भारत में विपक्ष की राजनीति जो घटियापन आज दिखा रही रही वैसा विगत में कभी नहीं हुआ होगा और उसका कारण है केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से “नफरत”। किसी कीमत पर विपक्ष मोदी के किसी काम में उसके साथ खड़ा ही नहीं होना चाहता और यहां तक “ऑपरेशन सिंदूर” के लिए भी विपक्ष ने एक शब्द मोदी की तारीफ में नहीं बोला, बस सेना के साहस की प्रशंसा कर रहा है विपक्ष। सेना की निश्चित रूप से प्रशंसा होनी ही चाहिए लेकिन सेना बिना राजनीतिक नेतृत्व कोई काम नहीं करती जैसे 26/11 की बाद चाह कर भी कुछ नहीं कर सकी।
आज विपक्ष के अनेक नेताओं के बयान आए हैं और सभी ने सेना के शौर्य और साहस की तारीफ की, उनके बयान खासकर X पर पोस्ट किए गए हैं। भाजपा के नड्डा जी और धर्मेंद्र प्रधान के अलावा जिन विपक्ष के नेताओं ने बयान दिए हैं, उनमे शामिल हैं राहुल गांधी (हमें अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है - जय हिंद), खड़गे जी, जयराम रमेश, प्रियंका गांधी, एमके स्टालिन, ओवैसी, शरद पवार, के चंद्रशेखर राव, अखिलेश यादव, मायावती और शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत हैं। संजय राउत तो और पागलों की भाषा बोल रहा है कि जो लोग इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं, वे पहलगाम हमले के पीड़ितों के साथ अन्याय करेंगे।
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लेखक चर्चित YouTuber |
विपक्ष मोदी के लिए कुछ न भी कहे, उससे कुछ फर्क नहीं पड़ता क्योंकि देश की जनता ऐसे ऑपरेशन सिंदूर और पहले किये गए सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट का श्रेय सेना के साथ साथ मोदी को देती रही है और यह भी जनता जानती है मोदी के अलावा कोई ऐसा साहस नहीं दिखा सकता था जो सेना को खुली छूट देकर दुश्मन पर धावा बोलने के लिए कहे। देश की जनता ही नहीं, पूरा विश्व देख रहा है मोदी की क्षमता और उसका दृढ नेतृत्व।
ये विपक्ष खासकर कांग्रेस POK कश्मीर द्वारा हथियाने के नेहरू को जिम्मेदार नहीं मानता जबकि नेहरू ने तब युद्ध विराम किया था जब सेना जीत रही थी। 1965 की लड़ाई भी ये विपक्ष मानता है शास्त्री जी ने लड़ी थी, सेना ने नहीं, और 1971 की तो पूछो ही नहीं, इंदिरा गांधी स्वयं तोपें चला रही थी और कैंची से काट कर पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए। सेना ने नहीं, जो कुछ किया इंदिरा गांधी ने किया।
लेकिन जब से मोदी आया, मोदी कुछ नहीं कर रहा, सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट सेना ने किया जबकि इसी विपक्ष ने दोनों के सबूत मांगे और सेना के शौर्य पर सवाल खड़े कर दिए। अब ऑपरेशन सिंदूर पर भी सवाल खड़े करते लेकिन पाकिस्तान ने सारी योजना फेल कर दी यह कह कर कि भारत उसके शहरों में मिसाइल दाग कर गया।
जब से मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री और फिर प्रधानमंत्री बने, तब से विपक्ष उनके खिलाफ “नफरत” की राजनीति कर उन्हें हटाने की कोशिश कर रहा है। अधिकांश मुसलमानों के लिए कांग्रेस और विपक्ष ने मोदी को उनका स्थाई शत्रु बना दिया है और ऐसा करने में शिष्टता की सभी सीमाएं पार कर दी। विपक्ष ने मिट्टी में मिलना स्वीकार किया लेकिन मोदी के लिए “नफरत” को नहीं छोड़ा।
विपक्ष जो मर्जी करे, मोदी देश की जनता और दुनिया की नज़र में अजेय और साहसी नेता माना जाता है। विपक्ष की नफरत की पराकाष्ठा देखो कि 20 से ज्यादा देशों के सर्वोच्च सम्मान मिलने के बाद भी कभी विपक्ष ने मोदी को बधाई नहीं दी।
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