राहुल गाँधी झूठ परोसने से पहले देश को बताओ जब जवाहर लाल नेहरू को booth capturing का मास्टरमाइंड क्यों कहा जाता था, देश के पहले ही चुनाव में booth capturing कर लोकतंत्र का गला घोट दिया था

राहुल गाँधी की हरकतों को देख कहा जा सकता है कि इसे अपने पद की उसी तरह जरा सी भी चिंता जिस तरह अरविन्द केजरीवाल को नहीं थी। आज केजरीवाल का क्या हश्र है आने वाले समय में राहुल, कांग्रेस और इसके समर्थकों का होने वाला है। क्योकि काठ की हांड़ी बार-बार नहीं चढ़ती। 
 
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की आज सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोलिंग हो रही है। लोग कांग्रेस सांसद को लताड़ लगा रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों पर अन्य लोगों के साथ चुनाव आयोग ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है और उनके बयानों को ‘बेतुका’ करार दिया है। आयोग ने कहा कि ऐसे बयान न सिर्फ संस्थान की साख को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता का भरोसा भी कमजोर करते हैं। चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर साफ कहा है कि ‘महाराष्ट्र की मतदाता सूची के खिलाफ लगाए गए निराधार आरोप कानून के शासन का अपमान हैं। 

चुनाव आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को ही कांग्रेस को भेजे अपने जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थे, जो चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। ऐसा लगता है कि बार-बार ऐसे मुद्दे उठाते हुए इन सभी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।’ आयोग ने आगे कहा कि ‘किसी के द्वारा फैलाई जा रही कोई भी गलत सूचना न केवल कानून के प्रति अनादर का संकेत है, बल्कि अपने ही राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों की बदनामी भी करती है और लाखों चुनाव कर्मचारियों का मनोबल भी गिराती है, जो चुनाव के दौरान अथक और पारदर्शी तरीके से काम करते हैं। मतदाताओं द्वारा किसी भी प्रतिकूल फैसले के बाद, यह कहकर चुनाव आयोग को बदनाम करने की कोशिश करना पूरी तरह से बेतुका है।’

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर फैलाया भ्रम

लेख के पहले चरण में राहुल ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि ‘खेल के शीर्ष प्रतियोगियों ने ही अपना अंपायर चुन लिया।’ उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को नियुक्ति पैनल से हटाने को लेकर भी सवाल खड़े किए।
राहुल गाँधी यह भूल गए कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति हमेशा केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राष्ट्रपति के द्वारा की जाती रही है और सुप्रीम कोर्ट ने बाद में इस मामले में सरकार को कानून बनाने का आदेश दिया था।
सरकार ने इसके लिए 2023 में ‘चुनाव आयुक्त नियुक्ति अधिनियम’ बनाया था। इसके लागू होने के बाद 2:1 के पैनल में विपक्ष के प्रतिनिधि को भी शामिल किया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार में विपक्ष की अपेक्षा का भाव नहीं है। इसके बावजूद भी राहुल गाँधी द्वारा सवाल उठाया जाना लज्जाजनक है।
जहाँ पहले चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में विपक्ष का 1% भी रोल नहीं था, वहीं अब उनका प्रतिनिधि इस पूरी प्रक्रिया का हिस्सा है। सरकार द्वारा चुनाव आयोग की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश को हटाने का फैसला अनावश्यक न्यायिक बाधाओं को दूर करने और चुनाव प्रक्रिया को गति प्रदान करने के लिए लिया गया है।
अवलोकन करें:- 

दरअसल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘मैच-फिक्सिंग महाराष्ट्र’ शीर्षक से एक लेख लिखा है। ये कई अखबारों में छपा है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं और बीजेपी ने सुनियोजित तरीके से चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित किया।

