DRDO अब अग्नि-5 मिसाइल का नया वैरिएंट बना रहा है (फोटो साभार: X/@Kunal_Biswas707)
Operation Sindoor से भारत ने दुनिया को दिखाने के बाद हर दिन एक से बढ़कर एक नया हथियार बनाने की होड़ में लग अमेरिका जैसे देशों के लिए ही चुनौती नहीं बन रहा है, बल्कि चीन और पाकिस्तान की नींद हराम कर दी। पाकिस्तान तो बौखलाहट में फिर जहर उगल रहा है। जबकि अपने हवाई अड्डे तक ठीक नहीं करवा पाया। अब पाकिस्तान चीन के उकसावे पर जहर उगल रहा है या अमेरिका के कहने पर। लेकिन मौत पाकिस्तान के सिर मंडराने लगी है। दुनिया देख रही है कि अब भारत 2014 से पहले वाला भारत नहीं रहा।
ऐसे में अब भारत भी अपने मिसाइल सिस्टम को मजबूत करने में लगा है। इसी कड़ी में रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अब एग्नि-5 इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल को अब नए रूप में विकसित करने जा रहा है। फिलहाल इस अग्नि-5 मिसाइल को 5000 किलोमीटर की रेंज तक फेंका जा सकता है। अब नए वैरिएंट में 7500 किलोग्राम बंकर बस्टर की क्षमता होगी।
इससे भारत अपने दुश्मन चीन और पाकिस्तान के ठिकानों को आसानी से निशाना बना लेगा। जमीन की कितने भी भीतर दुश्मन घुसा हो, यह मिसाइल तबाह करने में सफल होगी।
जमीन के 100 मीटर अंदर घुसकर मचाएगा तबाही
डीआरडीओ अब अग्नि-5 के नए वैरिएंट में बढ़ी क्षमता को विकसित कर रहा है। यह जमीन के 80 से 100 मीटर भीतर घुसकर तबाही मचाएगा। इस मिसाइल को विकसित करने से भारत अमेरिका की उपलब्धियों से भी आगे बढ़ जाएगा। अमेरिका ने भी ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने के लिए बंकर बस्टर बम GBU-57/A का इस्तेमाल किया था। यह बम की विश्व में सबसे बड़ा बंकर बस्टर बम कहलाता है।
भारत भी अब स्वदेशी की राह पर चल रहा है। जहाँ अमेरिका की तरह डिलीवरी के लिए बड़े और महंगे एयरक्राफ्ट पर निर्भर रहने के बजाय भारत अपने बंकर बस्टर को मिसाइल डिलीवरी के लिए डिजाइन कर रहा है।
मैक 8 से मैक 20 की स्पीड में बनाई जा रही मिसाइल
फिलहाल अग्नि-5 के दो वैरिएंट बनाए जा रहे हैं। एक में जमीन के ऊपर के ठिकानों को तबाह करने की क्षमता होगी। वहीं, दूसरी एक गहरी पैठ वाली मिसाइल होगी, जो जमीन की गहराई में बने ठिकानों में घुस सकेगा। इसका डिजाइन GBU-57 की तरह बनाया गया है, लेकिन इसकी कीमत कम होगी।
हर मिसाइल का वजन आठ टन तक हो सकता है। यह अब तक विश्व में सबसे अधिक वजन वाली मिसाइल मानी जाएगी। हालाँकि, अग्नि-5 के नए वैरिएंट में 2500 किलोमीटर की कम रेंज होगी, बावजूद इसके उसका सटीक निशाना पुराने वाले से ज्यादा विनाशकारी होगा।
इन मिसाइल की गति मैक 8 से मैक 20 के बीच होगी, जो इन्हें हाइपरसोनिक हथियारों की श्रेणी में रखता है। ये अमेरिकी बंकर-बस्टर वेपन की स्पीड के बराबर ही होंगे, लेकिन इनकी पेलोड कैरी करने की क्षमता काफी अधिक होगी।

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