अजमेर की एक अदालत में याचिका दाखिल की गई है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर उर्स के मौके पर चादर पेश करने पर अस्थायी रोक लगाने की माँग की गई है। यह याचिका हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दायर की है। उनका कहना है कि अजमेर शरीफ दरगाह का स्थल विवादित है और वहाँ चादर भेजने से अदालत की निष्पक्षता पर असर पड़ सकता है।
चर्चा यह भी है कि हिन्दू संगठनों का कहना कि चादर चढ़ाने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मोइनुद्दीन चिश्ती का असली चरित्र भी सामने लाना चाहिए ताकि लोगों को मालूम हो ये चिश्ती हकीकत में कौन था, मुग़ल समय में इसने हिन्दुओं को कितना अपमानित किया था?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, याचिका में कहा गया है कि यह दरगाह एक प्राचीन शिव मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। गुप्ता ने अदालत से अपील की है कि केंद्र सरकार को दरगाह पर चादर भेजने से रोका जाए, क्योंकि इससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है। गुप्ता का कहना है कि अदालत में मामला लंबित रहने के दौरान चादर पेश करना अदालत की स्वतंत्रता और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन होगा।
गुप्ता की याचिका में कहा गया है कि दरगाह की संरचना और वहाँ मौजूद कुछ विशेषताएँ यह साबित करती हैं कि यह स्थल मूल रूप से एक हिंदू मंदिर था। याचिका में दावा किया गया है कि मुख्य प्रवेश द्वार की छत और छतरियों की डिजाइन हिंदू वास्तुकला का संकेत देती है। याचिका में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से स्थल की जाँच कराने और वहाँ भगवन श्री संकटमोचन महादेव मंदिर की पुनर्स्थापना की माँग की गई है।
गुप्ता का यह भी कहना है कि दरगाह के भूमिगत मार्ग में एक शिवलिंग मौजूद है, जिसकी पूजा करने का हिंदुओं का संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह अधिकार वर्तमान में बाधित हो रहा है। पिछले महीने इसी मामले में अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को नोटिस जारी किया था।
Greetings on the Urs of Khwaja Moinuddin Chishti. May this occasion bring happiness and peace into everyone’s lives. https://t.co/vKZDwEROli
— Narendra Modi (@narendramodi) January 2, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (2 जनवरी 2025) को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को चादर सौंपी थी, जो उर्स के मौके पर दरगाह पर पेश की जानी है। यह चादर हर साल प्रधानमंत्री की ओर से भेजी जाती है। रिजिजू ने इसे ट्वीट कर प्रधानमंत्री की भावना को ‘भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक’ बताया था। पीएम मोदी ने भी इसे री-ट्वीट किया था।
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