाया कि वे जामा मस्जिद के सर्वे को रोकें, क्योंकि यह उनकी ‘500 साल पुरानी बाबर की निशानी’ है, जिसे बचाना उनका फर्ज़ है।

इस साज़िश का सबसे घिनौना पहलू यह है कि शारिक साठा के इशारे पर ही हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन की हत्या की साज़िश रची गई थी। इस काम के लिए शारिक साठा गैंग से जुड़े मोहम्मद गुलाम को सुपारी दी गई थी, जिसे पुलिस ने बाद में गिरफ्तार कर लिया था।

 मोहम्मद गुलाम के पास से भारी मात्रा में विदेशी हथियार भी बरामद हुए, जो इस साज़िश की गंभीरता को दिखाते हैं। पुलिस ने यह भी खुलासा किया है कि शारिक साठा गैंग का संबंध अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की D कंपनी से है, जिससे इस हिंसा के पीछे एक गहरी और खतरनाक अंतरराष्ट्रीय साज़िश की बू आती है।

व्हाट्सएप ग्रुप में साजिश का पटकथा

संभल हिंसा की साज़िश एक व्हाट्सएप ग्रुप ‘सांसद संभल’ से रची गई थी, जिसके एडमिन खुद सांसद जियाउर्रहमान बर्क थे। पुलिस को पक्के सबूत मिले हैं कि 22 और 24 नवंबर को इसी ग्रुप में हिंसा भड़काने के मैसेज भेजे गए। इन मैसेज में भारी भीड़ जुटाने और सरकारी सर्वे को किसी भी कीमत पर रोकने का निर्देश था।

दुबई में बैठा गैंगस्टर शारिक साठा ने भी 23 नवंबर को फोन पर निर्देश दिए थे कि सर्वे नहीं होना चाहिए। इस भीड़ का मुख्य निशाना हिंदू वकील विष्णु शंकर जैन थे, जिनकी हत्या की साज़िश रची गई थी, लेकिन वह बाल-बाल बच गए।

सुनियोजित थी संबल हिंसा साजिश

24 नवंबर 2024 को संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा ने पूरे नॉर्थ इंडिया को हिला दिया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि विवादित मस्जिद उस जगह बनी है, जहाँ पहले श्रीहरिहर मंदिर था। कोर्ट के आदेश पर जब एडवोकेट कमिश्नर की टीम सर्वे के लिए पहुँची, तो मुस्लिम भीड़ ने हिंसक रूप ले लिया।
पुलिस की जाँच में सामने आया है कि यह हिंसा कोई अचानक नहीं हुई, बल्कि एक सुनियोजित साज़िश का नतीजा थी। SIT ने अपनी 11वीं चार्जशीट में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क, सपा विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल सहित 23 लोगों को आरोपित बनाया है, जबकि विधायक पुत्र सुहैल इकबाल को क्लीनचिट मिली है।
इस सुनियोजित हमले में चार लोगों की जान गई और 29 पुलिसकर्मी घायल हुए। शाही जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली ने पुलिस को बताया कि सपा सांसद बर्क की इसमें बड़ी भूमिका थी। पहले 3000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल हुई थी, और अब 1200 पन्नों की एक और चार्जशीट दाखिल की गई है।

ऐसी कौन सी डॉक्टरी पढ़ाता है ईरान जो शिया मुल्क की दौड़ लगाते हैं कश्मीरी, 100+ छात्रों को आर्मेनिया के रास्ते निकाला: इजरायली हमलों के बीच भारत ने शुरू किया ‘ऑपरेशन सिन्धु’

ऑपरेशन सिंधु (फोटो साभार- एक्स/ @DDIndialive)
इजरायल और ईरान के बीच जारी युद्ध के बाद भारत ने अपने नागरिकों को निकालना चालू कर दिया है। भारत ने अपने नागरिकों को युद्धग्रस्त ईरान से निकालने के लिए ‘ऑपरेशन सिन्धु’ लॉन्च किया है। भारत ने अपने 100+ नागरिकों को ईरान से निकाल भी लिया है। इन्हें आर्मेनिया के रास्ते निकाला गया है।

लगभग 110 भारतीय छात्र, जो ईरान के विभिन् विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे थे, उन्हें दूतावास की मदद से पहले सीमा पार कर आर्मेनिया पहुँचाया गया और अब सभी विशेष उड़ान से भारत लौट आए हैं। इन छात्रों को लेकर पहली फ्लाइट आर्मेनियाई राजधानी येरेवन से बुधवार (18 जून 2025) को दिल्ली पहुँचे।

ईरान और आर्मेनिया ने इस मामले में भारत की काफी सहायता की है। ईरान ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वह भारत के छात्रों को बाहर निकालने के लिए अपने दरवाजे खुले रखेगा और इसी प्रतिबद्धता को निभाते हुए उसने भारतीय मिशन को हरसंभव सहायता दी।

ईरान से सुरक्षित निकाले गए छात्र

तेहरान में स्थित भारतीय दूतावास ने तनाव के बाद बिगडती स्थिति को देखते हुए 110 भारतीय छात्रों को तुरंत शहर से बाहर निकालने की योजना बनाई। इन छात्रों को सुरक्षित रास्ते से आर्मेनिया ले जाया गया और फिर वहाँ से भारत भेजा गया।

निकाले गए छात्रों में से ज्यादातर उर्मिया मेडिकल यूनिवर्सिटी के हैं। इनमें से करीब 90 छात्र जम्मू-कश्मीर के हैं। ईरान से निकाले गए छात्र तमहीद मुगल ने बताया कि वे सभी भारत सरकार के इस त्वरित कदम के लिए आभारी हैं। उन्होंने कहा कि कहा कि इस मुश्किल समय में सरकार ने उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी।

भारतीय छात्र ईरान में क्या करने जाते हैं?

