ईरान में तीन लोगों को फाँसी दी गई ( फोटो साभार- @iran military, फाइल- @khamenei)
ईरान ने 12 दिनों तक चले इजरायल के साथ युद्ध के बाद अब कथित तौर पर जासूसी करने वालों को सजा देना शुरू कर दिया है। ईरान ने अपने तीन नागरिकों को फाँसी की सजा दी है जबकि करीब 700 लोगों को सलाखों के पीछे भेज दिया है।
ईरान से आए इस समाचार का केन्द्र और राज्य सरकारों, निचली अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट और आतंकियों/गद्दारों की वकालत करने वाले वकीलों को संज्ञान लेना चाहिए। जितनी जल्दी हो देश से गद्दारी करने वालों को ईरान की तर्ज पर कार्यवाही होनी चाहिए। देशहित में इनके लिए कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए।
जिन लोगों को फाँसी दी गई है उनके नाम हैं- इदरीस अली, आजाद शोजाई और रसूल अहमद रसूल। इनपर इजरायल के लिए जासूसी करने और देश में हथियार लाने का आरोप था। बुधवार (25 जून 2025) को उरमिया जेल में इनलोगों को फाँसी पर लटका दिया गया। ईरानी मीडिया ने इसकी पुष्टि की है।
Three spies convicted of espionage for Zionist regime's intelligence agency were executed this morning at Urmia Prison.
— Daily Iran Military (@IRIran_Military) June 25, 2025
They were sentenced for smuggling assassination equipment into Iran, leading directly to the assassination of a prominent figure. pic.twitter.com/soAXlMbmdM
तुर्की की सीमा से सटा हुआ उरमिया ईरान के उत्तर पश्चिम में स्थित एक शहर है। उरमिया के जेल से फाँसी पर लटकाने से पहले की तीनों की तस्वीर जारी की गई। 13 जून 2025 को ईरान-इजरायल जंग के दौरान ईरान ने इजरायल के पक्ष में काम करने वालों को सख्त चेतावनी दी थी कि वो उन्हें नहीं छोड़ेंगे।
पिछले 12 दिनों में 700 लोग गिरफ्तार
ईरान ने पिछले 12 दिनों में करीब 700 लोगों को गिरफ्तार किया। इन पर इजरायल खुफिया एजेंसी ‘मोसाद’ को सीक्रेट जानकारी देने और ईरानी सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने में मदद करने का आरोप लगाया है।
ईरान का कहना है कि कई आरोपितों से अभी पूछताछ चल रही है जबकि कई से पूछताछ पूरी हो गई है। इन लोगों को जल्द ही सजा सुनाई जाएगी। ईरान ने इजरायल के साथ तनातनी के बाद ही अपने देश के नागरिकों को सख्त चेतावनी दी थी कि वो इजरायल के नेटवर्क का हिस्सा न बनें।
ये पहली बार नहीं है जब ईरान ने जासूसी के आरोप में अपने नागरिक को फाँसी की सजा दी हो। हाल ही में ईरान ने 3 लोगों को इजरायल का समर्थन करने के आरोप में फाँसी पर लटका दिया था।
ईरान के 14 परमाणु वैज्ञानिकों की हुई मौत
इजरायल और अमेरिका के हमलों में न सिर्फ ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया बल्कि बड़े बड़े परमाणु वैज्ञानिकों को भी मौत के घाट उतार दिया। दरअसल हमले का मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था क्योंकि ईरान परमाणु बम बनाने की कगार पर खड़ा था।
इससे इजरायल के अस्तित्व को खतरा है। इजरायल के खुफिया तंत्र का ईरान के अंदर नेटवर्क काफी मजबूत है। ऐसे में ईरान ऐसे लोगों को सजा देना चाहता है जो इजरायल को किसी भी तरह से मदद कर रहे थे।
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