मुंह काला होने के बाद भी जजों की संपत्ति की घोषणा स्वैच्छिक होगी ; पारदर्शिता को फिर ख़ाक में मिलाने का काम किया SC ने; अभी पूरा दबाव नहीं बना

सुभाष चन्द्र

सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच के कल निर्णय लिया है कि CJI खन्ना समेत सुप्रीम कोर्ट के सभी 33 जज अपनी संपत्ति की घोषणा कर सार्वजनिक करेंगे। यह समाचार बड़ी बड़ी हेडलाइंस के साथ दिया गया लेकिन इसे ध्यान से पढ़ने से पता चलता है कि यशवंत वर्मा की वजह से न्यायपालिका का मुंह काला होने के बाद भी जजों को संपत्ति वेबसाइट पर डालना “स्वैच्छिक” ही होगा

यानी जज अपनी संपत्ति वेबसाइट पर डालना उसकी मर्जी है ऐसा भी कहा गया है कि 33 में से 30 जजों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा चीफ जस्टिस को सौंप दिया है लेकिन जो 3 जजों ने नहीं दिया उनके नाम सामने नहीं आए हैं यह पारदर्शिता के नाम पर धोखा है

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फुल कोर्ट ने यह भी कहा है कि पद ग्रहण करने के बाद न्यायाधीश अपनी संपत्ति CJI को घोषित करेंगे और जब भी महत्वपूर्ण संपत्ति अर्जित करेंगे, तब उसकी घोषणा की जाएगी

वर्ष 2009 में सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच ने ऐसा ही निर्णय लिया था और तब जजों ने अपनी संपत्ति की घोषणा कर उसे सार्वजनिक किया था मुझे नहीं लगता कुछ जजों को छोड़ कर सभी ने ऐसी घोषणा की हो मैंने अपनी एक RTI में चंद्रचूड़ समेत 8 जजों की संपत्ति की सूचना मांगी थी लेकिन उत्तर यही मिला था कि इसके लिए वेबसाइट देखो और जजों को संपत्ति घोषित करना Voluntary है 

आज आप संपत्ति की घोषणा के नाम पर फिर उसे स्वैच्छिक करके सिस्टम पर झाड़ू फेरना चाहते हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज Public Servant हैं तो उन्हें हर हाल में संपत्ति घोषित करनी चाहिए क्या कोई सरकार का अधिकारी कह सकता है कि संपत्ति की घोषणा उसके लिए भी स्वैच्छिक हो

अभी भी यदि सुप्रीम कोर्ट अपने और हाई कोर्ट के जजों के लिए संपत्ति की घोषणा अनिवार्य नहीं करता तो न्यायपालिका का अभी और मुंह काला होना निश्चित है न्यायपालिका क्यों सरकार को सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर कर रही है जबकि सरकार और मोदी विशेष तौर पर न्यायपालिका को पूरा सम्मान देते हैं

यदि सुप्रीम कोर्ट सच में जजों की Assets & Liabilities की घोषणा में पारदर्शिता चाहता है तो यह कदम उठाने अनिवार्य हैं

-सबसे पहले उन तीन जजों के नाम घोषित किए जाएं जिन्होंने अपनी संपत्ति का ब्यौरा चीफ जस्टिस को नहीं दिया और उनसे यह ब्यौरा लिया जाए;

-सुप्रीम कोर्ट के जज का पद ग्रहण करने के बाद नहीं, पद ग्रहण करने से पहले ही संपत्ति का ब्यौरा चीफ जस्टिस को दिया जाए और तुरंत उसे वेबसाइट पर डाला जाए - स्वैच्छिकता किसी तरह की नहीं होनी चाहिए और यह Declaration अनिवार्य होना चाहिए;

-इसी तरह हाई कोर्ट के जज की शपथ ग्रहण करने से पहले संपत्ति की घोषणा हर जज को करनी चाहिए;

-यदि हाई कोर्ट का जज किसी हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनता है तो शपथ ग्रहण से पहले संपत्ति की घोषणा करनी चाहिए जिससे पता चले हाई कोर्ट का जज बनने और चीफ जस्टिस बनने की बीच कितनी संपत्ति अर्जित हुई;

-इसी तरह जब कोई सुप्रीम कोर्ट का जज CJI बने तो उसे शपथ ग्रहण से पहले संपत्ति की घोषणा करनी चाहिए;

-यह संपत्ति की घोषणा केवल जज की नहीं होनी चाहिए बल्कि उसकी पत्नी और बच्चों की भी होनी चाहिए; 

-जजों और उनके परिवार के सदस्यों के विदेश भ्रमण की भी सूचना Assets & liabilities में दी जानी चाहिए;और 

-लोकपाल द्वारा 2 हाई कोर्ट के जजों की जांच पर सुप्रीम कोर्ट की रोक तत्काल प्रभाव से हटाई जानी चाहिए 

यदि यह काम नहीं होते तो जजों की संपत्ति की स्वैच्छिक घोषणा महज एक ढकोसला साबित होगा और भविष्य में न्यायपालिका का कितना और मुंह काला होगा, समय ही बताएगा

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