तेल को तरस जाएगी दुनिया, इस्लामी मुल्कों की ही कमाई हो जाएगी बंद: क्या है ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज’, ईरान-इजरायल युद्ध के बीच चर्चा में क्यों?

                           इजरायल- ईरान युद्ध के बीच चर्चा में होर्मुज जलडमरूमध्य (फोटो- Opindia)
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक नई समस्या भी मुँह बाए खड़ी है। समस्या की जड़ असल में ईरान से जुड़ी है। दोनों देशों का युद्ध में दुनिया भर के लिए गैस और तेल की कीमतें बढ़ा सकता है।

असल में स्ट्रेट ऑफ होर्मुज (होर्मुज जलडमरूमध्य) को लेकर कयास लग रहे हैं कि ईरान इस रास्ते को बंद कर सकता है। हालाँकि अब तक तो ऐसा नहीं हुआ है लेकिन भविष्य में अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा असर वैश्विक बाजार पर पड़ेगा।

होर्मुज जलडमरूमध्य दुनियाभर के लिए काफी महत्वपूर्ण रास्ता है। स्ट्रेट ऑफ होर्मुज ईरान और ओमान के बीच स्थित है। ये फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। ये इतना गहरा और चौड़ा है कि दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल के टैंकर्स को भी आराम से संभाल सकता है। इसके साथ ही यह दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण तेल चोकपॉइंट्स में भी शामिल है।

क्यों जरूरी है ये जलडमरूमध्य

इस रास्ते से काफी बड़ी मात्रा में तेल को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाया जाता है। अगर ईरान इस रास्ते को बंद करता है तो दुनियाभर के कई देशों को इसका नुकसान झेलना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस तेल के लिए रास्ते से परे अन्य वैकल्पिक रास्ते काफी कम और लंबे हैं।

अगर किसी एक चोकप्वाइंट से दूसरे तक के बीच कोई भी परेशानी होती है तो सबसे पहले आपूर्ति में देरी होगी। इसके चलते शिपिंग की लाग बढ़ेगी और अतंतः वैश्विक स्तर पर तेल और गैस की कीमतों में इजाफा होगा।

इस बात को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी नौसेना का पाँचवाँ बेड़ा बहरीन के मनामा में रहकर जलडमरूमध्य की निगरानी करता है। अगर होर्मुज जलडमरूमध्य में किसी भी तरह से रुकावट आती है या इसे अस्थायी रूप से बंद किया जाता है, तो इससे वैश्विक तेल बाजार में झटके लग सकते हैं।

अगर आँकड़ों की बात करें तो इस जलडमरूमध्य से 2024 में प्रतिदिन 2 करोड़ बैरल तेल का आवागमन हुआ था। ये आँकड़ा वैश्विक पेट्रोलियम खपत का लगभग 20% के बराबर था। वहीं 2025 के शुरुआती तीन महीनों में पेट्रोल का कारोबार 2024 की अपेक्षा स्थिर ही रहा। 2024 और 2025 के आँकड़ों में होर्मुज से होकर जाने वाले तेल वैश्विक तेल व्यापार का एक चौथाई से अधिक और पेट्रोलियम उत्पाद और तेल के खपत का लगभग 5वाँ हिस्सा होगा।

बैरल, पेट्रोल या कच्चे तेल को मापने की इकाई है जिसका उपयोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार का लिए होता है। एक बैरल 159 लीटर के बराबर होता है।

वोर्टेक्सा द्वारा प्रकाशित टैंकर ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, सऊदी अरब होर्मुज जलडमरूमध्य से किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक कच्चा तेल और कंडेनसेट का आवागमन करता है। 2024 में सऊदी अरब से कच्चे तेल और कंडेनसेट का निर्यात पूरे कारोबार का 38% था।

अगर ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की कार्रवाई करता है तो सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को नुकसान पहुँचेगा। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए सऊदी और UAE ने इस रास्ते को बायपास करने का एक बुनियादी ढाँचा तैयार कर रखा है।

इसके तहत पाइपलाइनें बिछाई गई हैं जो इस रास्ते में आने वाले अड़ंगों को कुछ हद तक कम कर सकता है। हालाँकि ये पाइपलाइनें पूरी तरह से संचालित नहीं होतीं, फिर भी किसी तरह के व्यवधान होने पर सऊदी अरब और UAE होर्मुज जलडमरूमध्य को बायपास कर प्रतिदिन 260 लाख बैरल प्रतिदिन के आवागमन की क्षमता रखती है।

