बीजेपी शुरू से भारत में घुसे घुसपैठियों के विरुद्ध आवाज़ उठाती रही है, लेकिन कार्यवाही पुलवामा हमले के बाद क्यों? पुलवामा हमले से पहले उरी आदि जगहों पर भी हमले हो चुके हैं। भारत में हर कोई जानता है कि देश में घुसपैठिए हर जगह फैले हुए हैं। वोट के भूखे नेता और उनकी पार्टियों ने उनके आधार कार्ड और पहचान पत्र तक एक नहीं कई ठिकानों पर तो दिल्ली से बाहर के भी बनवा रखे हैं। केंद्र सरकार को चाहिए कि जितनी भी झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वालों के आधार और पहचान पत्र की गंभीरता से जाँच कर कारवाही करनी चाहिए। BPL कार्डधारकों की भी जाँच करनी चाहिए।
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लेखक चर्चित YouTuber |
लेकिन मामला स्टे करने का शुरू हो गया अलग अलग केस में। जम्मू में तैनात CRPF के जवान मुनीर अहमद ने पाकिस्तानी लड़की मीनल खान से ढाई महीना पहले Online शादी की और मीनल खान visiting visa पर मुनीर के पास आई हुई थी। उसने Long Term Visa के लिए अर्जी दी हुई थी। अब सरकार का आदेश आ गया कि पाकिस्तानी भारत छोड़ो तो उसे अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान जाना था। लेकिन वकील अंकुश शर्मा उसका मुकदमा लेकर जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट चला गया और हाई कोर्ट ने दरिया दिली दिखाते हुए उसके deportation पर 1 मई को रोक लगा दी।
यह बताया गया कि यह रोक केवल 10 दिन के लिए थी और हाई कोर्ट ने विस्तृत रिपोर्ट मांगते हुए केस की सुनवाई 20 मई तय की है जिसका मतलब साफ़ है स्टे 20 मई तो बढ़ ही जायेगा।
अब सुनने में आया है कि जम्मू कश्मीर CRPF में और भी कई मुस्लिम हैं जिनकी शादी पाकिस्तानी लड़कियों से हो रखी है। लेकिन मजे की बात है कि online तलाक तो दे देते थे ये लोग, अब शादी भी online करने लगे।कल सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने श्रीनगर के अहमद तारिक बट्ट और उसके परिवार के 5 सदस्यों के Deportation पर रोक लगा दी। तारिक अहमद का परिवार भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड तो पेश कर सके लेकिन पाकिस्तान से भारत आने के वैध दस्तावेज़ नहीं दे सके।
बेंच ने उनके सभी documents की जांच करने के लिए कहा लेकिन कोई समय सीमा तय नहीं की और उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई भी न करने के आदेश दिए जब तक कोई उपयुक्त फैसला न ले लिया जाए। मतलब मामला लंबा चलेगा और तब तक वह परिवार मौज करेगा।
बेंच ने यह कहा तो है कि उनका यह आदेश अन्य मामलों के लिए नज़ीर नहीं बनेगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के गैंग कोई तोड़ निकाल कर इसे अन्य मामलों में लागू करवा ही लेंगे।
जब भारत आने के कोई दस्तावेज़ ही नहीं थे तो जाहिर है चोरी छिपे ही अवैध तरीके से आये होंगे और भारतीय नागरिकता कब मिली, यह कागज तो होंगे।
पाकिस्तान का भारत में ऐसा षड़यंत्र चल रहा था जो अब पाकिस्तानियों को बाहर निकालने के आदेश के बाद सामने आया है। हर पाकिस्तानी भारत में उसका sleeper cell है जो पहले ही भारत में बैठे Sleeper Cells के साथ मिलकर काम करते हैं चाहे उनमे पुरुष हो या महिलाएं।
यह अच्छी बात है पहलगाम की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में कराने वाली याचिका जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सिंह की बेंच ने ही झाड़ मारते हुए ख़ारिज कर दी थी और कहा था कि देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ मत करो लेकिन आप जानते हैं उन तीन याचिकाकर्ताओं में एक कांग्रेस का नेता भी था।
फिर भी पाकिस्तानियों को निकालने के मामलों में सुप्रीम कोर्ट और सभी हाई कोर्ट न उलझें तो बेहतर होगा। यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है जिसे सरकार को ही सँभालने दीजिये। आप तो 2017 के रोहिंग्या के मामले पर फैसला दीजिए कि उन्हें भी देश से बाहर निकाला जाए।
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