काल भैरव की मूर्ति (बाएँ), मंदिर का प्रवेश द्वार (दाएँ) (साभार : Instagram -kaal_bhairav_temple_ujjain)
मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में एक ऐसा मंदिर है, जहाँ भगवान को शराब चढ़ाई जाती है। फिर उसी मदिरा को भक्तों को प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है। ये सच्चाई है काल भैरव मंदिर की। जो उज्जैन का न सिर्फ धार्मिक बल्कि रहस्यमयी चमत्कार भी है। काल भैरव को शिव के रौद्र रूप के तौर पर पूजा जाता है। यहाँ हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु शराब की बोतल लेकर आते हैं और काल भैरव को अर्पित करते हैं।
माना जाता है कि पिलाते वक्त शराब मूर्ति के मुँह से गायब हो जाती है। कोई नली, कोई ट्रिक, यहाँ तक की अब तक कोई वैज्ञानिक भी इसका ठोस जवाब नहीं दे सका है। ये मंदिर सिर्फ आस्था का नहीं बल्कि जिज्ञासा का भी केंद्र है। यहाँ साधारण भक्तों से लेकर तांत्रिक तक सभी बाबा काल भैरव के दर्शन के लिए पहुँचते हैं।
काल भैरव की मूर्ति को शराब का प्रसाद चढ़ाते महंत ( साभार : TripAdvisor)मंदिर का इतिहास
काल भैरव मंदिर का इतिहास लगभग छह हजार वर्ष पुराना है। मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण और कालिका पुराण जैसे ग्रंथों में भी मिलता है। काल भैरव की पूजा कपालिका और अघोरा संप्रदाय का हिस्सा रही है। इतिहासकार की मानें तो मंदिर का निर्माण शिप्रा नदी के ऊपर राजा भद्रसेन ने करवाया था।
काल भैरव मंदिर के भीतर का दृश्य (साभार : MP Tourism)हालाँकि वर्तमान मंदिर 18वीं शताब्दी में बनकर तैयार हुआ था। यह मंदिर मराठा काल में बनवाया गया था। सन् 1788 में मराठा शासक महादजी शिंदे ने इस मंदिर को फिर से बनवाया और सजाया। उज्जैन प्राचीन अवंतिका नगरी रही है और यहाँ शैव परंपरा का गहरा असर है।





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