2024 लोकसभा चुनाव के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए भविष्यवाणी की थी- “4 जून को इंडी गठबंधन तितर-बितर हो जाएगा और विपक्ष बलि का बकरा खोजेगा। चुनाव के बाद शहजादे चाहें दिल्ली वाले हों या लखनऊ वाले, ये लोग छुट्टियों पर विदेश चले जाएंगे। पराजय के जिम्मेदार बलि के बकरे को खोजा जाएगा खटाखट-खटाखट। 4 जून के बाद यह इंडी गठबंधन टूट कर बिखर जाएगा खटाखट-खटाखट।” जब तक कांग्रेस परिवारभक्ति को नहीं छोड़ेगी, कांग्रेस को अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल होने वाला है। पुरानी पार्टी होते हुए भी क्षेत्रीय पार्टियां की श्रेणी में आ जाएगी। वैसे अभी भी हाशिये पर है।
मोदी के लगातार तीसरे कार्यकाल के कुछ महीनों बाद ही उनकी भविष्यवाणी अक्षरश: सच साबित हो रही है। इंडी अलायंस में शामिल पार्टियों के नेता आपस में ही टकरा रहे हैं। दलों में ही नहीं, बल्कि उनके दिलों में दरारें बढ़ती जा रही हैं। लोकसभा चुनाव में उम्मीद से कुछ ज्यादा सीटों के अहंकार में डूबी कांग्रेस और उसके युवराज अकेले पड़ते जा रहे हैं। दिल्ली चुनाव से पहले ही ममता बनर्जी से लेकर लालू यादव तक ने राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अब अखिलेश, तेजस्वी और केजरीवाल ने राहुल की खिलाफत का झंडा उठा लिया है। और राहुल गांधी, भविष्यवाणी के अनुरूप वे विदेश में मौज-मस्ती की छुट्टियां मना रहे हैं। वह भी तब, जबकि उनकी पार्टी अपने एक प्रधानमंत्री के निधन से मातम में डूबी है।
राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा जोरों पर है दिल्ली में केजरीवाल की सत्ता जाने के साथ ही झाडू तो खुलकर बिखर जाएगी बचा हुआ गठबंधन भी झाडू के तिनकों के साथ उड़ जाएगा। दिल्ली विधान सभा नतीजे पर टिका है बचा गठबंधन और आम आदमी पार्टी का भविष्य। कांग्रेस अगर आक्रामक होकर चुनाव लड़ केजरीवाल को सत्ता से बाहर करती है तो पंजाब में कांग्रेस की वापसी निश्चित है और आम आदमी पार्टी अपना नेशनल स्टेटस भी खो सकती है। क्योकि दिल्ली हारने के बाद केजरीवाल पार्टी का खड़ा रहना बहुत मुश्किल होगा। अगर केजरीवाल ने कांग्रेस का नुकसान पहुँचाया है तो बीजेपी से कहीं ज्यादा केजरीवाल को नुकसान कांग्रेस ने शराब घोटाला, पानी घोटाला आदि को उछाल उस केजरीवाल को तिहाड़ का रास्ता दिखा दिया जिस कांग्रेस की मुख्यमंत्री को घोटालों के आरोप में जेल भेजने की लॉलीपॉप देकर सत्ता में आया था।
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले ही I.N.D.I. गठबंधन की पार्टियां अलग-थलग नजर आ रही हैं। कांग्रेस के खिलाफ AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव एकजुट हो गए हैं। कांग्रेस नेता अजय माकन ने केजरीवाल को देश के लिए खतरनाक और फ्रॉड किंग तक बता डाला है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा है कि दिल्ली में AAP हमारी विरोधी पार्टी है। केजरीवाल जनता के बीच भ्रम फैला रहे हैं कि भाजपा और कांग्रेस का सीक्रेट गठबंधन हो गया है। केजरीवाल का यह दावा भी बेबुनियाद है कि दिल्ली में एक बार फिर उनकी पार्टी दोबारा चुनाव जीतेगी। गहलोत बोले- केजरीवाल कैसे कह सकते हैं भाजपा-कांग्रेस साथ हैं। केजरीवाल जब चुनाव में उतरते हैं तो उनके अपने पैंतरे और गणित होता है, लेकिन वह यह कैसे कह सकते हैं कि भाजपा और कांग्रेस साथ में चुनाव लड़ रहे हैं। वो जानते हैं कि ये असंभव है। काबिले जिक्र है कि दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को वोटिंग होगी। 8 फरवरी को नतीजे आएंगे।
लोकसभा चुनाव के गलबहियां डालने वाली AAP और कांग्रेस दोनों ने ही ऐलान कर दिया है कि वे दिल्ली चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ेंगे। इसके साथ ही करीब एक महीने पहले दिल्ली चुनावों में AAP और कांग्रेस के गठबंधन की अटकलों पर विराम लग गया। अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर पोस्ट में साफ कहा कि आम आदमी पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। उसके कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना नहीं है। इसके कुछ दिन बाद 25 दिसंबर को कांग्रेस नेता अजय माकन ने दिल्ली कांग्रेस की तरफ से आम आदमी पार्टी के खिलाफ 12 पॉइंट का व्हाइट पेपर रिलीज किया था। तब उन्होंने कहा था कि लोकसभा चुनाव के लिए AAP के साथ गठबंधन में आना कांग्रेस की सबसे बड़ी भूल थी, जिसे अब सुधारा जाना चाहिए। इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल को देश का फ्रॉड किंग यानी सबसे बड़ा धोखेबाज बताया था। माकन ने कहा कि अगर केजरीवाल को एक शब्द में परिभाषित करना हो, तो वो शब्द ‘फर्जीवाल’ होगा। मुझे लगता है कि आज दिल्ली की जो हालत है और कांग्रेस जो यहां कमजोर हुई, उसका एक ही कारण है कि हमने 2013 में 40 दिन के लिए AAP को सपोर्ट किया था।