ईरान में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र मेडिकल शिक्षा के लिए जाते हैं। उर्मिया, तेहरान, मशहद जैसे शहरों में कई मेडिकल विश्वविद्यालय हैं जहाँ छात्र एमबीबीएस और अन्य मेडिकल डिग्रियों की पढ़ाई करते हैं। यहाँ फीस कम होती है और एडमिशन प्रक्रिया भी सरल होती है, जिससे मध्यवर्गीय भारतीय परिवारों के लिए यह एक आसान विकल्प बन जाता है।

रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारत में जहाँ MBBS की पढ़ाई की फीस ₹1 करोड़ जाती है तो वहीं ईरान में यह ₹14 लाख से ₹30 लाख तक में ही हो जाता है। बताया गया है कि यहाँ मेडिकल की शिक्षा बांग्लादेश से भी सस्ती है। इसके अलावा ईरान, बांग्लादेश के मुकाबले कहीं अधिक विकसित है।

कुछ लोगों का दावा है कि ईरान जम्मू-कश्मीर से ईरान जाने वाले शिया छात्रों को सब्सिडी भी मिलती है। बताया गया है कि ईरान में वर्तमान में 2000 भारतीय छात्र पढ़ते हैं। ईरान का मेडिकल शिक्षा क्षेत्र भारत में मान्यता प्राप्त है और छात्रों को विदेश में अच्छी शिक्षा मिलती है।

यहाँ के कई विश्वविद्यालय विश्व में मान्यता रखते हैं। हालाँकि, इस बार के हालात असामान्य हैं और क्षेत्र में बढ़ते युद्ध के खतरे को देखते हुए भारत सरकार ने एहतियातन छात्रों को बाहर निकालने का फैसला लिया। अब इन्हें ऑपरेशन सिंधु के तहत बाहर निकाला जाएगा।

“नरेंद्र सरेंडर” कहने वाले को आज अपनी आंखें फोड़ लेनी चाहिए; आज वो एक बार ट्रंप से पूछ ले क्यों फ़ोन किया मोदी को, सरेंडर की कहानी पता चलेगी

सुभाष चन्द्र
जब से सोनिया गाँधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया है याद करिए तभी से कांग्रेस का वह काला इतिहास सामने आना शुरू हो चुका है, जिससे जनता को छिपाया गया था। इसे कहते हैं कर्म। अपनी माँ सोनिया के पदचिन्हों पर चलते राहुल गाँधी ने वीर सावरकर पर हमला बोलना शुरू कर दिया कि सावरकर ने ब्रिटिश सरकार से माफ़ी 
मांगी यानि सरेंडर कर दिया था। लेकिन मूर्ख को नहीं मालूम कि माफ़ी मांगने वाले को काले पानी की सजा क्यों हुई? 

राहुल की इस अफवाह का सबूत के साथ TimesNow पर एंकर सुशांत सिन्हा ने नवभारत पर जवाब देते जवाहर लाल नेहरू को जेल होने पर माफीनामा पत्र को दिखाया था। लेकिन एक मूर्ख और पागल की बातों पर पागलों की तरह जनता भी विश्वास कर रही है। वही घिनौना खेल आतंकवाद के विरुद्ध पाकिस्तान पर Operation Sindoor होने पर पाकिस्तान और कांग्रेस की रोजी-रोटी यानि आतंकी अड्डों पर हमला होने पर पाकिस्तान के DGMO द्वारा सफ़ेद झंडा उठाने पर भारतीय सेना ने हमला रोकने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर "नरेंद्र सरेंडर" कहकर हमला बोलता रहा। जिसे मूर्ख जनता और कांग्रेस गुलाम मीडिया भी उछालती रही।  

जबकि कांग्रेस की गुलाम मीडिया और खोजी पत्रकार बने घूम रहे किसी पत्रकार ने आज तक यह पूछने की हिम्मत नहीं की कि सोनिया अपनी कौन-सी बीमारी के इलाज के लिए किस देश में जाती थी? दूसरे, राहुल ने चीन के साथ क्या MoU साइन किया है?      

लेखक 
चर्चित YouTuber 
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप G7 शिखर सम्मेलन छोड़ कर वापस चले गए फ्रांस के राष्ट्रपति Emanual Macron ने चुटकी ली कि ट्रंप ईरान-इज़रायल का सीज़फ़ायर कराने गए हैं 

लेकिन ट्रंप ने उन्हें Publicity Seeker बताया और कहा कि उन्हें पता ही नहीं वो किसलिए वापस गए उन्हें बहुत कुछ बड़ा करना है

ट्रंप और मोदी की मीटिंग G7 में होनी थी जो ट्रंप के वापस जाने की वजह से नहीं हुई उसके बाद ट्रंप ने मोदी से फ़ोन पर बात करने का आग्रह किया ये मोदी का सरेंडर नहीं था बल्कि ट्रंप का झुकना था दोनों की फिर 35 मिनट फ़ोन पर बात हुई

