केरल : 167 साल की कठोर जेल की सज़ा; 63 साल के ऑटो रिक्शा ड्राइवर पर दिव्यांग के बलात्कार का आरोप


केरल के कासरगोड से एक बहुत ही दुखद और चौंकाने वाली खबर आई है
 वहां एक 63 साल का ऑटो रिक्शा ड्राइवर है, जिसका नाम उस्मान (उर्फ उक्कांपेट्टी उस्मान) है। इस आदमी ने एक 14 साल की मासूम बच्ची के साथ बहुत घिनौना काम किया. वो बच्ची दिमागी तौर पर थोड़ी कमजोर (दिव्यांग) है

कोर्ट का बड़ा फैसला

कासरगोड की फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (जल्दी सुनवाई करने वाली अदालत) के जज रामू रमेश चंद्रभानु ने गुरुवार, 29 मई को ये फैसला सुनाया उस्मान को छह अलग-अलग मामलों में कुल मिलाकर 167 साल की कठोर जेल की सज़ा दी गई है साथ ही, उस पर साढ़े पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. सरकारी वकील प्रिया ए.के. ने बताया कि अगर उस्मान ये जुर्माना नहीं भर पाया, तो उसे 22 महीने और जेल में काटने होंगे

कैसे हुआ खुलासा?

ये शर्मनाक घटना 25 जून, 2021 को तब सामने आई, जब किसी ने उस्मान को उस बच्ची को चेरकला के जंगल की तरफ ले जाते हुए देख लिया वकील साहिबा ने बताया कि बच्ची के माता-पिता बेचारे दिहाड़ी मजदूर हैं, यानी रोज़ कमाते और रोज़ खाते हैं दुख की बात ये है कि इस बच्ची के साथ एक और आदमी ने भी गलत हरकत की थी, जिसे हाल ही में 10 साल की सज़ा हुई है

इन भयानक घटनाओं के बाद बच्ची को एक देखभाल केंद्र (केयर होम) में भेज दिया गया था पहले तो डर के मारे उसने किसी को कुछ नहीं बताया, लेकिन जब उसकी काउंसलिंग हुई (मनोवैज्ञानिक सलाह दी गई), तो उसने सारी आपबीती बता दी

किन-किन जुर्मों में मिली सज़ा?

अदालत ने उस्मान को कई गंभीर जुर्मों में सज़ा दी है, जैसे:

  • 16 साल से कम उम्र की बच्ची से बलात्कार (IPC धारा 376(3)) के लिए 40 साल;
  • बार-बार गंभीर यौन हमला करना (POCSO एक्ट धारा 5(l)) के लिए 40 साल;
  • मानसिक रूप से दिव्यांग बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न (POCSO एक्ट धारा 5(k)) के लिए 40 साल;
  • इसके अलावा अपहरण और मानव तस्करी जैसे जुर्मों में भी उसे सज़ा मिली है;

असल में कितनी सज़ा काटनी होगी?

वकील प्रिया ने ये भी साफ किया कि भले ही सज़ा 167 साल की सुनाई गई है, लेकिन ये सारी सज़ाएं एक साथ चलेंगी इसका मतलब है कि उस्मान को असल में 40 साल जेल में बिताने होंगे, वो भी कठोर कारावास

इस मामले की FIR कासरगोड महिला पुलिस स्टेशन की इंस्पेक्टर भानुमति सी. ने दर्ज की थी और उन्होंने ही पूरी जांच भी की

इन भयानक घटनाओं के बाद बच्ची को एक देखभाल केंद्र (केयर होम) में भेज दिया गया था पहले तो डर के मारे उसने किसी को कुछ नहीं बताया, लेकिन जब उसकी काउंसलिंग हुई (मनोवैज्ञानिक सलाह दी गई), तो उसने सारी आपबीती बता दी

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