फिर से शाहीन बाग़ सजाने की तैयारी, दंगों की साजिश? CAA के बाद अब वक्फ के बहाने रामनवमी पर हो सकती है हिंसा, एजेंसियों के कान खड़े

अप्रैल 3 को News18 पर 'भईया जी कहिन' लाइव शो में यह भी चौकाने वाला मुद्दा सामने आया कि कुछ 5/3 स्टार होटल 1 रूपए महीना दे रहे हैं लेकिन लाखों रूपए महीना दूसरे रास्ते से दिए जा रहे हैं। हालाँकि इस बात की पुष्टि नहीं हो पायी है, अगर यह बात सत्य है तो मतलब खुलेआम हो रही लूट पर लगाम।     
वक्फ कानून की असीमित शक्तियों पर लगाम कसने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन बिल पेश किया, जिसे संसद के दोनों सदनों में पारित कर लिया गया है। अब इस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद यह कानून बन जाएगा। इस बीच मुस्लिमों के विरोध को लेकर सरकारें सतर्क हैं। खासकर पिछले कुछ समय से रामनवमी पर हिंदुओं के खिलाफ होने वाली हिंसा को देखकर यह सतर्कता लाजिमी है।

हालात का अनुमान लगाकर उत्तर प्रदेश सरकार ने तो पुलिस कर्मियों की छुट्टियाँ रद्द कर दी हैं। उन्हें सेवा में वापस लौटने के लिए कह दिया गया है। दरअसल, वक्फ बिल को लेकर मुस्लिमों के मजहबी नेता से लेकर मुस्लिम संगठनों के प्रमुख तक वक्फ को लेकर अफवाह फैला रहे हैं और मुस्लिमों को एक तरह से उकसाने का काम कर रहे हैं। कुछ लोगों ने यहाँ तक धमकी दे दी है कि कृषि कानूनों की तरह इसे भी वापस लेना होगा।

वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान हैदराबाद से सांसद और तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन औवेसी पहले ही सदन में उसकी कॉपी फाड़ चुके हैं। वो ये भी कह चुके हैं कि इस बिल के माध्यम से सरकार मुस्लिमों की संपत्तियों को ही नहीं, बल्कि उनके मजहबी स्थलों- मस्जिद, दरगाह, कब्रिस्तान आदि पर कब्जा कर लेगी। उन्होंने इसका पुरजोर विरोध करने की बात कही थी।

हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा, “ये बिल मुस्लिमों के साथ अन्याय है। यह एक जंग का ऐलान है। हमारे मदरसों और मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है। इस बिल से मुस्लिमों के अधिकारों को छीना जा रहा है। इस बिल से मुस्लिमों के अधिकारों को छीना जा रहा है। इसके जरिए मुस्लिमों को दूसरे दर्जे का शहरी बनाने की कोशिश की जा रही है।”

इस्लामी नेता इसहाक गोरा ने कहा कि यह बिल मुस्लिमों के धार्मिक स्वतंत्रता और कानूनी हकों पर सीधा हमला है। इससे मुस्लिमों की वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण हो जाएगा। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा, “विधेयक पास हो जाता है तो हम इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे। हम चुप नहीं बैठेंगे।”

वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद इस बिल को बहुसंख्यकवादी मानसिकता वाला बताया है। संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सरकार जबरन इस बिल को संसद में लाई है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद मुंबई के अध्यक्ष मौलाना सिराज खान ने तो धमकी तक दे डाली। उन्होंने कहा, “सरकार ध्यान से सुन ले, हम जेल जाने से डरते नहीं हैं।”

सिराज ने कहा, “हमारे किसी भी मामले में अगर सरकार दखलअंदाजी करेगी तो हम जेलों को आबाद करेंगे। हम अपनी आजादी के लिए सब कुछ करने को तैयार हैं। हमारे नबी ने जीने का जो तरीका बताया है, हम उसी के हिसाब से जीने की कोशिश करते हैं। दिल्ली के शाहीन बाग की तरह देश भर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। महाराष्ट्र में भी शाहीन बाग की तरह आंदोलन किया जाएगा।”