इस बातचीत में मोदी ने ट्रंप को साफ़ कहा कि भारत न कभी मध्यस्ता स्वीकार करता है और न करेगा यानी सीधे शब्दों में मोदी ने ट्रंप को कह दिया कि आपने भारत पाकिस्तान के बीच सीज़फ़ायर कराया, यह झूठ बोलना बंद करें ट्रंप ने मोदी को कनाडा से लौटते हुए अमेरिका आने का निमंत्रण दिया लेकिन मोदी ने समय अभाव के कारण अमेरिका जाने से मना कर दिया मतलब मोदी ने सरेंडर किया होता तो वह अमेरिका जाने से मना नहीं करते। ट्रम्प को मना करना भारत की बहुत बड़ी जीत है। 2014 से पहले इस्लामिक आतंकियों द्वारा हमला करने पर जो भारत अमेरिका के आगे रोना-रोता था उसी अमेरिका के प्रस्ताव को ठुकराना भारत की इतनी बड़ी जीत है जिसे राहुल तो कोई किसी भी मोदी विरोधी को हजम नहीं होने वाली।  

मोदी ने ट्रंप को साफ़ शब्दों में कहा कि भारत ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान पर कार्रवाई करके पूरी दुनिया को बताया है कि हम आतंकवाद को सहन नहीं कर सकते पाकिस्तान की गोली का जवाब गोली से दिया जाएगा और अब आतंकी हमले को “युद्ध” समझा जाएगा न कि proxy war की तरह और हमारा ऑपेरशन सिंदूर अभी ख़त्म नहीं हुआ है

मोदी ने यह भी साफ़ किया कि कभी भी India-US trade deal, और अमेरिका द्वारा मध्यस्ता के बारे में बात नहीं हुई भारत पाकिस्तान के बीच military action रोकने के लिए दोनों सेनाओं के प्रतिनिधियों की बातचीत हुई वह भी पाकिस्तान के अनुरोध पर न कि किसी की मध्यस्ता के कारण

ट्रंप प्रशासन की तरफ से इस बातचीत पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई जिसका मतलब है ट्रंप को मोदी ने उनकी गलती का अहसास करा दिया 

सबसे बड़ी बात है कि राहुल गांधी ने दावा किया था कि ट्रंप का फ़ोन आया और कहा “Narendra Surrender” और मोदी ने कहा, “जी हुजूर” ट्रंप फिर मोदी से बात करते हुए कहते कि उन्होंने ही फ़ोन करके युद्ध बंद करने के लिए कहा था लेकिन ट्रंप ने ऐसा कुछ नहीं कहा और इस तरह राहुल गांधी का मुंह काला हो गया 

LoP क्या होता है ये राहुल गांधी को पता नहीं, उसे बस मोदी और उनकी सरकार को बदनाम करना आता है जबकि इज़रायल के विपक्ष में बैठे पूर्व प्रधानमंत्री नफ्ताली ने नेतन्याहू को ईरान पर हमला करने के लिए पूर्ण समर्थन दिया लेकिन कांग्रेस इज़रायल की निंदा कर रही है इज़रायल के विपक्ष में बैठे एक और पूर्व प्रधानमंत्री Yair Lapid ने भी नेतन्याहू को पूर्ण समर्थन दिया है

नरेंद्र सरेंडर नहीं करता लेकिन राहुल गांधी किस किस के सामने सरेंडर करता है वह भी पूरा देश देख चुका है विदेश में जाकर भारत की निंदा करना सरेंडर नहीं है तो क्या है? जब मर्जी देश से गायब हो जाता है, जाहिर है देश एक दुश्मनों के सामने सरेंडर करके भारत के खिलाफ षड़यंत्र रचता है

कल G7 में सभी देशों के नेता मोदी से मिलने को आतुर थे वो राहुल गांधी के प्रेमी मुल्क तुर्की के कलेजे पर खड़ा होकर Cyprus के राष्ट्रपति से मिले और Cyprus ने अपना सर्वोच्च सम्मान भी मोदी को दिया लेकिन मज़ाल है किसी कांग्रेसी या विपक्ष के नेता ने मोदी को बधाई दी हो

यह है मोदी के लिए नफरत की पराकाष्ठा

उत्तर प्रदेश : समाजवादी पार्टी के कब्जे से छूटा पीलीभीत में कार्यालय, सरकारी बिल्डिंग में 20 साल से हो रहा पार्टी का कामकाज: योगी सरकार ने लगाया ताला, हंगामा कर रहे सपाई भेजे गए जेल


उत्तर प्रदेश के पीलभीत में समाजवादी पार्टी (सपा) का कार्यालय बंद कर दिया गया। बुधवार (18 जून 2025) सुबह प्रशासन और भारी पुलिस बल ने ऑफिस में ताला जड़ दिया है। असल में पीलीभीत में नगर पालिका ने सपा के कार्यालय को अवैध रूप से चलाए जाने का आरोप लगाया है और उसे खाली करने का आदेश जारी कर दिया है। इसकी वजह से सपा तिलमिला गई है। अब मामला अखिलेश यादव तक पहुंच गया है। कार्यालय की दीवारों पर लिखे स्लोगन को गाढ़े रंग से पोत दिया है। इस दौरान इलाके में 7 थानों की पुलिस समेत 200 सिपाही तैनात किए गए हैं।

