उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कल कहा है कि जजों मुकदमा चलाने की पूर्व मंजूरी के फैसले पर पुनर्विचार का समय आ गया है। उन्होंने जस्टिस वर्मा के घर से नकदी मिलने के मामले में FIR दर्ज करने में हो रही देरी पर सवाल उठाए।
धनखड़ ने कहा कि तीन जजों की आंतरिक समिति द्वारा गवाहों से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त करना एक गंभीर मुद्दा है। देश में हर कोई सोच रहा है कि क्या मामला दब जाएगा और इसलिए मामले की वैज्ञानिक जांच की जरूरत है।
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जगदीप धनखड़ की इन गंभीर बातों का सुप्रीम कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए। वो कोई राजनीतिक बयान नहीं दे रहे बल्कि न्याय व्यवस्था में सुधार की बात कर रहे हैं।
जस्टिस के वीरास्वामी का भ्रष्टाचार का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में चला था और उनके दामाद जस्टिस वी रामास्वामी पर लोकसभा में महाभियोग चला था जो गिर गया था। दोनों के मामले में वकील कपिल सिब्बल था।
वी रामास्वामी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने 3 मुख्य प्रश्न थे -
-क्या जज भी लोक सेवक हैं;
-क्या जजों पर भी आपराधिक मामलों के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है; और
-और हां तो उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने के लिए कौन सक्षम प्राधिकारी है?
यह मुकदमा सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी सी रे, के जगन्नाथ शेट्टी, एल एम शर्मा, एम एन वेंकटचलैया और जे एस वर्मा ने सुना। बेंच ने जजों को पब्लिक सर्वेंट माना और उन पर आपराधिक मुकदमा भी चलाया जा सकता है। यह भी माना गया कि उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति राष्ट्रपति दे सकते हैं लेकिन राष्ट्रपति के पास इस अधिकार के होने का मतलब है कार्यपालिका का अधिकार जिससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खतरा हो सकता है क्योंकि वह न्यायपालिका की स्वतंत्रता में कार्यपालिका के अधिकारों से खलल डाली जा सकती है।
इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला किया कि जजों पर मुकदमा चलाने की अनुमति का अधिकार केवल चीफ जस्टिस के पास होगा। मैंने कहीं यह भी पढ़ा था कि अगर केस चीफ जस्टिस के खिलाफ है तो सुप्रीम कोर्ट का कोई अन्य जज उसकी अनुमति दे सकता है।
न्यायिक स्वतंत्रता की आड़ में जजों का भ्रष्टाचार सामने नहीं आता। यशवंत वर्मा का आ गया लेकिन उसमे भी कानूनी दाव पेंच चल रहे हैं। वकील Mathew J Nedumpara ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है कि वर्मा पर केस चलाने की अनुमति दी जाए जिस पर अभी सुनवाई होनी है जबकि यह विषय स्वयं चीफ जस्टिस को संज्ञान में लेकर वर्मा पर FIR दर्ज करने के आदेश देने चाहिए।
जो भी जांच हो, उसमें पता लगाया जाए कि Outhouse में मिली जली नकदी के अलावा घर के अन्य कमरों में क्या मिला, उसका खुलासा होना चाहिए क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपना सारा पैसा तो स्टोर रूम में नहीं रख सकता?
जो भी उपराष्ट्रपति ने कहा है उस पर चीफ जस्टिस को संज्ञान लेना चाहिए और न्यायपालिका में सही मायने में सुधार करने की पहल करनी चाहिए।


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