होर्मुज जलडमरूमध्य में आठ प्रमुख द्वीप हैं। इनमें से सात पर ईरान का नियंत्रण है। अबू मूसा, ग्रेटर टुंब और लेसर टुंब द्वीपों को लेकर ईरान और संयुक्त अरब अमीरात के बीच विवाद है। ये तीनों द्वीप रणनीतिक रूप से दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं।

1970 के दशक से, ईरान ने इन द्वीपों पर अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखी है। इसके अलावा, चाबहार, बंदर अब्बास और बुशहर में स्थित नौसैनिक अड्डों से ईरान की नौसेना सागर पर नियंत्रण करती है। इससे जलडमरूमध्य पर इसका मजबूत प्रभाव देखने को मिलता है।

ईरानी खाड़ी के तट पर जलवायु अत्यधिक गर्म और शुष्क है। जुलाई और अगस्त के महीने इस क्षेत्र के लिए सबसे अधिक गर्म होते हैं। इसके चलते वहाँ रहना मुश्किल है। फिर भी तेल का क्षेत्र होने के कारण थोड़ा बहुत विकास किया गया है। जलडमरूमध्य के आसपास के क्षेत्रों में धूल, सुबह की धुंध और धुंधलापन होता है। इससे भी वहाँ की दृश्यता प्रभावित होती है।

होर्मुज जलडमरूमध्य का भू-राजनीतिक महत्व

होर्मुज जलडमरूमध्य की रणनीतिक स्थिति इसे काफी अहम बना देती है। ओमान और ईरान के बीच होने के कारण ये कुवैत, सऊदी अरब, इराक, कतर, बहरीन और UAE को अरब सागर और उससे आगे जोड़ता है।

जैसे-जैसे पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ रहा है, होर्मुज जलडमरूमध्य का महत्व भी बढ़ता जा रहा है। भारत के लिए यह संकट देश की रणनीतिक साझेदारी को बेहतर बनाने और नए ऊर्जा स्रोतों पर काम करने की जरूरत बता रहा है।

होर्मुज को बंद करने पर ईरान की क्या है स्थिति

इजरायल की ओर से ईरान पर हमले किए जाने के बाद शिया मुल्क के कई सैन्य ठिकाने और परमाणु कार्यक्रम तबाह हो गए हैं। बौखलाए ईरान ने जलडमरूमध्य बंद करने की धमकी दी है। हालाँकि इस रास्ते को पूरी तरह से बंद करने की आशंका कुछ कम ही जताई जा रही है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इन कारणों में ईरान के कुछ देशों के साथ बेहतर संबंध और आर्थिक स्थिरता समेत कई पहलू शामिल हैं।

ईरान और चीन के संबंध काफी बेहतर हैं। चीन ईरान के तेल का तीन- चौथाई हिस्से का आयात करता है जो कि सबसे अधिक है। ऐसे में जलडमरूमध्य का रास्ता बंद होने से चीन के लिए भी आपूर्ति बाधित होगी।

इसके अलावा इस रास्ते के बंद होने से ईरान के ओमान के साथ रिश्ते खराब हो सकते हैं। ओमान समुद्री रास्तों के जरिए कारोबार की आजादी का समर्थन करता रहा है। साथ ही होर्मुज जलडमरूमध्य के दक्षिणी हिस्से पर अपना नियंत्रण भी रखता है।

इजरायल के साथ तनाव के चलते ईरान पहले से ही कई संघर्षों का सामना कर रहा है। ऐसे में अगर ये रास्ता बंद होता है तो ईरान को ही भारी कीमतों को ईरान को भी झेलना पड़ेगा। इससे ये मुल्क भी आर्थिक अस्थिरता के संकट से दो चार होगा।

असल में दुनिया के ज्यादातर देश इस बात को जान चुके हैं कि होर्मुज जलडमरूमध्य में कोई भी रुकावट वैश्विक संकट को जन्म दे सकता है। ऐसे में ईरान अपनी धमकी को मूर्त रूप में देने से पहले कई देशों के साथ अपने बचे कुचे रिश्तों से भी हाथ धो सकता है।

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