सुबह 10 बजे पुलिस और प्रशासन ने यह कार्रवाई की। इस दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने खूब हंगामा किया। सपा जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह जग्गा समेत अन्य कार्यकर्ताओं की पुलिस से बहस भी हुई। इसके बाद पुलिस ने जिलाध्यक्ष सहित 15 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर पुलिस लाइन भिजवा दिया।

नगर पालिका ने 10 जून 2025 तक सपा कार्यालय खाली कराने का नोटिस दिया था। लेकिन कार्यकर्ताओं के हंगामें और अधिक समय के माँग के चलते इसे आगे टाल दिया गया। गौरतलब है कि यह कार्यालय 20 साल से नगर पालिका के अधिकारी के आवास पर यह कार्यालय चल रहा था।

पीलीभीत में सपा का कार्यालय अवैध!

जानकारी के मुताबिक समाजवादी पार्टी का यह कार्यालय नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी (ईओ) के आवास में चलाया जा रहा था, जिसे खाली कराने की प्रक्रिया अब शुरू हो गई है। इस अभियान में नगर पालिका की पूरी टीम भी जुटी हुई है।

वैसे एसपी कार्यालय का यह विवाद नया नहीं है। वर्ष 2005 में नगर पालिका ने नकटा दाना चौराहे के पास अपने अधिशासी अधिकारी के आवास को 150 रुपये मासिक किराए पर एसपी कार्यालय के लिए आवंटित किया था। यह आवंटन उस समय के नियमों और प्रक्रियाओं के तहत किया गया था, लेकिन बाद में अनियमितताओं का हवाला देते हुए इसे रद्द कर दिया गया था। 12 नवंबर 2020 को नगर पालिका ने यह कहते हुए इस आवंटन को रद्द कर दिया कि यह प्रक्रिया तय नियमों के अनुरूप नहीं है।

इसके बाद सपा ने इस फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू की। तत्कालीन सपा जिला अध्यक्ष आनंद सिंह यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन 1 दिसंबर 2020 को उन्होंने खुद ही इसे वापस ले लिया। इसके बाद साल 2021 में सपा ने इस मामले को लेकर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में केस दायर किया, जो अभी भी लंबित है।

सपा ने कार्रवाई को अलोकतांत्रिक बताया

सपा के लोकसभा प्रभारी वीरपाल सिंह पीलीभीत पहुंचे और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ पीडीए की बैठक की। उन्होंने कार्यालय खाली कराने की कार्रवाई को अलोकतांत्रिक बताते हुए कहा कि सपा इस मुद्दे पर दो स्तर पर लड़ाई लड़ेगी। एक कोर्ट में और दूसरा जनता के साथ सड़क पर।

सपा नेता ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन बल प्रयोग करेगा तो कार्यकर्ता कार्यालय के बाहर लेट जाएंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी पिछले 25 साल से इसी स्थान पर है। यह मामला सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के संज्ञान में है। पूर्व जिला अध्यक्ष आनंद सिंह का एक मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इस संबंध में पूछे गए सवालों पर वीरपाल सिंह ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

नगर पालिका का नोटिस

नगर पालिका ने एसपी को 10 जून 2025 तक कार्यालय खाली करने का नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में साफ कहा गया था कि एसपी कार्यालय अवैध रूप से चलाया जा रहा है और इसे तुरंत खाली किया जाए। हालांकि एसपी ने इस आदेश का पालन नहीं किया। इसके बाद नगर पालिका ने कड़ा रुख अपनाते हुए कार्रवाई करने का फैसला किया। इलाके के इस कार्यालय के बाहर सात थानों का पुलिस बल और 200 कांस्टेबल तैनात किए गए हैं।

‘सतर्क रहने की जरूरत’- निज्जर मामले पर बोले कनाडाई प्रधानमंत्री, दोस्ती बढ़ाने पर की कवायद: G7 सम्मेलन में मार्क कार्नी से मिले प्रधानमंत्री मोदी, कई मुद्दों पर हुई चर्चा

                                कनाडा के पीएम मार्क कार्नी से मिले पीएम मोदी (फोटोृ- एक्स)
G7 शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भारत के पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इसके बाद मीडिया ने कार्नी से हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर सवाल किया। इस पर कनाडाई पीएम ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया चल रही है, पर मुझे बोलने से पहले सतर्क रहना होगा।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार तीन देशों के दौरे पर हैं। इनमें साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया शामिल है। G7 शिखर सम्मेलन में भी कनाडा ने पीएम मोदी को आमंत्रित किया था।

भारत G-7 देशों का हिस्सा नहीं है, पर आमंत्रण के बाद आउटरीच पार्टनर के तौर पर भारत शिखर सम्मेलन में शामिल हुआ। इस दौरान पीएम मोदी G7 सम्मेलन के लिए आए कई देशों के नेताओं से मिले और द्विपक्षीय वार्ता भी की।

मीडिया से बात करते हुए कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा कि पीएम मोदी के साथ उन्होंने प्रवर्तन (law enforcement) के महत्व और उसके प्रत्यक्ष सहयोग पर चर्चा की इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय दमन पर भी बात की गई।

इस दौरान मीडिया ने सवाल पूछा कि निज्जर हत्या के मामले को लेकर क्या पीएम मोदी से कोई चर्चा की गई। इस पर कार्नी ने कहा, “मामले की कानूनी प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इस पर कुछ और कहने से पहले मुझे सावधानी बरतनी होगी।”

वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक पर कनाडा पीएम से मुलाकात के बाद लिखा कि दोनों देशों के बीच दोस्ती बढ़ाने पर काम किया जाएगा। इसके अलावा दोनों नेताओं ने व्यापार, एनर्जी, अंतरिक्ष, स्वच्छ ऊर्जा, दुर्लभ मिनरल्स और फर्टिलाइजर्स समेत कई अन्य मुद्दों पर चर्चा कर इस पर आगे काम करने की बात कही।

प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, “कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ शानदार बैठक हुई। भारत और कनाडा लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन के साथ विश्वास से जुड़े हुए हैं और दोनों देशों की दोस्ती को आगे बढ़ाने पर काम करेंगे।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा घोषित आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून 2023 को एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। यहाँ तक कि कनाडा के पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया था कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट जुड़े हुए हैं। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल बन गया था।

अक्टूबर 2024 में भारत ने कनाडा से अपने 6 डिप्लोमेट्स वापस बुला लिए थे। वहीं, कनाडा के डिप्लोमेट्स को भी भारत से वापस भेज दिया गया था। इसके बाद मार्च में चुने गए कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने दोनों देशों के बीच के तनाव को खत्म करने के लिए G7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी को आमंत्रित कर दोबारा दोस्ताना माहौल शुरू करने की कोशिश की है।

G-7 दुनिया की 7 उन्नत अर्थव्यवस्थाओं और यूरोपीय संघ का एक अनौपचारिक समूह है। इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं। रूस भी पहले इस समूह का हिस्सा था, लेकिन क्रीमिया देश पर कब्जा करने के बाद समूह से उसे निष्कासित कर दिया गया।

G7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री अल्बनीज समेत अन्य नेताओं के साथ मुलाकात कर द्विपक्षीय वार्ता की। G7 में प्रतिभाग करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी क्रोशिया के दौरे पर निकल गए हैं।

ट्रंप का स्टॉपओवर न्योता ठुकराना एक बड़ा कदम; ट्रंप से कॉल में पीएम मोदी ने दिखाई भारत की ताकत: अमेरिका का ‘चौधरी’ बनने का मंसूबा हुआ नाकाम?

एक समय था जब भारत अमेरिका के आगे गिड़गिड़ाता था, लेकिन कालचक्र ऐसा घूम रहा है जिसे कोई देख नहीं रहा, खासकर भारत का विपक्ष। किसी आतंकी घटना होने पर अमेरिका के आगे शिकायत करने जाता था। आज ऐसा नहीं हो रहा, भारत किसी के आगे नहीं रो रहा है खुद ही आतंकियों को उसी की भाषा में जवाब दे रहा है। और इस काम के लिए जरुरत है "इच्छा शक्ति" की। ये वही बेशर्म विपक्ष है जो नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले अमेरिका को प्रेम पत्र लिख मोदी को वीसा नहीं देने के लिए लिखता था। आज उसी मोदी ने अमेरिका को भारत की ताकत दिखा दी।    
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बुधवार (18 जून 2025) की सुबह एक प्रेस बयान में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर बातचीत हुई।

जी-7 समिट से ट्रंप के जल्दी लौटने की वजह से दोनों नेताओं की तय मुलाकात नहीं हो पाई थी। इसके बाद ट्रंप के अनुरोध पर दोनों के बीच 35 मिनट से ज्यादा की औपचारिक फोन बातचीत हुई।

ये फोन कॉल कई मायनों में बेहद अहम थी – न सिर्फ बातचीत के मुद्दों की वजह से, बल्कि इसके समय और उसमें दिए गए संदेशों की वजह से भी। आइए, जानते हैं कि ये बातचीत क्यों इतनी खास थी…

1- पहलगाम हमले के बाद पहली सीधी बात

विक्रम मिस्री ने साफ-साफ बताया कि 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम हमले के बाद ये पहली बार था जब पीएम मोदी और ट्रंप ने सीधे बात की। इस बातचीत में ट्रंप ने हमले में मारे गए लोगों के लिए संवेदना जताई और भारत के आतंकवाद के खिलाफ रुख का समर्थन किया।

ये बात इसलिए अहम है क्योंकि ट्रंप की बड़बोली और आत्ममुग्ध मीडिया टिप्पणियों से ऐसा लग रहा था जैसे भारत और अमेरिका के बीच कई बार बात हो चुकी हो। ट्रंप ने बार-बार दावा किया कि उन्होंने व्यापार का दबाव डालकर भारत को पाकिस्तान से बात करने और युद्धविराम के लिए ‘राजी’ किया।

मिस्री के बयान ने साफ कर दिया कि ट्रंप का ये ‘शांति स्थापित करने’ वाला दावा पूरी तरह झूठा और भ्रामक था। ये बयान ट्रंप की गलत बयानबाजी को खुलेआम बेनकाब करता है।

2- ‘गोली का जवाब गोला’ का दोहराया संकल्प

फोन बातचीत में पीएम मोदी ने ट्रंप को दो टूक याद दिलाया कि भारत ने पूरी दुनिया को बता दिया है कि पहलगाम हमले का जवाब वो जबरदस्त तरीके से देगा। मोदी ने कहा कि 6-7 मई 2025 की रात को भारत की ऑपरेशन सिंदूर कार्रवाई एक संयमित, गैर-उकसावे वाली और सटीक सैन्य कार्रवाई थी, जो पीओके और पाकिस्तान में आतंकी ढाँचों पर केंद्रित थी।

पीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप को साफ बता दिया है कि भारत ने पहले भी पाकिस्तान की किसी भी उकसावे की कार्रवाई का जवाब दिया है और आगे भी देगा और वो भी बड़े पैमाने पर – ‘गोली का जवाब गोला’।

पीएम मोदी का ये बयान नये भारत की ताकत और आत्मविश्वास को दिखाता है। ये वो भारत है जो किसी विदेशी ताकत के इशारे पर नहीं चलता, बल्कि अपनी संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा के लिए दुश्मन को करारा जवाब देता है। ये बयान शांत लेकिन दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।

3- जेडी वेंस की चेतावनी और भारत का और बड़ा जवाब

पीएम मोदी ने ट्रंप को ये भी बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के पहले चरण के बाद 9 मई की रात को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने उन्हें फोन करके पाकिस्तान की ओर से एक ‘बड़े हमले’ की चेतावनी दी थी। भारत ने वेंस को बहुत साफ शब्दों में बता दिया कि पाकिस्तान की किसी भी उकसावे की कार्रवाई का जवाब भारत और जोरदार और बड़ा देगा। और भारत ने ऐसा ही किया।
पीएम मोदी ने ट्रंप को बताया कि पाकिस्तान की उकसावे की कार्रवाई के जवाब में भारत ने सटीक सैन्य हमले किए, जिन्होंने पाकिस्तान की हवाई सुरक्षा को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया और उनके हवाई अड्डों को बेकार कर दिया। भारत ने पूर्ण हवाई वर्चस्व हासिल कर लिया। इसके बाद पूरी तरह टूट चुका पाकिस्तान भारत से युद्धविराम की गुहार लगाने को मजबूर हो गया। ये भारत की सैन्य ताकत और रणनीतिक चतुराई का सबूत है।

4- व्यापार सौदे या मध्यस्थता की कोई बात नहीं

पीएम मोदी ने ट्रंप को साफ-साफ याद दिलाया कि न तो पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व के साथ और न ही अमेरिकी नेतृत्व के साथ किसी भी बातचीत में व्यापार का जिक्र तक हुआ। उन्होंने ये भी साफ किया कि भारत ने कभी भी अमेरिका के साथ ‘मध्यस्थता’ की बात नहीं की, क्योंकि भारत पाकिस्तान के साथ अपने द्विपक्षीय मुद्दों में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को कभी स्वीकार नहीं करेगा। भारत में इस मुद्दे पर पूरी राजनीतिक सहमति है।
मोदी ने ट्रंप को बताया कि सैन्य कार्रवाई को रोकने की सारी बातचीत भारत और पाकिस्तान के स्थापित सैन्य चैनलों के जरिए हुई, जिसमें कोई तीसरा देश शामिल नहीं था और न ही कोई व्यापार सौदा इसका हिस्सा था। मोदी ने ये भी दोहराया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है और भारत अब किसी भी आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई मानेगा। ये बयान भारत की स्पष्ट और अटल नीति को दर्शाता है।

5- ट्रंप का स्टॉपओवर न्योता ठुकराना एक बड़ा कदम

एक साहसिक और रणनीतिक कदम उठाते हुए, पीएम मोदी ने ट्रंप के अमेरिका में स्टॉपओवर मीटिंग के न्योते को विनम्रता से ठुकरा दिया। ट्रंप ने मोदी को कनाडा से भारत लौटते वक्त अमेरिका में रुककर मुलाकात करने का न्योता दिया था, लेकिन मोदी ने कहा कि उनके पास पहले से तय कार्यक्रम और जिम्मेदारियां हैं, इसलिए स्टॉपओवर संभव नहीं है। ये विनम्र इनकार एक ताकतवर संदेश देता है।
बिना कुछ कहे मोदी ने अमेरिका को बता दिया कि भारत अब कोई ‘छोटा देश’ नहीं है, जिसके नेता बड़े देशों के बुलावे पर दौड़ पड़ें। ये इनकार भारत की प्राथमिकताओं और आज की दुनिया में उसकी ताकत और आत्मसम्मान को दिखाता है। ये कदम भारत की बढ़ती वैश्विक हैसियत का प्रतीक है।

6- क्या ट्रंप ने मोदी को ‘फँसाने’ की कोशिश की?

ट्रंप के स्टॉपओवर न्योते का समय बहुत अहम है। अभी पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर अमेरिका में हैं। वो 15 जून से 5 दिन के दौरे पर हैं और ट्रंप से मुलाकात की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में ट्रंप का मोदी को स्टॉपओवर के लिए बुलाना शायद इस कोशिश का हिस्सा था कि वो मोदी और मुनीर को एक साथ एक कमरे में या एक मेज पर लाकर अपनी ‘शांति स्थापक’ वाली छवि को और चमकाएँ।
ट्रंप पहले भी दावा कर चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच ‘परमाणु युद्ध’ रोका। उनकी बयानबाजी और आत्मप्रचार को देखते हुए, ये सोचना गलत नहीं कि वो मोदी और मुनीर की तस्वीरों का इस्तेमाल करके अपने ‘शांति स्थापक’ दावे को और बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते।
लेकिन मोदी ने स्टॉपओवर ठुकराकर ट्रंप की इस पीआर चाल को पूरी तरह नाकाम कर दिया। साथ ही मुनीर को भी बता दिया कि भारत उनकी तरह के नेताओं के साथ बेकार की नौटंकी में वक्त नहीं गँवाएगा। ये कदम ट्रंप और मुनीर दोनों को भारत की चतुराई और दृढ़ता का आइना दिखाता है।