तेजस्वी यादव ने बक्सर में मीडिया से बातचीच में इंडिया गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ‘ इंडिया गठबंधन सिर्फ 2024 के लोकसभा चुनाव तक के लिए बना था।’ पत्रकारों ने उनसे दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच बढ़ती तकरार को लेकर सवाल किया तो तेजस्वी यादव ने कहा, ‘यह अस्वाभाविक नहीं है कि कांग्रेस और आप जैसे दलों में मतभेद हों। गठबंधन का मुख्य उद्देश्य लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराना था, और यह गठबंधन उसी लक्ष्य तक सीमित था।’ विधानसभा चुनावों को लेकर इंडिया अलायंस के सभी दल स्वतंत्र हैं और वे अपने स्व-विवेक के अनुसार निर्णय ले रहे हैं।
दरअसल, आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में विपक्षी ‘इंडी’ अलायंस के दो प्रमुख घटक दल ‘कांग्रेस’ और ‘आप’ एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। वहीं, चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद गठबंधन के दो और अन्य महत्वपूर्ण घटक दल तृणमूल कांग्रेस पार्टी और समाजवादी पार्टी ने आम आदमी पार्टी (आप) को समर्थन दिया है। इस फैसले के बाद गठबंधन में शामिल दलों के बीच फूट पड़ने और कांग्रेस सांसद एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। इससे पहले भी लालू यादव मीडिया से बातचीत में राहुल गांधी पर सवाल उठा चुके हैं। ममता बनर्जी ने भी इंडी गठबंधन का नेतृत्व राहुल गांधी से लेकर उन्हें सौंपने की इच्छा जताई है।
विपक्षी ‘इंडी’ अलायंस में शामिल घटक दलों में बिखराव को लेकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने जिक्र किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ही ‘इंडी’ अलायंस में बिखराव के बारे में बता दिया था। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने प्रतिक्रिया देते हुए बताया, “इंडी गठबंधन एक असफल राजनीतिक गठबंधन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के समय ही भविष्यवाणी कर दी थी कि चुनाव खत्म होने के बाद यह गठबंधन टूट जाएगा।” भाजपा प्रवक्ता ने आगे कहा, “गठबंधन में बिखराव यह साबित करता है कि राहुल गांधी के नेतृत्व पर सिर्फ सोनिया गांधी के अलावा किसी को विश्वास नहीं है। ना कांग्रेस, ना समाजवादी पार्टी और ना अन्य घटक दल विश्वास करते हैं। विपक्ष सिर्फ आपस में लड़ने में विश्वास रखते हैं, उनको जनता ने 2014, 2019 एवं 2024 में विपक्ष में बैठाया और अब 2029 में भी विपक्ष में बैठाएगी।”
दरअसल, हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद से ही नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चौतरफा मुसीबतों में घिरे नजर आ रहे हैं। एक ओर राहुल गांधी पर अमेरिकी उद्योगपति जॊर्ज सोरोस के साथ कनेक्शन का बड़ा खुलासा हुआ है, तो दूसरी ओर इंडिया ब्लॊक के अंदर से ही राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर बगावत जैसे हालात पैदा हो गए हैं। राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता को लेकर जांच पहले से ही चल रही है। इंडिया ब्लॊक की पांच प्रमुख पार्टियों ने गठबंधन की कमान बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सौंपने का समर्थन कर कांग्रेस खासकर, राहुल गांधी के लिए ऐसी मुसीबत खड़ी कर दी है, जिससे पार पाना मुश्किल होगा। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने राहुल गांधी के खिलाफ खुल्लम-खुल्ला मोर्चा खोल दिया है। दावा यही है कि अब इंडिया गठबंधन का कप्तान बदलने का वक्त आ गया है। राहुल गांधी की कैप्टेंसी में इंडिया गठबंधन के लिए लगातार मजबूत हो रही भाजपा को हराना असंभव होगा।
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