सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा राष्ट्रपति को आदेश नहीं दिया गया? संसद के कानून क्या हैं? नहीं किया? फिर कार्यपालिका और संसद के काम में पासपोर्ट की बात "आरोप" कैसे हुआ? वीडियो देखिए

सुभाष चन्द्र

अभी कुछ दिन पहले 21 अप्रैल को कोलकाता के देवदत्त इंस्पेक्टर की बंगाल हिंसा के बारे में याचिका पर जब उनके वकील विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि बंगाल में विद्रोह और अर्धसैनिक सैनिकों के अवशेष के लिए कहा गया है तो न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा कि  "आप क्या चाहते हैं कि हम राष्ट्रपतियों को इस तरह के आदेश से दे दें हम पहले संसद कार्यपालिका में प्रवेश शुल्क ही लगा रहे थे और आरोप लगा रहे थे, आपको यह बात समझ में आ गई है । "

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आरोप क्या होता है? जब किसी भी सिस्टम को लागू करने वालों को पता नहीं चलता है तो उसके लिए कुछ संदिग्ध लोगों पर आरोप लगाया जाता है और जांच की जाती है कि वास्तव में कौन सा दस्तावेज़ है,  लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया है? बल्कि जो कुछ भी कहा गया है वह सच नहीं है

-क्या सुप्रीम कोर्ट ने संविधान में प्रोविजन न होने पर भी गवर्नर और राष्ट्रपति को आदेश नहीं दिया कि वे 1 से 3 महीने में विधानसभा से पास बिलों को प्रस्ताव दें अन्यथा वह दूसरे व्यक्ति के लिए जाएंगे;

-अगर आपको लगता है कि लगाया गया गलत आरोप राष्ट्रपति को दिए गए आदेश को राष्ट्रपति से माफ़ी मांगते हुए वापस लेना चाहिए; आप भूल गए हैं कि राष्ट्रपति संविधान प्रमुख होते हैं;

-क्या सर्वोच्च न्यायालय ने संसद द्वारा कोई सहमति नहीं रखी थी एनजेसी कानून को खारिज नहीं किया गया था - संविधान का मतलब उस समय के 125 करोड़ लोगों की आवाज को आपके 5 न्यायाधीशों ने खारिज कर दिया था जो जनता के प्रति कोई सहमति नहीं थी और जो स्वयं विचारधारा पार्टी / हितधारक थे;

-क्या आपने 7 साल बाद भी 2024 के चुनाव से पहले वोट किया था?

-गवई साहब आपने ही आदेश दिया था कि संजय कुमार मिश्रा को पद से हटा दिया जाए, जबकि संसद में उनके पद के लिए 5वें साल का प्रस्ताव दिया गया था - तब तक आपको स्पष्ट रूप से पता नहीं चला कि आप कार्यकारी की शक्तियां समाप्त हो रही हैं;

-आपने कहा था कि दो साल तक की सज़ा हो सकती है, फिर भी ज़्यादातर सज़ा क्यों दी गई;

-आपने बुलडोजर को रोक कर क्लब की मौज करा दी जो खुले आम रैप कर रहे हैं क्योंकि आपने उनका घर तो बचा ही दिया है; 

-अब 10 बैटरियों के घरों का निर्माण सेना ने किया है - तो सेना प्रमुखों से उनके सहयोगियों ने भी पूछा है कि उनके घर में हमारे घरों का निर्माण क्यों किया गया है -

वर्तमान मामले में देवदत्त मोटोक ने 2021 में ममता की जीत के बाद हुई हिंसा के विरोध में एक और फाइल की थी और अब एक अन्य फाइल में आपने प्रतिक्रिया दी है और दोनों आवेदनों को संलग्न करने के लिए कहा है  

लेकिन सवाल यह है कि आपने 4 साल तक क्यों नहीं संतन और राष्ट्रपति को आदेश दिया था कि 3 महीने में असल में साइन करो अलसी साइन नहीं होगा  आस्था ने अपनी याचिका में कहा है कि बांग्लादेशियों और रोहिंग्यों की वजह से बंगाल में 29% मुस्लिम हो गए हैं  इसके 3 साल पहले एक महिला वकील ने शिलालेख की खुदाई की थी लेकिन उस पर भी कोई टिप्पणी नहीं हुई

एक कहावत है "निंदक नियरे राखिये, होटल कुटी छवाय, बिन पानी साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय"

आप अपनी निंदा नहीं करना चाहते और सत्य में बैठ कर हर किसी पर चिल्लाना चाहते हैं

राष्ट्रपति संविधान के प्रमुख होने के नाते सर्वोच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों को आदेश दिया जाता है कि 6 से 12 महीने में पद के सदस्यों पर निर्णय हो या अपना त्यागपत्र जारी हो

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