7- भारत और पाकिस्तान बराबर नहीं: दुनिया को साफ संदेश

पीएम मोदी की इस फोन बातचीत ने चुपके से एक बहुत बड़ा संदेश दिया है। ट्रंप को भारत और पाकिस्तान के नेताओं को एक साथ बुलाने का मौका न देकर, मोदी ने साफ कर दिया है कि भारत और पाकिस्तान को एक जैसा नहीं माना जा सकता।
अवलोकन करें:-
मोदी ने अमेरिका जाने से मना किया लेकिन ट्रम्प ने भारत आना स्वीकारा ; पाकिस्तान के गिड़गिड़ाने प
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, एक मजबूत और आधुनिक सेना और एक स्थिर लोकतांत्रिक सरकार वाला भारत को एक टूटे-फूरे, आतंक से ग्रस्त, अस्थिर और गरीबी में डूबे पाकिस्तान के साथ नहीं जोड़ा जा सकता। ये संदेश न सिर्फ अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया के लिए है। मोदी ने बिना शब्दों के बता दिया कि भारत अब वैश्विक मंच पर अपनी शर्तों पर खड़ा है।
भारत यहाँ टिकने के लिए आया है। ये एक बहुध्रुवीय दुनिया है, और भारत उन ध्रुवों में से एक है जो अपने नियम बनाएगा और अपनी राह चुनेगा। भारत को नजरअंदाज करना या गलत समझना दुनिया की सबसे बड़ी भूल होगी।
ये संदेश पीएम मोदी ने जी-7 समिट से लौटते वक्त एक फोन कॉल में दे दिया। इस बातचीत ने न सिर्फ भारत की ताकत और संयम दिखाया, बल्कि ये भी साफ कर दिया कि भारत अब अपनी शर्तों पर दुनिया से बात करेगा।

मोदी ने अमेरिका जाने से मना किया लेकिन ट्रम्प ने भारत आना स्वीकारा ; पाकिस्तान के गिड़गिड़ाने पर हुआ सीजफायर, अमेरिका की नहीं कोई भूमिका: PM मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर की 35 मिनट बातचीत, कहा- भारत तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता

मोदी/भाजपा विरोधियों ने बहुत शोर मचाया हुआ था कि मोदी ने व्यापार के लालच में अमेरिका के आगे घुटने टेक कर युद्ध-विराम को राजी हो गए। लेकिन मोदी मौके पर ही किसी बात का जवाब देना जानते हैं। और मौका मिलते ही उस अमेरिका को जवाब दे दिया जिसका विपक्ष डर दिखा रहा था। आज 2014 से पहले का भारत नहीं। कनाडा में G7 सम्मेलन में आतंकवाद के ही विरुद्ध नहीं आतंकवाद को समर्थन वालों के खिलाफ भी बोले। जो भारत में आतंकवाद के समर्थक और पाकिस्तान sleeper cells को भी चेतावनी देखी जा सकती है। वो दिन लद गए जब मुस्लिम वोटों के लिए इस्लामिक आतंकवादी हमलों को "हिन्दू आतंकवाद" और "भगवा आतंकवाद" के नाम पर हिन्दुओं को कलंकित किया जाता था। आज डंके की चोट पर दुनियां को भी बता दिया कि आतंकवाद का धर्म नहीं मजहब होता है और विश्व भी मान गया। दूसरे, ये वही विपक्ष है जो मोदी के गुजरात मुख्यमंत्री रहते अमेरिका को पत्र लिखते थे कि मोदी को अमेरिका आने का वीसा मत देना। लेकिन प्रधानमंत्री बनने पर सबसे पहला विदेशी निमंत्रण अमेरिका से ही मिला था।      
राजनीति गलियारों में चर्चा है ट्रम्प से मिलने पर प्रधानमंत्री मोदी आतंकवाद को समर्थन देना बंद करने के साथ-साथ अमेरिका में पल रहे DeepState और Toolkit पर लगाम लगाएं।  
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और पाकिस्तान के सीजफायर में अमेरिका की भूमिका साफ कर दी है। उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के संबंध में व्यापार से संबंधित कोई चर्चा नहीं हुई। पीएम ने कहा कि पाकिस्तान के कहने पर भारत ने सीजफायर किया था।

दरअसल, कनाडा में जी-7 शिखर सम्मेलन के बाद पीएम मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर 35 मिनट तक बात की। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस कॉल के लिए ट्रंप ने ही आग्रह किया था। इस दौरान ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने इसकी जानकारी दी।

विदेश सचिव ने बताया कि पीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप से कहा कि भारत कभी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता और आगे भी नहीं करेगा। इसके साथ पीएम मोदी ने यह भी कहा कि अब भारत आतंकवाद की घटनाओं को परदे के पीछे से नहीं लड़ेगा, बल्कि सीधे युद्ध की कार्रवाई के रूप में देखेगा। पीएम ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है।