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी के आरोपों के बाद न सिर्फ सियासी घमासान तेज हुआ है, बल्कि सोशल मीडिया पर उनकी ट्रोलिंग और मीम्स की बाढ़ आ गई है। चुनाव आयोग और बीजेपी दोनों ने उनके बयानों को सिरे से खारिज किया है और राहुल पर हार का ठीकरा संस्थाओं पर फोड़ने का आरोप लगाया है। बीजेपी ने कहा है कि राहुल गांधी बार-बार लोकतांत्रिक संस्थाओं की छवि खराब करते हैं और जनता उन्हें गंभीरता से नहीं लेती। बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे हार स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और बार-बार संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करते रहते हैं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरोप लगाया कि ‘राहुल गांधी का नवीनतम लेख, चुनाव दर चुनाव हारने की उनकी उदासी और हताशा के कारण, फर्जी कहानियां गढ़ने का एक खाका है।’

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तंज कसते हुए कहा कि अनेकों बार चुनावों में जनता द्वारा नकारे जाने के बावजूद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी इस सत्य को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। हर चुनावी हार के बाद चुनाव आयोग और जनादेश को कठघरे में खड़ा करना राहुल गांधी की हताशा है।

बीजेपी के अन्य नेताओं ने भी राहुल के बयान को “अराजकता फैलाने की कोशिश” बताया और कहा कि जब कांग्रेस जीतती है तो यही सिस्टम सही लगता है, लेकिन हारने पर साजिश की बातें शुरू हो जाती हैं।

शिवसेना नेता संजय निरुपम ने कहा है कि चाहे राहुल गांधी हों या कांग्रेस पार्टी का वर्तमान नेतृत्व, उन्हें यह स्वीकार करना चाहिए कि दोष चुनाव आयोग, चुनावी प्रक्रिया या मतदाताओं का नहीं है। दोष उनकी अपनी कार्यप्रणाली में है।

मतदाताओं की संख्या पर भी बोला झूठ

राहुल गाँधी ने एक्सप्रेस को दिए अपने लेख में यह बताया कि महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 8.98 करोड़ थी जो 5 साल बाद 2024 लोकसभा चुनाव के लिए बढ़कर 9.29 करोड़ हो गई। उन्होंने प्रश्न उठाए कि 41 लाख की छलाँग 5 महीने में कैसे संभव है।
वर्ष 2024 में 4.26%, 2019 में 1.31%, 2014 में 3.48%, 2009 में 4.13 और 2004 में 4.69% (2024 की वृद्धि से भी अधिक) मतदाताओं का अंतर लोकसभा और विधानसभा चुनावों में देखा गया था।इन आँकड़ों से यह स्पष्ट है कि राहुल गाँधी अपनी पार्टी के घटते आधार से खिन्न होकर कुछ भी दावे कर रहे हैं।

मतदान प्रतिशत पर भी रिपीट किया झूठ

राहुल गाँधी ने दावा किया कि शाम 5 बजे मतदान प्रतिशत 58.22% था जो मतदान बंद होने के बाद भी लगातार बढ़ता गया। उन्होंने 76 लाख मतदाताओं के प्रतिशत वृद्धि का भी हवाला दिया। इस मामले में राहुल गाँधी चतुराई से एक बात छुपा ले गए।
सच्चाई है कि 5 बजे मतदाताओं की नई लाइन लगना बंद होती हैं, लेकिन जितने लोग लाइन में लग चुके होते हैं, उन्हें वोट डालने दिए जाते हैं। कई मामलों में चुनाव आयोग ने वोटिंग का समय भी बढ़ाया है। ऐसे में अंतिम आँकड़े 5 बजे के आँकड़ों से हमेशा ही अलग होंगे।
इस मामले पर महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एस. चोकलिंगम ने जवाब देते हुए कहा था कि ‘तय समय के बाद भी मतदान में वृद्धि होना कोई असामान्य बात नहीं है। बल्कि यह प्रक्रियाओं पर आधारित है। महाराष्ट्र के कई शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लोग बड़ी संख्या में शाम को मतदान देने आते हैं इसलिए यह कोई असामान्य बात नहीं है।

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