रूस ने ताबड़तोड़ ड्रोन छोड़े: 3 दिन में 500+ हवाई हमलों से दहला यूक्रेन, खारकीव में 9 मिनट तक होती रही लगातार बमबारी, 1 जून वाले हमले का बदला

खारकीव में ड्रोन हमले के बाद बिजली गुल की तस्वीर (बाएँ), यूक्रेनी सैनिकों के शवों को ले जाने वाले काफिले (दाएँ), (फोटो साभार : Hindustan Times & Mint)
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में बुधवार (11 जून 2025) को रूस ने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव पर 9 मिनट का लक्षित ड्रोन हमला किया, जिसके बाद यह दावा किया गया कि यह यूक्रेन द्वारा रूसी क्षेत्र में हालिया हमलों का ‘करारा जवाब’ था। इस सटीक सैन्य कार्रवाई में 6 लोगों की जान गई और 64 लोग घायल हुए, जिनमें 9 बच्चे भी शामिल थे।

वहीं, 12 जून 2025 को भी खारकीव में ड्रोन हमले हुए और दक्षिणी यूक्रेन के मायकोलाइव और खेरसॉन में बिजली गुल हो गई। युद्धग्रस्त इलाकों में 1,212 सैनिकों के शवों और कैदियों की अदला-बदली हुई है, लेकिन रूस अपनी शर्तों पर अड़ा है, जिससे शांति की उम्मीद अभी भी दूर है।

युद्ध की शुरुआत: 2022 का ‘महायुद्ध’

रूस और यूक्रेन के बीच यह भीषण युद्ध फरवरी 2022 में शुरू हुआ, जब रूस ने यूक्रेन पर पूरी तरह से हमला कर दिया। हालाँकि, दोनों देशों के बीच तनाव की जड़ें 2014 से ही गहरी हो चुकी थीं, जब रूस ने क्रीमिया को अपने में मिला लिया और पूर्वी यूक्रेन के डोनबास इलाके में अलगाववादियों का समर्थन करना शुरू कर दिया था।

रूस इस युद्ध को अपनी सुरक्षा का मसला बताता है, खासकर नाटो (NATO) के लगातार बढ़ते दायरे और यूक्रेन के पश्चिमी देशों की तरफ झुकाव को लेकर उसकी चिंताएँ रही हैं।

 यूक्रेन ने 1 जून 2025 को रूस पर बड़ा ड्रोन हमला किया था, जिसे ‘ऑपरेशन स्पाइडरवेब‘ का नाम दिया गया था। इस हमले में यूक्रेन ने रूस के परमाणु-सक्षम लंबी दूरी के बॉम्बर को निशाना बनाने का दावा किया था, जिससे रूसी सैन्य शक्ति को भारी नुकसान पहुँचाने की बात कही गई थी।

यूक्रेन को आर्थिक मदद

इस युद्ध में मुख्य रूप से रूस और यूक्रेन आमने-सामने हैं। यूक्रेन को अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और कई अन्य पश्चिमी देशों से भारी मात्रा में सैन्य और आर्थिक मदद मिल रही है। रूस पर कई देशों ने कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, जबकि बेलारूस जैसे कुछ देश रूस का साथ दे रहे हैं।
युद्ध में दोनों पक्ष ड्रोन, मिसाइल, तोपखाने और हवाई हमलों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं। यूक्रेन में खारकीव, लुगांस्क, डोनेट्स्क, ज़ापोरिज़्ज़िया और खेरसॉन जैसे इलाके इस युद्ध के मुख्य मैदान बने हुए हैं, जहाँ लगातार गोलीबारी और हमले हो रहे हैं।

शांति वार्ता: एक उम्मीद, एक हताशा

हाल ही में, एक सकारात्मक खबर यह भी आई थी, कि रूस ने 1,212 यूक्रेनी सैनिकों के शव लौटाए हैं, जो युद्ध में मारे गए थे। यह वापसी पिछले सप्ताह इस्तांबुल में हुई शांति वार्ताओं के दौरान हुए समझौते का हिस्सा थी, जहाँ कैदियों की अदला-बदली पर भी सहमति बनी थी।
यूक्रेनी सरकार ने बताया कि लौटाए गए अवशेषों में खारकीव, लुगांस्क, डोनेट्स्क, ज़ापोरिज़्ज़िया और खेरसॉन जैसे इलाकों में मारे गए सैनिकों के साथ-साथ रूस के कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेन के जवाबी हमले में शहीद हुए सैनिक भी शामिल हैं।
हालाँकि, इस्तांबुल में हुई दो दौर की बातचीत के बावजूद युद्ध खत्म होने की कोई राह नहीं निकली। कैदियों की अदला-बदली और सैनिकों के शवों की वापसी ही इन वार्ताओं के एकमात्र ठोस नतीजे रहे हैं।

शांति की राह में दीवारें

शांति अभी भी दूर की कौड़ी है क्योंकि रूस बिना शर्त युद्धविराम की माँग को लगातार ठुकरा रहा है। रूस की माँग है कि यूक्रेन अपने महत्वपूर्ण इलाकों को छोड़ दे और नाटो में शामिल होने का सपना त्याग दे। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन इस संघर्ष में हजारों नागरिक, जिनमें ज्यादातर यूक्रेनी हैं, अपनी जान गँवा चुके हैं।

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