प्राप्त समाचारों के अनुसार ट्रम्प ने मोदी को अमेरिका आने का निमंत्रण दिया, लेकिन मोदी ने व्यस्ता के चलते मना कर दिया परन्तु ट्रम्प ने भारत आने के मोदी के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया।  

कहाँ है दलित हमदर्द और आन्दोलनजीवी? भीम आर्मी वाले चन्द्रशेखर को बृजभूषण शरण सिंह ने याद दिलाया ‘घसीटकर ले जाऊँगा’ वाला बयान, पूछा- दलित बेटी पर चुप्पी क्यों: रोहिणी घावरी ने सांसद पर लगाए हैं शोषण के आरोप

                                               बृजभूषण शरण सिंह और चंद्रशेखर रावण
भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह ने सांसद चन्द्रशेखर रावण पर केस दर्ज किए जाने की माँग की है। उन्होंने चंद्रशेखर रावण पर लगे शोषण के आरोपों को लेकर जवाब माँगा है। चंद्रशेखर रावण के खिलाफ रोहिणी घावरी लगातार सोशल मीडिया पर लिख रही हैं।
क्या हमारी मीडिया भी DeepState और Toolkit का हिस्सा है? यदि नहीं फिर कल तक भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर लगे यौन शोषण के आरोप पर अपनी TRP के चक्कर में चौपालें(परिचर्चा) लगाकर मदारी की तरह डूबडूबी बजाने वाला भीम आर्मी के चंद्र शेखर रावण के विरुद्ध एक दलित बेटी द्वारा ठीक वैसा आरोप लगाने पर क्यों खामोश है? फिर से हमारे मीडिया ने साबित साबित कर दिया है कि मोदी मीडिया का चोला ओढ़ विपक्ष के आगोश में बैठ उसके इशारे पर अपनी चौपाल आयोजित करती है। कहाँ है दलित हमदर्द और आन्दोलनजीवी?       

मीडिया से बातचीत करते हुए पूर्व सांसद बृजभूषण ने कहा, “जब मेरे ऊपर इस तरह के आरोप लगे, तब इन्हीं सांसद महोदय ने कहा था कि अगर समाज मुझे यह अनुमति दे तो मैं इसे घसीटकर ले जाऊँ। आज मैं उनसे पूछना चाहता हूँ कि मेरे ऊपर तो FIR हो गई। मैं न्यायपालिका का सामना कर रहा हूँ। सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। आरोप लगते ही मैंने कहा था कि जिस दिन आरोप सिद्ध हो जाएँगे उस दिन फाँसी पर लटक जाऊँगा।”

आगे उन्होंने कहा, “अगर यह लड़की दूसरे समुदाय से होती, तो अब तक सोशल मीडिया और तमाम मंचों पर तूफान मच चुका होता। मगर आज सब इसलिए चुप हैं क्योंकि वह दबे-कुचले समाज से आती है। आज एक दलित बेटी का सवाल है। उस वक्त जाट बेटी का सवाल था। क्या वो मीडिया के सामने मुँह खोलेंगे। जो लड़की आरोप लगा रही है उसका जवाब देना चाहिए।”

बृजभूषण शरण सिंह ने खुद को न्याय का ठेकेदार बताने वालों की चुप्पी पर भी प्रश्न उठाए। उन्होंने पूछा कि कॉन्ग्रेस, आम आदमी पार्टी, ममता बनर्जी और किसान संगठन क्यों मौन हैं।

चंद्रशेखर पर रोहिणी ने लगाए शोषण के आरोप

आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर रावण पर रोहिणी घावरी ने कई आरोप लगाए हैं। रोहिणी घावरी पहले ही खुलासा कर चुकी हैं वो कि वो चंद्रशेखर आज़ाद ‘रावण’ के साथ रिलेशनशिप में थीं और वहाँ उन्हें धोखा मिला।
रोहिणी घावरी ने बड़ा आरोप लगाया था कि चंद्रशेखर आज़ाद ‘रावण’ अपनी शादी के बारे में छिपा कर कई बहन-बेटियों की इज्जत के साथ खेल चुके हैं। रोहिणी ने हाल ही में बताया था कि कैसे चन्द्रशेखर (तब वो सांसद नहीं, एक्टिविस्ट हुआ करते थे) ने अपनी शादी की बात छिपाकर कई लड़कियों की इज्जत के साथ खेला।
ऑपइंडिया से बात करते हुए डॉ रोहिणी घावरी ने बताया था कि कैसे उन्हें दलित समाज के सामने झूठा साबित करने के लिए उन्हें बदनाम करने की तमाम तरह की कोशिशें हुईं और दबाव डलवाकर उनसे वो पोस्ट्स X से डिलीट करवाए गए। रोहिणी कुछ अन्य लड़कियों की आपबीती भी सोशल मीडिया पर साझा कर रही हैं, ताकि अपने आरोपों की पुष्टि कर सकें।
अवलोकन करें:-
चंद्रशेखर आज़ाद 'रावण' और रोहिणी घावरी के चैट्स हो गए थे वायरल
रोहिणी ने सांसद के कई वीडियो भी जारी किए हैं, जिनमें किसी में वो जमीन पर लेटकर माफ़ी माँगते हुए दिख रहे हैं तो किसी में रोते हुए दिखाई दे रहे हैं।