कल(जुलाई 5) चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा है कि संविधान की व्याख्या व्यावहारिक (Practical) होनी चाहिए। संविधान में तो बहुत कुछ आ जाता है और उन लोगों का आचरण भी आ जाता है जिनके कंधो पर संविधान की रक्षा की जिम्मेदारी है या रही है। उनमें एक महानुभाव है पूर्व चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़।
आज(जुलाई 6) ही चंद्रचूड़ के बारे में रहस्योघाटन हुआ कि नवंबर में रिटायर होने के बाद वे समय सीमा समाप्त होने के बाद भी सरकारी बंगले पर “अवैध” कब्ज़ा किए हुए बैठे हैं। नियमो के अनुसार उन्हें बंगला 10 मई तक खाली कर देना चाहिए था। चंद्रचूड़ ने पहले अप्रैल, 2025 तक के लिए समय माँगा था और फिर चीफ जस्टिस खन्ना से जुबानी 31 मई तक के लिए बंगले में रहने की अनुमति मांगी थी।
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| लेखक चर्चित YouTuber |
मतलब साफ़ है संविधान की रक्षा करने की बड़ी बड़ी बातें करने वाले चंद्रचूड़ पद से हटने के बाद खुद सरकारी बंगले पर “अवैध” कब्ज़ा किए हुए बैठे हैं, तो सोचिये पद पर रहते हुए दोषियों और अपराधियों को कैसी कैसी मदद की होगी? तीस्ता सीतलवाड़ का किस्सा तो सबको मालूम है।
जब एक पूर्व चीफ जस्टिस का बंगले पर “अवैध कब्ज़ा” है तो इसलिए ही आज बांग्लादेशी और रोहिंग्या सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा जमाए बैठे हैं और गैर कानूनी बस्तियां बना कर मौज से रह रहे हैं। उनसे जगह खाली कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट के जज कहते हैं कि पहले उन्हें रहने के वैकल्पिक व्यवस्था करे सरकार और इस तरह घुसपैठियों को घुसपैठ को वैध बना दिया जाता है।
हल्द्वानी का मामला तो याद होगा। अवैध बस्ती को गिराने के काम पर स्टे लगा दिया और वहां के लोग मजे से रह रहे हैं।
राघव चड्ढा भी राज्यसभा का सांसद होते हुए 2 बंगले लिए बैठा था लेकिन उसे खाली करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नहीं कहा बल्कि उसकी दोनों बंगले रखने की मांग पर सुनवाई कर डाली।
ये चंद्रचूड़ सिर पटकते रह गए थे कि किसी तरह मोदी उन्हें NHRC का चेयरमैन बना दे। रिटायर होने से पहले मोदी को घर भी बुला लिया गणेश पूजन में मगर सारी मेहनत बेकार चली गई। वैसे सरकार करेगी नहीं लेकिन यदि चंद्रचूड़ का सामान जबरन घर से बाहर निकाल दिया जाए तो उन्हें कैसा लगेगा। आज हो सकता है चंद्रचूड़ बंगला खाली करने को कहने को अपने ऊपर “अत्याचार” समझ रहे हों। अगर ऐसा है तो याद कर लें कि उन्होंने कैसे बेघर किये गए कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचारों की जांच से भी मना कर दिया था।
जज की कुर्सी पर बैठ कर बड़े बड़े समाज सुधार के प्रवचन देना बहुत आसान है लेकिन असल जीवन में शुचिता रखना बहुत कठिन है।
एक इस खबर ने चंद्रचूड़ की इज़्ज़त खाक में मिला दी। थोड़ी बहुत भी शर्मोहया होगी तो तुरंत बंगला खाली कर देंगे।


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