मोदी सरकार की जातिगत जनगणना की घोषणा से राहुल गांधी & कंपनी जलसा मना रही है और पोस्टर लगाए गए हैं “झुकाने वाला चाहिए, सब झुकते हैं”। मतलब राहुल गांधी ने मोदी को झुका दिया और जातिगत जनगणना करने के लिए बाध्य कर दिया।
लेकिन राहुल गांधी को पता भी नहीं चला कि मोदी ने जातिगत जनगणना की घोषणा करके कितना बड़ा खेला कर दिया और राहुल गांधी की जातिवार जनगणना की मांग की बत्ती बना कर उसकी पीछे वाली जेब में डाल दी। कांग्रेस का जाति कार्ड हिंदुओं को तोड़ने का काम करता रहा है। लेकिन अब जो घोषणा हुई है उसमे सभी धर्मों/मजहबों के लोगों की जाति पूछी जाएगी। मुसलमानों और ईसाइयों की भी जाति पूछी जाएगी और जो खेल हिंदुओं को तोड़ने के लिए खेला जाता रहा है, वह अब मुस्लिम और ईसाई भी करेंगे।
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लेखक चर्चित YouTuber |
मुसलमानों में उच्च जाति में सैयद, पठान और शेख आते हैं और होते हैं अजलफ (जो अछूत हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बनाया जाता है) और उन्हें “अरजल” भी कहा जाता है मतलब("degraded")।
मीडिया हर चुनाव में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों में जातियां बताते हैं मुस्लिम 28%, ब्राह्मण 10%, ठाकुर 08%, जाट 04%, लोध 05%, दलित 16%, कुर्मी 12%, सिख 02% और अन्य 15% लेकिन कभी मुस्लिमों की जातियां नहीं बताते।
जबकि ऊपर दी गई ऊंची जातियों के अलावा मुस्लिमों में कहते हैं 72 फिरके(जाति) हैं। जिनमें प्रमुख हैं - कसाई, गद्दी, अंसारी, हज़्ज़ाम, कायमखानी, मनिहार, सलमानी, इदरीसी, बावर्ची, मिरासी, भांड, मंसूरी।
सभी मुसलमानों को बरगला कर इस्लाम के नाम पर उच्च जाति के सैयद, पठान और शेख को वोट डालने के लिए प्रेरित किया जाता रहा है और वो वोट देते भी हैं। अब 72 जातियों के सामने आने पर मुस्लिमों की हर जाति के लोग पूछेंगे हमारी जाति का उम्मीदवार कहां हैं, हम क्यों सैयद, पठान और शेख को वोट दें? दूसरी तरफ अगर उन्हें भाजपा से फायदा मिलता दिखाई देगा तो वो उसे वोट दे सकते हैं।
मुस्लिम नेता यह भूल रहे हैं कि मुसलमानों में 85% आबादी पसमांदा मुस्लिमों की है जो सही मायने में पिछड़े हैं लेकिन उन्हें मुस्लिम कौम के लोग कभी प्रतिनिधित्व नहीं देते। उन्हें बस अपनी रैलियों में भीड़ जुटाने और हिंदुओं के खिलाफ भड़का कर दंगे कराने में इस्तेमाल करते हैं।
लेकिन अब पसमांदा मुसलमानों की जातियां जब सामने आएंगी, तब वे ऊंची जाति के मुसलमानों और राजनीतिक दलों से अपना अधिकार मांगेंगे। तब असली खेला होगा और जैसे हिंदुओं को तोडा जाता रहा है, वैसा ही विघटन मुस्लिम वोटों का होगा। पसमांदा मुस्लिम पूछेंगे कि उन्हें वक्फ बोर्ड ने क्या दिया? यह बात गौर करने की है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में एक भी पसमांदा मुस्लिम नहीं है जबकि उनकी आबादी 85% है।
कांग्रेस ने कभी जातिगत जनगणना नहीं कराई। नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक कोई इस काम के लिए आगे नहीं आया और 2011 में मनमोहन सिंह सरकार घोषणा करके भी पीछे हट गई। लेकिन राहुल गांधी को लगा कि जातिगत जनगणना का हल्ला मचा कर वो फिर से हिंदुओं को पूरी तरह तोड़ देगा लेकिन मोदी ने खेल ही पलट दिया। जब मोदी का खेल समझ आएगा, तब यह भी हो सकता है राहुल गांधी खुद मांग करे कि अल्पसंख्यकों की जातिगत जनगणना न कराई जाए।
“इब्तिदा-ए-इश्क़ है रोता है क्या
आगे-आगे देखिए होता है क्या”
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