शाहीन बाग की तर्ज पर हिंसा भड़काने की कोशिश

जिस तरह मुस्लिम नेता और मौलाना बयान दे रहे हैं, वह भड़काने वाला है। इसी तरह बात नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर फैलाई गई थी कि CAA और NRC कानून के जरिए मुस्लिमों की नागरिकता छीन ली जाएगी। ठीक उसी तर्ज पर वक्फ बिल को लेकर भी अफवाह फैलाने की कोशिश। की जा रही है कि सरकार मुस्लिमों की संपत्तियों और मस्जिद-दरगाहों पर कब्जा कर लेगी।
अगर मुस्लिम नेताओं से लेकर धर्मगुरुओं के बयानों को देखें तो वक्फ संशोधन बिल को लेकर भी ये अफवाह फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि मुस्लिमों को भ्रमित करके अधिक से अधिक उनका समर्थन हासिल किया जा सके। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) को लेकर भी ऐसी ही अफवाह फैलाई गई थी।
उस समय तमाम नेता ने ऐसा ही किया था। जेल में बंद शरजील इमाम ने जामिया से लेकर तमाम देश के दूसरे हिस्सों तक में इसको लेकर अफवाह फैलाई थी। शरजील इमाम ने पैंफलेट छपवाकर कई मस्जिदों और यूनिवर्सिटी में बँटवाया और खुद बाँटा था। पैंफलेट में लिखा था कि मुस्लिमों को नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (CAA-NRC) का विरोध करना चाहिए।
पैंफलेंट सभी मुस्लिमों को एक साथ मिलकर विरोध करने की अपील की गई थी। मुस्लिमों को भड़काने के लिए इसमें कश्मीर से लेकर बाबरी ढाँचे तक का जिक्र गया था। उसमें लिखा गया था कि पहले कश्मीर, फिर बाबरी मस्जिद और अब CAA हुआ है। इस पैंफलेट में दिल्ली को डिस्टर्ब करने के लिए कहा गया था, ताकि दुनिया भर की मीडिया का ध्यान इस ओर जाए।
इस पैंफलेट बाँटने के एक दिन बाद 15 दिसंबर 2020 को कई जगहों पर हिंसा फैल गई थी। इसमें दिल्ली के जामिया मिलिया यूनिर्विसटी की हिंसा भी शामिल थी। आगे चलकर CAA-NRC के नाम पर की किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को हिंसक बना दिया गया और आखिरकार फरवरी 2020 में पूर्वी दिल्ली के कई हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई। इस हिंसा में कई लोगों की जान चली गई थी।

रामनवमी और हनुमान जयंती को लेकर सावधानी

शाहीन बाग की तर्ज पर ही वक्फ संशोधन बिल के विरोध के नाम पर एक बार फिर दिल्ली एवं अन्य जगहों को दहलाने की कोशिश की जा सकती है। रामनवमी पर वैसे भी पिछले कई सालों से सुनियोजित तरीके से हमले किए जा रहे हैं। ये हमले सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, बल्कि यूपी-बिहार और झारखंड से लेकर कर्नाटक एवं महाराष्ट्र तक में दिया जाता रहा है।
कट्टरपंथियों द्वारा रामनवमी पर हिंसा की इस परिपाटी को वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध के नाम पर दोहराने की कोशिश इस साल भी की जा सकती है। वैसे तो मूर्ति-पूजक हिंदुओं के खिलाफ मुस्लिम बहुल इलाकों में हमला करने की घटनाएँ अक्सर आती रहती हैं, लेकिन साल 2019 के बाद रामनवमी एवं हनुमान जयंती की शोभायात्रा पर हमले की घटनाएँ अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई हैं।
साल 2019 भारतीय राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा है। इसी साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हमेशा के लिए खत्म कर दिया था। इसको लेकर कुछ कट्टरपंथियों के मन में एक कसक पैदा हो गई। इसी बीच 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 140 से अटके अयोध्या विवाद पर हिंदुओं के पक्ष में फैसला दे दिया।
कट्टरपंथियों पर यह दोहरी मार थी। अभी एक महीना भी नहीं बीते होंगे कि 11 दिसंबर 2019 को भारत सरकार ने नागरिक संशोधन विधेयक (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) कानून पास कर दिया। यह वह ऐसा था, जिसमें पड़ोसी इस्लामी देशों में रहने वाले वहाँ के अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने का प्रावधान किया गया था।
इसको लेकर भी कट्टरपंथी मुस्लिमों एवं भारत विरोधी शक्तियों ने मुस्लिमों को भड़काना शुरू कर दिया कि इससे मुस्लिमों की नागरिकता छीन ली जाएगी। इसके बाद बड़े पैमाने पर हिंसा शुरू हो गई थी। मन में बसी यह कसक रामनवमी जैसी धार्मिक यात्रा पर हमला करके कट्टरपंथी निकालते रहते हैं। इस बार भी वे कुछ ऐसा ही करने की सोच रहे हैं। इससे सतर्क रहने की जरूरत है।

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